हमने दिल दे दिया - अंक ३५ VARUN S. PATEL द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हमने दिल दे दिया - अंक ३५

अंक ३५ अंश और गोपी की प्रेमकथा

   अच्छा अच्छा सॉरी बाबा सॉरी मुझे माफ़ कर देना तुम को कोई ग़लतफहमी हो गई है यह डायरी और इस डायरी में लिखी हुई सारी बाते मेरी नहीं है किसी और की है जैसे यह तुमको मिली थी वैसे ही तुम्हारे पहले मुझे | पढ़ा मैंने सब इस डायरी में जो लिखा है वो बहुत प्यार करती है तुम से और जैसा तुम्हारे बारे में लिखा है अगर तुम वैसे ही हो तो मुझे भी तुम से प्यार हो जाएगा यार सच में तुम एसे इंसान हो ...गोपी ने डायरी का सच बताते हुए कहा |

     क्या मतलब यह डायरी तुम्हारी नहीं है बाप रे बाप मै यह समझकर तुम्हारे पीछे यहाँ तक आ गया और साला दो रात से सोया नहीं यह समझकर की तुम मुझ से प्यार करती हो और इस चक्कर में शायद में भी करने लगा तुम से यार ...अपने शिर पर दोनों हाथ रखते हुए अंश ने कहा |

     कमाल है यह डायरी अंश इसने हम दोनों को लटका दिया पर अब सवाल यह उठता है की यह डायरी है किसकी उसको ढूढना होगा और उसे यह लौटानी होगी क्योकी इसमें उसकी पर्सनल बाते लिखी हुई है यार ...गोपी ने अंश से कहा |

     हा यार यह तो है हमें इसे कुछ भी कर के लौटना ही होगा ठीक है तो फिर एसा करो अभी तुम्हारे पास ही रखो जब तुम स्कूल आओगी तो साथ लेते आना और लडकियो से पूछ लेना क्योकी में पुछू इससे अच्छा है की तुम ही पुछो... अंश ने गोपी से कहा |

    हा ठीक है यह जिम्मेवारी मेरी कही अगर तुम्हारी जरुरत होगी तो में तुम्हे बताउंगी ठीक है ... गोपी ने कहा |

    अच्छा तो ठीक है फिर में चलता हु यहाँ से और क्या ... अंश ने गोपी से कहा |

    तुम्हारा तो दिल तूट गया होगा ना अंश किसी और लड़की के पीछे आकर ...गोपी ने कहा |

    नहीं इतना भी नहीं क्योकी एसी बातो से मन में ख्याल आते है की कौन होगी और कैसी होगी बाकी तो जो होता है वो तो मिलने के बाद ही होता है ना और एसा थोड़ी है की जिसने यह लिखा है उससे प्यार हो ही जाए क्योकी वो अगर ठीक इंसान ना निकले तो नहीं भी हो सकता ...अंश ने गोपी से कहा |

    हा यह बात भी सही है ...गोपी ने अंश से कहा |

    वो छोडो तुम मुझे यह बताओ की तुम्हे कही मेरे बारे में यह सब पढ़कर मुझ से तो प्यार नहीं हो गया ना क्योकी जैसे मुझे हो सकता है वैसे तुम्हे भी तो हो सकता है ...अंश ने गोपी से कहा |

    नहीं यार मेरा जवाब भी वही रहेगा जो तुम्हारा था ...गोपी ने अंश से कहा |

    चलो तो फिर में चलता हु ...अंश ने कहा |

    हा ठीक है कोई बात नहीं में तुम्हे बताती हु फिर स्कूल आकर की किसकी है यह डायरी ...गोपी ने कहा |

    ok byy ...अंश ने अपनी जगह से उठकर बहार जाने वाले ख़ुफ़िया रास्ते की और जाते हुए कहा |

    ok byy ...गोपी ने कहा |

    अंश थोडा आगे जाता है और फिर रुकता है और फिर से गोपी को पीछे मुडकर सवाल करता है |

    अच्छा गोपी यह बताओ की तुम इस दीवार को लांघकर कहा जा रही थी ...अंश ने गोपी से कहा |

    वो में बहार छुपकर अपनी सहेली के वहा जा रही थी क्योकी यहाँ पर अकेली बैठकर बोर हो रही थी क्योकी ना मुझे यहाँ पर कुछ छूने की छुट है और ना ही आराम के अलावा कुछ करने की ...गोपी ने कहा |

    हं ठीक है ...अंश ने गोपी से कहा |

    देखो में कोई अलग मतलब से नहीं बोल रहा हु लेकिन तुम चाहती हो तो में यहाँ तुम्हे कंपनी देने के लिए रुक सकता हु ...अंश ने गोपी से कहा |

    गोपी से मिलने के बाद अंश गोपी से प्रभावित होने लगा था और गोपी उसे पसंद आने लगी थी क्योकी डायरी के माध्यम से वो पिछले एक दो दिनों से था तो गोपी के ही पीछे लेकिन गोपी अभी भी अंश में कुछ ख़ास रूचि नहीं रखती थी | गोपी ने गुजरी रात को डायरी जरुर पढ़ी थी लेकिन वो अभी भी अंश से ज्यादा कुछ प्रभावित हुई नहीं थी |

    नहीं नहीं अभी वैसे भी मेरा बहार जाने का मन नहीं है और ना ही कुछ भी करने का मन है | मुझे अब बस सोना है और कुछ नहीं तो तुम जा सकते हो और हा इस मदद की ऑफर के लिए तुम्हारा सुखरिया ...गोपी ने अंश से कहा |

    ठीक है तो फिर में निकलता हु और बाद में तुम बताना की क्या हुआ इस डायरी का ...अंश ने गोपी से जाते हुए कहा |

    जैसे अंश छुपते छुपाते आया था वैसे ही अंश वापस चला जाता है और किसी को इस बात की भनक भी नहीं लगती है |

    फिर में गोपी के घर से वापस आ गया और उस दिन तो में बहुत परेशान हुआ एक तो मेरे पास मोटर-साईकिल नहीं था और दुसरा गलत लड़की के पीछे जा चूका था | यह सब हुआ उस वजह से उस लड़की से मिलने की इच्छा भी लुप्त हो चुकी थी | फिर एक और दिन गोपी स्कूल नहीं आई और उसके बाद गोपी ने फिर से स्कूल आना शुरू किया और में और गोपी हम ब्रेक टाइम में केंटिंग में मिले और हमारे बिच वहा फिर से इस डायरी को लेकर संवाद छिड़ा |

    क्या हुआ गोपी तुमने किसी से पूछा इस डायरी की बारे में कौन है कुछ पता चला ...अंश ने गोपी से कहा |

    यार अंश तु कैसा लड़का इस डायरी में तो तेरी बड़ी तारीफे हो रही है और एक तु है की लड़की से केंटिंग में मिला है और बिना कोई कॉफी या नास्ते के बारे में पुछे बिना सीधे काम की बातो पर लग गया ...गोपी ने कहा |

    अरे हा यार सॉरी मुझे ना इस डायरी वाली ने परेशान कर दिया है और उसमे भी मैंने कल टीवी में एक प्रसारण देखा जिसमे एसे ही एक लड़की एक लड़के के पीछे पागल थी और उस लड़के को किसी दुसरी लड़की ने प्रपोझ कर दिया तो उस पागल लड़की ने प्रपोझ करने वाली लड़की का खून कर दिया यार ...अंश ने गोपी से कहा |

    अरे अंश तु क्यों इतना गभरा रहा है वो सब टीवी में होता है असल जीवन में एसा नहीं होता है और तु चिंता ना कर हम उसे ढूढ़ लेंगे ...गोपी ने कहा |

    भगवान करे तु बोल रही है वैसा ही हो वरना खामखा में किसी चक्कर में पड़ जाऊंगा ...अंश ने गोपी से कहा |

    अभी तु कुछ मंगवा रहा है या में कुछ बोलू ...गोपी ने अंश से कहा |

    हा हा में मंगवाता हु तुम रहेने दो | ओह भैया दो कॉफी और नास्ते में आज जो भी आपका बेस्ट है वो ब्रेड वगेरा वो दे दो ...अंश ने गोपी और केंटिंग के कर्मचारी से कहा |

    केंटिंग का कर्मचारी नास्ता लेकर आता है और अंश और गोपी के टेबल पर रखता है |

    अच्छा अभी तु यह बता की तु उस लड़की को ढूढेगी कैसे ...अंश ने कॉफी पीते हुए कहा |

    सबसे पहेले तो में अपने लडकियो के ग्रुप में पुछ्ताज करती हु बाद में देखते है और क्या किया जा सकता है ...गोपी ने कहा |

    गजब है यह डायरी यार एक तो जो मुझे प्यार करती है उसका पता नहीं है और एक में उससे प्यार नहीं करता और आज कल में एक लड़की से रोज रोज बाते कर रहा हु पर मुझे यह पता नहीं है की वो मेरी अभी दोस्त है या नहीं ...अंश ने चालाकी के साथ कहा |

    अंश तुम इतने तो फुद्दू नहीं हो सकते जितना में समझ रही हु ...गोपी ने कहा |

    क्या मतलब ...अंश ने गोपी से कहा |

    गोपी अपनी प्लेट से ब्रेड उठाती है और कॉफी के साथ खाने की बातो के साथ शुरुआत करती है |

    मतलब यह की मुझे तुम्हारे साथ दोस्ती करने में इंटरेस्ट नहीं होता तो में तुम्हारी मदद क्यों करती इस डायरी वाली को खोजने में यार | मेरा क्या लेना देना है इससे ...गोपी ने अंश से कहा |

    मतलब हम दोनों दोस्त है ...अंश ने गोपी से कहा |

    यार मुझे नहीं लगता की इस डायरी में तुम्हारे बारे में लिखा हुआ है तुम तो एक दम फुद्दू हो ...गोपी ने अंश से कहा |

    यार मेरे ख्याल से तुम भी मुझे फुद्दू नहीं लगती तो एसा क्यों कर रही हो ...अंश ने गोपी से कहा |

    क्या मतलब है अभी तुम्हारा इस बात से ...गोपी ने अंश से पूछा |

    मतलब की तुमने मुझ से युही तो दोस्ती कर नहीं ली है मुझ में कुछ देखा है तभी तो तुमने इतनी आसानी से मुझ से दोस्ती की है तुम ने कोई डायरी वायरी पढके तुम किसी के प्यार में पड़ जाओ एसी तुम मुझे लगती नहीं हो ...अंश ने गोपी से कहा |

    वाह अंश बाबा वाह वाकई में है आप में दम है ...अंश को चिड़ाते हुए कहा |

    अभी मुझे चिड़ाना बंद करो और इस चिड़िया को ढूढो जो मेरी जमीन पर बिना मुझे बताये अपना घोसला बना रही है ...अंश ने गोपी से कहा |

    चल अभी तु यह चिंता छोड़ में क्लास में जा रही हु वहा जाकर इसके बारे में पता लगाती हु बाकी की बात हम क्लास के बाद सोचेंगे ठीक है ...गोपी ने अंश से कहा |

    ठीक है by ...अंश ने गोपी से कहा |

    तुम क्लास में नहीं आ रहे हो ...अंश ने गोपी से कहा |

    नहीं यार वो विज्ञानं वाले का क्लास है साला मेरे पीछे पड़ा रहेता है मुझे नहीं आना है ...अंश ने गोपी से कहा |

    नहीं आने का क्या मतलब है यार यह कॉलेज थोड़ी है यहाँ पर अगर किसीने देख लिया तो बात तुम्हारे पिता तक जा सकती है ...गोपी ने अंश से कहा |

    मुझे यहाँ कोई नहीं देखेगा यह केंटिंग वाले अपने दोस्त है और कोई सर यहाँ पर आते नहीं है ...अंश ने कहा |

    नहीं तुम चलो जल्दी से उठो और मेरे साथ क्लास में चलो ...गोपी ने अंश का हाथ पकड़ते हुए कहा |

    अरे हाथ छोडो वरना सब गलत समझ लेंगे ...गोपी ने कहा |

    मुझे ओरो की नहीं पड़ी है तुम जल्दी से उठो और चलो अभी के अभी ...गोपी ने कहा |

    हाय तेरी इसी अदा पे में मर जाऊंगा किसी दिन गोपी तेरा कही में कान्हा ना बन जाऊ किसी दिन ...सायरी बोलते हुए अंश ने कहा |

    बस अब यह सायरी मारना बंद कर और चल क्लास में ...गोपी ने अंश को वहा से उठाते हुए कहा |

    तो कुछ इस तरह में और गोपी दोस्त बन चुके थे और धीरे धीरे हम दोनों एक दुसरे के नजदीक आ रहे थे | वो डायरी वाली लड़की तो हमें नहीं मिल रही थी लेकिन हम दोनों की दोस्ती उसकी वजह से गाढ़ से ज्यादा गाढ़ होती जा रही थी | क्लास के बाद हम दोनों स्कूल के पीछे वाले हिस्से में मिले जहा अक्सर कोई आता जाता नहीं था |

    मिली क्या वो लड़की ...अंश ने गोपी से कहा |

    नहीं यार नहीं मिली पता नहीं वो जानबूझकर यह डायरी नहीं ले रही है या कुछ और है या तो वो आज कल स्कूल आ भी रही है या नहीं पता नहीं पर हमें कुछ और सोचना होगा इसके बारे में अंश ...गोपी ने अंश से कहा |

    सही बात है और तो और एक बात तो यह भी है की वो अगर मुझ से प्यार करती है तो वो मुझ से ज्यादा दुर नहीं रहे शक्ति गोपी कुछ तो एसा करना होगा जिससे वो हमारे हाथ लग जाए ...अंश ने गोपी से कहा |

    एसा करते है की हम लोग एसी अफवा फैलाते है की तु मुझे प्रपोझ करने वाला है आने वाले वैलेंटाइन डे को और उस अफवा को सुनकर वो अपना कुछ तो रिएक्शन देगी अंश ...गोपी ने कहा |

    वाह गोपी वाह क्या बात है ...अंश ने गोपी की झूठी तारीफ करते हुए कहा |

    है ना मस्त प्लान ...गोपी ने कहा |

   तु बचपन से ही दिमाग की गरीब थी या अभी ही हुई है क्या मस्त प्लान है | गांडी (पागलो) जैसा प्लान है तेरा | यह स्कूल जनमावत तालुके में है अगर यहाँ के और हमारे लोगो का इस प्रपोझाल के बारे में पता भी चला ना या प्रपोझाल किया भी ना तो हमें जिंदा किसी पेड पे लटका देंगे ...अंश ने थोडा सा चिल्लाते हुए कहा |

   हाय वो तो सबसे सही है क्या अमर प्रेम कहानी होगी हमारी ...हसते हुए गोपी ने कहा |

   गोपी और अंश गोपी की इस बकवास बात के बाद जोर जोर से हसने लगते है |

   सच में तु पागल है यार सच में ...अंश ने गोपी से कहा |

   क्या करे यार इस जंगल में जीवन ख़ुशी से जीना है तो पागल ही बनना पड़ता है ...गोपी ने कहा |

   चल अभी वो सब छोड़ और यह ढूढ़ की उस लड़की को खोजा कैसे जाए ...अंश ने गोपी से कहा |

   हम दोनों अलग अलग नुस्खे उस लड़की को ढूढने के लिए अपनाते गए और इस बिच हमारे बिच कई सारी बाते हुई कुछ उसके परिवार को लेकर और कुछ मेरे परिवार को लेकर | हम इस डायरी की वजह से बहुत समय साथ में गुजारने लगे और वो धीरे धीरे मेरे दोस्तों में सामिल हो गई और फिर छुपके से फिल्मे देखने जाना और घूमना हम बहुत सरारते करते थे | वो जीवन को बहुत अलग तरीको से देखती थी और धीरे धीरे पता नहीं कब हम दोनों एक दुसरे के रंग में रंग गए और हमें एक दुसरे से प्यार हो गया और हम उस डायरी और उस डायरी वाली लड़की दोनों को ही भुल गए और पता नहीं अचानक ही वो डायरी एक दिन गोपी के बेग से गायब हो गई उसे किसी ने चुरा लिया एसा हमें लगने लगा पर फिर दुसरे दिन हमें गोपी की बेग से एक चिठ्ठी मिली जिसमे लिखा था की डायरी जिसकी थी उसके पास पहुच गई है आप को तकलीफ देने के लिए माफ़ी |

   हम ने फिर से उसे बहुत खोजा लेकिन कही नहीं मिली और फिर हमने डायरी को भूलने के बारे में तय किया क्योकी हम नहीं चाहते थे की उस डायरी की वजह से हमें हमारे रिश्ते में कल जाकर कोई फ़ूड पड़े |

   हम को एक दुसरे से बहुत लगाव हो गया था | हम एक दुसरे से जान से भी ज्याद प्यार करने लगे थे और यह मेरे दोस्त पराग, चिराग और अशोक को अच्छे से पता था और इसलिए उन्होंने हमें भाग कर शादी करने की सलाह भी दी पर हम उतने भी बड़े नहीं हुए थे की हम भागकर शादी कर सके इस वजह से हमने तय किया की जब हमारी उम्र १८ साल हो जाएगी तो तब हम भागकर शादी कर लेंगे लेकिन उससे पहले ही मानसिंह जादवा ने कुछ एसा कदम लिया जिससे हमारी जिंदगी मातम में बदल गई ...अंश ने अपनी दास्तान का अंत सुनाने की शुरुआत करते हुए कहा |

    मेरे ससुर उनके तो तुम्हारे जीवन पर कई सारे उपकार है फिर उन्होंने तुम्हारे प्रेम जीवन का अंत कैसे लिखा एसा क्या हुआ था जिससे गोपी की मृत्यु हो गई और तुम्हारी प्रेमकथा पुर्ण हो गई ...अंश की प्रेमकथा सुन रही दिव्या ने सवाल करते हुए कहा |

TO BE CONTINUED NEXT PART...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY