राजीव ने जल्दी से हिना को बेड पर लिटा दिया।
और फिर आभा और मिनल भी आ गई और बोली क्या हुआ इसे अचानक?
राजीव ने कहा लगता है ठंड लगा है एक कंपकंपी सी हो रही है।
जल्दी से कम्बल ओढ़ा दिया।
राजीव ने जल्दी से उसके हाथों को रगड़ने लगा और वो बोला कि आप दोनों उसके कपड़े बदल दिजियेगा मैं अभी दूध लेकर आता हूं।
राजीव के जाने के बाद आभा और मिनल ने मिलकर हिना के कपड़े बदल दिए।
दोनों के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे।
कुछ देर बाद राजीव हल्दी दुध लेकर आ गया। और आभा की तरफ गलास बढ़ा दिया।
आभा और मिनल मिनल कर हिना को दुध पिलाने लगी और फिर हिना ने आंख खोल दिया।
राजीव मन में बोला थैंक गॉड!
हिना ने कहा मैं यहां कैसे?
आभा ने कहा अरे बेटा तुम बारिश में भींग रही थी और फिर।।।।
मिनल ने कहा जाने दो जीजी हिना ने डरा दिया था।
हिना ने कहा ओह सॉरी!
राजीव ने कहा अब हल्दी दुध पी लिजिए।
हिना ने खुद को देखा और फिर बोली मैं यहां कैसे आई?
मिनल ने कहा अरे बाबा वो राजीव ने ही तुम्हें उठाकर यहां ले आया तुम बेहोश हो गई थी।।
हिना कुछ भी नहीं बोली।
आभा ने कहा अच्छा अब तुम आराम करो हमलोग जा रहें हैं।
ये बोल कर दोनों चली गई और फिर राजीव भी जाने लगा तो हिना ने कहा सुनिए।
राजीव मुड़ा तो हिना बोल पड़ी ऐसी हरकत आप क्यों करते हैं? क्या साबित करना चाहते हैं आप !कि आप महान हो।।
राजीव को गुस्सा आया पर वो बिना कुछ बोले ही चला गया।
हिना रोने लगी और फिर बोली कि इतनी बेबसी क्यों? क्या इतनी सी बात तुम्हें नहीं समझ आती कि मैं अब तुम्हारे भाई की विधवा हुं। तुमने मुझे छुआ कैसे?
क्यों नहीं बता पाए अपने भाई को कि आप वो शादी ना करें जिसे मैं चाहता हूं।
ये कहते हुए हिना सो गई।
कब रात हो गई पता नहीं चल पाया।
फिर सब डिनर के लिए नीचे पहुंच गए पर हिना को ना देख कर सब परेशान हो गए।
राजीव ने कहा अरे हिना कहा है?
मिनल ने बड़ी बड़ी आंखें कर के बोली ये क्या भाभी है ना?
आभा ने कहा अरे जाने दो पहले फोन करके देखें।
पर हिना ने फोन नहीं उठाया।।
अब राज घबरा गया और बोला आप सब बैठिए मैं देख कर आता हूं।।
राजीव दौड़ कर ऊपर चढ़ गया।
आभा ने कहा सम उम्र के होने से राज उसकी चिंता करता है।
मिनल ने कहा क्या सिर्फ यही बात है?
फिर राज हिना के रूम के बाहर दरवाजा खटखटाया तो कुछ देर बाद ही हिना ने दरवाजा खोला तो देखा कि रूम में अंधेरा था।
राजीव ने लाइट जलाते हुए कहा कि अंधेरा बिल्कुल पसंद नहीं है।।।
हिना ने कहा पर मुझे पसंद है अंधेरा।
मुझे तो आदत सी हो गई है।
राजीव ने कहा आदतें बदलीं जा सकती है।।
हिना ने कहा पर किस के लिए बदलूं मैं?
राजीव ने कहा खुद के लिए बदलाव जरूरी है।।
हिना ने कहा ये सब कहने की बात है।
राजीव ने कहा अच्छा अब डिनर करने चले,?
हां।
हिना ने कहा नहीं मुझे भुख नहीं है।
राजीव ने कहा कौन कह रहा है भुख मिटाने के लिए खाना खाने चलना है ये तो सिर्फ ममा पापा के लिए।
हिना ने कहा प्लीज़ आज मुझे माफ़ किजिए।
राजीव ने कहा नहीं करता।।
हिना चुपचाप बेंड पर लेट गई।
राजीव भी गुस्से से पैर पटकते हुए चला गया।
नीचे पहुंच कर खाना आर्डर कर दिया ।
मिनल ने कहा अरे बाबा क्या हुआ नहीं आई?
राजीव ने कहा नहीं आई।
हमें तो भुख लगी है खा लेते हैं।
सब एक साथ खाना खाने लगे।
राजीव ने कहा एक प्लेट खाना पैक कर दिजिए।
मिनल और आभा ने एक दूसरे को देखा।
राजीव जल्दी- जल्दी खाना खाने लगा।।।
फिर खाना खाने के बाद ही एक प्लेट में खाना लेकर बोला मैं जाकर हिना को दे देता हूं,आप लोग आ जाईए।
फिर जैसे ही राजीव वहां से चला गया तो मिनल ने कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि राजीव और हिना क्या एक दूसरे को पहले से ही जानते है??
आभा ने कहा पता नहीं चल रहा कि क्या बात है?
फिर सब खाना खाने के बाद वहां कुछ देर तक टहलने लगे।
राजीव हिना के रुम में दरवाज़ा नोक करने के बाद अन्दर गया और फिर देखा तो हिना लेटी हुई थी।
राजीव ने कहा अरे सो गई।
हिना उठ बैठी और बोली अरे आप नहीं सोई मैं।
पर ये क्या मैंने तो मना किया।
राजीव ने कहा हां मुझे पता है ज्यादा सीबीआई की तरह मत देखो हां। जल्दी से खा लो।
कल हमें वापस जाना है।।
हिना घूरने लगी।
राजीव ने एक कौर लेकर हिना को जबरदस्ती खिला दिया।
हिना ने कहा अच्छी जबरदस्ती है।।
राजीव ने कहा खा रही हो या खिला दूं।
हिना ने कहा कोई जरूरत नहीं है मैं खा लेती हुं देवर जी।।
राजीव ने कहा हां, ठीक है ठीक है।पर ये देवर जी बोलना जरूरी है?
हिना ने कहा हां और क्या?
राजीव ने प्लेट रख कर चला गया।
हिना जल्दी -जल्दी खाना खाने लगी क्योंकि उसे भूख लगी थी।
कुछ देर बाद ही आभा और मिनल भी आएं तो देखा कि हिना सो चुकी थी।
मिनल और आभा ने मिलकर बैग पैक कर लिया क्यों कि सुबह जल्दी निकलना था।
कैसे दिन निकल गया पता ही नहीं चला ये बात मिनल ने कहा।
आभा ने कहा अब तुम लोग आ जाओ।
मिनल ने कहा हां इस बार तो मैं ननद की बेटी सारा को लेकर आऊंगी।
हां ठीक है फिर किसी तरह से राजीव को मनाना होगा।
मिनल ने कहा हां अगर कोई है नहीं तो मानेगा क्यों नहीं?
पर हिना ने सब कुछ सुन लिया था।
किस्मत का खेल नहीं तो क्या है?हिना अपने जान को इतने करीब पाकर भी नहीं पा सकी ।।
कैसे इम्तिहान है राज को मैं किसी और एक साथ कैसे??
हिना मन ही मन सोच रही थी और फिर बोली ये कैसा पापा करने जा रही हुं मैं।।अमर की विधवा हुं मैं, लोग क्या कहेंगे।।
फिर सुबह सब तैयार हो गए।
कल की बात से हिना बहुत ही परेशान थी और उसकी परेशानी तो हमेशा की तरह उसके राज को पता चलनी थी।
सब नाश्ता करने लगे पर हिना के प्लेट में परांठे वैसे का वैसा ही है ये राज़ ने नोटिस किया पर कैसे कहें?
राज ने कहा अरे आप लोग तो कुछ खा नहीं रहे हो ।
पेट भर कर खा लो।
सब हंसने लगे।
आभा ने कहा अरे हिना परांठे तो वैसे ही पड़े हैं खा ले।
हिना ने कहा हां , मम्मी जी खा रही हुं।
जैसे ही हिना ने राज की तरफ देखा तो राज इधर उधर देखने लगा।
फिर सब गाड़ी में जाकर बैठ गए।
क्रमशः