जेनरेशन गैप S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जेनरेशन गैप

 

 

                                                   कहानी - जेनरेशन गैप    


 

“ नेहा  बेटी , मेरा कहना मान लो , तेरे पापा कभी भी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगे  . यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो  . मैं चाह कर भी इस मामले में तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूँ  . “   तरला ने अपनी  बेटी से कहा 


“ मम्मी , तुम्हें तो पता है हम दोनों एक दूसरे को कितना चाहते हैं  . राजन से तुम मिल भी चुकी हो , कितना अच्छा लड़का है  .अगर हमारी जाति का नहीं है तो क्या हुआ  . अच्छी नौकरी है , देखने सुनने में स्मार्ट है और सबसे अच्छी बात यह है कि वह  एक अच्छा इंसान है  . मैंने तो उसे कहा था कि चलो कोर्ट मैरेज कर लेते हैं  . पर उसने कहा कि माता पिता को नाराज कर हम भी आजीवन ख़ुश नहीं रह सकते हैं  . “


“ वह तो ठीक है , पर तुम अभी नहीं समझ सकती हो कि माँ को अपने पति और बच्चों के बीच जीवन भर पिसना होता है  . माँ  तो सबकी ख़ुशी चाहती है  . पर कभी हालात इतना मजबूर कर देता है कि किसी एक की ख़ुशी के लिए बाध्य होना पड़ता है  . वैसे भी ये  शादी होने पर समाज हमारा बहिष्कार कर देगा  . अभी तेरे भाई और एक छोटी बहन की शादी होनी बाकी है  . और  मैं तेरे पापा के खिलाफ नहीं जा सकती हूँ  . “


“ ठीक है , मैं सोचती हूँ  . राजन से भी बात कर के देखती हूँ  . “


नेहा तथाकथित  उच्च जाति की लड़की थी जबकि राजन पिछली जाति का लड़का था  . दोनों की मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई  . राजन एक मेघावी छात्र था ,साथ में  हैंडसम और स्मार्ट भी  . वह कॉलेज के क्रिकेट टीम का कप्तान भी था  . सभी विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के बीच काफी  लोकप्रिय था  . नेहा भी सुन्दर और आकर्षक थी , वह टेबल टेनिस की प्लेयर थी  . दोनों एक दूसरे की ओर  आकर्षित हुए  . 


नेहा और राजन में धीरे धीरे प्यार हुआ और दोनों ने अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद जीवन साथी बनने को सोचा  . नेहा की माँ तरला को इस बात का पता चला  . नेहा के भैया अनूप ने उन्हें कॉलेज के बाहर भी साथ घूमते 

हुए देखा था  . अनूप भी अपने पिता के समान ही अपनी विरादरी में ही शादी के पक्ष में था  . उसने नेहा को समझाया भी , पर इसका असर न होने पर उसे डांट भी लगायी  . अनूप ने अपनी माँ को कहा  कि नेहा को तुम बिगाड़ रही हो  . 


आखिर नेहा के पापा के कानों तक भी यह बात पहुंची  . वे बोले “ नेहा अब यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम किसे चुनो  ,  या तो राजन या हमलोगों को   . राजन के साथ जाने का मतलब है कि इस घर की दहलीज पर तुम दुबारा  कदम नहीं रख सकती हो  . मेरी बात कान खोल कर सुन लो और समझ भी लो  . “


अनूप भी अपने पिता के साथ खड़ा था  . माँ  बेचारी बुत  बन कर खामोश थी और बाप बेटे के विरुद्ध कुछ भी बोल न सकी  , हालांकि वह बेटी का दर्द समझ रही थी  . उसने बेटी को ही समझाना बेहतर समझा  . 


राजन और नेहा दोनों ही राज्य सरकार की सेवा में थे , पर दोनों के डिपार्टमेंट और दफ्तर अलग अलग थे  . फिर भी अभी तक उनमें प्यार कायम था  . राजन के पिता नहीं थे , सिर्फ माँ और एक बहन थी  . बहन की शादी तय थी और उसके बाद वह अपनी शादी करना चाहता था  . उसकी माँ को तो नेहा पसंद थी , वैसे भी वह ऊंची जाति से थी तो उन्हें कोई परेशानी नहीं थी इस रिश्ते से  . 


  तरला  एक दिन अचानक राजन के घर आयी  . उसने राजन की माँ से कहा “ मैं अपनी बेटी को हमेशा के लिए खोना नहीं चाहती हूँ  . मेरे पति और बेटा कभी भी इस रिश्ते की  मंजूरी नहीं देंगे  . हां , हमलोगों से रिश्ता तोड़ कर वह आपकी बहू बन सकती हैं  . अब आप जो ठीक समझें  . पर आप भी एक बार राजन को गंभीरता से सोचने को कहिये  . सिर्फ प्यार से ही यह दुनिया नहीं चलती है  . “


आखिर हर  इंसान की जिंदगी में तक़दीर नाम की एक चीज होती है  . राजन और नेहा दोनों ने मिलकर विचार किया और किस्मत से समझौता करना ही बेहतर समझा  .  उन्होंने  फैसला लिया कि उनका सपना तो साकार होने से रहा , इसे अंजाम देने से पहले ही तोड़ दिया जाए  . नेहा और राजन अलग हो गए , पर दोनों ने दोस्त बने रहने का फैसला किया  . 


नेहा  की शादी  माता पिता की मर्जी के अनुसार एक प्रोफ़ेसर से हुई  . भारतीय नारी को भगवान् ने न जाने किस मिट्टी  से बनाया है  . उसका मन भी विशेष प्रकार का होता है ,  पर उसके मन की बात सुनता ही कौन  है   . धरती के समान उसमें भी सब कुछ सहने की शक्ति है  . नेहा  अपने पति के प्रति पूर्णतः समर्पित हो गयी और अतीत  में हुए प्यार की कहानी को अतीत के बक्से में रख कर भूल गयी और एक  नए सिरे से जीने लगी  . 


नेहा के पति प्रोफेसर संजय अपने शहर के जाने माने विद्वान और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे  . उन्हें नेहा और राजन के संबंध  की कुछ जानकारी थी  . राजन कभी कभी उनके घर भी आता था , बस औपचारिक बातें होतीं थीं  . नेहा भी  अक्सर उनके साथ होती थी  . कुछ दिनों तक तो  प्रोफेसर को उसके आने से कोई परेशानी नहीं थी  . पर कुछ दिनों बाद वे राजन की बातों में कोई रूचि नहीं लेते , उन दोनों को छोड़ वहां से उठ कर चले जाते  . 


राजन जब भी प्रोफेसर के घर आता वे असहज हो उठते  .  नेहा और राजन से भी यह बात छिपी नहीं थी  . राजन ने स्वयं नेहा के यहाँ आना बहुत कम कर दिया   हालांकि नेहा या प्रोफेसर किसी ने कभी  भी खुल कर कुछ नहीं कहा था  . अब नेहा और राजन का संपर्क फोन पर ही होता था  .


 राजन की शादी अभी तक नहीं हुई थी  . नेहा बार बार उसे शादी करने की सलाह देती  रहती  . उधर राजन की माँ भी उस पर शादी के लिए दबाव  बनाये थी  . कुछ दिनों के बाद राजन की शादी  तय हुई  .उसकी शादी  सीमा नाम की लड़की  से हो रही थी   . 


नेहा और प्रोफेसर भी राजन की शादी में गए  . जयमाल के स्टेज पर राजन ने प्रोफेसर और नेहा दोनों को स्टेज पर फोटोग्राफी के लिए आमंत्रित किया  . वे दोनों स्टेज पर गए  . स्टेज पर प्रोफेसर ने सीमा को करीब से देखा  . सीमा की भी नजर उन पर पड़ी  . दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को घूरते रहे  . राजन ने सीमा से परिचय कराते हुए हुए कहा “ सीमा , इनसे मिलो  .  ये हैं मिस्टर  .  .  .  . “


“ ये प्रोफेसर संजय हैं  . “  सीमा ने कहा 


“ अरे तुम इन्हें जानती हो ? “  राजन ने पूछा 


“ ये शहर के प्रसिद्ध  प्रोफेसर हैं , इन्हें कौन नहीं जानता है  . “  नेहा और स्टेज पर खड़े सभी लोग मुस्कुरा पड़े  .


 शादी के दो दिन के बाद राजन ने रिसेप्शन रखा था  . एक ही टेबल पर नेहा , प्रोफेसर , राजन और सीमा  डिनर ले रहे थे  . सीमा ने  हँसते हुए नेहा से कहा “ तुमने मेरे प्रेमी को चुराया तो देखो मैंने भी पलट कर तुम्हारे प्रेमी से शादी कर ली   . अब हम दोनों का हिसाब बराबर हो गया   .”


कुछ पल के लिए नेहा और प्रोफेसर दोनों खामोश थे   . फिर नेहा ने  भी हँसते हुए कहा  “ मैंने कोई चोरी वोरी नहीं की है   . तुम्हें पता ही होगा हमारी अर्रेंजेड मैरेज़ है   .”


तब प्रोफेसर भी बोले “ ऐसी बात नहीं है , अगर ये दोनों चाहते तो इन्हें कोर्ट मैरेज करने से कोई नहीं रोक सकता था   .”


सीमा बोल उठी “ अरे  ,आप सब इतना सीरियस न हों    . मैंने यूँ ही कहा था   . अगर प्रोफेसर चाहते तो   हमारी भी  शादी कोर्ट मैरेज हो सकती थी   . पर अब इन बातों से क्या फायदा ? हम सब  मिल जुल  कर एक परिवार की तरह रहेंगे   .”


कुछ पल चारों खामोश रहे थे , सीमा ने फिर कहा “ हाँ , किसी से किसी को कोई गिला शिकवा नहीं होना चाहिए  . हम सभी दोस्त हैं   . क्यों राजन सही कहा है न मैंने ? “ 


“ हां  , तुमने बिलकुल सही फ़रमाया   है   .” 


और इसके बाद दोनों घरों में  फिर से आना जाना शुरू हुआ  . नेहा - संजय , सीमा - राजन,  चारों अक्सर किसी एक घर में बैठकी करते  . छुट्टी के दिन चारों एक साथ सैर सपाटे , पिकनिक आदि का आनंद लेते  .   नेहा और सीमा दोनों दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं  . देखते देखते उनके  बच्चे स्कूल जाने लगे   . 


उधर नेहा  की शादी के एक साल  बाद उसके  भाई अनूप की शादी  भी हो गयी   . वह एक पुत्र का पिता  बन चुका  था  . उसका बेटा दिनकर बहुत क्यूट था  . वह भी धीरे धीरे बड़ा हो कर स्कूल जाने लगा   . नेहा अक्सर अपने पीहर आती   . दिनकर को अपनी बुआ से बहुत लगाव था  . वह जब भी आती उसके लिए ढ़ेर सारे कपड़े , खिलौने और उसकी पसंद के चॉकलेट ले कर आती  . दिनकर भी छुट्टियों में कुछ दिन बुआ के यहाँ आया करता  था . 


समय तेजी से बीत रहा था  . सभी के बच्चे अब कॉलेज में थे  .  नेहा का भतीजा दिनकर भी अब कॉलेज में था  . वह स्वयं तो बहुत हैंडसम और स्मार्ट था , पर पढ़ाई लिखाई में औसत से भी कुछ कम था  . कॉलेज में एक दलित लड़की उषा से उसे प्यार हो गया   . उषा सांवली और  बहुत ही साधारण सी लड़की थी  . पर पढ़ाई लिखाई में हमेशा अव्वल रहती थी  . कुछ दोस्त उस पर  व्यंग  भी करते “ क्यों पढ़ाई के इतने पीछे पड़ी है , आरक्षण कोटा से तेरी नौकरी पक्की है  . “  पर  इस प्रकार के ताने से उस पर कोई असर नहीं पड़ता  . 


दिनकर और उषा का प्यार बढ़ता गया  .  दोनों ने जीवन भर एक दूसरे का साथ  देने का वादा किया  . नेहा को दिनकर और उषा के बारे में पता चला  . बल्कि इसकी भनक स्वयं दिनकर ने बुआ को दे रखी थी  . नेहा ने उसे समझाते हुए कहा “ तुम दोनों के प्यार से मुझे या तेरे फूफा को कोई आपत्ति नहीं है  . पर क्या तेरे पापा और दादाजी इस रिश्ते को कबूल करेंगे ? “


प्रोफेसर ने भी समझाने की कोशिश करते हुए कहा “ तुन्हें पता ही होगा तेरी बुआ की शादी किसी गैरजातीय से न तो तेरे पापा को और न ही तेरे दादा को मंजूर था    . फिर ऐसे मुंगेरी लाल के सपने क्यों देख रहे  हो ? “


“ बुआ , और फूफाजी आप दोनों कायर थे  . आप  ने सिर्फ जाति के नाम पर अपने प्यार का साथ छोड़ दिया  . आप में इतना साहस नहीं था  . अब ज़माना  भी बदल चुका है  . मैं अपने प्यार को नहीं छोड़ सकता हूँ ? “


“ और अगर तेरे पापा और दादु को मंजूर नहीं हुआ तो ? “  नेहा बोली 


“ ज्यादा से ज्यादा मुझे घर छोड़ना होगा और क्या ? हम दोनों कोर्ट मैरेज कर लेंगे  . अब तो हम दोनों को नौकरी भी मिल गयी है  .  “


नेहा अवाक हो उसका मुंह देख रही थी  . वह सोचने लगी कि यह लड़का ठीक ही कह रहा है  . शायद मैं ही कायर थी जो समाज से  डर गयी  . 


उधर नेहा के पीहर में दिनकर और उषा की शादी  की तैयारी जोर शोर से चल रही थी  . इस शादी को ले कर सभी खुश दिख रहे थे , किसी के चेहरे पर कोई तनाव या शिकन न था  . नेहा भी शादी में आयी थी  . शादी धूम धाम से सम्पन्न हुई  . दिनकर दो दिन बाद हनीमून पर जाने वाला था  . 


नेहा ने अपने भाई और पापा से कहा “ क्यों , आप लोग शादी से बहुत खुश हैं न ? अब समाज का कोई डर  नहीं है आप लोगों को  . “


“ आखिर हमलोग  क्या करते ? दिनकर तो घर छोड़ कर कोर्ट मैरेज करने को तैयार था  .  ऐसा होने पर  समाज में बदनामी  ही होती  . इसलिए हम लोगों ने इसे अरेंज्ड मैरेज का जामा पहनाना बेहतर समझा  . “  पापा ने कहा 


“ कोर्ट मैरेज तो मैं भी कर सकती थी और शादी के बाद वैसे भी हमें यह घर छोड़ना ही था न  . “


उसका भाई अनूप भी वहीँ था , वह  बोला “ अब इन पुरानी बातों को भूल जाओ  .  ज़माना बदला गया है  . हमलोगों और इनके बीच एक जेनरेशन गैप है , उसे स्वीकार करना ही बेहतर है  . “ 


“ जेनरेशन गैप तो तब भी था और अब भी है और आगे भी रहेगा  . मैं  और राजन दोनों कमजोर थे , बस आपकी झूठी इज्जत और शान के लिए हम अपनी मर्जी से आगे नहीं बढ़ सके  . “


तभी दिनकर और उषा दोनों हनीमून के लिए निकल रहे थे  . दोनों ने आकर बुआ के पैर छुए और कहा “ हमें आशीर्वाद दो बुआ  . हम एक सप्ताह में लौट रहे हैं  .  आप तब तक रुकेंगीं न ? “


“ नहीं बेटे , तुमलोग जाओ और एन्जॉय करो  . मैं कल चली जाऊँगी , बाद में हमलोग मिलते रहेंगे  . “


दिनकर और उषा हनीमून के लिए निकल पड़े  . 

 

समाप्त