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हमने दिल दे दिया - अंक २२

अंक २२. ख़ुशी और अंश 

    सारे दोस्त और ख़ुशी देर रात तक दिव्या के साथ बैठने के बाद वहा से घर जाने के लिए निकलते है | सुबह के लगभग लगभग ४ बज चुके थे और इस तरफ जादवा सदन में मधु भाभी हर बार की तरह इस बार भी सुबह के ४ बजने के कारण जग चुके थे और ख़ुशी के कक्ष की और से गुजर रहे थे जहा उनकी नझर ख़ुशी के कक्ष की खिड़की पे पड़ती है जहा उन्हें ख़ुशी अपने बेड पर नहीं दिखती जिस वजह से उनके मन में कई सारे सवाल उठते है और वो अंदर कक्ष में देखने के लिए जाते  है की ख़ुशी कहा पर है | अंदर जाकर देखते है पर ख़ुशी उन्हें कही पर भी नहीं दिखाई देती फिर उनके दिमाग में एक और ख्याल आता है की शायद ख़ुशी उपर छत पर अंश से फोन पर बाते करने के लिए गई होगी | मधु भाभी यह सोचकर छत पर देखने के लिए जाते है जहा उन्हें सीढ़िया चढ़ते हुए दीखता है की छत का दरवाजा खुला है और उनका यकीन सच में बदल जाता है की नक्की ख़ुशी उपर छत पर बैठकर अंश के साथ बाते कर रही होगी पर सच कुछ अलग था जो आज मधु भाभी को पता चलने ही वाला था |

    मधु भाभी छत पर जाती है और देखती है तो ख़ुशी छत पर नहीं थी | मधु भाभी छत पर इधर उधर चलकर देखती है तो ख़ुशी उन्हें निचे अंश के मोटर-साईकल से उतरती हुई दिखती है | अंश ख़ुशी को उसके घर के पीछे उतारके चला जाता है | अभी तक दोनों में से किसी को भी पता नहीं था की मधु भाभी ने उन्हें साथ में इतनी सुबह में देख लिया है जो अच्छी बात नहीं है | ख़ुशी जैसे वापस जादवा सदन की छत पर जाती थी वैसे ही जाती है और जैसे ही छत पर पहुचती है तो सामने अपने भाभी को खड़े पाती है | अपनी भाभी को देखकर ख़ुशी गभरा जाती है और चुप-चाप उनके सामने आकर खड़ी रहे जाती है |

    भाभी आप ...ख़ुशी ने हिचकिचाहट के साथ कहा |

    ख़ुशी मेरा यहाँ होना चौकने वाली बात नहीं है पर तुम जहा से आ रही हो वो बड़ी चौकने वाली बात है कहा थी तुम ...ख़ुशी से सवाल करते हुए मधुने कहा |

    भाभी में तो बस निचे गई थी ...ख़ुशी ने कहा |

    देख झूठ मत बोल मैंने तुझे अंश के साथ देखा अभी कही बहार से आते हुए इसलिए जो भी सच है वो बोल दे ...मधु भाभी ने गंभीर सवाल करते हुए कहा |

                   

    भाभी वो में ...में वो ...ख़ुशी के अंदर की गभराहट के कारण उसके बोल लड़खड़ाने लगे थे जो ख़ुशी के झूठ को पकड़ाने का कारण बनने वाले थे |

    देख ख़ुशी जो भी है सच बोल दे में किसी को भी नहीं बताने वाली क्योकी तु जानती है हमारे समाज में दिन में भी किसी लड़के के साथ घुमना कितना गलत माना जाता है और तु रात को जा रही है मतलब समझ सकती है अगर बापूजी ने एक बार भी तुम दोनों को देख लिया ना तो दोनों को मार देंगे तु जानती है ख़ुशी इसलिए सच बता ...मधु भाभी ने कहा |

    भाभी वो कुछ नहीं में अंश के साथ फिल्म देखने के लिए गई थी फिर सब देर रात तक बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और इसमें मेरी कई सारी कॉलेज की दोस्त भी सामिल थी ...ख़ुशी ने एक बार फिर अपनी भाभी से झूठ बोलते हुए कहा |

    ख़ुशी जान बुझकर अपनी भाभी से झूठ बोल रही थी क्योकी वो जानती थी की भले ही भाभी सबकुछ अपने पिता को ना बताये लेकिन सुरवीर से जरुर कहेगी और अगर यह बात सुरवीर को पता चल जाए की अंश और ख़ुशी दोनों मिलकर वीर की विधवा के पास जा रहे है तो यह बात तो शायद सुरवीर भी पसंद नहीं करेंगे और बिना बात का बड़ा फतेजा हो जाएगा और ख़ुशी इस बात को सबसे छुपकर ही रखना चाहती थी |

    देख ख़ुशी जो भी है तु बस मुझे हमारी कुल देवी की कसम खाकर बोल की तुम्हारे और अंश के बिच कुछ भी एसा-वैसा हुआ तो नहीं है ना ...भाभी ने ख़ुशी को कसम देते हुए कहा |

    जादवा परिवार अपने कुलदेवी माँ में बहुत मानते थे और वे लोग चाहे कुछ भी गलत कर लेंगे पर कभी भी जादवा परिवार का एक भी सदस्य कुलदेवी मा की झूठी कसम कभी नहीं खाएगा |

    भाभी आप यह क्या बात कर रही है में आपको एसी लगती हु और अंश आपको एसा लगता है | अरे जादवा कुल की बेटी हु मुझे अपना मान सम्मान अच्छे से पता है में कभी भी अपने उपर ऊँगली उठे यह कभी नहीं होने दे सकती ...ख़ुशी ने अपनी भाभी से कहा |

    फिर भी मेरी तस्सली के लिए तु कुलदेवी माँ की कसम खाकर बोल की तुम्हारे और अंश के बिच कुछ भी नहीं हुआ है ...मधु ने सवाल करते हुए कहा |

    हा बाबा में कुलदेवी माँ की कसम खाकर बोलती हु की आप जैसा सोच रहे है वैसा मेरे और अंश के बिच कुछ भी नहीं हुआ है और ना कभी होगा | मुझे मेरे चारित्र की रक्षा करना आता है जो चीजे शादी के बाद होती है उसे शादी के बाद ही करना सही होता है उसका मुझे अच्छे से ख्याल है और में किसी और के साथ नहीं अंश के साथ थी भाभी अंश के साथ आप भी आधी रात को जा सकते है क्योकी उसके संस्कार पर मुझे पुरा भरोसा है वो अपनी मर्यादा कभी भी नहीं लांघता और उसे स्त्री की रक्षा और इज्जत दोनों अच्छे से करना आता है ...ख़ुशी ने अंश के बारे में बोलते हुए कहा |

    में तुम दोनों को गलत नहीं बता रही पर में भाभी हु तेरी में तेरी माता समान हु और हमें तेरी चिंता होना लाजमी है ना ...मधु ने ख़ुशी से कहा |

    में समझती हु भाभी की आपको मेरी चिंता है और में इस बात की कदर भी करती हु और आप ज्यादा चिंता ना करे में एसा कोई भी कदम नहीं उठाउंगी जिससे आपको और भाई को निचा देखना पड़े ...ख़ुशी ने अपनी भाभी को विश्वाश दिलाते हुए कहा |

    मुझे पता है इसीलिए ही मै और तेरे भाई कितने दिनों से तेरे लिए कुछ सोच रहे है बस तेरे उत्तर का इंतजार है ...मधु भाभी ने ख़ुशी से कहा |

    क्या भाभी आप क्या सोच रहे है और मेरे जवाब का इंतजार है मै कुछ समझी नहीं ...ख़ुशी ने कहा |

    यही की तु अंश से प्यार करती है तुम दोनों एक दुसरे को चाहते हो क्या ...मधु ने सवाल करते हुए कहा |

    क्या भाभी आप क्या पूछ रहे है ...ख़ुशी इस सवाल से थोड़ी सी गभराती है |

    देख तु चिंता ना कर मैंने और तेरे भैया ने तुम दोनों के बिच का वो प्यार देखा है अगर तुम दोनों एक दुसरे को चाहते हो तो में नहीं चाहती की गाव की दुसरी औरतो जैसा हाल तुम्हारा हो अगर तुम दोनों एक दुसरे को चाहते हो तो मुझे बता दे तुम्हारे भैया बापुजी से तुम दोनों के रिश्ते की बात करेंगे और उन्हें तो पता भी नहीं चलेगा की तुम दोनों के बिच कुछ था ...मधु भाभी ने सारी बाते सुलझाते हुए कहा |

    मधु भाभी आज वो बात कर रही थी जिसे सुनकर ख़ुशी अंदर ही अंदर बहुत खुश थी क्योकी ख़ुशी अंश से प्यार करती थी लेकिन उसके अंदर भी यह सवाल बार बार आता था की उन दोनों की शादी कैसे हो सकती है पापा और गाव और समाज के रहेते लेकिन सबकुछ बहुत आसानी से होने लगा था एसा ख़ुशी को लगने लगा था | ख़ुशी के सामने एक एसा मौका था जिसे ख़ुशी गवाना नहीं चाहती थी इस वजह से बिना कुछ सोचे ख़ुशी अपनी भाभी को बता देती है लेकिन जो भी बताती है उस मे अंश के साथ कही भी न्याय होता हुआ नहीं दीखता क्योकी अंश ख़ुशी से प्यार नहीं करता था इसके बारे में ख़ुशी ने एक मिनट भी नहीं सोचा |

    हा भाभी यह सच है में उसे बहुत प्यार करती हु और में उससे शादी करना चाहती हु और मुझे नहीं लगता की मुझे उससे अच्छा लड़का कही और मिल सकता है ...ख़ुशी ने एकदम खुश होकर अपने मन की बात अपनी भाभी से करते हुए कहा |

    में जानती हु ख़ुशी की उससे अच्छा लड़का तेरे लिए हमें भी कही नहीं मिल सकता ...अपने दोनों हाथो से ख़ुशी के दोनों हाथ पकड़ते हुए और ख़ुशी के लिए बहुत खुश होते हुए मधु भाभी ने कहा |

    thank you भाभी आपने मेरे मन की बात समझ ली इसलिए ... खुशीने अपने भाभी को खुश होकर कसके गले लगाते हुए कहा |

    अरे अरे बस थोड़ी ख़ुशी तो बाकी रख अपनी सगाई और शादी के लिए सारी ख़ुशी आज ही मना लेगी क्या ...मधु भाभी ने ख़ुशी के चहरे पर ख़ुशी देखते हुए कहा |

    भाभी आपने मुझे वो दिया है जो शायद में कभी भी नहीं पा सकती थी और भैया को भी मेरी तरफ से एक एसी ही झप्पी देकर thank you बोलना ...ख़ुशी ने कहा |

    ठीक है चल अब निचे चलते है वरना कोई उपर आ जाएगा | आज मुझे मौका मिलते ही तुम्हारे भैया को इस बारे में बात कर दूंगी और वो मौका मिलते ही बाबूजी से बात कर लेंगे बाद में जो तय होगा वो देखा जाएगा और हा तब तक तुम अंश से इसके बारे में कोई बात-चित नहीं करोगी ठीक है...मधु ने ख़ुशी से कहा |

    जी भाभी जरुँर ...ख़ुशी ने कहा |

    दोनों छत से उतरकर घर में चले जाते है | मधु भाभी अपने काम में व्यस्त हो जाती है और अपने सपनो के बादल में उड़ रही ख़ुशी अपने कक्ष में चली जाती है | शायद ख़ुशी के लिए आज तक सुबह में इतने अच्छे समाचार कभी भी नहीं मिले होंगे | आज ख़ुशी बहुत ही खुश थी उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था वो अभी से ही अंश के साथ अपनी शादी के सपने देखने लगी थी और सारा कुछ सोचने लगी थी जैसे शादी से लेकर हनीमून और बच्चे तक का सफ़र उसकी आखो के सामने तैर रहा था पर यह समाचार सिर्फ और सिर्फ ख़ुशी के लिए ही ख़ुशी के थे दिव्या और अंश के लिए यह समाचार किसी बुरे सपने से कम नहीं होने वाले थे |

    सुबह के ९:०० बजे | मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा अपनी गाडियों के काफिले के साथ जनमावत पुलिस ठाणे भवानी सिंह के मुलाकात के लिए पहुचते है | दोनों के साथ ढेर सारे लोग भी थे | मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा दोनों अपने आदमी लोगो के साथ पुलिस ठाणे में जाते है | मानसिंह जादवा को पुरे जिल्ले में बच्चा बच्चा जानता था उनके अंदर प्रवेशते ही सारे पुलिस वाले अपनी जगह से खड़े हो जाते है और हवालदार मनसुख भाई आगे आकर मानसिंह जादवा का सद्कार करते है |

    आईए जादवा साहब आईए प्रणाम आप यहाँ पर ...हवालदार मनसुख भाई ने कहा |

    हा वो PI भवानी सिंह से कुछ काम है मुझे तो है क्या वो ...मानसिंह जादवा ने कहा |

    नहीं पर साहब के आने का वक्त हो गया है आप अंदर आईए ना उनके दफ्तर में थोड़ी देर बैठिये में साहब को फोन लगा लेता हु की कहा तक पहुचे तब तक आईए आप यहाँ पर बैठिये ...हवालदार मनसुख भाई ने मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा को भवानी सिंह के दफ्तर में ले जाकर बिठाते हुए कहा |

    मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा दोनों भवानी सिंह के दफ्तर में बैठकर भवानी सिंह के आने का इंतजार कर रहे थे और दोनों के बिच कुछ बातचीत चल रही थी |

    सुरवीर वो हथियार का क्या हुआ | हमको हथियार तो रखने ही होंगे चुनाव लड़ने में काम आ सकते है ...मानसिंह जादवा ने सुरवीर से पूछते हुए कहा |

    वो आ गए है बापु और हवेली में रखवा दिए है आज या कल जब भी आप फ्री हो हम वहा जाकर देख लेंगे ...सुरवीर ने कहा |

    ओय चाय वाला अंदर जाकर जल्दी से दो लोग बैठे है उन्हें चाय देकर आ ...चाय वाले को बोलते हुए मनसुख भाई ने कहा |

    चाय वाला मनसुख भाई की सुनकर अंदर चाय देने के लिए दफ्तर की और जाता है तभी अपनी जगह पर बैठे हुए हवालदार महेंद्र भाई बोलते है |

    रुक ओय चाय वाले तु जा अरे ओह मनसुख भाई वो मानसिंह जादवा साहब है बड़े लोग है वो एसे चाय नहीं पिएंगे उनके लिए कुछ ठंडा लेकर आओ ...महेंद्र भाई ने कहा |

    हा ठीक है में मंगवाता हु तब तक आप साहब को फोन करो अगर ज्यादा इंतजार करवाओगे तो यह लोग ठाणे को जला देंगे ...मनसुख भाई ने बहार कुछ ठंडा पीना लेने जाते हुए कहा |

    मानसिंह जादवा की धाक पुरे जिल्ले में थी हर कोई उनसे डरता था चाहे वो कितना भी पावरफुल इंसान क्यों ना हो सिवाय वनराज सिंह जैसे लोगो के लेकिन मानसिंह जादवा ने एसे लोगो को अपनी राजनैतिक चालो से अपने निचे दबाकर रखा हुआ था |

    थोडा समय बीतता है | मनसुख भाई मानसिंह जादवा और सुरवीर को ठंडा शरबत पिलाते है उतनी देर में भवानी सिंह अपनी सरकारी जिप के द्वारा पुलिस ठाणे पहुचता है और ठाणे के बहार पड़े मानसिंह जादवा के कार के काफिले को देख लेता है |

    इतनी सुबह में यह हरामी यहाँ पर क्या कर रहा है ...अपनी जिप से उतरते हुए भवानी सिंह ने कहा |

    भवानी सिंह अपने दफ्तर में आता है और मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा को देखता है |

    अरे जादवा साहब आप इतनी सुबह में हमारे गरीब ठाणे पर ...अपनी जगह पर जाते हुए भवानी सिंह ने कहा |

    आपके पास शायद घडी नहीं है पर कोई बात नहीं में बतादू की सुबह के ९ बजकर ३० मिनट हुए है यह हमारे लिए दुपहर होने का समय हो चूका है ...मानसिंह जादवा ने अपनी जगह पर बैठे बैठे कहा |

    अभी क्या करे जादवा साहब रात को ड्यूटी होने की वजह से सुबह में इतना तो लेट हो ही जाता है अभी आपको तो पता ही है की हम पुलिस वालो को काम कितना रहेता है ...अपनी जगह पर बैठते हुए भवानी सिंह ने कहा |

    हा मगर आपका काम हमें तो दिख नहीं रहा | सरकार से तो आप को हम ज्यादा ही रूपया दिए है ...मानसिंह जादवा ने कटाक्ष करते हुए कहा |

    एसा बिलकुल नहीं है मानसाहब ...भवानी सिंह ने कहा |

    अगर एसा नहीं होता तो आपने तो वीर के अकस्मात का जो भी हुआ था वो साफ़ साफ़ सच खोजकर हमें बता दिया होता ...मानसिंह जादवा ने कहा |

    सही है जादवा साहब पर क्या है हर कॅश को समझने के १० रास्ते होते है और आपने हमारे लिए वो रास्ते बंद कर दिए है और एक ही रास्ता खुला छोड़ा है जिस पर हम काम कर रहे है ...भवानी सिंह ने कहा |

    मतलब क्या है आपका अफसर ...सुरवीर ने कहा |

    ठंडे रहिए सुरवीर भाई ठंडे रहिए में बताता हु आपको | देखो जादवा साहब सबसे पहले मुझे वीर की बॉडी का शव परिक्षण करवाना था जिससे यह तय हो जाता की उसकी मौत अकस्मात के कारण हुई है या कोई दुसरी भी वजह है और दुसरा मुझे तहकीकात करने के लिए एक बार आपसे और वीर से जुड़े सारे सदस्यों से पुछ्ताज करनी होगी जो भी आप नहीं करने दे रहे है अब हमारे पास रास्ता बचा है एक जो है उसके साथ जो ट्रक टकराया था वो तो उस ट्रक को तो हमने ढूढ़ लिया है पर उसका ड्राईवर अभी तक नहीं मिला है जिसे हम खोज रहे है जादवा साहब अभी आप ही बताईए की जब तक वो ड्राईवर नहीं मिलता तब तक हम कैसे इस करवाई को आगे बढ़ाए...भवानी सिंह ने कार्यवाही में देर होने का सारा दोष अपनी बुध्धिमत्ता से मानसिंह जादवा के उपर डालते हुए कहा |

    मतलब आप कहेना क्या चाहते है अफसर की आप हमारे घर की महिलाओ की पुछताज करेंगे ...सुरवीर ने थोडासा गुस्सा होते हुए कहा |

    देखिये सुरवीर भाई आप गुस्सा ना कीजिये मैंने तो जो सच है वो कहा है और यह मान साहब अच्छे से समझते है क्यों मान साहब ...भवानी सिंह ने कहा |

    ठीक है तो एक बार आपको समय मिलेगा आपको हमारे घर में जिस किसी भी सदस्य से जो भी सवाल करना है आप कर सकते है लेकिन तभी ही जब आप यह निश्चित कर ले की यह अकस्मात नहीं था एक हत्या थी तब तक आप कुछ नहीं करेंगे और इसके लिए उस ड्राईवर का मिलना जरुरी है तो आप जल्द से जल्द उस ड्राईवर को खोजिये और यह तय करे की वीर के साथ हुआ क्या है फिर सबकुछ हमें सोप दीजिए उस ड्राईवर को और जिस किसी की भी गलती होगी उसे हम खुद अपने हाथो से मारेंगे ...मानसिंह जादवा ने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा |

    मानसिंह जादवा और सुरवीर जादवा इतनी बातचीत करने के बाद वहा से चले जाते है |

    सालो ने बाप का राज करके रखा हुआ है पर कोई बात नहीं हम भी कहा किसी से कम है आपके सहारे हम भी थोडा पैसा कमा लेंगे जादवा साहब ...मन ही मन मानसिंह जादवा को जाते देख भवानी सिंह ने कहा |

    सुबह के १० बज रहे थे | अपने पिता मानसिंह जादवा को कंपनी पर छोड़कर कुछ काम होने के कारण सुरवीर जादवा घर वापस लौटते है | घर में जाते ही मधु उन्हें देख लेती है |

    अरे आप इतनी जल्दी वापस आ गए ...मधु ने कहा |

    हा वो कुछ कागजात घर पर छुट गए थे तो वापस आना पड़ा ...सुरवीर ने बैठक रूम में जाकर अपने कागज़ ढूढ़ते हुए कहा |

    मधु भी बैठक रूम में जाती है और सुरवीर जादवा को कागज़ ढूढने में मदद करती है | मधु को कमरे के कोने में पड़े कागज मिल जाते है और वो सुरवीर जादवा को देती है |

    अरे यह रहे कागज़ आप देख लीजिए यही तो नहीं ढूढ़ रहेना आप...मधुने कहा |

    दिखाओ तो जरा ...सुरवीर ने कहा |

    सुरवीर सारे कागज देखता है |

    बस यही थे चलो में चलता हु ...सुरवीर ने कहा |

    अरे दो मिनट तो रुकिए मुझे आप से कुछ कहेना है ...मुख में ख़ुशी की झलक के साथ मधु ने कहा |

    अरे यार हर वक्त रोमेंटिक होना सही नहीं है ...सुरवीर ने जाते हुए कहा |

    आप भी कमाल हो मैंने कब कहा की मुझे रोमेंटिक होना है पहले बात तो सुनो मुझे ख़ुशी के बारे में आपसे कुछ कहेना है ...मधुने कहा |

    ख़ुशी का नाम सुनते ही सुरवीर रुक जाता है और वापस बैठक रूम में आता है और सोफे पर बैठ जाता है |

     ठीक है पानी लेकर आओ फिर बताओ क्या बात है ...सुरवीर ने मधु से कहा |

     मधु बैठक रूम से बहार जाती है और किचन में जाकर पानी भरके आती है और सुरवीर को पानी पिलाने के बाद उनके पास बैठती है और फिर दोनों के बिच संवादो की शुरुआत होती है |

     हा अब बोलो क्या बात है ...सुरवीर ने कहा |

     बात यह है की अंश और ख़ुशी के बारे में आज सुबह मेरी ख़ुशी से बात हुई ... मधु ने सुरवीर से कहा |

     हा तो क्या बात हुई ...सुरवीर ने कहा |

     ख़ुशी ने मुझे कहा की अंश उसे पसंद है और दोनों एक दुसरे से प्यार भी करते है और अंश उसका बहुत ध्यान रखता है तो अब मुझे लगता है आपको सही वक्त देखकर बापूजी से बात कर लेनी चाहिए ...मधुने सुरवीर से कहा |

     बात तो मुझे भी करनी है क्योकी मैंने भी दोनों को देखा है पर आज कल माहोल ही एसा चल रहा है पहले वीर की घटना हुई और अब चुनाव का माहोल बन रहा है पर में बात कर लुंगा लेकिन बात करने के लिए में सही समय की राह देख रहा हु सही समय आते ही मै दोनों की बात कर लुंगा ...सुरवीर ने अपनी जगह से उठते हुए कहा |

    ठीक है तो आप जब भी आपको सही समय लगे आप बात कर लीजिए ...मधु ने कहा |

    दोनों के बिच इतने संवाद के बाद सुरवीर जादवा वहा से अपने काम पर चला जाता है और मधु अपने काम पर लग जाती है |

    मधु और सुरवीर ने अब अंश को जादवा परिवार का दामाद बनाना ठान लिया था जिसके लिए दोनों ने अपनी अपनी और से कोशिशो की शुरुआत हो चुकी थी जो कोशिशे भले ही ख़ुशी के जीवन में खुशिया भर दे पर अंश के जीवन में इससे बड़ा भूचाल आने वाला था क्योकी अंश और दिव्या के बिच अब धीरे धीरे नजदिकिया बढ़ने लगी थी | भले ही दिव्या के शिर पर बाल ना हो और वो पहेले जितनी सुंदर ना दिखती हो पर अंश फिर भी उसे प्यार करने लगा था और बहुत जल्द ही कुछ एसा होने वाला था जब अंश और दिव्या दोनों में से कोई अपने प्यार का इजहार जरुर करने वाला है अब देखना यह रसप्रद होगा की कौन करेगा प्यार का इजहार और क्या होगा जब ख़ुशी, दिव्या और अंश फसेंगे प्यार के झमेले में | सवाल कई सारे है पर उत्तर एक ही है की पढ़ते रहिएगा Hum Ne Dil De Diya के आने वाले सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY 

 

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