जिन्नजादी - भाग 14 M BOSS मुस्ताक अली शायर द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्नजादी - भाग 14

जिन्नजादी 14

चिट्ठी पढ़ने के बाद
एक पल के लिए युसूफ अली यकीन ही नहीं होता।
इतने सालों से जो उसके साथ रह रही थी।
इंसान ना होकर एक जिन्नजादी थी।
सच्चाई जानकर युसूफ अली को हिना पर बहुत गुस्सा आता है।
वह गुस्से से पागल होकर
कमरे में रखी चीजों को
इधर-उधर फेंकने लगता।
शोर-शराबा सुनकर घर के बाकी लोग भी युसूफ अली के कमरे में दाखिल हो जाते हैं।

नवाज हुसैन युसूफ अली को कहता है
क्या हुआ बेटा तुम इतनी गुस्से में क्यों हो ?
युसूफ अली रो-रोकर सारी सच्चाई अपने घर वालों को बता देता है।
सच्चाई सुनकर घर वाले भी हैरान हो जाते हैं।

लेकिन बसेरा उसे कहती है
बेटा हिना तुम्हें बहुत दिलों जान से मोहब्बत करती है।
मैं मानती हूं उसने तुम्हें अंधेरे में रखा
तुम्हें सच्चाई नहीं बताई।
लेकिन उसका इरादा नेक था।
उसने तुम्हें धोखा नहीं दिया।
वह तुम्हें खोना नहीं चाहती।
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
वह जिन्न है या इंसान
वह बहुत ही अच्छी लड़की है।
मुझे मेरी बहू सही सलामत वापस चाहिए।

हिना बहुत ही मुश्किल में है।
उसकी जान खतरे में है।
उसे बचा लो बेटा
उसे सबसे ज्यादा तुम्हारी जरूरत है।
अगर तुमने उसे नहीं बचाया
खुदा भी तुमसे खफा हो जाएगा
वह कभी तुम्हें माफ नहीं करेगा।
अब सोचने में वक्त जाया मत करो बेटा
बचा लो अपनी मोहब्बत को।

युसूफ अली बहुत ही उलझन में होता है।
एक तरफ हिना की सच्चाई होती है
दूसरी तरफ उसका बेपनाह प्यार।
आखिरकार बेपनाह मोहब्बत के नीचे
हिना की सारी सच्चाई दफन हो जाती है।
युसूफ अली वक्त जाया ना करते हुए।
हिना को बचाने के लिए निकल पड़ता है।

लेकिन उसे इस बात का कोई इल्म नहीं होता
कि वह तांत्रिक कौन है ?
जीना को उसने कहां कैद कर रखा है ?
बहुत सारे सवालों का जवाब उसे मिलना बाकी था।
कैसे हिना तक पहुंचा जा
यह सवाल उसे बहुत सताने लगता है।
उसे हिना तक पहुंचने का
कोई रास्ता दिखाई नहीं देता।

वह बहुत परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है।
तभी उसके सामने एक जिन्न
प्रकट होता है।
उसे देख कर युसूफ अली बहुत डर जाता है।
वह जिन्न उसे कहता है
डरो मत मैं यहां तुम्हें कोई नुकसान पहुंचा नहीं नहीं आया हूं।
बल्कि तुम्हारी मदद करने आया हूं।
मैं जिन्न दुनिया का रहने वाला एक मामूली जिन्न हूं।
हिना तक पहुंचने का रास्ता बता सकता हूं।
इससे ज्यादा मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।

उस जिन्न की बात सुनकर
युसूफ अली की जान में जान आ जाती है।
उसे अब हिना तक पहुंचने का
रास्ता मिल चुका था।
वह उस जिन्न से कहता है
जल्दी से मुझे हिना तक पहुंचने का रास्ता बताओ।
ताकि मैं जल्द से जल्द पहुंच कर
हिना को उस तांत्रिक के मायाजाल से छुड़ा सकू।

वह जिन्न उसे एक चीज देता है
और कहता है
यह चीज तुम्हें हिना तक पहुंचा देगी।
लेकिन उस तक पहुंचना इतना आसान नहीं होगा।
बहुत सारी मुश्किलों का तुम्हें सामना करना होगा।
तभी जाकर तुम हिना तक पहुंच पाओगे।
युसूफ अली कहता है
हिना के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं।
उसे बचाने के लिए मैं हर मुश्किल का सामना करूंगा।
जिन्न उससे कहता है
तो ठीक है
वह उसे वह चीज देकर
वहां से गायब हो जाता है।

युसूफ अली उस चीज को लेकर निकल पड़ता है।
कुछ दूरी तय करने के बाद
वह चीज गायब होकर एक तेज रोशनी में तब्दील हो जाती है।
और युसूफ अली के आगे चलने लगती है।
युसूफ अली उस रोशनी के पीछे चलने लगता है।

थोड़ी देर बाद
वह रोशनी वहीं रुक जाती है।
और युसूफ अली भी रुक जाता है।
अचानक वहां पत्थरों की बहुत तेज बारिश होने लगती है।
युसूफ अली कुछ समझ ही नहीं पाता।
बहुत ही तेजी से पत्थर उस पर बरस रहे होते हैं।

युसूफ अली बुरी तरह घायल हो जाता है।
लेकिन वो इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था।
वह अपनी शक्तियों से
उस पत्थरों की बारिश को रोक देता है।
जैसे ही पत्थरों की बारिश रुक जाती है।
वो रोशनी फिर से चलने लगती है।
युसूफ अली ने एक पड़ाव पार कर लिया था।
न जाने और कितने पड़ाव उसे पार करने के।

कुछ और अंतर तय करने के बाद
रोशनी फिर से रुक जाती है।
इस बार युसूफ अली समझ जाता है।
कोई मुसीबत आने वाली है
वह उसका सामना करने के लिए तैयार हो जाता है।
युसूफ अली अपने चारों और देखने लगता है।

दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं देता।
कुछ देर बाद उसे अपने पैर पर
कुछ हलचल महसूस होती है।
जब वह अपने पैर की ओर देखता है।
वह अपने पैर को एक मिट्टी से बने शैतान के
हाथ में पाता।
युसूफ अली के संभलने से पहले ही
वह मिट्टी का शैतान युसूफ अली को जमीन पर गिरा कर
उसके सीने पर चढ़कर बढ़ जाता है।

युसूफ अली के अंदर से खौफ अब पूरी तरह खत्म हो चुका था।
वह बिना डरे उस मिट्टी के शैतान के गर्दन को पकड़ लेता है।
और अपने सिद्ध किए हुए चाकू से
उसके सीने पर वार करता है।
वह मिट्टी का शैतान
मिट्टी बनकर खत्म हो जाता है।

थोड़ी देर बाद रोशनी फिर चल पड़ती है।
काफी समय बाद रोशनी फिर से रुक जाती है।
युसूफ अली जिस जमीन पर खड़ा हुआ होता है
अचानक से वह जमीन खिसक जाती है
ओर शोलों से भरी खाई बन जाती है।
युसूफ अली कुछ खाई में जा गिरता है।
चारों ओर से उस पर शोले बरसने लगते हैं।
उसका पूरा बदन जलने लगता है।
फिर भी वह हार नहीं मानता।
वह आंख बंद करके अपने खुदा को याद करने लगता है।
कुछ देर बाद उसे आज की जलन खत्म महसूस होती है।

वह अपनी आंखें खोलता है
वहा नजारा देखकर वह दंग कर आ ही जाता है।
उस पर बरसने वाले शोले
फूलों में तब्दील हो चुके होते हैं।
कुछ देर बाद वहां के हालात पहले जैसे हो जाते।

रोशनी फिर चल पड़ती है
थोड़ी देर चलने के बाद
रोशनी गायब हो जाती है
और एक आवाज आती है।
मेरा सफर यही तक का था।
आगे का रास्ता अब तुम्हें अकेले तय करना है।
तुम हिना के बेहद करीब हो।
तुम सच्चे दिल से अपने मोहब्बत को याद करो ।
तुम उस तक पहुंच जाओगे।

क्रमशः