Hum Ne Dil De Diya - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

हमने दिल दे दिया - अंक ७

अंक ७ मदद    

      छत पर एक दुसरे की तकलीफे एक दुसरे के साथ बाट रहे अंश और ख़ुशी की बाते छत पर जाने वाले दरवाजे के पास खड़ी सुरवीर भाई की पत्नी सुन लेती है | सुरवीर की पत्नी का नाम है मधु |

      कही इन दोनों के बिच मित्रता से कुछ ज्यादा तो नहीं है ना | देखना पड़ेगा अगर कुछ चल रहा है तो इसका कुछ निर्णय लेना होगा एसे कैसे चलेगा ... सुरवीर की पत्नी मधुने मन ही मन बडबडाते हुए कहा |

      १४ दिन का समय बीतात है |

      जादवा सदन के आँगन में मानसिंह जादवा और सुरवीर खड़े थे और दोनों के बिच कुछ संवाद चल रहा था |

      सुरवीर यह अफसर अभी तक वीर की मृत्यु की बात को लेकर कोई समाचार क्यों लेकर नहीं आया | कही हमारे ज्यादा काम में होने के कारण उसने इस कॅश पर ध्यान देना ही बंद नहीं कर दिया ना क्योकी भले ही यह अकस्मात हो पर मुझे पुरा सच जानना है की कैसे हुआ और क्या थी वजह ... मानसिंह जादवा ने अपने बेटे सुरवीर से कहा |

      बापुजी में देखता हु और जल्द से जल्द उसकी मुलाकात आप से ही करवाता हु ... सुरवीर ने कहा |

      उसे यही पर लेकर आ मुझे पुलिस थाणे नहीं जाना चुनावी समय है अगर में वहा बार बार जाउंगा तो मीडिया तरह-तरह की बाते बनाना शुरू कर सकती है | एक बार यह वीर का कुछ समझ आ जाए तो मैं चुनाव में खड़े होने का एलान कर दु ... मानसिंह जादवा ने कहा |

      जी बापुजी हम जल्द से जल्द इसका निपटारा कर देंगे ... सुरवीर ने कहा |

      वीर के तिन दोस्त थे वो मितेश, पवन और विष्णु वो क्यों वीर के मृत्यु के बाद कही दिखाई नहीं दिए कही वीर के मौत के कुछ वक्त पहले उनके बिच कोई घटना तो नहीं हुई है ना ... मानसिंह जादवा ने अपने बेटे के साथ वीर की मृत्यु की चर्चा करते हुए कहा |

      हो सकता है ... सुरवीर ने कहा |

      सुरवीर अपने पिता के सामने ज्यादा कुछ बोलता नहीं था | वो अपने पिता की मर्यादा का हर वक्त पालन करता था |

      उन तीनो को ढूढ़ के हमारे पास ले आओ हमें जानना है की वीर के आखरी पलो में कुछ घटित तो नहीं हुआ था ना क्योंकी हमारा मन वीर की मृत्यु को लेकर बार बार विचलित रहता है ... मानसिंह जादवा ने सुरवीर से कहा |

      में लाता हु और आपकी PI भवानी सिंह से भी बात करवाता हु ... सुरवीर ने जाते हुए कहा |

      इतना बोलकर सुरवीर वहा से चला जाता है और मानसिंह जादवा अभी भी अपनी जगह पर खड़े होकर कुछ ना कुछ सोच रहे थे |

      इस तरफ अंश को लेकर उसके तीनो दोस्त काफी परेशान थे | मानसिंह जादवा की पुरानी हवेली के ठीक पीछे अंश अपनी मोटर-साईकल खड़ी करके अपने दोस्तों के इंतजार में बेठा हुआ था | तीनो दोस्त एक मोटर-साईकल पे सवार होके अंश की और आ रहे थे अशोक मोटर-साईकल चला रहा था बिच में पराग बेठा था और पीछे चिराग और तीनो के बिच कुछ बाते चल रही थी |

      यार यह अंश को हो क्या गया है यह हर रोज यहाँ पर आकर बैठ जाता है और शाम तक बैठा रहता है ... पराग ने कहा |

      पता नहीं चल देखते है ... चिराग ने कहा |

      तीनो अंश के पास पहुचते है और अशोक की मोटर-साईकल का स्टैंड चढ़ाकर अशोक और चिराग उसके उपर बैठ जाते है और पराग रह जाता है |

      अबे सालो में कहा बेठुंगा ... पराग ने कहा |

      मेरी गोदी में आकर बैठ जा एसा कर ... अशोक ने पराग की मजाक उड़ाते हुए कहा |

      बिठाना उस भीड़ा गाव वाली को जा अभी कुछ दिन में फिर से तेरा बाप उस बात पर आने ही वाला है उस दिन साला तु भी गिदगिड़ायेगा मेरे सामने तब में भी कहूँगा पहले गोदी में बैठ जा ... पराग ने अशोक की दुखती नश पकड़ते हुए कहा |

      एसा कर अपनी गुटखा यहाँ पर थूककर उसके उपर बैठ जा वरना खड़ा रे वही पर या तो अंश की मोटर-साईकल पे बैठ जा ... चिराग ने कहा |

      तीनो के बिच जब बात चल रही थी तब अंश कुछ सोच में पड़ा हुआ था जिस वजह से अंश का अपने तीनो दोस्तों की बातो में ध्यान ही नहीं था |

      हा यह सही है | अंश चल अपनी बाईक को डबल स्टैंड पे ले ले ... अंश के पास जाकर पराग ने कहा |

      तुझे बेठना नहीं है तुझे आज मेरे साथ कही पर चलना है ... अंश ने कहा |

      कहा जाना चल चलते है पर इन दोनों सालो को यही पर रहने देना ... पराग ने कहा |

      बिलकुल आप दोनों यही पर रुको और देखो कही कोई आ ना जाए में और यह गुटखा हम दोनों हवेली के अंदर होकर आते है ... अंश ने एसी बात कही जिससे तीनो दोस्तों की फटती थी |

      अंश के बोलने के तुरंत बाद थोड़ी देर तक तो पराग को बात समझ नहीं आई और उसने अंश की हां में हां मिलाई पर जैसे ही उसके दिमाग की बत्ती जली |

      हा सालो रहो यही पर हम जाते है ...क...कहा बोला बे तु इसके अंदर अबे तुझे जाना है तो जा में नहीं आउंगा साला जहा मरना है वहा मुझे ले जाता है और जहा मोज करनी होती है वहा पर इन दोनों को ले जाता है | देख भाई में नहीं आ रहा और तु भी मत जा ... पराग ने अंश से थोड़ी दुर चिराग की बाईक के पास जाकर निचे जमीन पर बेठते हुए कहा |

     अबे क्या बोल रहा है तु और तुझे हो क्या गया है उस वीर की मौत के बाद बड़ा ही अलग तरह का व्यवहार करने लगा है तु सबके साथ ... चिराग ने कहा |

     अबे यह मानसिंह जादवा की हवेली है यहाँ पर उनके सारे काले और गुंडागर्दी वाले काम होते है | आज तक किसीने भी इस हवेली में जानेकी कोशिश नहीं की है और तो और यह १५० एकड़ में फेली हुई है मतलब पुरे जंगल जितनी बड़ी है और अंदर जाकर तु करेगा क्या ... अशोक ने अपने दोस्त को समझाते हुए कहा |

     मुझे कुछ नहीं हुआ है में जैसे तुम लोगो की मदद करता आ रहा हु वैसे ही मुझे दिव्या की भी मदद करनी है | मानकाका ने दिव्या को इसी हवेली में बंद करके कुछ महीनो तक रखा है फिर समय होते ही उसे यहाँ से किसी मंदिर सेवा के लिए और ब्रह्मचर्य का पालन करने भेज दिया जाएगा बिना उसकी मरजी के और क्या उसका अपना कोई जीवन नहीं है उसके भी कुछ सपने तो होंगे ना ... अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

     यार अंश हम हर एक की मदद नहीं कर सकते | अगर गाव की कोई लड़की भी भाग जाती है तो उस लड़की को उसको भगाने वाले को और उनके मददगार को सबको मानसिंह जादवा और यह गाव वाले मिलकर जला देते है तो तु सोच तु तो उसी के बेटे की विधवा से मिलने जा रहा है और वह भी यहाँ के विधवा होने के रिवाज को तोड़ने के लिए | अबे वो तुझे भी लटकायेंगे और साथ में हमें भी और सारे गाव के सामने मार डालेंगे | इन लोगो को अपनी बहु पर तरस नहीं आया तो सोच हमारा क्या हाल होगा इससे अच्छा है तु वीर की पत्नी दिव्या को अपने दिमाग से निकाल दे ... चिराग ने अपने दोस्त को सही से समझाते हुए कहा |

     मुझे नहीं पता पर मेरा दिल बार बार उसकी मदद के लिए मुझे उकसा रहा है और अगर हम पढ़े लिखे लोगोने ही एसे रिवाजो के लपेटे में सजा काट रहे लोगो को नहीं निकाला तो इन लोगो की मदद कौन करेगा | कल और भी औरते विधवा होंगी तो हम क्या उनके साथ भी एसा ही होने देंगे | क्या चिराग तुम चाहोगे की तुम्हारी मौत के बाद तुम्हारी पत्नी के साथ एसा व्यवहार किया जाए ... अंश ने अपनी तकलीफ सबको समझाते हुए कहा |

     में कहा कह रहा हु की तुम्हारी बात गलत है पर मेरा कहना इतना ही है की यह लोग हमारी बात समझेगे नहीं और सीधा हमें सजा का फरमान दे देंगे ना तो हम उनके सामने लड़ सकेंगे क्योकी हम उनके जितने ताकतवर लोग तो है नही ... चिराग ने अंश से कहा |

     सही बात है पर मुझे दिव्या को इस दलदल से निकालना है और साथ ही साथ मुझे इस गाव की सोच को भी बदलना है क्योकी अगर इंसान अपनी गलत सोच को नहीं मिटाता तो एक दिन वही गलत सोच इंसान को मिटा देती है ... अंश ने बहुत ही महत्वपूर्ण बात बोलते हुए कहा |

     हां मगर कैसे ... अशोक ने कहा |

     वही तो सोचना है पर पहले मुझे दिव्या को इस दलदल से निकालना है और बाद में यह सब मुझे अंदर जाना है आपको साथ देना है तो आपकी मरजी और नहीं देना है तो भी आपकी मरजी ... अंश ने अपना निर्णय बताते हुए अपने दोस्तों से कहा |

     ठीक है यार साथ ना निभाने की बात को कभी आई ही नहीं है और ना कभी आएगी चलो मरना तो तय है साथ में मरेंगे ... चिराग ने कहा |

     अबे क्यों मरना है हम जो भी करेंगे छुपकर करेंगे ना ... अंश ने कहा |

     फिर भी यह बहुत ही साहसिक काम तो है भाई ... अशोक ने अपने मित्र अंश से कहा |

     जो होगा देख लेंगे चलो ... पराग ने कहा |

     ठीक है तो हम कल सुबह जल्दी ५ बजे जायेगे जिससे किसी के आने का खतरा ना हो ... अंश ने कहा |

     चारो दोस्त मिलकर उस हवेली में घुस ने का तय करते है और साथ ही साथ पुरानी सोच से लड़ने की भी तैयारी दर्शाते है पर कहते है ना बोलना और करना दोनों में बहुत फर्क होता है |

     जादवा सदन में,

     जादवा सदन में मानसिंह जादवा के कहने पर भवानी सिंह उन्हें मिलने के लिए आया हुआ था और दोनों के बिच वीर के अकस्मात को लेकर बात-चित हो रही थी |

     वीर को गए आज १४ दिन हो गए लेकिन ठाणे से अभी तक उसका अकस्मात कैसे हुआ इसके कोई समाचार नहीं मिले है | आप लोगो से हो पाएगा या हम को खुद सब पता करना होगा ... मानसिंह जादवा ने प्यार से भारी धमकी देते हुए कहा |

     अरे जादवा साहब आप भी कैसी बात करते है हमारे रहते आपको यह सब करने की क्या जरुरत है | हम ने वीर की अकस्मात को लेकर सारी कागजी और पुछ्ताज प्रक्रिया शुरू कर दी है ... जान बुझकर कागजी शब्द का उपयोग करते हुए भवानी सिंह ने कहा |

     आपको नहीं लग रहा सबकुछ बहुत धीमे हो रहा है ... मानसिंह जादवा ने कहा |

     धीमे होने के दो कारण है जादवा साहब एक तो चुनावी माहोल होने के कारण नेता लोगो की रेलियो से कहा छुटकारा मिल रहा है | रोज उनकी सुरक्षा करते करते थक जाते है जादवा साहब और दुसरा एक कारण यह भी है जो आपके घर में अब तक महेमानो की भाग-दोड रहने के कारण मैंने आपको बताया नहीं की वीर जब मृत अवस्था में कार में से मिला तो उसके साथ शराब की बोटल भी मिली थी और उसने पी भी रखी थी तो एसा भी हो सकता है की उसकी कार का बैलेंस शराब के नशे में होने के कारण बिगड़ गया हो और एसा नहीं भी हो सकता है लेकिन शक्यता तो है जादवा साहब ... धीरे धीरे मानसिंह जादवा को अपने सिकंजे में लेने की कोशिश करते हुए भवानी सिंह ने कहा |

     उसने शराब पी रखी थी और आपने यह बात सरकारी कागज पे चढ़ा दी है ... मानसिंह जादवा ने अपने बदनामी के डर से कहा |

     ना ना जादवा साहब हम एसा कैसे कर सकते है हमें भी तो आपकी छत्रछाया में रहेना है ... भवानी सिंह ने चहरे पे आसुरी मुस्कान लाते हुए कहा |

     अफसर इस कॅश को ही आप सरकारी कागजो से हटा दो और हमारे लिए आप इस अकस्मात के कॅश को सोल्व करो पर पर्सनल लेवल पर इसमें कानून भी हम और जज भी हम जो होगा वो हमें बता दो की क्या कैसे हुआ और आप का कार्य समाप्त ... मानसिंह जादवा ने भवानी सिंह से कहा |

     कर तो दे जादवा साहब पर यह बहुत रिस्की है और हम एसे रिस्की काम करते नहीं है ... अपनी बातो से पैसो की तरफ इशारा करते हुए भवानी सिंह ने कहा |

    आपको इसके लिए ५००००० रुपये मिल जायेंगे पर पहले काम पुरा कर दीजिए और हा कुछ एडवांस आपके टेबल पर कल हमारा आदमी आकर देकर जाएगा पर ख्याल रहे यह शराब वाली बात बहार नहीं आनी चाहिए अगर हमारी बदनामी इस बात के कारण हुई तो हम आपको भी नहीं छोड़ेंगे ... मानसिह जादवा ने एक PI अफसर को धमकी देते हुए कहा |

    भवानी सिंह इस धमकी भरे शब्द सुनकर कुछ देर चुप से हो जाते है और कुछ सोचने लगते है |

    अरे आप चिंता ना करे हम आपकी अच्छी खिदमद ही करेंगे भरोसा रखिये हम पर और हां जादवा साहब कुछ एसे सबुत मिले है जो इस अकस्मात को मर्डर की तरफ इशारा कर रहे है पर अभी तक पक्का नहीं कह सकते तो बाद में सारी तहकीकात करके आपको बताते है | ठीक है चलिए जय माताजी ... जाते हुए भवानी सिंह ने कहा |

    जय माताजी ... मानसिंह जादवा ने भी सामने कहा |

    सवाल कई थे की क्या सच में हो सकता है की वीर का अकस्मात ना हुआ हो और हत्या हुई हो पर कैसे ? क्या अंश और दिव्या के बिच कोई पुराना सबंध है ? चुनावी लड़ाई और अंश और दिव्या की प्रेमगाथा कैसे जुड़ेगी और क्या चार दोस्त मिलकर गाव की सोच को बदल सकेंगे ? क्या होगा ख़ुशी और अंश के रिश्ते का अगर हो गया अंश और दिव्या में प्रेम  ? सारे सवालों का एक ही उत्तर की पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के आने वाले सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY

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