सब वापस होटल पर आ गए और फिर रात का खाना खाने के बाद सब मिलकर जंगल का विडियो जो राज ने लिया था वो देखने लगें।
राज ने कहा सबसे डर किसको लग रहा था ?
हिना ने अपनी आंखें बंद कर लिया था क्योंकि उसे पता है ! सबसे ज्यादा डर तो उसे लग रहा था।
राज ने विडियो दिखाया और बोला कि ये तो मिनल मासी सबसे ज्यादा डर गई थी ओह!
सब हंसने लगे तो रामदेव ने कहा कि अरे तुमने बताया नहीं कि तुम्हें डर लगता है इतना दिन तो मुझे तुमसे डर लगता था।
मिनल ने कहा हां, हां मज़ाक उड़ाते रहिए मेरा।
राज तुझे तो मैं मारूंगी।मिनल ने कहा।।
फिर सब विडियो देखने के बाद सो गए।
दूसरे दिन सब चाय नाश्ता करने के बाद निकल गए।
आज हम ऊटी झील जा रहे हैं। बहुत ही सुन्दर झील है वहीं पर चलते हुए वापस होटल।
आभा ने कहा हां, ठीक है बेटा।
झील में पहुंच गए और फिर वहां पर गाईड सबको कुछ बता रहा था तो राज सबको लेकर पहुंचे।
झील का निर्माण यहाँ के पहले कलैक्टर जॉन सुविलिअन ने 1825 में करवाया था।
यह झील 2.5 किलोमीटर लंबी है।
झील के चारों ओर फूलों की क्यारियों में तरह-तरह के रंगबिरंगे फूल यहाँ की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं।
यहाँ आने वाले पर्यटक नौकायन और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं।
प्रतिवर्ष 12 लाख पर्यटक ऊटी झील देखने के लिए आते हैं।
झील में मोटर बोट, पैडल बोट और रो बोट्स में बोटिंग का लुत्फ भी उठाया जा सकता है।
गर्मी के मौसम में यहाँ दो दिवसीय बोट रेस का आयोजन किया जाता है।
ऊँटी झील के पूर्वी किनारों पर बच्चों का पार्क है जहाँ बच्चों के मनोरंजन के लिए बहुत सी चीज़ें हैं।
नौकायन का समय
प्रात:- 8:00 से शाम- 6:00 बजे तक।
फिर सब मिलकर नौका विहार भी किया।।
झीलों में से एक है। पहाड़ की चोटियों से जो पानी बहकर ऊटी वाकी में आ रहा था उसे एक जगह झील का रूप दे दिया गया है। झील को मूल रूप से मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। ये नीलगिरी के पेड़ से कटी हुई है, जिसके एक किनारे पर रेलवे लाइन है।
ऊटी छोटी है तो ऐसा नहीं हो सकता है कि आप झील पर ना कम हों। ऊटी झील के आने का समय सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है।
प्रवेश शुल्क मामूली है।
बोट हाउस भी चलें?
मिनल ने कहा हां, ठीक है।
रामदेव ने कहा झील के उस पार।। वातावरण कितना संगीतमय हो गया।सब हंसने लगे।
कुछ देर बाद ही वहां पर काफी भीड़ हो गई।
सब चाय पीने लगे और फिर एक बच्चे की रोने की आवाज ने हिना को बेचैन सा कर दिया मानो उसका कुछ खो गया हो?
हिना चाय छोड़ कर इधर -उधर देखने लगीं और उस बच्चे की रोने की आवाज की तरफ बढ़ने लगी और फिर हिना ने एक छोटे से बच्चे को गोदी में उठा लिया और फिर उसे प्यार करने लगी जैसे वो उसी का बच्चा हो और वो एक मां की तरह ही उस बच्चे को प्यार करने लगी।।
आभा और मिनल को यह देख समझते देर नहीं लगा कि हिना के अन्दर भी तो एक मां की ममता है कितनी बेबस और लाचार है।
हिना फिर इधर -उधर देखने लगी।।
राज भी इधर -उधर देखने लगा और वो बोला कि ये इतना छोटा सा बच्चा कौन छोड़ कर गया?
कुछ देर बाद ही एक औरत औरत एक आदमी दौड़ते हुए आए और फिर बोलें की यह मेरा बेटा है।।
हिना ने कहा अरे ऐसे ही छोड़ता है क्या?
वो आदमी बोला आपका धन्यवाद!
दरअसल हम लोग बातें कर रहे थे और वो यहां से भाग गया बहुत ही नटखट है!
हिना ने कहा हां, बहुत ही प्यारा है!
उस औरत ने अपने बच्चे को गोदी ले लिया।
हिना थोड़ी सी मायुस हो गई थी।
राज समझ गया था और फिर बोला अरे बाबा अब चलिए बहुत देर हो गई।।
फिर हम सब बोट हाउस पहुंचे।
राज ने कहा आप लोग यहां बैठ जाइए मै चला।।
बोट हाउस
झील के किनारे पर बोट हाउस है जो कि टीटीडीसी निगम द्वारा खोला गया है। बोट हाउस पैडल बोट, मोटर बोट और रो बोट की सुविधा प्रदान करता है। 30 मिनट की बोटिंग के लिए 2 सीटर रो बोट, वी 4 सीटर स्पॉट बोट के चार्जेज 180 से 200 के बीच है, जबकि मोटर बोट के लिए 450 रूपए का चार्ज है।
फिर राज ने बोटिंग किया काफी देर तक।।
वहीं पर एक बगीचा भी था वहां हम सब जाकर बस बहुत मजा किया।
इसमें एक बगीचा, बच्चों के लिए मिनी ट्रेन और एक मनोरंजन पार्क भी है। साथ में मनोरंजन के, 7डी सिनेमा, हॉरर हाउस के साथ-साथ मिरर हाउस, डैशिंग कार, ब्रेक डांस और कूम्बस राइड जैसे साधन हैं।
यहां पर गर्मियों के मौसम में नाव दौड़ की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
यहां टीटीडीसी द्वारा संचालित एक कैंटीन भी है।
यहां पार्किंग की सुविधा भी है।
हिल स्टेशनों की रानी ऊटी में जाकर बैंगलोर शहर की गर्मी को मात दें। ऊटी स्थित है।
ये कहते हुए सब हंसने लगे।
8 घंटे के इस शानदार अनुभव के साथ ऊटी के सभी खूबसूरत और प्रसिद्ध जगह से जाने का मन नहीं होगा।।।
मेले के मैदान के साथ नौका विहार झील
झील सुंदर है, हालांकि यह प्रदूषित है इसलिए यह उतनी सुंदर नहीं है जितनी यह हो सकती है। यहां तीन प्रकार की नावें उपलब्ध हैं - पेडलोस, रोइंग और मोटराइज्ड। एक छोटा मेला मैदान और कुछ कैफे भी।
चलो यहां पर चल कर कुछ खा लेते हैं।।
फिर कैफे में बैठ कर सबने अपनी पसंद बता दिया और फिर मिनल को कुछ अंदाजा हुआ जब दोनों ने एक साथ ब्लैक काॅफी कि फरमाइश किया।
पर मिनल ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर समोसे चाय के साथ खाने लगीं।
ऊटी झील कैसा लगा?
रामदेव ने कहा खूबसूरत मौसम के साथ ऊटी झील।।
बेहद ठंडे मौसम के साथ खूबसूरत झील। लेकिन बोटिंग सेक्शन हमें तुलना में महंगा पड़ता है। यहां आप बच्चों के खेल देख सकते हैं और परिवार के साथ जाने के लिए यह जगह बहुत अच्छी थी।
तो, अगर आप भी अपने पार्टनर के साथ किसी खास जगह पर घूमना चाहते हैं, तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकती हैं।
मिनल ने कहा ऐसा करते हैं कि राज की शादी करवा देते हैं और फिर उसको हनीमून के लिए छोड़ देते हैं।।
राज ने कहा हां,अब मैं ही मिला हुं ये सब के लिए।।
हिना भी देखने लगी।।
आभा ने कहा हां शायद भगवान नहीं चाहता कि हमें भी कोई खुशी मिलें। पोते पोतियों का सुख क्या होता है यह पता नहीं चल पाया।।
राज ने कहा ओह मां अब तुम भी।।
अब चलें वापस होटल।
फिर वहां से वापस होटल आ गए।
होटल पहुंचे तो बरसात होने लगी।
रामदेव ने कहा अरे वाह क्या बात है! खिचड़ी का आनंद लेना होगा।
रमेश ने कहा हां, ठीक कहा।।
राज ने कहा हां, ठीक है आप लोग रूम में जाइए मै डिनर के लिए बोल कर आता हूं।
फिर सब कमरे की तरफ जाने लगें।
हिना बार-बार बारह देख रही थी तो मिनल ने कहा हिना तुझे वारिश पसंद है?
हिना ने कहा हां,मासी।
मिनल ने कहा तू जा गार्डन में मैं भी आती हुं।।
मिनल का ये कहना हिना एकदम से खुश हो गई और फिर मम्मी जी और पापा जी की तरफ देखा और उन्होंने हामी भर दी।
हिना एक छोटी सी लड़की की तरह दौड़ते हुए गार्डन की तरफ चली गई।
सब रुम में आ गए।
मिनल और आभा बालकनी से हिना को देखने लगें।
हिना को जैसे फिर से एक नया मोड़ मिल गया हो वो अपनी बाहों को खुले आसमान में फैलाकर घुमने लगी और उसके आंसु भी बहते जा रहें जो कि बरसात के पानी के साथ ही चले जा रहें थे किसी को ये खबर तक नहीं कि इस बरसात के बूंदों के साथ हिना के आंसु भी है।
हिना पुरी भींग गई थी और वो वहां से पता नहीं कहां खो गई थी हंस रही थी और फिर कभी खिलखिला उठी और फिर जब राज ने सीढियां चढ़ते हुए देखा कि हिना गार्डन में बारिश में भींग रही हैं तो खुद को रोक नहीं पाया वो उसे देखने लगा और अब राज की आंखें भी नम हो गई थी और वो खुद को बोला "सम्हल जा ऐ जिन्दगी तू कर ना ऐसी खता जो जिंदगी की सजा बन जाएं"।।
ओह हिना तुम कितनी मासूम सी बच्ची की तरह लग रही हो चहा कर भी तुम्हें छू नहीं सकता, क्या खता हो गई मुझसे कि अब वो बहाने भी नहीं है तेरे पास आने की।।
जी लो अपनी जिंदगी एक पल की।।
भींग लो ।।
राज देखते हुए ऊपर पहुंच गया।
और अपने कमरे में जाकर देखा तो पापा और मौसा जी सो रहे थे।
कुछ देर बाद ही मिनल मासी दौड़ते हुए आईं और फिर बोली बेटा जल्दी चलो हिना गार्डन में बेहोश हो गई है।।
राज ने अरे ऐसे कैसे?
ओह माई गॉड।
फिर राज दौड़ कर गार्डन में पहुंच गया और वो खुद भी भीगने हुए जाकर हिना को अपनी बाहों में उठाया और फिर वहां से सीधे रूम में पहुंच गया।।
क्रमशः