मेरी दूसरी मोहब्बत - 2 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 2

Part 2 - Sorry ka jhamela

अवनी कार मे बैठ जाती है और पवन उसको घूरते हुए पूछता है ।

पवन - अरे कहाँ जाना बताओ तो सही मुझे कहानी में पूरा address नहीं बताया तुमने।

अवनी - माडल टाउन सेक्टर 16, हाउस नं - 53, गली नं -....

पवन-ओहो बस करो सारा अभी बता दोगी क्या।माडल टाउन पहुंचने पर बताना बाकी। और बताओ अपने आलोक के बारे में ताकि मैं पूरी कहानी को सही ढंग से लिख सकूँ।

अवनी - तुम मेरी मदद कर रहे या अपनी।

पवन- अरे यार तुम भड़क बड़ी जल्दी जाती हो। तभी तो......

तभी तो क्या खुलकर बोलो - अवनि गुस्से में बोलती है।

पवन - माफ़ करो मैं तुम्हें चिल करने की कोशिश कर रहा था ।घर जाकर तो माफ़ी का झमेला होने ही वाला है।

अच्छा यार अपने घरवालों के बारे तो बता दो ताकि उसी तरह समझा सकूँ।

मेरे पापा जी तीन भाई हैं, बीच के मेरे पापा हैं । घर में पापा, माँ, चाचा,चाची, मेरा एक छोटा भाई रूपेश,चाचा की बेटी मेधा और बेटा कीशू । ताया जी विदेश में हैं। अवनि बताती है।

अरे ! भई इतनी बड़ी फैमिली और फिर भी जिंदगी से परेशान। पवन की बात सुनकर अवनि फिर झुंझला पड़ती है।

ओए चुप करो तुम क्या जानो ...

पवन - हाँ भी हम क्या जाने सारे पहाड़ तो तुम पर ही टूटे हैं।

अब तुम कुछ ज्यादा बोल रहे हो। अवनि ने चिढ़ते हुए कहा।

गाड़ी माडल टाउन के सेक्टर 16 में पहुँच जाती है।

पवन - हाँ क्या नंबर बताया था घर का ...

अवनि- 53, गली नं -2 सामने वाली गली में ही है।

अरे ये रूपेश और उसके दोस्त तो शायद मुझे ही ढूंढ रहे हैं। पापा जी ने भेजा होगा। मैं मना कर रही थी ना तुम्हे। अब देखना क्या siyappa होगा। तुम मेरे पापा के गुस्से को नहीं जानते।

तभी रूपेश की नज़र अवनि पर पड़ती है। ओ दी पापाजी ने तुझे ढूंढने के लिए भेजा है । चल घर ।

पवन की गाड़ी आगे आगे ओर रूपेश की पीछे पीछे।

अवनि गाड़ी रोकने को कहती हैं।

गाड़ी रूकती है। अवनि और पवन गाड़ी से उतरते हैं ।

रूपेश गाड़ी जल्दी से उतरकर पवन को पकड़ लेता और गुस्से में बोलने लगता है।

तभी अवनी रूपेश को पकड़ लेती है। पापा और चाचा है ना घर में।

हम घर में चल रहे हैं।

रूपेश गुस्से में अच्छा ठीक है ना । गाड़ी की चाबी दिलवा इस लड़के से।

अवनि - क्यों गाड़ी की चाबी क्यों??

इतने में ही पवन गाड़ी की चाबी रूपेश के हाथ में रख देता है।

रूपेश, अवनि और पवन घर में दाखिल होते हैं।

जैसे ही पापा और चाचा अवनि के साथ में एक लड़के को देखते हैं,

तुरंत पापा जी बंदूक और चाचा जी तलवार ले आते हैं।

पहले तो यह सब देखकर पवन डर जाता है। फिर हिम्मत जुटाकर सभी से हाथ जोड़कर कहता है - अवनि को माफ़ कर दीजिए।

अवनि भी पापा और चाचा से माफी माँगती है।

तभी माँ और चाची भी दौड़ी - दौड़ी अंदर के कमरे से आती हैं।

अवनि की माँ अवनि को देखकर रोने लगती है ।

चाची- इस मुंडे के साथ ही भागी थी न, शादी छोड़कर ।

अवनि की माँ अवनि के पापा से कहती है - एक बार मेरे कहने पर कुडी नू माफ़ कर दो। अब नहीं करेगी ग़लत काम ।

अपने बच्चे घर आ गए, रब का शुक्र है। अब अच्छा मुहुर्त निलवाकर इनका ब्याह कर दो। बच्चों की मर्जी में ही हमें खुश रहना है।

पापाजी गुस्से में है - तुम्हारे लाड़ प्यार ने इस लड़की को हिम्मत दी है।

पवन - जी माफ़ कर दीजिए।

पापाजी पवन की ओर देखते हुए, चलो ठीक अपने पिताजी जी का नंबर दो, मैं उनसे बात करुँगा।

पवन- जी मैं एक लेखक हूँ, मेरा कोई नहीं है अकेला ही रहता हूँ।

पापा - देखो इस लड़की की पसंद ..

मुंडे का घर बार ही नहीं, कोई खानदान नहीं ।

तभी चाचा अवनि के पापा को समझाते हैं कोई नहीं प्राजी मुंडा ते चंगा है न । हमें तो ब्याह के वास्ते यही चाहिए।

बस करो अब खुशियाँ मनाओ, नाचो, गाओ । मैं पंडित के पास जाकर मुहुर्त निकालकर आता हूँ।

अवनि के चाचा जी की सब बातें सुनकर पापा जी कुछ ठंडे पड़ जाते हैं।

तभी मौके को देखते हुए अवनि की माँ कहती चलो - चलो‌ बच्चों भूख लगी होगी। नहा धो लो।

पवन और अवनि अंदर के कमरे में चले जाते हैं।

तुरंत ही पवन अवनि को एक तरफ़ ले जाते हुए ये क्या था?

पवन- कुछ बोलीं क्यों नहीं?तुम मेरे साथ थोड़ी ना भागी थी। सब सच बताओ अपने घरवालों को।

अवनि- हाँ- हाँ सब्र करो थोड़ा ।

अभी माहौल गरम है मैं मौका देखकर माँ को सब बता दूँगी।

सब खाना खाते हैं । चाचा जी रूपेश को लेकर पंडित के पास चले जाते हैं। पापा जी आराम करने चले जाते हैं।

उधर अवनि, पवन,मेधा और कीशू एक साथ बैठे हैं।

अवनि अभी भी उदास है और सोच रही है कि अब कैसे इस समस्या का हल निकाला जाए ।

बिना बात के पवन उसकी मुसीबत में फँस गया।

तभी मेधा और कीशू - दी जीजू हमने शाहरुख़ ख़ान की मूवी लगाई है देखोगे आप दोनों।

अवनि- नहीं तुम दोनों देख लो मेरे सिर में बहुत दर्द है।

कीशू और मेधा टीवी देखने चले जाते हैं।

पवन क्या हुआ इतनी परेशान क्यों हो। मैं कुछ न कुछ हल निकाल लूँगा। After all I am a writer.

अवनि - ओ राइटर जी ये जिंदगी है कोई कहानी नहीं ।

अरे मैडम जिंदगी से ही कहानी बनती है । हल भी कहानियाँ ही देतीं हैं।

क्या करोगे अब तुम ज़रा मुझे भी पता चले- अवनि ने हैरानी से कहा।

पवन - कुछ प्लान कर ही लूँगा।तुम्हें तुम्हारा घर तो वापिस मिल गया न । तुम बस जल्दी सच बता दो सबको।

तभी कमरे में अवनि की माँ आती है बच्चों चलों तुम्हारे चाचा जी आ गए हैं।

सब डाईंग रुम में बैठें हैं। पापा,चाचा चाची, माँ रूपेश सभी ब्याह की बात कर रहे हैं। पंडित ने ब्याह की डेट ठीक नवरात्रों के बाद पूर्णिमा की निकाली है आज से ठीक 12 दिन बाद....

सब खुश हैं ब्याह की तैयारियों में लग जाते हैं। रात होते-होते अवनि और पवन सोच विचार में डूबे हैं।

पवन मदद करने पर झमेला में फँस जाता है। अवनि को माफ़ी तो मिल गई । उसके चुप्पी ने सारा काम खराब कर दिया। पवन मन ही मन रात को भागने की प्लानिंग करने लगता है। गाड़ी की चाबी तो पता नहीं, रूपेश नहीं देगा। चलो कोई नहीं गाड़ी के बारे में बाद में देखा जाएगा। अभी इस मुसीबत से बाहर तो निकलूँ।

नहीं तो ये शादी करवाकर मानेंगे।

क्या पवन भागने में कामयाब हो पाएगा या उसकी जबरदस्ती शादी हो जाएगी ?