कहानी प्यार कि - 56 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 56

" बताओ अंजली तुमने तुम्हारी असली पहचान मुझसे क्यों छिपाई थी ? "

मोहित की बात सुनकर अंजली ने एक गहरी सांस ली और उसे आगे की बात बतानी शुरू की...

" मोहित मैं पहले से एम बी ए करना चाहती थी और मेरे पापा के बिसनेस को बहुत आगे ले जाना चाहती थी पर उस वक्त पापा का बिजनेस इतना भी बड़ा नही था.. पापा के इस बिज़नेस से जुड़ने पर कई बड़े बिज़नेस मेन पापा के खिलाफ हो गए थे.. तुम जानते ही होगे की जब कोई आगे जाता है तो पीछे से पैर पकड़कर खींचने वाले लोग होते ही है...."

" सही कहा अंजली हर बिज़नेस मेन कभी न कभी इस दौर से गुजरता ही है.."

" कई लोग ने पापा को धमकियां देना शुरू कर दी थी... और सब जानते है की हर एक बाप की कमजोरी उनकी बेटी होती है... वो लोग मुझे किडनैप करने की धमकी पापा को देने लगे थे... इसीलिए पापा नही चाहते थे की में एम बी ए करने कॉलेज जाऊ... पर में पापा की कमजोरी नही पर पापा की ताकत बनना चाहतीं थी...इसीलिए मैंने ठान लिया था की एम बी ए तो में करके ही रहूंगी... इसीलिए मैंने अपनी सरनेम चेंज करली ताकि किसीको पता ना चले की जतिन खन्ना की बेटी इस कॉलेज में पढ़ती है..."

" तो क्या ये बात कोई और नहीं जानता था? "

" जानता था .. हमारे कॉलेज के प्रिंसिपाल से पापा ने बात कर ली थी इसके अलावा मेरी कुछ फ्रेंड्स थी जो ये बात जानती थी..."

" तो तुमने मुझे क्यों नही बताया क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं था ? "

" ऐसा बिल्कुल नही है मोहित में तुम्हे सब बताने ही वाली थी मैंने सोचा की में जब तुम्हे अपने पापा से मिलवाऊंगी में तुम्हे सब सच बता दूंगी पर इससे पहले यह सब हो गया... आई एम रियली सोरी.. मोहित"

" कोई बात नही अंजली मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है..."

" तो अब आगे क्या अंजली ? "
संजना ने पीछे से आते हुए कहा...

ये सुनकर अंजली खड़ी होकर मोहित से कुछ दूर खड़ी हो गई...
" सोरी मोहित , सोरी भाभी एंड सोरी अनिरुद्ध.. पर अब में पीछे नहीं हट सकती... अब पापा की इज्जत का सवाल है और मुझे उनके लिए अथर्व से सगाई करनी होगी...."
यह शब्द मोहित के दिल को चीर कर निकले थे... पर मोहित भी कही ना कही यह जानता था की वो अब अंजली को फिर से नही पा सकता था...

" पर क्यों अंजली में तुम्हारे पापा से बात करता हु.. में उन्हें समझाऊंगा... तुम कहो तो में अथर्व से भी बात करूंगा...." अनिरूद्ध ने अंजली के पास आकर कहा..

" नही अनिरुद्ध... अब बहुत देर हो चुकी है... मोहित तुम जानते हो की में तुमसे बहुत प्यार करती हु.. पर अथर्व जी भी बहुत अच्छे है में उनको धोका नही दे सकती... आई होप तुम मुझे समझ रहे हो ..."

मोहित अपनी जगह से खड़ा हुआ और अंजली के पास आया और उसका हाथ थाम लिया...

" में तुम्हे समझता हू अंजली... में तुम्हारे हर फैसले में तुम्हारा साथ दूंगा..."

संजना और अनिरुद्ध चौक गए थे मोहित की यह बात सुनकर...

" मोहित ये क्या बोल रहे हो आप.. आप दोनो एक दूसरे के बिना कैसे रहोगे ? संजू तुम कुछ तो कहो इनको..."

" आई एम सोरी अनिरुद्ध पर में इस बार कुछ नही कर पाऊंगी क्योंकि में भी पहले इस दौर से गुजर चुकी हु.. अंजली की बात में समझती हु... और मुझे नही लगता की वो गलत है..."
संजना ने भीगी हुई पलको के साथ कहा और वो वहा से चली गई... अनिरूद्ध सिर्फ उसे जाते हुए देखता रह गया...

" आई एम सोरी अंजली ये एक्सीडेंट सिर्फ नाटक था... और मोहित को इन सब के बारे में जरा भी मालूम नही था यह सब हमारा प्लान था..एंड मोहित हमने आपसे किंजल के बारे में भी जूठ कहा था उसका भी कोई एक्सीडेंट नही हुआ था हमने आपको बुलाने के लिए सिर्फ यह बहाना बनाया था ताकि हम आप दोनो को मिला सके...आई एम सोरी..." अनिरूद्ध ने सिर झुकाए कहा और वो उदास चहेरे के साथ वहा से चला गया...

" सुनो मोहित हमारा रिश्ता भले ही टूट गया हो पर हम अब भी अच्छे दोस्त है और हमेशा रहेंगे... ये मेरा वादा है... गुड बाय..."
कहते हुए अंजली भागती हुई वहा से चली गई...

मोहित धीरे से अपने बेड पर बैठ गया...
" आज एक बात समझ आ गई की इस जिंदगी के खेल में हर एक कहानी की हैप्पी एंडिंग हो ये ज़रूरी नही कुछ कहानी ऐसी होती है जो कभी चाहकर भी पूरी नही की जा सकती है ,ये वो कहानी होती है जो बनती ही है सिर्फ अधूरी रहने के लिए... "
मोहित ने फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा और फिर वो भी वहा से चला गया...

रात को सभी की आंखो से नींद कोसों दूर थी....
करन किंजल की कही बातो में खोया हुआ था...
" किंजल ने कहा वो मुझसे प्यार करती है वो भी बहुत पहले से... पर में क्यों उसे कभी समझ नही पाया ? ना ही कभी उसे पढ़ सका... वो अभी क्या सोच रही होगी मेरे बारे में...? ओह गॉड में यह सब क्यों सोच रहा हु.."
करन को अलग अलग खयाल कब से परेशान किए जा रहे थे..

" किंजल ने कहा की वो मुझे कभी प्यार के लिए फोर्स नही करेगी सिर्फ दोस्त बनकर रहेगी... पर वो मुझसे पहले भी तो यह कह सकती थी ना...की वो मुझसे प्यार करती है ..! क्या उसे ऐसा लगता है की में उसे कभी पसंद ही नही करूंगा... शीट शीट ... ये में क्या सोच रहा हु.. वैसे भी में यही चाहता हु .. किंजल सिर्फ मेरी दोस्त है .. में उससे प्यार नही कर सकता .. जब प्यार से ही भरोसा उठ गया है तो प्यार करने का सवाल ही नहीं उठता करन.. ये सब सोचना छोड़ो करन और सो जाओ..."
करन ने मन में कहा और वो सो गया...

ऐसा ही कुछ हाल किंजल का भी था...

" ये मैने क्या कह दिया करन से... अपने दिल की बात बता दी.. पता नही वो मेरे बारे में क्या सोचता होगा.. उसे ये तो नही लग रहा होगा ना की मैने उसका भरोसा तोड़ा है... में तुम्हे कुछ नही बताना चाहती थी करन पर हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे की मेरे दिल की बात मेरी जुबान पर आ गई... में जानती हु तुम मुझसे कभी प्यार नही करोगे.. ना ही में मोनाली की तरह स्टाइलिश हु ना ही में उसके जैसे इंटेलिजेंट हु .. ना ही मेरे पास उतना पैसा है.. मुझे तो यह भी नही पता की ये मेरी एप आगे जाकर सक्सेसफुल रहेगी भी या नहीं..."
किंजल की आंखे यह सब खयालों के साथ भर आई थी

कुछ पलों में उसकी आंख भी लग गई... पर मोहित और अंजली पूरी रात भर सो नहीं पाए थे...

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए... आज अंजली की सगाई का दिन था.. जतिन खन्ना आज बहुत खुश थे आज उनका बरसो पुराना सपना सच होने वाला था... पूरा खन्ना मेंशन खूबसूरत फूलों से सजाया गया था..

अंजली को अपने कमरे में तैयार किया जा रहा था.. अंजली आज बहुत सुंदर दिख रही थी पर सिर्फ एक बात की कमी खल रही थी वो थी उसकी मुस्कुराहट...

इस तरफ संजना और अनिरुद्ध तैयार होकर खन्ना मेंशन आने के लिए निकल रहे थे... सब लोग खुश थे वहा जाने के लिए सिवाय की संजना अनिरुद्ध और सौरभ..
संजना ने मोहित को फोन लगाया..
" भाई आपका वहा आना जरूरी है क्या ? "

" हा संजू मैने कितनी बार तुमसे कहा की में जरूर जाऊंगा.. "

" पर भाई आप कैसे ? "

" तुम मेरी फिक्र मत करो में खुद को संभाल लूंगा..."

बोलकर मोहित ने फोन काट दिया..

" क्या कहा संजू मोहित ने ...?"

" वो नही मान रहे है.. अनिरूद्ध.."

" कोई बात नही शायद उनका आना ही ठीक रहेगा..." अनिरूद्ध ने कुछ सोचते हुए कहा..

संजना यह सुनकर अनिरुद्ध की और नासमझी के भाव से देखती रही...
पर अनिरुद्ध बिना कुछ कहे आगे चलने लगा..

संजना भी अनिरुद्ध के पीछे चलने लगी... पर आगे रास्ते पर पड़ा पत्थर संजना को दिखा नही और उसके पैर में पत्थर आने से वो आगे की और गिरने ही वाली थी की अनिरुद्ध ने उसे थाम लिया...

" संजू संभलकर चलो..इतना भी टेंशन मत लो अब तुम्हारे साथ हमारा बेबी भी है उसे कुछ हो जाता तो...? "
अनिरुद्ध परेशानी भरी आवाज में बोला..

" आई एम सोरी अनिरुद्ध में आगे से ध्यान रखूंगी..."

" आओ मेरा हाथ थाम लो..." अनिरूद्ध ने कहा और अपना हाथ संजना की और बढ़ाया..
संजना ने अनिरुद्ध का हाथ थामा और दोनो साथ में आगे चलने लगे और गाड़ी में बैठकर खन्ना मेंशन की और निकल गए...

खन्ना मेंशन में अथर्व मैथ्यूज के साथ उनके परिवार की एंट्री हो चुकी थी पर जैसा की अथर्व को लगा था मोनाली उसकी सगाई अटेंड करने नही आई थी , अथर्व अपनी डिजाइन की हुई शेरवानी में हेंडसम लग रहा था.. पर उसमे भी सिर्फ एक बात की कमी थी .. उसकी मुस्कुराहट.. आज वो कुछ खोया हुआ सा दिख रहा था.. उसकी आंखे अंजली को ढूंढ रही थी...

कुछ ही देर में मोहित के साथ राजेश जी और रागिनी जी भी वहा पहुंच गए ... मोहित की आंखे भी अंजली को ढूंढ रही थी...ऐसे ही इधर उधर देखते हुए अथर्व और मोहित की नजरे एक दूसरे से टकराई... दोनो कुछ देर तक एक दूसरे को देख रहे थे... मोहित ने अथर्व की और स्माइल की ... अथर्व भी मुस्कुराया और फिर वो दोनो अपने अपने रास्ते आगे बढ़ चुके... इतनी देर में संजना और अनिरुद्ध के साथ उनकी फैमिली भी पहुंच चुकी थी...

" संजू तुम यही बैठो... अब y
यहां कोई भागादौड़ी नही.. बहुत ज्यादा लोग है कही उनका धक्का लग गया और..."

" चुप... अब आगे कुछ नही... कब से देख रही हू तुम कुछ ज्यादा ही फिक्र कर रहे हो .. ना ही मुझे कुछ होगा ना ही हमारे बेबी को समझे... में यही बैठी हु.. " संजना ने अनुरुद्ध को डांटते हुए कहा...

" ठीक है... फिर भी किंजल तुम संजू का खयाल रखना..."

" ठीक है अनिरुद्ध में हु संजू के पास.."

" अनिरूद्ध सुन तो..." करन ने अनिरुद्ध के पास आते हुए कहा... पर जैसे ही उसने किंजल को देखा उसकी बोलती बंध हो गई.. वो किंजल को देखता ही रह गया.. किंजल आसमानी रंग के ड्रेस में बहुत ही ज्यादा क्यूट लग रही थी ..



जैसे ही किंजल का ध्यान करन पर गया उसने अपनी नजरे उस पर से हटा दी... किंजल भी नजरे झुकाए खड़ी रह गई... जैसे दोनो एक दूसरे से नजरे नही मिला पा रहे थे..

" हा करन बोल क्या हुआ ? " अनिरुद्ध ने करन को ऐसे बोलते बोलते चुप हो जाते देखा तो कहा..

" वो में ये कह रहा था की जतिन अंकल तुम्हे बुला रहे है .."

" ठीक है चलो..."
अनिरूद्ध ने कहा और वो करन के साथ चलने लगा करन ने एक नजर फिर से किंजल की और की और किंजल ने भी उसी वक्त उसकी और देखा... ये नजरो का खेल अनिरुद्ध और संजना भी देख रहे थे और समझ भी पा रहे थे की ये क्या हो रहा था क्योंकि वो भी इस प्यारे से दौर से गुज़र चुके थे....

उतने में ही ऊपर से अंजली की एंट्री हुई.. सब की नजरे अंजली पर टिकी हुई थी.. आज वो किसी एंजल से कम नहीं लग रही थी ।
मोहित और अथर्व दोनो अंजली को बड़े ही प्यार से देख रहे थे...

अंजली धीरे धीरे अथर्व के पास आई... दोनो ने एक दूसरे के सामने देखकर स्माइल की पर दोनो को उस स्माइल में कुछ अधूरापन महसूस हो रहा था।

कुछ देर में दोनो की सगाई की विधि शुरू हो गई.. अंजली बिना कुछ बोले सब विधि किए जा रही थी और अथर्व अंजली को देखकर परेशान हो रहा था...

" कम ओन अंजली... रोक लो ये सगाई और सब को सच बतादो...." अथर्व मन में बोलते हुए कहा

" अंजली तुम ये सब क्यों कर रही हो में जानता हु तुम मुझसे नही किसी और से प्यार करती हो.. और में तुम्हारे साथ ये अन्याय बिलकुल नहीं होने दूंगा.. तुम्हे अपनी पसंद चुनने का पूरा हक है... में तुम्हारा सच जानते हुए भी हम दोनो की जिंदगी बरबाद नहीं कर सकता..."
अथर्व मन में सोचते हुए परेशान हुए जा रहा था ...

उसे उम्मीद थी की शायद अंजली ये सगाई रोक देगी..पर वो गलत था अंजली ने ठान लिया था की वो सिर्फ वही करेगी जो उसके पापा चाहते है...

अब सगाई का शगुन देने जतिन जी अथर्व के पास आ ही रहे थे की अथर्व अपनी जगह से खड़ा हो गया... सब अथर्व को ऐसे बीच रस्म में उठते देख शॉक्ड थे... पर अब यह सब अथर्व की लिमिट से बढ़कर हो चुका था...

" आई एम सोरी पर में ये सगाई नही कर सकता..."
अथर्व ने बड़ी गंभीरता के साथ कहा...

क्रमश :