जिन्नजादी - भाग 16 M BOSS मुस्ताक अली शायर द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्नजादी - भाग 16

युसूफ अली खुद को छुड़ाने की
बहुत कोशिश करता है।
लेकिन उसकी सारी कोशिशें
नाकाम हो जाती है।

बहुत कोशिशें करने के बाद भी
युसूफ अली तांत्रिक बंगाल शास्त्री के मायाजाल को भेद नहीं पाता।
लेकिन वह अपनी कोशिशें जारी ही रखता है।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री उससे कहता है
चाहे कितनी भी कोशिश कर लो।
तुम मेरे मायाजाल से रिहा नहीं हो सकते।
अब तुम्हारी मौत बहुत करीब है।
लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से नहीं मारूंगा।
तुमने मुझे ललकार ने की जुर्रत की है।
अब तुम्हें मैं धीरे-धीरे तड़पा तड़पा कर मारूंगा।

तुम हिना को बचाने के लिए यहां आए हो ना।
तुम जानते हो वह कौन है ?
वह जिन्न की दुनिया की बहुत ही शक्तिशाली
जिन्नजादी है।
जिसके ताकत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
लेकिन मैंने उसे अपने छल से
कैद कर लिया है।
अब वह मेरी गुलाम बन चुकी है।
अब मैं उसकी बली देकर
उसकी सारी शक्तियां हासिल कर लूंगा।
और इस दुनिया का खुदा बन जाऊंगा।

तुम हिना से बहुत प्यार करते हो ना
अब उसी के हाथों
तुम्हारी जान लूंगा।
ताकि अपनी ही मोहब्बत के हाथों मौत पाकर
तुम्हारा दर्द और ज्यादा बढ़े।
तुम्हारे जिस्म के साथ-साथ तुम्हारी रूह भी तड़पेगी।

चलो आखरी बार
अपनी हिना से मिलो।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री
हिना को हुकुम देखकर
उसे वहां हाजिर करता है।

युसूफ अली हिना को अपने सामने देख
बहुत खुश हो जाता है
उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
युसूफ अली हिना को गले लगाने के लिए आगे बढ़ता है।
वह उसे गले लगाने ही वाला होता
हिना उसे दूर कर देती है।
युसूफ अली बहुत हैरान हो जाता है।

एक नजर वह हिना की तरफ देखता है
हिना बहुत बदल चुकी थी।
उसकी आंखों में जो मोहब्बत थी वह कहीं गुम हो चुकी थी।
ना ही उसके चेहरे पर कोई जज्बात थे।
और ना ही उसने युसूफ अली को पहचाना।

युसूफ अली बहुत दुखी हो जाता है।
वह तांत्रिक बंगाल शास्त्री से कहता है
क्या किया है तुमने मेरी हिना के साथ ?
वह इतनी बदल कैसे गई है ?
छोड़ दो मेरी हिना को
बदले में तुम मेरी जान ले लो।
मैं अपनी हिना को बचाने के लिए मरने को भी तैयार हू।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री शैतानी हंसी हंसने लगता है।
वह युसूफ अली से कहता है
मैं तुम्हारी जान का क्या करूंगा।
मुझे तो यह लड़की चाहिए।
इसकी बली देकर ही
मैं अमर हो जाऊंगा।
अब मुझे अमर बनने से कोई नहीं रोक सकता।

मैं तुम्हें 3 दिन तक नहीं मारूंगा
बस तुम्हें तड़पाता रहूंगा।
तुम अपनी हिना की मौत अपनी आंखों से देखोगे।
तब तक के लिए तुम मेरे मेहमान
मुझे अफ़सोस है मैं तुम्हारी खातिरदारी नहीं कर सकता।
मुझे हिना की बली की भी तैयारी करनी है।
हां लेकिन ही ना कुछ जरूर कहूंगा
वह तुम्हारी खातिरदारी बहुत ही अच्छे तरीके से करें।
तुम्हारी सेवा करने में कोई कमी ना छोड़ें।

इतना कहकर तांत्रिक बंगाल शास्त्री हिना को हुकुम देता है।
युसूफ अली पर बहुत सारे सितम करें
लेकिन उसे मरने ना दे।
और वहां से चला जाता है।

हिना युसूफ अली पर कोड़े बरसाने लगती है।
हर कोड़ा युसूफ अली के दिल को चीर रहा था।
हिना युसूफ अली को पूरी तरीके से भूल चुकी थी।
लेकिन युसूफ अली
उसे याद दिलाने की बार-बार कोशिश करने लगा था।
लेकिन तांत्रिक बंगाल शास्त्री की
गुलाम बनी हिना हो
कुछ भी याद नहीं आता।

हिना बहुत ही बेरहमी से
युसूफ अली पर सितम कर रही थी।
सितम सहते सहते युसूफ अली की भी हिम्मत आप जवाब देने लगी थी।
युसूफ अली पूरी तरह से घायल हो चुका होता है।
उसके पूरे बदन से खून बहने लगता।
उसके पूरे जिस्म पर घाव ही घाव थे।
दर्द से उसका बुरा हाल था।
हिना के हाथों हो रहा सितम
युसूफ अली के जख्मों पर नमक का काम कर रहा था।

कुछ घंटों बाद युसूफ अली का जिस्म जवाब देता है
उसकी मुंह से चीख निकलती है।
चीख में भी वह हिना को पुकारता है
और कहता है।
हिना बस करो मेरी जान
अब मुझसे यह सितम बर्दाश्त नहीं होता।
बहुत दर्द हो रहा है।
मत करो मुझ पर सितम।
याद करने की कोशिश करो अपनी मोहब्बत को।

इतना कहकर युसूफ अली
बेहोश हो जाता है।
हिना उसके सामने ही खड़ी होती है।
युसूफ अली बेहोश हो चुका होता है।
लेकिन उसकी पुकार हिना के कानों में
गूंज रही होती है।
हिना सब कुछ भूल चुकी होती है
लेकिन फिर भी उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

अपनी आंखों से आंसू निकलते देख कर
हिना बहुत ही हैरान हो जाती है।
युसूफ अली के जिस्म के घाव
वह खुद के बदन पर महसूस करने लगती है।
युसूफ अली के बदन से बहने वाला खून देखकर
हिना का कलेजा फट जाता है।

हिना अपना अतीत याद करने की कोशिश करती है।
लेकिन उसे कोई भी बात याद नहीं आती।
वह सोच सोच कर परेशान हो जाती है।
युसूफ अली के बदन से बहुत ज्यादा खून बहने लगता है।
हिना को उसकी यह हालत देखी नहीं जाती।
हिना अब तांत्रिक बंगाली शास्त्री की गुलाम हो चुकी थी।
वह अपने कोई भी जादू से
युसूफ अली को ठीक नहीं कर सकती थी।

वह आश्रम में मौजूद जड़ी बूटी का लेप बनाकर
युसूफ अली के जख्मों पर लगा देती है ।
लेप की मदद से युसूफ अली के बदन से बहने वाला खून रुक जाता है।
हिना बहुत ही प्यार से युसूफ अली के बदन को सहलाने लगती है।
उसके बदन से उसे अपनेपन की खुशबू आगे लगती है।
कुछ धुंधली धुंधली तस्वीरें उसकी आंखों में दिखाई देने लगती है

क्रमशः