जस्बात-ए-मोहब्बत - 6 dinesh amrawanshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • साथिया - 110

    हल्दी की रस्म के बाद मनु ने नील को कॉल लगाया। "सुनो ना यार व...

  • उजाले की ओर –संस्मरण

    स्नेहिल सुभोर प्रिय मित्रो कैसे हैं आप सब? ज़िंदगी इक सफ़र ह...

  • My Wife is Student ? - 9

    वो दोनो स्वाति के जाते ही आपस में जोड़ जोर से हसने लगती हैं!...

  • चलो मुस्कुरा दो अब

    1.अपनी अच्छाई पे तुम भरोसा रखना,बंद मत करना खुद को,किसी कमरे...

  • Aapke Aa Jaane Se - 2

    Episode 2अब तक साहिल दिल्ली से अपनी पढ़ाई खतम करके वापिस कोल...

श्रेणी
शेयर करे

जस्बात-ए-मोहब्बत - 6

जैसे रिचा अवस्थी सर के साथ कैंटीन मे बैठे हों और उनके सिवा कैंटीन मे ओर कोई न हो पर फिर डोर नॉक करने की आवाज आती है तभी रिचा हड्बड़ा कर कहती है मम्मी आप हो,हाँ रिचा मैं हूँ क्या कर रही है इतनी देर से रूम मे तो रिचा झूट बोल देती है ,मम्मी मैं नहा रही थी अभी आई, रिचा दरवाजा खोलती है मम्मी से कहती है क्या हुआ मम्मी ,मम्मी की बच्ची मुझे रूम साफ करना है तू तो कर नहीं सकती तो मुझे तो करने दे,अरे माँ साफ तो है,हे भगवान मेरे कान बजे या सच मे तूने माँ कहा,हा मैंने माँ ही कहा है,अरे वाह बात क्या है आज अचानक मम्मी से माँ, रिचा की माँ रिचा को छेड्ते हुये कहती है अच्छा चल अब चल कर खाना खाले,हा माँ आप चलो मैं अभी आई और फिर रिचा नयन्सी कि बातें याद करती है तो रिचा इस बात को समझ जाती है कि नयन्सी सही है मैं सच मे दिल ही दिल मे प्रोफ़ेसर अवस्थी को चाहने लगी हूँ और फिर रिचा अपने रूम से निकल कर खाना खाने टेबल पर जाती है वहाँ रिचा उसकी माँ छोटी बहन और भाई डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना सर्व ही कर रहे होते है कि मेन डोर बैल बजती है रिचा कि माँ दरवाजा खोलती है अरे आप बहुत सही समय पर आए है ये रिचा के पापा होते है रिचा कि माँ उसके पापा से कहती है आप फ्रेश हो जाईए मैं खाना लगाती हु आपके लिए भी,चलो अच्छा है आज कितने दिनों बार पूरी फॅमिली एक साथ बैठ कर खाना खाएगी और फिर रिचा के पापा भी आ जाते है रिचा कि माँ सभी के लिए खाना लगाती है और खुद भी सबके साथ खाना खाती है तभी रिचा के पापा उससे पुछते है रिचा बेटा आपके फ़ाइनल एग्ज़ाम कबसे है तो रिचा कहती है पापा वो अगले महीने से शुरू हो जाएंगे,पढ़ाई ठीक चल रही है न,जी पापा ठीक चल रही है फिर सभी खाना फीनिस करके अपने अपने कमरे मे चले जाते है ꠰

दूसरे दिन रिचा फ़्रेश होकर कॉलेज के लिए तैयार होती है और अपने रूम से बाहर निकलती है तभी रिचा कि माँ कहती है कुछ खाले फिर जाना तो रिचा कहती है नहीं माँ मैं लेट हो रही हूँ तो माँ कहती है अभी तो थोड़ा सा टाइम है तब तक थोड़ा कुछ खाले तो रिचा अच्छा माँ कह कर सैन्विच खाके कॉलेज के लिए अपनी स्कूटी लेकर घर से निकल कर नयन्सी को कॉल करती है कहा है जल्दी आ मैं राघव बिहार कॉलोनी के पास पहुँच रही हूँ नयन्सी राघव बिहार कॉलोनी गेट पर आ जाती है पर रिचा अभी नहीं पहुंची होती तो नयन्सी रिचा को कॉल करती है,कहा है तू मैं गेट पे खड़ी हु,हा ठीक है मैं भी आ गई, रिचा नयन्सी को लेकर कॉलेज चली जाती है कॉलेज पहुँचते ही रिचा अपनी स्कूटी पार्क करती है फिर दोनों नेहा ओर रितु से मिलती है रितु कहती है आज तो सिर्फ हाल टिकिट मिलेंगे क्लासेस तो लगेगी नहीं तो कैंटीन चले फिर ऑफिस चल के हाल टिकिट ले लेंगे तो नयन्सी कहती है