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जिन्नजादी - भाग 15

जिन्नजादी 15

युसूफ अली अपनी आंखें बंद कर लेता है।
हिना के साथ बिताया एक-एक पल याद करने लगता है।
वह उसकी यादों में खो जाता है।
उसे हिना की आवाज सुनाई देने लगती।
युसूफ अली अपनी आंखें खोल देता है
फिर भी उसे हिना की पुकार
सुनाई देने लगती है।
वह आवाज की और बढ़ता है।

थोड़ी देर चलने के बाद
उसे एक सुरंग दिखाई देती है।
वह बिना वक्त गवाए सुरंग के अंदर घुस जाता है।
छोटी सी सुरंग से अंदर जाने के बाद
उसे वहां बहुत बड़ा आश्रम दिखाई देता है।
यह आश्रम तांत्रिक बंगाली शास्त्री का था।

अंदर जाने के बाद
युसूफ अली हिना की खोज करने लगता है।
उस आश्रम का वह चप्पा चप्पा छान मारता है
लेकिन उसे हिना कहीं दिखाई नहीं देती।
मुझे पूरा यकीन होता है
हिना इसी आश्रम में कैद है।
वह हिना की खोज जारी रखता है।

हिना को ढूंढते ढूंढते वह एक कमरे में पहुंच जाता है।
वह कमरा तांत्रिक बंगाल शास्त्री का होता है।
वह उस कमरे के अंदर चला जाता है।
वहां तांत्रिक बंगाल शास्त्री
ध्यान में बैठा हुआ होता है।
युसूफ अली उसे पहचान लेता है।
वही तांत्रिक है जो उसके घर मैं शौकत बनकर रह रहा था।
उसी ने हिना को कैद किया है।

युसूफ अली तांत्रिक बंगाल शास्त्री के पास जाता है
और उसकी गिरेबान को पकड़ लेता है।
पल में तांत्रिक बंगाली शास्त्री का ध्यान टूट जाता है।
वह अपनी आंखें खोलता है
देखता है उसके सामने युसूफ अली है।
युसूफ अली उससे कहता है
बताओ हिना कहां है ?
तांत्रिक बंगाल शास्त्री कहता है
कौन हिना मैं किसी हिना को नहीं जानता।

युसूफ अली गुस्से से लाल हो जाता है
वह उससे कहता है
आप अनजान बनने की कोशिश मत करो
मैं जान चुका हूं कि तुम कौन हो।
और मैं यह भी जानता हूं तुम ही ने
मेरी हिना को कैद कर रखा है।
अब जल्दी से बताओ मेरी हिना कहां है ?
वरना मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा।

यह सुनकर तांत्रिक बंगाल शास्त्री
बहुत जोर जोर से हंसने लगता है।
तुम मेरे ही इलाके में आकर मुझे धमकी दे रहे हो।
तुम यह नहीं जानते कि मैं कौन हूं।
मेरी शक्तियों का तुम्हें कोई अंदाजा नहीं है।
अपनी जान की सलामती चाहते हो
तो जल्दी से यहां से चले जाओ
वरना अंजाम बहुत बुरा होगा ।

तुम हिना को बचाने के सपने छोड़ दो।
तुम उसे बचा नहीं पाओगे।
3 दिन बाद सूर्य ग्रहण
उस दिन मैं उसकी बलि देकर उसकी सारी शक्तियां पाकर हमेशा के लिए अमर हो जाऊंगा।
मुझे कोई नहीं मार सकेगा।
खुदा भी मेरी जान नहीं ले सकेगा।
अब मुझे अमर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
अब तुम भी यहां से लौट जाओ
वरना बेमौत मारे जाओगे।

युसूफ अली कहता है
मेरी जान का मालिक मेरा खुदा है।
तुम जैसा शैतान मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
मैं यहां अपने हिना को लेने आया हूं।
उसे लेकर ही यहां से जाऊंगा।
खुदा मेरे साथ है
देखता हूं मुझे कौन रोकेगा।
तुम्हें जो करना है कर लो
लेकिन मैं भी खुदा की कसम खाकर कहता हूं
मैं अपनी जान अपनी मोहब्बत अपनी हिना को किसी भी हालत में यहां से लेकर ही जाऊंगा।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री गुस्से से आगबबूला होता है
वह युसूफ अली से कहता है
तुम ऐसे नहीं मानोगे।
मैं कौन हूं
मैं क्या कर सकता हूं तुम्हें अभी पता चल जाएगा।
मरने के लिए तैयार हो जाओ

इतना कहकर तांत्रिक बंगाली शास्त्री
कुछ मंत्रों का जाप करता है
और युसूफ अली की तरफ फूंक देता है।
युसूफ अली का पूरा जिस्म
जंजीरों से बंध जाता है।
युसूफ अली छुटने के लिए तिलमिला ने लगता है।
यह देख कर तांत्रिक बंगाल शास्त्री जोर जोर से हंसने लगता है।

तभी युसूफ अली कुछ मंत्र जाप करके जंजीरों पर फूंक देता है।
एक ही पल में सारी जंजीरे
मोम बनकर पिघल जाती है
और युसूफ अली आजाद हो जाता है।
यह देखकर तांत्रिक बंगाल शास्त्री
और भी ज्यादा गुस्से में आ जाता है।
दोनों की बहुत देर तक लड़ाई होती है।

हर बार युसूफ अली तांत्रिक बंगाल शास्त्री को मुंहतोड़ जवाब देता।
तांत्रिक बनकर शास्त्री समझ जाता है।
युसूफ अली को हरा नहीं पाएगा।
वह छल करके युसूफ अली को अपने मायाजाल में
कैद कर लेता है।


क्रमशः

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