प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ९ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ९

हिना ने दरवाजा खटखटाया और फिर बोली अरे देवर जी मैं अन्दर आऊं?
अन्दर से कुछ आवाज़ नहीं आया तो हिना अन्दर पहुंच गई। और खाना टेबल पर रख दिया और फिर जैसे ही मुड़ी तो अपने सामने राज को देख कर एक दम से घबरा गई और फिर बोली कि अरे आप!
राज ने कहा हां मैं क्यों मेरे कमरे में आई हो और मैं।।
हिना पीछे हटते हुए बोली ये कौन सी भाषा है?
मैं यहां आपको खाना देने आई थी?
राज ने कहा हां, खाना देने आई क्यों?किस लिए ये हमदर्दी?.
हिना ने कहा क्या बोल रहे हैं आप! ये कहते हुए जाने लगी तो हिना का दुपट्टा खींच गया जैसे पहले राज ये सब किया करता था और आज भी।। हिना ये सब सोचते हुए मुड़ी और।।।
हिना ने बिना देखे ही राज के गाल पर एक चांटा जड़ दिया।इतनी हिम्मत कहां से आई?
हिना इतने बोल कर जाने लगी तो देखा कि उसका दुपट्टा एक टेबल के कोने में फस गया था।
हिना ने आप हाथ मुंह पर रख दिया और फिर वहां से बाहर निकल गई लेकिन राज के कमरे से कुछ फेंकने की आवाज ने हिना को फिर से मजबूर कर दिया और वो पीछे मुड़कर देखने लगी तो उसने देखा कि रूम में पुरा खाना बिखरा पड़ा था और फिर दरवाजा बंद हो गया।

हिना वहां से सीधे अपने कमरे में चली गई और फिर दरवाजा बंद कर दिया और फिर रोने लगी खुद को कोसने लगीं कि ये बिना देखे मैन क्या कर दिया। ओह!वो तो बेकसूर था मुझे इस गुनाह के लिए खुद को सजा देना होगा।।
फिर हिना इधर उधर कुछ ढुढने लगी पर उसे जो चाहिए था वो नहीं मिला तो अचानक उसे कुछ याद आया तो कमरे से निकल कर सीधे नीचे मंदिर में पहुंच गई और फिर उसे अखंड दीपक जलता हुआ दिखा तो बस दौड़ कर उसने अपने कोमल हाथ को लौ के सामने बढ़ा दिया और एक हाथ से अपने मुंह को दबा दिया था उसने और फिर जिस हाथ ने आज ये गुनाह किया था उसे तो सजा मिलनी चाहिए थी।
कुछ देर बाद ही हिना वहां पर बेहोश हो कर गिर गई।
और फिर निर्मला ने देखते ही राजीव को आवाज लगाई।
राजीव नीचे पहुंच गया और फिर बोला कि क्या बात है?
निर्मला ने इशारे से हाथ दिखाते हुए कहा कि वो ।।।
राजीव ने देखा कि हिना जमीन पर पड़ी हुई थी।
राजीव दौड़ कर गया और फिर हिना को अपनी बाहों में उठाया और सीधे उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और फिर जैसे ही हाथों को रखने लगा तो देखा कि एक हाथ का तलवा पुरी तरह से जल चुका था।
राजीव को बहुत गुस्सा आया पर वो खुद को सम्हाल लिया और अपने कमरे से फास्ट एंड बाक्स लेकर आ गया और धीरे धीरे से हिना के हाथों पर मरहम पट्टी करने लगा तो इतने में हिना को होश आ गया और फिर बोली कि मैं यहां कैसे?
राजीव ने हक से कहा कि ये कैसा बचपना है तुम्हारा?
क्यों सजा दे रही हो खुद को और मुझे?.
हिना ने रोते हुए कहा अरे जब भगवान ने ही सजा मेरे नाम लिखी है तो मैं कैसे किसी को सजा दे सकती हुं।।
राजीव ने कहा हां पर ये नादानी क्यों?
हिना ने कहा मैं गुनाह किया था उसकी सजा दी है।
राजीव ने कहा हां, कोई हक नहीं है खुद को ऐसी सजा देने का।
चली क्यों नहीं जाती ?
हिना ने कहा हां, सही कहा आपने मुझे तो चले जाना चाहिए पर क्या करूं किसी को वादा जो किया है, मैं तो खुदगर्ज नहीं कि वादा करुंगी और फिर निभा न पाऊं।
राजीव को अब गुस्सा आया और फिर वो हिना के करीब जाकर बोला नहीं हुं मैं खुदगर्ज ऐसी मजबूरी थी कि मैं कुछ नहीं कर सकता था।
हिना ने कहा मुझे दर्द हो रहा है मेरा हाथ तो छोड़िए।
मरहम भी करते हो और दर्द भी देते हो ये कैसा गुरूर है।।
राजीव ने हिना को धक्का दिया और फिर वहां से चला गया।
हिना फुट फुट कर रोने लगी।।
फिर क्या था इस तरह से उन लोगों के ऊटी जाने का दिन आ गया।
सारी पैकिंग हो गई है न?
हिना बेटा, ओह हिना।।
हिना ने कहा हां अभी आती हूं पापाजी।
हिना नीचे पहुंच गई और फिर बोली अरे पापा जी चाय तो ठंडी हो गई।
आभा ने कहा हां, ठीक है ये दूसरी चाय है।
राजीव ने कहा अरे बाबा ठीक है अब जल्द ही ओला आ जाएगा।
हिना ने कहा हां ठीक है सब तैयार है।
फिर माली काका और राजीव ने मिलकर सारे लगेज डिक्की में डाल दिया।
फिर हिना ने सबको प्रसाद दिया।
राजीव ने कहा मुझे नहीं चाहिए हां,
हिना ने कहा हां, हां पता है देवर जी।
राजीव ने कहा हां एक तो लोग ढंग के कपड़े नहीं पहनते हैं और फिर प्रसाद देते हैं।
हिना ने कहा देखा मम्मी जी क्या बुराई है इन कपड़ों में।
राजीव ने कहा हां, बेरंग सी है।।
हिम्मत से हिना ने कहा हां थम जाएं जिंदगी तो सब कुछ बेरंग हो जाती है।
फिर सब जाकर गाड़ी में बैठ गए।
कुछ देर बाद ही एयरपोर्ट पहुंच गए।
राजीव के कुछ दोस्त आ गए थे।
फिर सब लगेज जमा करने के बाद हिना और उसके सास-ससुर सब जाकर अपने अपने सीट पर बैठ गए।
हिना और उसके सास ससुर को एक लाइन में सीट मिली थी और राजीव को उसके साइड की सीट।
हिना ने कहा अगर आप चाहें तो मैं उधर बैठ सकती हुं।
राजीव ने कहा जी नहीं शुक्रिया।
हिना ने कुछ नहीं कहा बस खडूस।
बोला वो भी मन में राजीव समझ गया और फिर बोला कि अब खड़ूस बोल रही है।
फिर आभा और रमेश आपस में बात करने लगे।
कुछ देर बाद राजीव के बगल में एक लड़की आ कर बैठ गई।
हिना ने जैसे ही देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गई और फिर बोली अरे मम्मी जी वो देखिए देवर जी बड़े आराम से बात कर रहे हैं।
आभा ने कहा हां ऐसे ही है।
हिना ने कहा लगता है पहले की पहचान है।
राजीव को समझ में आ गया था कि हिना कुछ बोल रही है।
अब उसको उसे परेशान करने का मौका जो मिल गया।
राजीव ने मन में सोचा कि एक तो मेरे साथ आ गई है वो बेरंग उसे पता है मुझे पसंद नहीं है फिर जान कर सब कुछ किया है हिना ने।।
राजीव ने फिर बहुत ही हंसते हुए उस लड़की से बात करने लगे।
हिना भी बार बार सुनने की कोशिश कर रही थी कि क्या बात कर रहे हैं दोनों।
फिर क्या था कुछ घंटे बाद ही ऊटी पहुंच गए।
एयरपोर्ट पर राजीव के मौसा जी रामदेव आ गए थे।
कुछ देर बाद ही लगेज लेकर बाहर निकल आएं।
राजीव ने देखते ही पैर छुए और फिर रामदेव ने कहा हां,राज कैसे हो?
दीदी, जीजा जी सब कैसे हो?
आभा ने कहा हां,बस ठीक है यह देखो हिना है!
हिना ने बढ़ कर पैर छुए।
रामदेव ने कहा जीती रहो।
आइए आप लोग।
फिर सब गाड़ी में बैठ गए।
हिना को ऊटी बहुत ही पसंद आई।
वो इधर उधर देख रही थी।
फिर कुछ देर बाद ही घर पहुंच गए।
मिनल देखते ही आभा के गले लग गई और फिर बोली अरे अमर कहां गया?
रोने लगी दोनों बहनें। रमेश ने कहा अब बस भी करो।।
मिनल ने कहा आओ हिना मेरे पास।
हिना ने कहा हां पर मारेगी तो नहीं?
मिनल ने कहा हां बहुत कहते हुए हिना को गले से लगा लिया।
मिनल ने कहा जीजी जैसा बोली थी उससे बहुत ज्यादा अच्छी है।
फिर सब अन्दर पहुंच गए।
मिनल ने कहा सब पहले फ्रेश हो जाओ।
मिनल ने गीता को आवाज लगाई और फिर बोली इनका रूम दिखा दो।
राजीव ने कहा यहां काफी ठंड है।
मिनल ने कहा हां बेटा वो तो है। फिर सब कमरे में जाकर फ्रेश हो कर नीचे पहुंच गए।
हिना ने कहा मासी हम तो ऊटी में ही रह जाएं कुछ तो है यहां।। एक शुकून सा लग रहा है मुझे।।
मिनल ने कहा हां बेटा रह जाओ तो।।
फिर सब मिलकर नाश्ता करने लगें।
रमेश ने कहा अरे वाह मटर की कचौड़ी।। राजीव ने कहा हां मुझे बहुत पसंद हैं दम आलू।
हिना की नजरें राज से जाकर टकरा गई।
फिर दोनों एक दूसरे को देखते हुए खाने लगे तो अचानक कुछ टुटने की आवाज से दोनों वापस नजरें झुका ली।
मिनल ने कहा अरे वो मीना फिर से क्या तोड़ दी।
मीना ने किचन से आवाज लगाई अब एक प्लेट टूट गया।।
सब हंसने लगे और फिर रमेश ने कहा अरे बाबा ये क्या?
रामदेव ने कहा जीजा जी ये तो रोज होता है।।
आभा ने कहा हां वो तो समझ गए।
फिर नाश्ता करने के बाद सब डाईंग रूम में बैठ गए।
मिनल ने कहा आओ हिना तुमको अपना बगीचा दिखाती हूं।
हिना ने कहा हां, हां मासी।
फिर मिलन और हिना गार्डेन पहुंच गए।।
हिना ने देखते ही कहा कि ये तो जन्नत है और कुछ भी नहीं।।।
मिनल ने कहा तुझे अच्छा लगा है ना।।
हिना ने कहा जी हां।
कुछ देर बाद राजीव भी आ गया और फिर बोला अरे वाह मासी क्या बात है।
राजीव ने अपना डिजिटल कैमरा निकाला और फिर विडियो बनाने लगा। हिना कुछ देर के लिए अतीत में खो गई अब ये मेरी सौतन।।
राज ने कहा अरे बाबा तुम्हारे लिए ही लिया और तुम भाव खा रही हो। मेरी जान इसमें तो तुम्हारे ही तस्वीरें हैं।।
हिना ने कहा ना जी ना। ये मेरी सौतन है क्योंकि आजकल तो तुम इसे ही पसंद करते हों और फिर अपने गले से लगा कर रखते हो।
राज ये सुनकर हंसने लगा और फिर बोला ओह मेरी मां!
मिनल ने कहा अरे हिना कहां खो गई देखो तो राजीव हमारी तस्वीर लेना चाहता है।
हिना ने कहा पर मुझे तस्वीरें नहीं लेनी है।।।


मिनल ने कहा पर क्यों क्या हुआ।

राजीव ने कहा ओके कोई बात नहीं मासी आप की ले लेता हूं।

फिर हिना वहां से आगे बढ़ गई और उसकी आंखें नम थी।।।




फिर सब मिलकर गार्डेन में बैठ गए।

सब बातें करने लगे और फिर मिलन ने सबको काॅफ़ी पीने के लिए दिया।
हिना ने काफी का मग उठाया तो राज ने कहा अरे तुम पिओगी?
हिना ने कहा हां क्योंकि।
राजीव ने तुरंत खुद को सम्हाल लिया और फिर बोला ओह सॉरी मुझे लगा आप नहीं पीती है।
मिनल और आभा एम दूसरे को देखने लगें।
कुछ देर बाद सब लंच करने बैठ गए।
हिना भी मिनल के साथ खाना सर्व करने लगीं।
राजीव बार बार हिना को कुछ कह रहा था इशारे से पर हिना अनदेखा कर रही थी।
सब खाना खाने बैठे थे।
राजीव ने अपने फोन से हिना को what's app किया कि तुम्हारे बैंक साईड का हुक खुल गया है।
हिना ने मैसेज चेक किया तो उसके चहरे का रंग उड़ गया और फिर उसने अपना दुपट्टा से ढक लिया।
राजीव ने मैसेज चेक किया अरे एक थैंक यू तक नहीं भेजा।
फिर सब खाना खाने के बाद इधर उधर टहलने लगे।
तभी धीरे से हिना राज के पास जाकर थैंक यू बोल कर चली गई।

शाम को सब चाय पीने के लिए बैठ गए और फिर वहां पर तय हुआ कि कल घुमने जाना है।।

क्रमशः ।


नया अध्याय पढ़ें हर शुक्रवार।।