मेरी दूसरी मोहब्बत - 76 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मेरी दूसरी मोहब्बत - 76

Part 76- Nine Months

नौ महीने बाद सरोगेसी मदर सोंदर्या हॉस्पिटल मे एडमिट है और अवनी और पवन के बच्चे को जन्म देने वाली है।पवन-अवनी और पवन के माता- पिता आई. सी. यू. के बाहर मौजूद हैं और सभी घर वालो के दिलों में एक हलचल सी बनी हुई है पवन अवनी की बेचैनी को देख उसे समझाता है।

पवन - अवनी तुम देखना! जल्द ही इस दुनिया मे हमारा बच्चा भी आ जाएगा।

अवनी - (गहरी सास छोड़ ) हम्म।

पवन - और वो बच्चा तुम्हें मम्मा और मुझे डेड कहेगा।

अवनी - (मुस्कराते हुए) हाँ पवन, फिर हमारी फैमिली भी पूरी हो जाएगी।

पवन - (मुस्कराते हुए) हाँ अवनी ऐसा ही होगा। सोंदर्या ने भी अपने पिछले नौ महीने हमारे लिए जिए हैं, तुम देखना वो जो चाहेगी उसे वो जरूर मिलेगा।

अवनी - हाँ पवन, उसकी मुश्किल भी आसान हो जाएगी।

नर्स आई. सी. यू. से बाहर आ कर पवन से कहती है।

नर्स - काँग्रेच्लेशंस! बेटा हुआ है।

यह सुनकर सभी के दिलों में जो हलचल बनी हुई थी वो कहीं जा कर अब शांत हुई है। ये खबर एक ख़ुशनुमा माहौल अपने साथ लेकर आई थी।

पिता -  और सोंदर्या कैसी है?

नर्स - वो भी अब ठीक हैं ।

पिता - शुक्र है।

अवनी - नर्स क्या हम मिल सकते है उनसे?

नर्स - मैम अभी नहीं, अभी कुछ देर बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा आप तब मिल सकते हो।

अवनी ये खबर सुनकर काफी इमोशनल हो जाती है और पवन के गले लग कर कहती है-

अवनी - (इमोशनल होकर) पवन मुझे हमारे बेटे से मिलना है।

पवन - हाँ हाँ अवनी, पर जहां इतना सब्र किया है वहां थोड़ा और ही सही।

अवनी - ना जाने क्यों अब और सब्र नहीं होता।

पवन - तुमने देखा ना हमारे नौ महीने के सब्र का फल।

अवनी - हम्म!

पवन - बस तो फिर क्यों चिंता करती हो?

अवनी - (खुश होकर) तुमने ठीक ही कहा पवन सब्र का फल मीठा होता है हमेशा।

अवनी और पवन इस खुशी मे अपने पिता और माँ से मिल उन्हें दादा दादी बनने की बधाई देते हैं और घर पर भी पेरेंट्स बनने की खुशखबरी देते हैं। कुछ देर बाद जब सौन्दर्या होश में आती है तब वह देखती है कि उसके बाजू के पास एक बच्चे का झुला है जिसमें एक बच्चा लेटा हुआ है।

सोंदर्या - (इमोशनल होकर ) ओह! तुम कितने प्यारे हो।

नर्स बच्चे को गोद में उठा कर सोंदर्या को देती है।

नर्स - काँग्रेच्लेशंस! आपको बेटा हुआ है।

सोंदर्या - (भावुक हो कर ) ओह! ये मेरा बेटा है! तुम कितने छोटे हो, मेरी जान तुम पर कुर्बान मेरे बेटे।

नर्स - आप अब बच्चे को दूध पीला देना।

सोंदर्या -(भावुक हो कर सोचते हुए) क्या ये मेरा बेटा है? या अवनी, नहीं नहीं! इसे नौ महीने मैंने अपनी कोख मे पाला है। अब मैं इस नन्ही सी जान को किसी और के हवाले कैसे कर सकती हूँ? लेकिन मैंने इसे देने का वादा किया था और अब मैं इस बच्चे को उसके पैरेंट्स से कैसे अलग कर सकती हूँ?

अवनी और पवन रूम में आते हैं, अवनी बच्चे को देख सीधे उससे मिलने उसके पास चली जाती है।

अवनी- (इमोशनल होकर) ओह! पवन ये कितना प्यारा है, देखो तो इसे।

पवन बच्चे के नन्हें हाथों को सहलाने लगता है।

पवन - (मुस्कराते हुए) हाँ अवनी, ये बहुत ही सुंदर है।

अवनी - (खुश होकर) पवन ये तुम्हारी तरह है, देखो देखो।

पवन - (मुस्कराते हुए) हाँ! अरे! यार मुझे भी तो गोद में लेने दो। ओह! मेरा राजा बेटा।

पवन बच्चे को गोद में लेता ही है कि अवनी फिर बच्चे को गोद में लेने की जिद्द करने लगती है।

अवनी - आ पवन अब दे भी दो मुझे ।

पवन - ओहो! अभी तो मैंने ठीक से देखा भी नहीं है यार।

अवनी पवन से बच्चे को गोद में वापस ले लेती है।

अवनी - नहीं अब मुझे दो। अल्ले! मेरा शोणा।

सोंदर्या को अवनी और पवन का बच्चे पर हक़ और प्यार जताना कुछ खल सा रहा था । सोंदर्या बहाने से बच्चे को अवनी से ले लेती है।

सोंदर्या - आ... अवनी बच्चे को मुझे देदो वो भूखा है, नर्स भी इसे दूध पिलाने के लिए कह गयी है । लाओ मैं इसे दूध पीला दूँ।

अवनी - ओ! हाँ हाँ लो। मेरा राजा बेटा भूखा है, चलो दूध पी कर तुम जल्दी से अपनी मम्मा के पास आ जाना।

पवन - सोंदर्या तुमने मुझे और अवनी को पैरंट्स बनने की खुशी दी है, हम हमेशा तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे।

अवनी - हाँ सोंदर्या मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुजार रहूंगी। तुमने अपने अंश को मुझे सोंपा है, तुम देखना मैं इसकी बहुत अच्छी परवरिश करूंगी।

सोंदर्या - (भावुक हो कर) आ... अच्छा बस बस! अब तुम बाद में आ जाना, मैं जब तक इसे दूध पीला दूंगी।

पवन - चलो अवनी चलें, हम बाद में आयेंगे।

अवनी - पवन मुझे डर था कि कहीं सोंदर्या हमारे बच्चे को हमसे दूर न कर दे, लेकिन देखो तो उसका दिल कितना बड़ा है, उसने तो अपनी तारीफ़ के दो बोल भी नहीं सुनना चाहे।

पवन -  देखा ना तुम खामखा परेशान थीं।

अवनी - माँ आपको पता है आपका पोता कितना प्यारा है, एक दम छोटा सा है आपका राजकुमार।

माँ - (उत्सुकता से) अच्छा! चलो अब तुम मिल आयी अपने बेटे से, अब हम भी मिल आए अपने पोते से।

अवनी - आ... माँ आप लोग थोड़ा रुक कर चले जाना अभी वो दूध पी रहा है।

पिता - पवन सोंदर्या के घर से अभी कोई आया नहीं?

पवन - जी बस आते ही होंगे, मैंने बता तो दिया था।

माँ - अरे! वो देखो आ गए वो भी।

सोंदर्या के पिता - सोंदर्या कैसी है?

पवन के पिता - सोंदर्या ने एक बेटे को जन्म दिया है और सोंदर्या भी ठीक है।

सोंदर्या की माँ - अभी सोंदर्या कहा है?

अवनी - ये वाला रूम है सोंदर्या का।

सोंदर्या की माँ सोंदर्या से मिलने जाती है।

सोंदर्या की माँ - सोंदर्या मेरी बच्ची कैसी हो तुम?

सोंदर्या - माँ आप आ गयीं, माँ ये देखो मेरा बेटा कितना प्यारा है?

सोंदर्या की माँ - हाँ ये बहुत प्यारा है, पर सौंदर्या तुम्हारा बेटा...?

सोंदर्या अपने बेटे को देख चुप हो जाती है, वहीं इतने मे पवन के माता पिता और सौंदर्या के पिता भी अंदर आ जाते हैं।

सब एक एक कर उस बच्चे को गोद में लेते हैं तब अचानक बच्चा रोने लगता है और सोंदर्य उसे ले कर सुलाने लगती है। सभी बाहर आ जाते हैं, पवन के पिता इस खुशी को धूमधाम से मनाने का ऐलान करते हैं।

पवन के पिता - (मुस्कराते हुए) हम अपने राजकुमार के आने की खुशी मे एक पार्टी रखेंगे।

पवन -( खुश होकर) जी जरूर रखेंगे।

अवनी - पवन मैं अंदर जा रही हूँ तुम चल रहे हो?

पवन - हाँ तुम चलो मैं अभी आ रहा हूँ।

सोंदर्या अपने बच्चे को गोद में सुला रही थी। अवनी बच्चे के पास उसे लेने आ ही रही थी कि सोंदर्या उसे रोक देती है।

अवनी - मेरा शोणा।

सोंदर्या - आ... रुको अवनी, अभी ये सो रहा है। तुम बाद में आ जाना।

अवनी - आ... सोंदर्या! मैं सुला देती हूँ ना, तुम भी आराम कर लेना फिर।

सोंदर्या - नहीं यार! ये बहुत मुश्किल से सोया है, बस रोया ही जा रहा था और अब तुम इसे लोगी तो ये फिर उठ जाएगा, तुम बाद में ले लेना ठीक है।

अवनी -( उदासी भाव) अच्छा ठीक है फिर।

सोंदर्या का रोकना उसे हल्का सा खटकता है लेकिन वो खुद को समझाती है और वहा से बाहर चली आती है।