जीवन का फलसफा S Sinha द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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जीवन का फलसफा

 

                                                         जीवन का फलसफा 

 

अक्सर लोग नैतिक मूल्यों की बाते करते हैं  . जब पेट भरा रहता है और लाइफ  कंफर्टेबल होती  है तभी ऐसी बातें सुनने में मिलती हैं  . वे भ्रमित रहते हैं कि उनका नैतिक स्तर ऊंचा है और वे बहुत सच्चे और ईमानदार इंसान हैं  . पर सच तो इसके विपरीत है , विरले ही ऐसे इंसान मिलते हैं जो इन मूल्यों पर खरे उतर सकते हों   .  


जीवन में ऐसा  कटु सत्य देखने का अवसर अक्सर मिलेगा - 


* कुछ खोने का डर -  अपने या प्रियजन की मृत्यु  का भय , धन खोने का भय , पावर या रुतबा खोने का भय , प्रतिष्ठा जाने का भय आदि  , ऐसे में कभी इंसान के अंदर का शैतान भी जाग उठता है और वह बहुत कुछ अनैतिक करने पर आ सकता है  . 


*  लोग आपको यूज करते हैं - जीवन में आपका सामना भिन्न भिन्न प्रकार के लोगों से होगा  . उनमें अक्सर कुछ ऐसे भी हैं  जो आपको यूज कर चल देंगे  .  आप जैसा सोचते हैं लोग आपके बारे में न वैसा सोचते हैं न ही आपका केयर करते हैं  . हर कोई विनम्र या दोस्ताना व्यवहार करने वाला  दोस्त ही हो , ऐसा जरूरी नहीं है  . हाँ , दूसरे से मिले कटु अनुभव के चलते हमें भी ख़राब बनने की आवश्यकता नहीं है  .  जस्ट चिल !


*  रुपया पैसा सब कुछ नहीं है - आप सुनते होंगे  कि धन दौलत सब कुछ नहीं होता है पर सब कुछ धन से ही मिलता है , यहाँ तक कि इज्जत भी  . गरीब के पास इज्जत होती है , व्यावहारिक रूप में ऐसा देखने को बहुत कम मिलेगा . धन खो जाने पर हमारे 99.9 % साथी  लुप्त हो सकते हैं   .


* दूसरों  की सफलता प्रोत्साहक ? विरले ही -  दूसरे की सफलता सदा प्रोत्साहक नहीं होती है पर अक्सर उस दौड़ में  काफी स्वास्थ्य और अर्थ की हानि का सामना करना पड़ सकता है  .  दूसरों पर निर्भर न कर हमें  अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए  . 


* बदनामी का कलंक स्थायी होता है - एक बार कभी जाने अनजाने बदनाम हो गए तो बदनामी जीवन भर हमारा  पीछा नहीं छोड़ती है   . 


* आपको अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी है - हम  दुनिया में अकेले आये हैं और अकेले ही जायेंगे और जीवन की क्रिटिकल लड़ाई हमें खुद ही लड़नी  है  . 


* ज्यादा नॉलेज हमें ख़ुशी नहीं देता - हम प्रतिदिन अनेक टीवी चैलन  पर न्यूज़ देखते हैं , उनमें लगभग 99 % बेकार होते हैं  . उनसे न हमें कोई लेना देना होता है और न ही वे हमें ख़ुशी  देते हैं  . नॉलेज या ज्ञान सिर्फ कॉलेज डिग्री से नहीं मिलता है न ही आपके हाई पेइंग जॉब से  .


* लम्बा जीवनकाल ख़ुशी नहीं देता है -  जन्मदिन पर हमें बधाईयां मिलती हैं - तुम जियो हजारों साल  …पर  लम्बे जीवन में हमारे अनेकों साथी हम से बिछड़ जाते हैं  . 


* हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है , यह जानना कठिन है - हम दुनिया में किस उद्देश्य से आये हैं या हमारे जीने का क्या मतलब है यह जानना बहुत कठिन है  . जीवन में अच्छे बुरे समय , कभी ख़ुशी कभी गम , कभी धूप  कभी छाँव आते जाते रहेंगे और औसतन ज्यादा ऐसे होंगे जिन्हें हम आसानी से भूल सकते हैं  . 


* जीवन की प्राथमिकताएं बदलती रहेंगी - समय के साथ हमारी प्राथमिकताएं , हमारे शौक , स्वाद , लॉजिक आदि बदलते  रहेंगे  और उसी प्रकार हमारे साथियों और प्रिय जनों का भी बदलेगा  . आज जो हमारे पसंदीदा हैं 10 - 20 साल बाद वे ऐसा नहीं रहेंगे और दूसरों के साथ भी ऐसा ही होगा  . 


*  50 - 100 साल बाद शायद ही कोई हमें याद करेगा -  99. 999 % लोगों का नाम इतिहास में नहीं रहता है,  100 साल बाद शायद ही कोई हमारी याद करने वाला होगा  . दूसरों को इम्प्रेस करने में अपना समय और एफर्ट बर्बाद न कर अपनी शर्तों पर अपना जीवन जियें  . अपनी ख़ुशी को  प्राथमिकता  देना  स्वार्थ नहीं है  . किसी की अनुपस्थिति में आप खुश हैं तो यह अच्छा है  . 


* माता पिता जैसा  प्यार दूसरा नहीं देगा - माता पिता से ज्यादा प्यार हमें  कोई नहीं देगा  . 


* समानता ( equality ) इज नॉट रियल - दूसरों से तुलना न करें , कुछ लोग हम से स्मार्ट  और बेहतर हो सकते हैं  . इस सच को  स्वीकार करें 


* दिन बदलते हैं , अच्छे दिन भी आएंगे - सदियों से भयंकर  महाविनाशक त्रासदियां आती जाती रहीं हैं - कभी भयंकर स्पेनिश फ्लू , कभी विश्व युद्ध , कभी प्रलय जैसा बाढ़ या सुनामी  , कभी सूखा तो कभी भूकंप आदि  . इनके बाद भी अच्छे दिन आते रहे हैं  और आपके भी आएंगे  . जस्ट चिल  .  

 

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