प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ४

हिना ने कहा कि ये क्या कह रहे हैं ऐसे कैसे मैं,मै,अमर तो अभी बात कर के गए हैं और फिर ये सब।
मैनेजर ने कहा मैम आप आईए हम आपको लेकर चलते हैं।
हिना ने कहा हां ठीक है।
फिर हिना हिम्मत करके उस मैनेजर के साथ अस्पताल पहुंच गई।
नर्स ने कहा कि उनका आपरेशन होने वाला है जल्दी से साइन कर दिजिए।
हिना ने कहा कैसा आपरेशन मैं एक बार देखना चाहती हुं।
नर्स ने कहा मैम सर को काफी चोटें आई हैं और उनका बचना नामुमकिन है।
हिना ने कहा अरे नहीं ऐसा नहीं हो सकता है मैं क्या करूं।
फिर हिना ने साइन कर दिया।
और फिर रोने लगी कि कैसे हो गया अमर तुम तो मेरा इंतजार कर रहे थे।
कुछ देर बाद ही नर्स ने कहा कि सर आपरेशन टेबल पर ही दम तोड दिए।
हिना ये सुनकर ही बेहोश हो कर गिर गई।
फिर हिना को पानी पिलाया गया और फिर जब होश आई तो नर्स ने कहा मैम आपके घर-परिवार को इन्फाम करना होगा।
हिना ने कहा नहीं, नहीं मम्मी पापा ये सब सहन नहीं कर सकते हैं।
फिर वहां से हिना को अमर के रुम में ले जाकर दिखाया गया अरे अमर ये क्यों किया तुमने।
क्या तुम जान कर ये सब किया।
फिर हिना ने सबसे पहले अमर के आफिस में फोन किया और सब कुछ बताया और उसके बाद अमर के दोस्त तरूण, सागर को फोन करके सब बताया और जल्दी से शिमला आने को कहा। उसके बाद हिम्मत करके जिस चाचा जी ने हनीमून पर भेजा था उनको फोन किया पर काफी देर तक कोई फोन नहीं उठाया।
कुछ देर बाद चाचा जी ने काॅ ल बैक किया तो हिना ने फोन उठाया और फिर सारी बात बताई ये सुनकर चाचा जी सुन्न पड़ गए।
और फिर बोलें की मैं अभी आ रहा हूं तू चिंता मत करो।
फिर हिना एक जगह बैठ कर रो रही थी और कहीं ना कहीं खुद को दोषी मान‌ रही थी कि अमर ने क्या क्या सोचा था मेरे लिए और ये क्या हो गया।।
अब मैं मम्मी पापा को कैसे समझाऊं कि ये सब कुछ हो गया।
एक एक्सीडेंट में अमर चलें गए।

कुछ देर बाद ही नर्स ने कहा मैम हमें इन पेपर पर आपके साइन चाहिए।
हिना ने कहा हां ठीक है फिर हिना ने साइन कर दिया।
अमर के दोस्त सागर, तरुण आ गए।
हिना उनको देखते ही कहा अरे देखिए आपके दोस्त चले गए।
सागर ने कहा भाभी सम्हालो खुद को।
तभी नर्स आ कर अमर के फोन देते हुए कहा कि इस पर बार बार एक फोन आ रहा था किसी राजीव का।
हिना ने कहा हां ठीक मुझे दिजिए।
सागर ने कहा भाभी फोन दिजीए मैं राजीव से बात करता हूं।
हिना ने कहा अरे नहीं मैं जानती हूं राजीव को अमर के छोटे भाई है।
तभी फोन आया और हिना ने फोन उठाया और बोली हेलो राजीव।
राजीव ये आवाज़ सुनते ही फोन काट दिया।
हिना ने कहा अरे फोन काट दिया।
तरूण ने कहा भाभी मैं बात करता हूं।
तरूण ने फोन मिलाया तो राजीव ने फोन उठाया।
राजीव ने कहा अरे भाई आप ।।
तरूण ने कहा राजीव मैं तरूण।
राजीव ने कहा अरे तरूण भाई कहां है? और अभी फोन पर कौन थी।
तरूण ने कहा अरे भाभी थी पर एक दुर्घटना में अमर हम सब को छोड़ कर चला गया है। प्लीज़ तुम आ जाओ।
ये सुनकर राजीव ने फोन रख दिया।
और फिर रोने लगा कि भाई अभी तो शादी हुई थी आपकी पर ये क्या हो गया।
भाभी ही मनहूस हैं जो आप इतनी जल्दी चले गए।
पर मैं तो परसों ही जाने वाला था भाई आप उससे पहले ही चले गए।
फिर तरूण ने कहा कि हम चंडीगढ़ जा रहें हैं।
तुम वहां आ जाओ।
फिर तरूण ने फोन रख दिया और फिर कुछ देर बाद ही अमर की पार्थिव शरीर लेकर दे दिया।
हिना देखते ही रोने लगी ये क्यों हुआ किस बात की सजा दिए भगवान।।

हिना ने कहा हां, हां सब कोई चले जाओ मुझे छोड़ कर कभी भी मत आना हां, क्या ज़बाब दुंगी मैं कि आप ऐसे ही चलें गए।।
मुझे बेरंग करके, हिना नाम तो रह गया पर अब क्या कभी हिना लगा सकती हुं और ना ही सोलह श्रृंगार कर सकती हूं।
अमर जी ने ऐसा क्यों किया?
हिना को अब सब कुछ एक बुरा सपना लग रहा था ।।
कौन सी मनहूस घड़ी थी जो मै राज के पीछे पागल थी।
कहते हुए हिना एकदम से बेहोश हो गई।।
कहीं से ये धुन आने लगा।।।
बेपनाह प्यार है आजा।।।
तेरा इंतज़ार है आजा।।
ओह,। बेपनाह प्यार है आ आ जा।।।
हिना ये गाना सुनते ही कहा बन्द करो ये गाना,अब किसी की जरूरत नहीं है मुझे, कोई भी कभी भी आएगा और फिर चला जाएगा।।
हिना ये सब बड़,बड कर रही थी।
अमर का दोस्त ने कहा भाभी ये पानी पी लिजिए।
हिना ने हंसते हुए कहा अरे अब क्या खाना क्या पीना, मुझे कोई जहर लाकर दे दो। वैसे भी अब कोई फायदा तो नहीं जीने का।।
भगवान से हिना की खुशियां जो देखी नहीं जाती।।
मैं हुं बेरंग हिना।।।
मैं बेरंग हो गई अब क्या जीना।।
ये कहते हुए बेहोश हो गई।।
नर्स ने कहा अरे इसे अभी एडमिट करना होगा।
फिर हिना को एक बेड पर लिटा दिया गया और फिर उसे शलाइन चढ़ने लगा।
जतिन,आकाश सब वहां खड़े हो गए और फिर डाक्टर से पुछा ये ठीक है?
डाक्टर ने कहा हां, अभी सदमे में हैं इसलिए।।
डाक्टर ने कहा हां अब कुछ देर बाद ही हम आपको डेड बॉडी दे देंगे।।
जतिन रोने लगा और फिर बोला हां, डाक्टर अभी अमर के चाचा जी आ रहें हैं।।
डाक्टर ने कहा हां, ठीक है।।
कुछ ही देर बाद अमर के चाचा जी अपने दोस्तों के साथ पहुंच गए और फिर बोलें अमर कहां है?
जतिन ने कहा अभी कुछ देर बाद ही अमर की डेड बॉडी मिल जाएगी।
चाचा जी ये सुनकर कर वहां बैठ गए।
फिर सब वहां बैठ कर बातें करने लगे।
जतिन ने कहा चलिए चाचाजी।।
चाचा जी ने कहा अरे हिना कहां है?
जतिन ने कहा हां, अब कुछ ठीक है वो।
डाक्टर ने कहा हां,अमर की डेड बॉडी एम्बूलैंस में जाएगी और हिना भी उसमें जाना चाहती है।।
जतिन ने कहा हां, ठीक है मैं भी हिना के साथ आता हूं।
फिर कुछ देर बाद अमर की बाडी को एम्बूलैंस में रखा गया और फिर हिना भी बेसुध हो कर बैठ गई और फिर जतिन भी बैठ गया।
चाचाजी और उनके दोस्त भी अपनी गाड़ी में बैठ गए और फिर जतिन के बाकी दोस्त भी अपनी गाड़ी में बैठ गए।
दोस्तों कहते हैं कि आप किसी के लिए कुछ अच्छा सोचते हो पर अपने लिए शायद कुछ ग़लत ही सोचें होंगे।
जिंदगी तो वेबफा है एक दिन ठुकराएगी।।
क्रमशः