साउंडलेस लव - 17 Sarvesh Saxena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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साउंडलेस लव - 17



उन्हे देखकर गार्ड जोर-जोर से बड़बडाने लगा “ हे भगवान ...क्या हो गया है लौंडो को, न जाने क्या गंद फैला रखी है, जाने क्या होगा इस दुनिया का, इन्हीं लड़कों के कारण इन्हीं के गंदे काम और पापों के कारण कभी सुनामी आता है, कभी भूकंप आता है तो कभी पहाड़ गिरते हैं, हे भगवान बस यही दिन देखने थे इस बची कुची नौकरी में, क्या बताऊं ऐसे ही दुनिया खत्म होगी, न जाने क्यों इन लड़कों को लड़कियां नहीं मिलती, अब तो हद ही हो गई भगवान, लेकिन एक बात भी है लड़कियां भी आजकल की कितनी नालायक हो गई हैं, इतनी डिमांड करती हैं इतनी डिमांड करती हैं पार्क में बैठे बैठे ही उनको देख कर मेरा दिमाग खराब हो जाता है, इतनी डिमांड लड़के आखिर पूरी करें तो कैसे इसीलिए तो यह लड़के गंद फैला रहे हैं, सही सोच रहा हूं मैं बिल्कुल सही सोच रहा हूं लेकिन क्या होगा अगर यह लड़कियां सुधरी नहीं | हे भगवान इन लड़के लड़कियों को कुछ तो अकल दो वरना धरती का कलेजा फट जाएगा, छ्क्के कहीं के, इनसे तो दूर ही चला जाऊं, लेकिन देखने मे तो छ्क्के नही लगते ” |



पार्क का गार्ड न जाने क्या क्या बडबडाता हुआ उन्हे छोड़कर चला गया और संदीप ने आकाश को गले से लगाया और उसके होंठों पे अपने होंठ रखकर वहीं किस करने लगा, यह सब इतनी जल्दी हुआ कि आकाश को कुछ समझने सोचने का मौका ही नहीं मिला वह अंदर से बहुत घबराया हुआ था इसलिए इधर उधर देखने लगा, तभी उसने देखा कि गार्ड दूर खडा उन दोनों को घूर रहा है और सीटी मार रहा है |

गार्ड भी शर्मा सा गया, उसने दूर से ही आवाज दी “ हो गया हो तुम लोगों का तो निकल लो अब यहां से कुछ बाकी रह गया हो तो बता दो यही पर तुम लोगों का बिस्तर लगवा दूं” |



इस पर संदीप ने हंसते हुए कहा “ अरे नहीं अंकल उसके लिए घर है, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने हमें मौका दिया हम ऐसे ही रोज आते रहेंगे शक्ल पहचान लेना” |

यह सुनकर गार्ड और भी शरमा गया और वह फिर पार्क के दूसरी तरफ चला गया |



आकाश को बहुत गुस्सा आ रहा था कि संदीप ऐसी हरकतें कैसे कर सकता है, यह सब खुलेआम... यह कहीं किसी दिन उसको मुसीबत में ना डाल दे |



सन्दीप ने कहा “ चलो अब बहुत घूम चुके अब घर चलें, और वैसे भी आज तो मुझे तुम्हारे पास ही रुकना है, कल संडे जो है इसलिये कोई टेंशन नही” |



आकाश बहुत गुस्से मे था इसलिये उसने वहां कुछ नहीं कहा | घर पंहुच कर सन्दीप ने दरवाजा खोला और अन्दर चला गया, आकाश कार को खडा करके अन्दर आया और दरवाजे को धडाम से बन्द किया, जिससे सन्दीप भी डर गया |



सन्दीप बोला “ क्या हुआ ?? लगता है ज्यादा गर्मी है आज, तुम बैठो मै तुम्हारे लिये ठंडा पानी लाता हूं” |

वो इतना कहकर पानी लेने के लिये जाने लगा तभे आकाश ने आज पहली बार संदीप से तेज आवाज में चिल्लाकर कहा “ तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया, आखिर तुम चाहते क्या हो, हर चीज़ तुम्हे मजाक लगती है, माना कि हम दोनों आपस में प्यार करते हैं लेकिन हम दोनों प्यार करते हैं तो पूरे शहर में इसका ढिंढोरा पीटना जरूरी है | तुम्हें मैंने एक बार नहीं सौ बार समझाया है कि प्यार कोई दिखाने की चीज नहीं होती है, खासकर कि हमारा प्यार.... तुम समझते क्यों नहीं हो, तुम अब बच्चे भी नहीं हो जो तुम्हें डांट डपट कर हर बात सिखाई जाए समझाई जाए, वैसे तो बहुत होशियार बनते हो, तुम्हारे भेजे मे ये बात कब घुसेगी कि हम जिस समाज में रह रहे हैं उस समाज में हमारा प्यार प्यार नहीं जुर्म है, और तो और इसके लिये एक धारा तक बनी हुई है, धारा 377 का नाम सुना है ना, नही सुना तो सुन लो गूगल कर लो, एक दिन इसी धारा में तुम तो तुम मुझे भी अन्दर कराओगे फिर निकल जायेगा तुम्हारा प्यार, एक बार नही सौ बार मना कर चुका हूं उसके बावजूद भी तुम यह हरकतें करते हो, मैं तुम्हें प्यार करने से नहीं रोकता मैं सिर्फ तुम्हें बाहर प्यार करने से रोकता हूं” |



आकाश गुस्साता रहा और संदीप चुपचाप बैठा सुनता रहा | आज उसने पलट कर कोई जवाब नहीं दिया था, न जाने क्या वह बैठा बैठा सोच रहा था, शायद आज आकाश ने पहली बार उससे इस तरह बात की इस बात का उसको कुछ ज्यादा ही बुरा लग गया था | संदीप वहीं सोफे पर बैठा रहा, जब उसने पलट कर कोई जवाब नही दिया तो आकाश भी चुप हो गया और जाकर बेड पर लेट गया |



संदीप कुछ देर बाद उठा और आकाश के पास जाकर बोला “ सॉरी यार मुझे नहीं पता था तुम्हारा मूड अपसेट हो जाएगा” |

आकाश अपनी आंखों पर हाथ रखे हुए लेटा था, सन्दीप कुछ और कहता इससे पहले आकाश ने कहा “ रात बहुत हो चुकी है तुम अपने घर जा सकते हो, कल बात करते हैं” |



यह बात संदीप को बहुत चुभ गई | उन दोनों ने पहले से ही आज रात एक साथ रहने का प्लान बनाया था पर ........ | संदीप बिना कुछ कहे ही वहां से चला गया | उसका चेहरा बिल्कुल उतर गया था, वह घर आकर उदास होकर लेट गया लेकिन सच तो यह था कि आज आकाश को भी नींद नहीं आ रही थी, वह बार-बार इन्हीं सब बातों को सोच रहा था कि तभी उसके मन में खयाल आया कि “ वो उससे कितना प्यार करता है जो खुलेआम उसको चूमने से उसे जरा भी डर नहीं लगा, वह भी तो आकाश की तरह सोच सकता है क्या उसे डर नहीं लगता होगा या उसे अपनी इज्जत प्यारी नहीं होगी लेकिन उसका डर उसकी शर्म उसकी चिंता सब मेरे प्यार के आगे छोटा पड़ जाता है और शायद यही वजह है कि वह इन सब को दरकिनार करते हुए ऐसे खुलेआम मुझसे लिपट जाता है या मेरे होठों को चूम लेता है |



यह मैंने क्या कर दिया, मैं उसे प्यार से समझा भी तो सकता था कितना पत्थर दिल हो गया हूं मैं, गुस्से में उसे सीधा जाने के लिए कह दिया जबकि सुबह हमारी बात हुई थी कि आज वह यही रुकेगा, उसने खाना भी तो नहीं खाया होगा लेकिन अब तो रात के ढेड बज गए, अब तो वह सो भी गया होगा लेकिन अगर जाग रहा होगा तो...... मुझे अभी उसे फोन करना चाहिए, नहीं.... नहीं.... फोन नहीं, फोन करने से शायद अगर वह सो रहा होगा तो उसकी नींद खराब हो जाएगी” |



यही सब बातें सोच सोच कर उसका सारा गुस्सा शांत हो गया और उसने अपना मोबाइल उठाकर संदीप को मैसेज किया जिसमें लिखा था “ आई एम सो सॉरी, आई लव यू, प्लीज मेरी बातों का बुरा मत मानना” |



मैसेज भेजने के काफी देर बाद तक आकाश ने जवाब का इंतजार किया लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं, आकाश समझ चुका था कि संदीप सो गया होगा लेकिन इसके साथ ही उसके मन में एक शंका भी थी कि कहीं संदीप उससे बहुत ज्यादा नाराज ना हो गया हो, यही सब सोचते सोचते आकाश को भी ना जाने कब नींद आ गई |