हमने दिल दे दिया - अंक ३७ VARUN S. PATEL द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हमने दिल दे दिया - अंक ३७

 अंक ३७ अधुरी बात  

   अगर अभी तक आपने इस प्रेमकथा के आगे के अंको को नहीं पढ़ा है तो सबसे पहेले उन अंको को पढले ताकि आप को आगे की कहानी पढने में सही आनंद आ सके |  

    पता नहीं पर वो कभी मिली नहीं मुझे ...अंश ने दिव्या से कहा |

   कैसे मिलती उसने भी कुछ एसा देखा था जिस वजह से उसने तुम से ना मिलने का प्रण ले लिया था ...दिव्या ने कहा |

   दिव्या ने कुछ एसी बात बोली जिसे सुनकर अंश के चौक गया होगा शायद की दिव्या एसा क्यों बोल रही है और दिव्या कैसे जानती है उस लड़की को और उसने एसा क्या देख लिया की जिसने अंश से ना मिलने का प्रण ले लिया ?

   क्या मतलब, तुम कैसे जानती हो उसे और उसने एसा क्या देख लिया की उसने मुझ से ना मिलने का प्रण ले लिया यार तुम साफ़ साफ़ बताओ बात को की तुम उसे जानती हो क्या ...अंश ने कहा |

   दिव्या के मु से निकले एक वाक्य के बाद अंश के दिमाग में कई सारे सवाल हो रहे थे जिसका उत्तर सिर्फ और सिर्फ दिव्या के पास ही था जिसे जानने के लिए अंश काफी आतुर था |

    बोलो दिव्या तुम को यह सब कैसे मालुम और कौन है वो डायरी वाली लड़की और कैसा और क्या देखा उसने की उसने मुझ से ना मिलने का प्रण ले लिया ...अंश ने दिव्या से फिर से वही सवाल किए |

   वो लड़की कोई और नहीं बल्कि में ही हु अंश ...दिव्या ने कहा |

   दिव्या ने एसा रहस्य खोल दिया था जिससे अंश की आखे खुली की खुली रहे गई थी | अंश चौक गया था की वो लड़की दिव्या कैसे हो सकती है वो होना हो मजाक कर रही है |

   तुमको मैंने यह सब इसलिए बताया ताकि तुम मेरी भावना की मजाक उड़ा सको हा... अंश ने दिव्या की बात को सुनकर कहा |

   अंश देखो में मजाक नहीं कर रही हु में तुम्हे अभी उस बात का सबुत दे सकती हु की में ही वो लड़की हु जिसकी वो डायरी थी और तुम्हारे पीछे पागल थी और इसी वजह से में कब से तुमको इस कहानी को पुरा करने के लिए कहे रही थी क्योकी तुम जो भी बोल रहे थे वो सबकुछ मेरे जीवन में हो चूका था और फिर अंत में जो तुमने बाते की उससे मुझे पक्का यकीन हो गया की तुम ही वो अंश हो जिससे में प्यार करने लगी थी | उस दिन तुम जब गोपी का सुबह में इंतजार कर रहे थे तब तुमसे थोड़ी दुर एक लड़की बैठी थी वो में ही थी और तुम ही थे मेरा एक तरफ़ा प्यार अंश ...दिव्या ने अंश से कहा |

  दिव्या ने आज एसी सच्चाई अंश के सामने लाकर रख दी थी जिसके उपर अंश को बिलकुल भरोसा नहीं हो रहा था | वो अभी भी इस असमंजस में था की दिव्या क्या बोल रही है | अंश को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था |

  देखो दिव्या मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा और मै यह भी तय नहीं कर पा रहा की तुम सच बोल रही हो या झूठ ...अंश ने दिव्या से कहा |

  में तुम्हे सबकुछ बताती हु फिर तुम्हे मुझ पर यकीन होगा | जब तुम लोगो को यह डायरी मिली उसके बाद में मेरी बिगड़ी तबियत के कारण एक ही दिन स्कूल आ सकी थी जब तुम उस सुबह जल्दी आकर गोपी का इंतजार कर रहे थे | में उस दिन भी सिर्फ और सिर्फ तुम को देखने के लिए ही आई हुई थी और उस दिन में तुम्हे प्रपोझ भी करने वाली थी लेकिन मेरी तबियत फिर से ख़राब हो गई और मुझे वापस से घर जाना पड़ा और उसके बाद में कई दिनों तक ख़राब तबियत के कारण अस्पताल में भर्ती रही और उस बिच तुम लोग मुझे खोज रहे थे पर तुम लोगो को में कही मिली नहीं | जब में अस्पताल से ठीक होकर निकली तो में सीधा नए कपडे खरीदने के लिए गई और वहा से कपडे खरीदकर स्कूल पहोची ताकि में तुम्हे प्रपोझ कर सकू | मैंने तुम्हे पुरे स्कूल में देखा लेकिन तु मुझे कही पर भी नहीं मिला फिर में तुझे ढूढ़ते ढूढ़ते स्कूल के पीछे पहुची जहा पर अक्सर कोई आता जाता नहीं था और फिर मैंने वहा पर वो देखा जिसे देखकर मैंने कसम खाली की मै तुम्हे कभी भी नहीं मिलूंगी ...दिव्या ने अंश को सारी हकीक़त बताते हुए कहा |

  एसा क्या देख लिया था दिव्या तुमने ...अंश ने दिव्या से कहा |

  जब में वहा पर पहुची तो तुम गोपी को प्रपोझ कर रहे थे और तुम उस दिन बहुत खुश लग रहे थे और मेरा प्यार इतना सच्चा था की मेरे लिए तुम्हारी ख़ुशी से बढ़कर कुछ नहीं था और तब मेरा तुम्हारे जीवन में आना ना आना उसका कोई मतलब नहीं था और उसी दिन मैंने तय कर लिया की अब में कभी भी तुम्हारे जीवन में वापस नहीं लौटूंगी और वो डायरी भी गायब कर दूंगी ताकि यह चेप्टर वही पर समाप्त हो जाए | कुछ दिनों के बाद मैंने वो डायरी चुरा ली ...दिव्या ने अंश से कहा |

    क्या बोल रही हो दिव्या मतलब तुम मुझे बचपन से ही प्यार करती हो मतलब यार मुझे अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है दिव्या ...अंश ने दिव्या से कहा |

  मतलब में ज्यादा कुछ नहीं है अंश मैंने जीवन में एक ही बार प्यार किया है और वो भी तुम से उसके बाद मैंने आज तक जिंदगी में कभी भी प्यार नहीं किया ...दिव्या ने अंश से कहा |

  में क्या बोलु मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है दिव्या ...अंश ने दिव्या से कहा |

  दोनों के बिच बाते चल ही रही थी तभी नर्स आती है और दवाई की बोटल निकाली और दिव्या के हाथ से जुडी हुई नली निकाल लेती है |

  आप लोग जा सकते है और हा कल आपको रिपोर्ट कराना होगा तो उस हिसाब से समय लेकर आना ...नर्स ने अंश और दिव्या से कहा |

  ठीक है हम पहुच जाएंगे जी ...अंश ने नर्स से कहा |

  दोनों अस्पताल से निकलते है | दोनों की प्रेम की दास्तान आज भी पहले दिनों की तरह ही अधुरी ही थी | दोनों एक दम शांत थे दोनों एक दुसरे से कुछ भी नहीं बोल रहे थे | कार हवेली की तरफ आगे बढ़ रही थी अंश और दिव्या की ख़ामोशी के साथ | दोनों एक दुसरे के सामने कुछ नहीं बोल रहे थे लेकिन मन ही मन दोनों के अंदर एक दुसरे के लिए कई सारे बाते चल रही थी |

   दिव्या चलो यह तो मान लिया की तुम ही वो डायरी वाली लड़की हो जिसने मुझे बेपनाह प्यार किया था लेकिन सवाल बार बार मन में यही उमट रहा है की क्या आज भी तुम मुझ से प्रेम करती हो क्या आज भी में तुम्हे पसंद हु अगर में तुम्हे अपनाने की बात करू तो तुम मान जाओगी या रूठ जाओगी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है ...कार चलाते हुए अंश ने मन ही मन कहा |

   दोनों के बिच बिलकुल ख़ामोशी छाई हुई थी |

   अंश मुझे आज भी तुमसे प्यार है पर यह तो हकीक़त है ना की तुमने ना पहले मुझ से प्यार किया था और शायद ना आज भी | मै कैसे तुम से कहु और एक डर यह भी मन में रहेता है की मुझ से अभी प्यार करके तुम्हे बरबादी के अलावा मिल भी क्या सकेगा इसलिए हम दोनों का दुर ही रहेना अच्छा होगा | उस डायरी के बारे में पहेले इसी वजह से में तुम्हे बताने वाली नहीं थी पर क्या करती नहीं रहे सकी क्योकी किस्मत ने हमें फिर से पास लाकर जोड़ने की साजिश जो कर दी है | मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा की में क्या करू मेरे साथ सब अच्छा होता है बस गलत वक्त पर होता है ...मन ही मन दिव्या ने अंश के लिए कहा |

   आज किस्मत और कुदरत अपना खेल खेल रहे थे | बचपन में एक दुसरे के प्यार से अंजान दो प्रेमी को आज किस्मत ने कैसा मिलाया था | बहुत गजब भरा यह मिलन था अंश और दिव्या का लेकीन यह तब तक अधुरा था जब तक दोनों एक दुसरे को खुलकर अपने दिल की बात बता नहीं देते | कब बताएँगे कैसे बताएँगे पता नहीं पर किस्मत दोनों को जोड़ने की पुरी की पुरी साजिश कर रही थी |

   दोनों के लिए किस्मत सिर्फ अच्छी साजिश ही नहीं कर रही थी बल्कि बुरी साजिशे भी कर रही थी | दोनों घर की तरफ जा ही रहे थे की बिच में पुलिस के द्वारा कुछ चेकिंग चल रहा था जहा गाडियों की तलाशी ली जा रही थी और तलाशी लेने वाला और कोई नहीं बल्कि भवानी सिंह ही था | अंश और दिव्या दोनों पुलिस को देखकर गभरा जाते है | चेकिंग की वजह से कार और बाकी वहान का बड़ा काफिला रोड पर जमा हो चुका था और अंश की कार काफी पीछे थी |

   बाप रे मार गए अब क्या करेंगे ...अंश ने आगे की और देखते हुए कहा |

   क्या हुआ अंश इतना ट्रैफिक क्यों है ...दिव्या ने अंश से कहा |

   मर गए दिव्या आगे पुलिस का चेकिंग चल रहा है और साला चेकिंग कर कौन रहा है ...अंश ने आगे भवानी सिंह की और देखते हुए कहा |

   कौन और चेकिंग क्यों चल रहा है ... दिव्या ने अंश से कहा |

   भवानी सिंह यहाँ का PI और मानकाका का सबसे बड़ा चेला जो २४ घंटे पैसा ऐठने की तलाश में रहेता है पर कोई बात नहीं देख लेंगे और एक दिक्कत तो यह भी है की इस कार के शीशे काले कलर के है तो हमको पकड़ना तो तय ही है क्या करू क्या करू ...अंश ने चिंता करते हुए कहा |

   अभी क्या करे अंश उसने कही हमें देख लिया तो हमारी तो खेर नहीं यार हमको तो यह लोग जिंदा जला देंगे अंश कुछ करो महेरबानी करके ...दिव्या ने गभराहट के साथ कहा |

   गभराही हुई दिव्या अंश का हाथ पकड़ लेती है |

   धीरे धीरे गाडियों का काफिला आगे की और बढ़ रहा था और भवानी सिंह और उनके हवालदार गाडियों का चेकिंग कडक से भी ज्यादा कड़क तरीको से कर रहे थे | भले ही अंश की कार में कुछ भी नहीं था पर अंश गभरा इस वजह से रहा था क्योकी उसके साथ दिव्या थी और अगर दिव्या का पता भवानी सिंह को लग जाए तो भवानी सिंह अंश और दिव्या के लिए सबसे बड़ी आफत बन सकता है और इसी बाबत का डर अंश और दिव्या को था | अब देखना यह था की कैसे भवानी सिंह से बचते है अंश और दिव्या और फिर कैसे करेंगे अपने प्रेम प्रकरण की अधूरी बात को पुरा | सारे सवालों के उत्तर जानने के लिए पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY