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जिन्नजादी - भाग 10

जिन्नजादी 10


देखते-देखते 2 साल का वक्त गुजर जाता है।
युसूफ अली हिना से प्यार करने
में इतना मसरूफ हो जाता है
उसे बीते वक्त का कुछ पता ही नहीं चलता।
वह दोनों दिन रात
एक दूसरे की बाहों में ही समय होते हैं।
दिन रात उनका रोमांस चलता।

जवानी उनके सर चढ़कर बोल रही थी।
2 साल हो गए लेकिन जवानी का नशा उतरने का नाम नहीं ले रहा था।
2 साल दिन रात किया हुआ रोमांस भी
उन्हें बहुत कम लग रहा था।

उन्हें अब जमाने से कोई वास्ता ही नहीं रहा था।
कोई एक दूसरी में ही सारी दुनिया देखने लगे।
उन पर इश्क का भूत सवार था।
उनका जवानी भरा गर्म खून
एक दूसरे की रगों में दौड़ना चाह रहा था।
दिलों की धड़कन भी उनकी एक हो चुकी थी।
सांसे भी उनकी एक दूसरे के साथ की मोहताज थी।

कभी किसी में इतनी बेपनाह मोहब्बत देखी ही नहीं होंगी।
खुदा भी हैरान था

युसूफ अली उस जादुई गुफा में
हिना के साथ कुछ और महीने बिताता है।
दोनों पर मोहब्बत का नशा बढ़ते ही जा रहा था।
उन्हें किसी भी बात की फिक्र नहीं थी।
जिंदा तो एक दूसरे की बाहों में ही समाए होते।

कुछ दिनों बाद युसूफ अली
हिना से कहता है
अब हम दोनों मेरे घर जाएंगे
और अपनी एक छोटी सी दुनिया बसाएंगे।
अपने पूरे परिवार के साथ खुशी से जिंदगी गुजारेंगे।
बहुत दिन हुए मुझे यहां आए हुए
घरवाले भी मेरी राह देख रहे होंगे।
अपनी शादी की खुशखबरी भी उन्हें देनी है।
हम कल ही मेरे घर वापस जाएंगे।

यह बात सुनकर हिना को खुशी होनी चाहिए थी।
लेकिन युसूफ अली की यह बात सुनकर हिना घबरा जाती है।
डर के मारे उसका पूरा बदन पसीने से भीग जाता है।
उसके चेहरे पर घबराहट साफ साफ दिख रही थी ।

यह देख कर युसूफ अली उससे कहता है
क्या हुआ हिना जी
आप कुछ परेशान लग रही हो ?
क्या घर जाने के बाद से आपको खुशी नहीं हुई ?
कोई परेशानी हो तो बता दो
अब हम दोनों एक हो गए हैं।
अब हम दोनों एक दूसरे के सुख दुख के बराबर के हिस्सेदार हैं।
इसलिए बेझिझक होकर कोई परेशानी हो तो बता दो।
आपकी परेशानी मेरी परेशानी है।

युसूफ अली की यह बात सुनकर
हिना को थोड़ी हिम्मत मिलती है।
हिना युसूफ अली से कहती है
मुझे आपके साथ आपके घर जाने की बहुत खुशी है।
लेकिन मैं कभी इंसानों के बीच गई नहीं हूं।
ना ही कभी उनके साथ रही हूं।
मैं हमेशा से ही अकेली ही रहती हूं।
इसलिए इंसानों की बीच जाकर
रहने से थोड़ा डर लग रहा है ।
मैं वहां रह पाऊंगी या नहीं
यह सोच सोच कर बहुत परेशान हो रही हूं।

युसूफ अली हिना के डर को
समझ जाता है।
हिना की आंखें नम हो चुकी होती है।
युसूफ अली हिना को बड़े प्यार से अपने बाहों में भर लेता है
और कहता है
मेरी जान आप खामखा परेशान हो रही हो।
मैं हूं ना आपके साथ
तो फिर किस बात का डर है।

मैं हमेशा आपके साथ हूं।
मैं आपको अपने घर में बहुत खुशी से रखूंगा।
कोई गम आपके पास आने नहीं दूंगा।
हमेशा आपके चेहरे पर मुस्कान ही होंगी।
मैं आपसे वादा करता हूं
दुनिया की हर खुशी आपके कदमों में ला के रख दूंगा।
आप थोड़ा मुझ पर यकीन कर लो।

हिना युसूफ अली से कहती है
मुझे खुद से ज्यादा आप पर यकीन है।
मुझे पूरा यकीन है चाहे कुछ भी हो जाए
आप मेरा साथ नहीं छोड़ोगे।
हमेशा मेरे साथ साया बनकर रहोगे।
सिर्फ एक डर था जो आपको बता दिया।
आपकी मोहब्बत के सामने वह डर भी नहीं रहा।
हम कल ही आपके घर मतलब हमारे घर चलते हैं।
युसूफ अली कहता है
यह हुई ना बात
मेरी जान बहुत ही समझदार है
बहुत प्यारी है
मेरी हर बात मानती है।
इतना कह कर युसूफ अली हिना को अपनी बाहों में भर के
किस करने लगता है।
फिर से दोनों इश्क के सागर में डूब जाते हैं।

दूसरे दिन की सुबह होती है
युसूफ अली हिना से कहता है
हमारे घर जाना होगा।
हिना कहती है
ठीक है।
हिना युसूफ अली के हाथों को अपने हाथों में लेती है।
युसूफ अली अपनी आंखें बंद कर देता है।
एक ही पल में दोनों युसूफ अली के घर जा पहुंचते हैं।

घर जाते ही युसूफ अली हिना के बारे में
बताता है।
हिना जैसी खूबसूरत बहू पाकर
दोनों ही बहुत खुश हो जाते हैं।
बहुत ही प्यार से हिना का स्वागत करते हैं।
यह देखकर ही ना की आंखें भर आती है।

नवाज हुसैन और बसेरा
अपनी दोनों बेटियां यास्मीन और फरजाना को युसूफ अली की शादी की खुशखबरी देते हैं।
अपनी भाभी आने की खुशखबरी सुनकर
दोनों बहने दौड़ी चली आती है।

यास्मीन और फरजाना बहोत ही प्यार से
अपनी भाभी हिना से मिलते है।
बहोत सारी बातें करते है।
हिना अपने नए परिवार के साथ बहुत ही खुश होती है।
वह बहुत ही खुशी से अपने घर में रहने लगती है।

सारे रिश्तो को बखूबी निभाने लगती है।
किसी के नाराजगी की वह कोई गुंजाइश नहीं रखती।
घर वाले भी उसे बहुत प्यार करने लगते हैं।
हिना अपने घर का एक अहम किरदार बन गई होती है।

पलक झपकते ही वो सारे काम करने लगती है।
कभी-कभी यह देख कर घरवाले भी हैरान हो जाती।
लेकिन कभी किसी ने कोई शक नहीं किया।
परिवार में हर एक को हिना से लगाव हो चुका था।
वह अपनी पूरी परिवार की आदत बन चुकी थी।
कुछ ही दिनों में उसने सबको अपना बना लिया था।


कोई किसी से आखिर इतनी मोहब्बत कैसे कर सकता है।

क्रमशः

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