सेहत के लिए कुछ जरूरी टेस्ट
हमें अक्सर ऐसा लगता है कि सब कुछ ठीक है तो फिर किसी हेल्थ टेस्ट की जरूरत नहीं है . पर ऐसा ठीक नहीं है . समय के साथ शरीर में कुछ बदलाव आते हैं . आजकल की भागदौड़ , फ़ास्ट फ़ूड और तनाव की जिंदगी में अक्सर धीरे धीरे कुछ खराबी या बिमारी शरीर के अंदर होती रहती है जिनका आभास शुरू में हमें नहीं होता है . यदि इसे नजरअंदाज करते जाएँ तो शनैः शनैः यह बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है . इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि उम्र के अनुसार समय समय पर अपनी सेहत के लिए कुछ टेस्ट या स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए . इस से भविष्य में संभावित बीमारी से बचने या उन्हें नहीं बढ़ने देने में काफी मदद मिलती है .
सेहत के लिए जरूरी कुछ टेस्ट इस प्रकार हैं -
1 . टाइप 2 डायबिटीज टेस्ट - टाइप 2 डायबिटीज बीमारी आजकल एक महामारी जैसी हो गयी है . आमतौर पर यह बीमारी बूढ़ों को होती है पर आजकल यह युवको , युवतियों और यहाँ तक कि बच्चों में भी पायी जाती है . इसका पता शुरू में लगा लेना जरूरी है वरना आगे चल कर दिल की बीमारी या स्ट्रोक भी हो सकता है . यदि डायबिटीज न हो फिर भी 45 साल के आसपास के लोगों को हर दो तीन साल पर इसका टेस्ट करा लेनी चाहिए .
डायबिटीज के रिस्क - वजन बढ़ना , फॅमिली हिस्ट्री , इनैक्टिविटी , लो HDL ( गुड कॉलेस्ट्रॉल ) , हाई ब्लड प्रेशर , हाई ट्राईग्लिसराईड और कुछ ख़ास जाति का होना ( ब्लैक अफ्रीकन आदि )
डायबिटीज का टेस्ट - इसके लिए साधारण ब्लड टेस्ट किया जाता है - पहले यह फास्टिंग टेस्ट या / और बाद में फास्टिंग सैंपल देतने के करीब 90 मिनट बाद दूसरा ब्लड टेस्ट किया जाता है . फिर डॉक्टर रिपोर्ट का विश्लेषण कर आपको जरूरी सलाह देंगे .
2 . कोलेस्ट्रॉल टेस्ट - ह्रदय रोग न हो इसके लिए शरीर में कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रखना जरूरी है . शरीर को कोलेस्ट्रॉल भी चाहिए पर एक सीमित मात्रा तक . पर कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने से धमनियों में धीरे धीरे फैटी एसिड जमा होने लगता है जो आगे चल कर बड़ा हो जाता है . इस से धमनियों में रक्त प्रवाह में रुकावट होती है . कभी ये फैट टूट कर क्लॉट बन जाते हैं जिसके चलते हार्ट अटैक या स्ट्रोक होता है और यह जानलेवा भी हो सकता है . इसलिए 55 के आसपास की आयु वालों को समय समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट कराना चाहिए .
हाई कोलेस्ट्रॉल के रिस्क फैक्टर्स - असंतुलित भोजन ( फैटी ) , ज्यादा वजन , फॅमिली हिस्ट्री ऑफ़ हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग
कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट - कोलेस्ट्रॉल के टेस्ट के लिए भी खाली पेट ब्लड सैंपल लिया जाता है . डिटेल जानकारी के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है जिसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा , LDL ( जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं ) , HDL ( जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है ) और ट्राईग्लिसीराईड की मात्रा का पता चलता है .
3 . कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग - पुरुषों और महिलाओं दोनों में कोलोरेक्टल कैंसर हो सकता है और दुनिया भर में कैंसर से मरने वालों की संख्या में इसका तीसरा स्थान है . इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार भारत में प्रति एक लाख पुरुषों में 4. 4 और औरतों में 4. 1 लोगों में यह कैंसर पाया जाता है .
आमतौर पर मलाशय ( कोलन ) और गुदा में पॉलिप हो जाने पर दस साल में यह कैंसर का खतरनाक रूप ले सकता है . इसलिए इस अंग में तकलीफ होने से शुरू में ही इसका टेस्ट करा लेना चाहिये . जिसकी फॅमिली में किसी निकट संबंधी को कोलन कैंसर की हिस्ट्री हो उसे समय रहते टेस्ट करा लेना बेहतर है . जिस उम्र में वह मेंबर को यह कैंसर हुआ था उस से दस साल पहले ही वर्तमान मेंबर को टेस्ट करा लेना चाहिए .
कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग - अक्सर डॉक्टर सलाह देते हैं कि 45 साल की उम्र में इसका टेस्ट करा लेना चाहिए . इसके लिए डॉक्टर रोगी की गुदा में एक फ्लेक्सिबल ट्यूब , जिसकी छोर पर कैमरा लगा रहता है , के जरिये मलाशय का परीक्षण करते हैं . टेस्ट के पहले पेट बिल्कुल साफ रहना चाहिए, उसमें किसी प्रकार का सॉलिड वेस्ट या मल नहीं होना चाहिए . इसके लिए तैयारी एक दिन पहले से की जाती है जिसके लिए खानपान की सलाह डॉक्टर देते हैं . यह टेस्ट खाली पेट एनेस्थीसिया दे कर किया जाता है .
4 . ऑस्टियोपोरोसिस स्क्रीनिंग ( BMD बोन डेंसिटी टेस्ट ) - जब हमारी उम्र बढ़ती है और बूढ़े हो जाते हैं हमारी बोन डेंसिटी कम होती है . बोन डेंसिटी ( BMD ) कम होने से ऑस्टियोपोरोसिस होता है जिसका मतलब है कि हड्डी कमजोर हो गयी है और इसके टूटने की संभावना ज्यादा रहती है .हड्डी में कैल्शियम और अन्य मिनरल्स होते हैं जिनकी मात्रा घटने से बोन डेंसिटी कम हो जाती है और हड्डी कमजोर हो जाती है . कैंसर आदि बीमारियों की कुछ दवाओं के सेवन से भी बोन डेंसिटी पर प्रतिकूल असर होता है . पुरुषों में एक उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और महिलाओं में मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा घटने से भी BMD कम होता है .
आमतौर पर BMD टेस्ट उन अंग की हड्डियों का किया जाता है जिनके टूटने की संभावना ज्यादा होती हैं , जैसे - बाँह , पैर . जंघा , गर्दन .
बोन डेंसिटी टेस्ट - इसके लिए DEXA स्कैन किया जाता है जो एक प्रकार का लो लेवल X रे स्कैनर है . BMD टेस्ट का विश्लेषण कर डॉक्टर इसका रिजल्ट T - स्कोर और Z - स्कोर में देते हैं . T स्कोर एक नंबर हैं जिसे समान उम्र , सेक्स आदि के स्वस्थ व्यक्ति के BMD से तुलना कर निकालते हैं और Z स्कोर भी एक नम्बर है जो बताता है समान व्यक्ति के BMD से कितना भिन्न है , ज्यादा या कम .
5 . ब्रेस्ट कैंसर - आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होता है पर कभी पुरुषों में भी हो सकता है . पुरुषों में भी ब्रेस्ट टिश्यू होते हैं और वे भी कैंसर्स हो सकते हैं . दरअसल प्यूबर्टी तक ( 8 से 10 वर्ष तक ) लड़के और लड़कियों दोनों में कम मात्रा में ब्रेस्ट टिश्यू होते हैं जिनमें डक्ट होते हैं . प्यूबर्टी तक लड़के और लड़कियों दोनों में फीमेल हार्मोन होते हैं . यहाँ तक कि कुछ लड़कों में कुछ फीमेल हार्मोन प्यूबर्टी के बाद भी देखे जाते हैं . प्यूबर्टी के बाद हार्मोन में बदलाव होता है जिसके चलते लड़कियों के ब्रेस्ट डक्ट उभर कर स्तन हो जाते हैं . पुरुषों में यह विरले होता है इसलिए उनमें ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बहुत ही कम रहती है .
ब्रेस्ट कैंसर का पता शुरू में लग जाने से उपचार के बाद यह पूर्णतः ठीक हो जाता है . अगर यह फ़ैल कर अन्य अंगो के टिश्यू को भी अपन चपेट में ले लेता है तब यह खतरनाक हो जाता है . इसलिए इसका स्क्रीनिंग करा लेना चाहिए . 40 - 50 साल की उम्र के बाद समय समय पर इसका टेस्ट करना बेहतर होता है .
ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर्स - जिस महिला की फॅमिली में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री रही हो , ज्यादा वजन , जिसने हार्मोन रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट कराया हो , जिसे कभी गर्भ न रहा हो , जिसने लम्बे समय तक बर्थ कंट्रोल पिल्स लिया हो या जिसमें ब्रेस्ट कंट्रोल संबंधित जींस BRCA1 या BRCA2 पहले से मौजूद हों - उसे ब्रेस्ट कैंसर का ज्यादा रिस्क रहता है .
ब्रेस्ट कैंसर टेस्ट - इसके लिए मेम्मोग्राम टेस्ट किया जाता है . इसमें ब्रेस्ट का X- रे कर कैंसर का पता लगाते हैं
6 . ग्लूकोमा टेस्ट - ग्लूकोमा आँख की एक खतरनाक बीमारी है . शुरू में यह पेरीफेरल विजन ( परिधीय दृष्टि ) पर असर डालता है और हमें इसका पता नहीं चलता है . धीरे धीरे यह बढ़ कर सेंट्रल विजन ( केंद्रीय दृष्टि ) तक आ जाता है . तब इसका उपचार संभव नहीं होता है और आदमी की दृष्टि चली जाती है . इसलिए 30 - 40 की आयु से इसकी जाँच प्रति तीन या चार साल के अंतराल पर करा लेनी चाहिए . जिनमें इसकी आशंका हो उन्हें साल में कम से कम एक बार टेस्ट कराना चाहिए .
रिस्क फैक्टर्स - फॅमिली में ग्लूकोमा की हिस्ट्री , 60 साल से ज्यादा की उम्र
ग्लूकोमा का टेस्ट - इसके लिए नेत्र रोग के डॉक्टर के द्वारा आँख की सघन परीक्षा की जाती है . इस टेस्ट में टोनोमेट्री ( जिसमें आँखों में प्रेशर की जांच ) , पेरीफेरल टेस्ट , OCT ( ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी ) , आँखों की पुतलियों को डायलेट ( फैला ) कर उनके ऑप्टिक नर्व की जांच की जाती है . ग्लूकोमा में आँखों में प्रेशर ( IOP - इंट्रा ओकुलर प्रेशर ) बढ़ जाता है .
7 . सर्वाइकल कैंसर - यह औरतों की बीमारी है जो उनकी सर्विक्स के सेल में होती है . सर्विक्स गर्भाशय के अंत का एक हिस्सा है जो युट्रस को बर्थ कनाल ( योनि ) से जोड़ता है . सर्वाइकल कैंसर का पता आरम्भ में लग जाए तो आसानी से उपचार कर इसे ठीक किया जा सकता है . पर नजरअंदाज करने से यह फ़ैल कर अन्य अंगों में फ़ैल सकता है .
सर्वाइकल कैंसर के रिस्क फैक्टर - HPV ( ह्यूमन पेपीलोमा वायरस ) , धूम्रपान , तीन या चार से अधिक बच्चों को जन्म देना
सर्वाइकल कैंसर का टेस्ट - PAP और HPV टेस्ट कर सर्विक्स के सेल में कैंसर का पता करते हैं . 30 वर्ष की औरतों को प्रति तीन साल के अंतराल में यह टेस्ट कराने की सलाह दी गयी है
किस उम्र के कौन सा टेस्ट कराएं ( rough guide ) - जिन्हें निम्न बीमारी कम उम्र में ही हो उन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार टेस्ट कराना चाहिए .
बीमारी उम्र टेस्ट का नाम
डायबिटीज -- 45 साल की उम्र से प्रति तीन साल पर - फास्टिंग ब्लड शुगर
टाइप 2
डायबिटीज
रिस्क वाले
कोलोरेक्टल कैंसर 45 वर्ष से शुरू कर प्रति 5 - 10 वर्ष कोलोनोस्कोपी टेस्ट
कोलोरेक्टल कैंसर 45 के पहले भी शुरू कर सकते हैं कोलोनोस्कोपी टेस्ट या अन्य
रिस्क वाले डॉक्टर की सलाह से
बोन डेंसिटी BMD 65 + प्रति 2 साल ( प्रति वर्ष औरतों के लिए ) DEXA टेस्ट
( जिन्हें पहले से ऑस्टियोपोरोसिस हो उन्हें प्रति वर्ष )
कोलेस्ट्रॉल 55 से शुरू कर प्रति 5 वर्ष या लिपिड प्रोफाइल
डॉक्टर की सलाह पर
सर्वाइकल
कैंसर 21 या पुरुष से संबंध बनाने PAP और
के बाद PAP टेस्ट; 30 के बाद प्रति 3 साल HPV
ब्रेस्ट कैंसर 40 से प्रति 1 - 2 साल
पर / 21 साल ब्रेस्ट एग्जाम मेम्मोग्राम
या डॉक्टर की सलाह पर
ग्लूकोमा 20 - 39 एक बार स्क्रीनिंग
65 + प्रति टोनोमेट्री , पेरीफेरी
1 - 2 वर्ष ऑप्टिक नर्व exam