प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ५ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ५

फिर वहां से एक एक गाड़ी निकल गई।
हिना अमर के साथ एम्बूलैंस में बैंठी थी।
शिमला से चंडीगढ़ गाड़ी से ही निकल गए।
हिना ये सोच कर परेशान हो रही थी कि अब मम्मी पापा को क्या मुंह दिखाऊंगी।
कुछ भी अच्छा तो नहीं हुआं अमर क्यों चले गए किसी से बात भी नहीं किया बस मुंह फेर लिया।
किस के सहारे छोड़ गए मुझे मेरा तो कोई नहीं अब।
डैडी ने कहा था कि अब कभी मत
आना वापस वहीं से चली जाना। अपने जीवन का पुरा छण तुम वहां ही रहना।।

फिर कुछ घंटे बाद ही हम अपने घर पहुंच गए।
वहां पर बहुत भीड़ पहले से ही आ गई थी।



रिश्तेदार और पास पड़ोस के लोगों की भीड़ लगी थी।
चाचा जी और अमर के दोस्तों ने मिलकर अमर के पार्थिव शरीर को गार्डन में रखा।
अमर की मां और पापा सब आ गए और रोने लगे।
हिना अपने सासू मां को गले से लगा कर रोने लगी।
चाची ,ताई,बुआ सब लोग हिना के बारे में गलत बोल रहे थे कि मनहूस है पति को खा गई।
फिर लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई।
हिना खुद को सम्हाल नहीं पा रही थी उसे बहुत बुरा लग रहा था कि एक इतना अच्छा इंसान कैसे जा सकता है।जो सिर्फ मेरी खुशी चाहता था, मेरी खुशी के लिए ही हनिमून पर भी गया।।
आभा ने कहा एक बेटा तो पहले ही रूठ कर चला गया और तू हमेशा के लिए चला गया बेटा ये मां बाप के लिए अभिशाप है कि बेटा को मरा हुआ देखें।
हिना ने कहा मम्मी आप खुद को सम्हाल लिजिए।अमर बहुत अच्छे इंसान थे इसलिए भगवान ने बुला लिया।
ताई जी ने कहा हां हिना तुम दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं था।
अमर के पिता ने कहा अरे ये वक़्त नहीं है ये सब कहने का।।
फिर तरूण को राजीव का फोन आया कि अभी वहां पहुंच रहा है।वो रास्ते में है।
फिर सब लोग सब तैयारी करके अमर को सजाकर विदा कर दिया।
हिना बहुत ही मायूस हो गई थी और फिर बाकी लोग घर के अन्दर पहुंच गए।फिर एक एक करके नहाने चले गए।
बुआ ने कहा अरे भाभी नियम अनुसार हिना को बाल कटवाना होगा।
अमर के पिता ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं होगा।
हिना अमर की पत्नी हैं और ये सम्मान हम उसे देंगे।
हिना को सब औरतें ले जाकर सिन्दूर और चुडिया सब उतरवा कर बोली कि नहा कर आओ।
हिना नहाकर आ गए और फिर उसे एक सफेद साड़ी पहना दिया गया।
फिर सब शर्बत पीने लगे।
हिना बहुत ही अन्दर से टूट चुकी थी। इन्सान कभी ऐसा नहीं चाहता भले ही वो अमर को पसंद नहीं करती थी और ना ही प्यार था।
उधर राजीव सही समय पर वहां से गंगा घाट पर पहुंच गए।
अमर के दोस्तों ने राजीव को अमर के पास लेकर गया।

राजीव ने रोते हुए कहा भाई ये क्या हुआ।किस तरह आप जा रहे थे भाभी कहां थी उनको भी तो आपके साथ होना चाहिए था।
फिर राजीव ने ही मुखाग्नि दी और फिर गंगा स्नान के बाद सब दोस्त, रिश्तेदार घर लौट आए।
राजीव के मन में कुछ न कुछ सवाल उठ रहा था कि क्या भाई क्या इस शादी से खुश नहीं थे? भाभी को कोई तकलीफ़ थी? यह सब कैसे हो गया? मुझे पता लगाना होगा कि क्या हुआ था आखिर?

वापस आते समय राजीव ये सोचते रहे कि इन हाथों में ही मैंने भाई को मुखाग्नि दी और इतना जल्दी सब कुछ हो गया कि मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर अचानक क्यों हुआ भाई को कुछ पता चला कि, कुछ ऐसी बातें जो भाभी से जुड़े हुए हो,पर मैं यह सब क्या सोच रहा हूं।


घर पर राजीव को एक अजीब सा सन्नाटा लग रहा था और फिर उसे वो पल याद आ गया जब भाई उसके आने के बाद क्या क्या करता था।
राजीव ने जैसे ही दरवाजे पर कदम रखा तो जैसे एक तेज हवाओं का आगमन हुआ और उधर हिना भी जैसे एकाएक मचल उठी थी।
जाने कैसा शुकून मिला उसे।

नीचे राजीव ने मां कह कर पुकारा और फिर मां दौड़ कर आईं गले से लगा लिया था ‌एक बेटे को हमेशा के लिए खोकर तुम्हें पाया अब कभी भी मां को छोड़ कर नहीं जाना।
राजीव ने कहा कि नहीं मां कभी नहीं।।
फिर ताई जी ने कहा बेटा कहां था? क्यों चला गया।
राजीव ने कहा अरे जाने दिजिए सब बातें। राजीव ने अपनी नजरें इधर उधर घुमाया और फिर बोला कि भाभी कहां है?
आशा ने कहा हां, तुम तो भाभी से मिले नहीं, अभी अपने कमरे में गई है। उसके तो महंदी के रंग तक नहीं छूटें थे और यह सब हो गया। राजीव ने कहा हां,पर मां , शिमला में भाई के साथ भाभी भी थी ना फिर क्या हुआ भाई का एक्सीडेंट कैसे हुआ?

मां ने कहा अच्छा ठीक है पहले कुछ देर आराम कर लो फिर आराम से बातें करते हैं।
फिर बुआ, चाची सब लोग राजीव को खींच कर ले आएं और एक सोफे पर बैठा दिया और फिर बोली देखो अब तुमको ही सम्हालना होगा अमर जैसा नेकदिल इंसान कभी नहीं देखा। इसलिए भगवान ने उसे जल्दी से बुला लिया।
पापा ने कहा बेटा अब और नहीं हां ,हमें छोड़ कर मत जाना।।

राजीव ने कहा ठीक है इन हाथों ने भाई को मुखाग्नि दी है और कसम खाता हूं कि कभी नहीं जाऊंगा कहीं भी।
पर जो बात हमें समझ आ रही है वो आप सब को क्यों नहीं??
आभा ने कहा क्या बोल रहा है?
राजीव ने कहा पर मां यहां पर सभी है भाभी कहां है?
आभा ने कहा हां बेटा भाभी अपने कमरे में है आराम कर रही होगी,जा तुम जाओ मिल लो।
राजीव ने कहा हां ठीक है मैं मिल कर आता हूं।।
फिर राजीव एकाएक उठा और फिर आगे सीढ़ियां चढ़ने लगा और फिर उसे अमर की याद आ गई और राजीव के कदम लड़खड़ा गया और वो सीढ़ियों से गिर गया।।
उसे लगा जैसे अभी भाई उसे थाम लेगा पर नहीं यहां तो सिर्फ अब उसकी यादें ही बची है।
आभा ने कहा सम्हाल लो खुद को राजीव।।
राजीव ने कहा हां, मां मैं, मैं बिल्कुल ठीक हुं।।
एक बार मिल कर आता हूं भाभी से यह कहता हुआ राजीव सीढियां चढ़ने लगा।।
क्रमशः