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दानी इतनी शिक्षित थीं कि सब बच्चों को उन पर गर्व होता था । कोई शब्द अँग्रेज़ी का हो या हिन्दी का उसके उच्चारण और प्रयोग के बारे में दानी बहुत सचेत रहती थीं।
वे अक्सर अपनी बहू-बेटियों को समझातीं कि उन्हें अपने बच्चों की छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान देना चाहिए।
"माँ ! इतना समय कहाँ है कि हम एक-एक शब्द को इन्हें समझाते फिरें, उलझते फिरें इन बच्चों के प्रश्नों से ?"
एक दिन बातों ही बातों में दानी ने अपनी बहुरानी यानि सुमी की मम्मी से कहा था तब उन्होंने दानी को यह उत्तर दिया था।
दानी चुप हो गईं। अधिक बोलने से बात बढ़ जाने का खतरा होता है, दानी अच्छी तरह जानती थीं। माता-पिता व्यस्त रहते और बच्चे जो स्कूल व ट्यूशन्स में पढ़ते, वही सीखते। दानी को यह बात बिलकुल ठीक न लगती| शिक्षित माता-पिता अपने बच्चों के लिए केवल स्कूल और ट्यूशन-टीचर्स पर आधारित रहें, यह बात उन्हें ठीक नहीं लगती। इतने शिक्षित माता-पिता का कर्तव्य केवल पैसे भर देने तक ही सीमित होना चाहिए?धन तो अशिक्षित माता -पिता भी अपने बच्चों पर लुटाते रहते हैं, जिनके पास होता है। जिनके पास न धन होता है, न ही शिक्षा ----वे बेचारे तो आखिर कर ही क्या सकते हैं ? दानी के मन में न जाने कितने-कितने सवाल उठते रहते।
जब उनके सामने बच्चे कोई गलत उच्चारण करते, वे स्वयं उन्हें बतातीं, समझातीं। यह अच्छी बात थी कि बच्चे उनकी बातें सुन भी लेते और मान भी लेते थे।
दानी यह भी चैक करना चाहती थीं कि बच्चे उन बातों, मुहावरों का कैसे उपयोग करते हैं जो वे उन्हें समझा चुकी होती हैं । यदि ठीक नहीं कर पाते तब उसी समय सुधारने की कोशिश करनी चाहिए, उनका यह मानना था और वे यही करतीं।
"आज टीनी कहाँ है बच्चों?" जब बच्चे शाम को दानी के पास आए, दानी ने पूछा।
" दानी! टीनी आज मुँह खोलकर बैठी है।"
"मतलब?"
'दानी ! आज उसकी और चीनी की लड़ाई हो गई न, इसलिए। "
" तो आज वो कहानी सुनने नहीं आएगी?" दानी ने कुछ ज़ोर से अफ़सोस से कहा। वे जानती थीं कि ये दोनों बच्चियाँ कमरे के आस पास ही होंगी।
"क्यों नहीं सुनेंगे हम कहानी? " दोनों ने हाथ पकड़े हुए कमरे में प्रवेश किया।"
"अरे! मैंने तो सुना था, तुम दोनों में लड़ाई हो गई पर तुम दोनों तो....!"
'वो तो हुई थी, ठीक फ़ैसला तो आप करेंगी न...!तो हम आपके पास आ गए। "
"ये मुँह खोलकर बैठी थी, ठीक कहा था न मैंने? "
"मैंने कहा, क्यों मुँह खोलकर बैठी हो? इसने कहा मैं गलत बोल रही हूँ। एक तो आज मुझे मैथ्स में कम नं मिले ऊपर से इसने कहा मैंने गलत मुहावरा बोला। बस, और गुस्सा आ गया मुझे, आप ही बताइए, मैंने कुछ गलत कहा क्या? "
चीनी इतनी पटर पटर करती कि सब उसे चैटर बाक्स कहते।
"हाँ, बेटा, मुहावरा तो गलत बोलीं तुम! "
"आपने ही तो बताया था।"
" मैंने बताया था, मुँह फुलाना, तुमने बना दिया, मुँह खोलना.... "
" ओह ! साॅरी दानी, साॅरी टीनी... "
एक मिनट में बात समझ आ गई बच्चों को।
' थोड़ा सा समय देना कितना ज़रूरी है बच्चों को! ' दानी ने सोचा।
पल भर में उन्हें बात समझ में आ गई थी। दानी जानती थीं, अब जब वे इस मुहावरे का प्रयोग करेंगे, ठीक प्रयोग करेंगे। वे उसको ठीक से समझ गए थे।
डॉ.प्रणव भारती