कहानी प्यार कि - 9 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 9

अगले दिन सुबह किंजल सवेरे सवेरे ही तैयार होकर कहीं बाहर जा रही थी।

" किंजल तू कहीं बाहर जा रही है क्या ? " संजना ने किंजल को बाहर जाते हुए देखा तो पूछ लिया।

किंजल ये सुनते ही रुक गई और पीछे मूड के उसके पास आई।

" हा वो मेरी पुरानी सहेली है ना उससे मिलने जा रही हूं.. वो बहुत इंसीस्ट कर रही थी तो मैने सोचा एकबार मिलने चली ही जाती हूं.. "

" अच्छा ठीक है पर जल्दी वापस आ जाना ..और अपना ख्याल रखना .. और गाड़ी से ही जाना "

" हा हा .. गाड़ी से ही जा रही हूं.. अब मे जाऊ ..? "

" हा जा ..." संजना ने कहा और वो भी अपने काम मै लग गई।

किंजल गाड़ी से जा रही थी तभी उसने पार्क मे किसी को देखा।
" भैया जरा यहां गाड़ी रोकिए..."

ड्राईवर ने पार्क के पास गाड़ी रोकी।

किंजल गाड़ी से बाहर आई और पार्क के अंदर चली गई.. सामने खड़े उस दो लड़के को देखकर उसके चहेरे पर बड़ी वाली स्माइल आ गई...

वो उन दोनों के पास जाने लगी।
जब उन दोनों कि नजर सामने से मुस्कुराती आ रही किंजल पर पड़ी तो..दोनो ही एकसाथ बोल पड़े.." किंजल....! "

" हाय... सौरभ... हाय अनिरूद्ध...! " किंजल दोनो के पास आती हुई बोली।

" वॉट अ प्रेजेंट सरप्राइस ... हा.. किंजल .. हमे तो पता ही नहीं था कि तुम दिल्ली मे हो " सौरभ हाथ मिलाते हुए बोला।

" तुम से मिलकर अच्छा लगा.." अनिरूद्ध भी मुस्कुराते हुए बोला।

" हा.. वो कल ही केनेडा से वापस आईं हूं .. मेरी सिस्टर कि शादी के लिए.."

" ओह नाईस.... वैसे कैसी है तू .. बब्ली..? " सौरभ को किंजल का कोलेज वाला निक नेम याद आ गया था।

" ओ.... अभी भी तू मुझे बब्लि बुलाएगा .. लॉलीपॉप ..." किंजल भी कहा कम थी इस मामलों मे उसने सौरभ के कान खिंचते हुए कहा।

" आ ... क्या कर रही है बबली... दर्द हो रहा है"

" तुम दोनो ने फिर ये कॉलेज वाला मेलोड्रामा शुरू कर दिया..." अनिरूद्घ कि बात सुनकर किंजल ने सौरभ का कान छौड़ दिया।

" कितने दिन बाद हम मिले है... थोड़ा तो बनता है.. है ना बबली..." सौरभ ने किंजल का गाल खींचता हुआ बोला..

" ओए..छोड़.. ये तेरी आदत अभी तक गई नहीं क्या " किंजल ने अपने गाल पकड़ लिए थे.. जो लाल हो चुके थे।

" ये साला अपनी आदत एसे सीधे तरीके से थोड़ी ना छोड़ता है .. क्यों बे.."

" हा तो.. " सौरभ तिरछी नजर से अनिरूद्ध को देखते हुए बोला।

" और बताओ कैसे हो तुम दोनो .. ? "

" हम दोनों एकदम ठीक है .. तू बता तू क्या कर रही है आज कल .." सौरभ ने कहा।

" बस पीएचडी खत्म करके आई हूं इंडिया सेटल होने..."

" अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है " अनिरूद्ध भी खुश था अपनी दोस्त के लिए..

" वैसे क्या दिन थे ना हमारी कॉलेज के.. कितने मजे करते थे हम सब .. और तुम तीनो तो पूरी कोलेज के स्टार थे.. अनिरूद्ध , सौरभ ' और वो अकड़ू करन... भाई याराना हो तो एसा ... " ये बोलते ही किंजल हसने लगी... पर ये सुनते ही अनिरूद्ध और सौरभ के मुंह उतर गए ..

किंजल को भी एहेसास हो गया था कि उसने अभी अभी क्या बोल दिया था..

" आई एम सॉरी अनिरूद्ध.. पता नहीं ये बात मेरी जुबान से कैसे निकल गई "

" इट्स ओके .. किंजल .. उसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है .. वो दिन कि यादे ही कुछ एसी थी..."

" वैसे ओब्रॉय फार्मा कंपनी को देखकर लग रहा है कि तुम दोनों हम जैसे फार्मासिस्ट कि बारी नहीं आने देने वाले हो.." ये सुनते ही अनिरूद्ध और सौरभ एक दूसरे को देखकर स्माइल करने लगे।

" वाकई.. तुम दोनो कि सक्सेस देखकर बहुत प्राउड फिल होता है.. मे हमेशा कहती रहती हूं मेरे दोस्तो को कि ये मेरे दोस्तो कि कंपनी है "

" थैंक यू.. किंजल ..." दोनो एकसाथ बोले।

" चलो अब मे चलती हूं मुझे कहीं और भी जाना है .. अब तो मुलाकात होती रहेगी..."

" हा ये तो है .. तुमसे मिलकर कोलेज के दिन ताज़ा हो गए... " अनिरूद्घ के चहेरे पर रौनक सी आ गई थी।

" वैसे बबली तू अभी भी पहले जैसे ही नौटंकी और मस्ती करती है कि वो सब कम कर दिया " सौरभ को शरारत सूझी थी।

" क्या मतलब है तुम्हारा .. ? " किंजल आंख दिखाती हुई बोली..

" मतलब बुढ़ापे के साथ ये सब कम हो जाता है ना इसलिए..."

" तुम्हे क्या मे बूढ़ी दिखती हूं..? "

" अब ये फार्मा और पीएचडी .. ये सब करके तुम पैतिस या चालीस की तो हो ही गई होगी.." सौरभ बोलते हुए हस पड़ा था।

" सौरभ... तुम्हे ना मे छोडूंगी नहीं " किंजल गुस्से में चिल्लाते हुए सौरभ के पीछे भागी..

" अबे सोरी... मे तो मजाक कर रहा था .." बोलते हुए सौरभ भी खुद को बचाने के लिए भागा।

" ये सौरभ भी ना खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मरवाता रहता है .." अनिरूद्ध भी उन दोनों को देखकर हस रहा था..

दोनो ही एसे भागते हुए थक गए ..और एक जगह रुक गए।

" चल आज तुझे माफ़ किया..." किंजल हांफती हुई बोली।

" थैंक्स गोड...इस चुड़ैल से आपने बचा लिया " सौरभ कि तो जान मे जान आई थी क्योंकि उसे लगा था कि आज तो वो पक्का किंजल के नाखूनों को शिकार होगा।

" चलो अब तुम दोनो का हो गया क्या ? " अनिरुद्ध ने वहा आते हुए कहा।

" हा चलो मे चलती हूं ... बाय .. फिर मिलते है "

" बाय... अपना ख्याल रखना .." अनिरूद्ध और सौरभ ने कहा और फिर किंजल वहा से चली गई...

" ये किंजल बिल्कुल भी बदली नहीं ... है ना " सौरभ किंजल को जाते हुए देख अनिरूद्ध से बोला

" हा वो तो है ...पहले जैसी चुलबुली .. और हमेशा हसते और मुस्कराते रहने वाली लड़की.. तुम दोनो ने तो आज वो सब कोलेज कि मस्तिया याद करवा दी" अनिरूद्ध भी खुश था।

" हा एसे ही मे उसे चिढाता और वो मेरे पीछे भागती... और करन को तो इसकी ये हरकते बिल्कुल पसंद नहीं थी.. कैसे हमेशा चिड जाता और गुस्सा करता रहता "

" हा इसीलिए तो किंजल उसे अकड़ू कहती है " दोनो ही इस बात पर हसने लगे..पर अचानक दोनो के चहेरे पर उदासी छा गई ..

" काश करन इस दोस्ती को समझ पाया होता.. पर उसने तो हमारी सबसे बड़ी डोर जो हमारी दोस्ती को बांधे रखती थी उसे ही तौड़ दिया.. उसने हम पर जरा सा भी विश्वास नहीं किया.." सौरभ बोलते हुए भावुक हो गया था।

" छोड़ इस बात को अब ये सब फिजूल कि बाते करने का टाइम नहीं है .. वो अब हमारा दोस्त नहीं है समझे तुम..चलो "

ये बोलकर अनिरूद्ध जाने लगा । सौरभ भी उसके पीछे पीछे जाने लगा।
" मुझे पता है अनिरूद्ध तुम पर क्या बीत रही है .. करन के वो इल्जाम उसकी वो बाते अभी भी तुम्हारे दिल को कितनी चोट दे रही होगी.. हे भगवान् ! कब तक मेरा भाई ये सब सहता रहेगा कभी दिखाता नहीं है ..सब हस्ते हस्ते सह लेता है प्लीज़ उसकी मदद करो ..उसका प्यार उसे लौटा दीजिए प्लीज़ " सौरभ मन में बोलता हुआ अनिरूद्ध के पीछे जा रहा था।

दोपहर के दो बजे किंजल घर पे आई । सब होल मे उसकी राह देखकर बैठे हुए थे।
संजना को तो बिल्कुल चैन नहीं था। कितने कोल्स कर चुकी थी वो किंजल को पर उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था।

किंजल को अंदर आते देख संजना जट से खड़ी हो कर उसके पास गई..

" कितनी देर लगा दी.. तेरे फोन क्यों स्विच ऑफ आ रहा है .. तू ठीक तो है ना ...? "

संजना ने तो सवालों कि बोछार कर दी थी।
" संजू रिलेक्स....मे बिल्कुल ठीक हूं " किंजल ने संजना कि बात काटते हुए कहा।

" तो फिर तेरा कोल क्यों स्विच ऑफ आ रहा था ? "

" वो तो बस बैटरी डाउन हो गई थी इस लिए "

" हम तो डर ही गए थे वैसे तूझे इतनी देर कैसे लग गई ? "

" वो में जब जा रही थी तभी मेरे कोलेज के फ्रेंड्स मिल गए थे तो उनसे बातो के चक्कर में थोड़ा लेट हो गया फिर जानवी मुझे आने ही नहीं दे रही थी "

" ठीक है चलो अब सब खाना खा लेते है मुजसे अब और रुका नहीं जा रहा .. बहुत भूख लगी है "
मोहित खड़ा होते हुए बोला।

" क्या आप लोगो ने अभी तक खाना नहीं खाया ? " किंजल हैरान थी।

" तेरे बिना कैसे खाते ..! हम जानते है कि तू बाहर किसी के घर खाना नहीं खाती इसीलिए तेरा इंतजार कर रहे थे ।

" ओह .. थैंक यू .. चलो मुझे भी भूख लगी है "
फिर सब ने मिलकर खाना खाया।

थोड़ी देर बाद किंजल संजना के कमरे में गई..

" अच्छा सुन..."

" हा बोल ना ..." संजना ने किताब पढ़ते पढ़ते ही जवाब दिया।

" अरे ये छोड़ पहले और मेरी बात सुन ..." किंजल ने संजना कि किताब उसके पास से लेली..

" हा .. बोल क्या बात है.."

" वो क्या मे अपने दो दोस्त को भी तुम्हारी शादी मे इन्वाइट कर सकती हूं ? "

" ये भी कोई पूछने कि बात है .. ! तुम्हे जिसे भी बुलाना है बुला सकती हैं तुझे मे थोड़ी ना मना करूंगी..." संजना ने प्यार से किंजल के गाल छूते हुए कहा।

" थैंक यू ... वैसे तुम जानना नहीं चाहोगी की में किसे इन्वाइट करने वाली हूं? "

" हा .. जरूर जानना चाहती हूं .. कौन है वो ? "

" अनिरूद्घ ओब्रॉय फार्मा कंपनी का ऑनर ..." किंजल ने एक्साइटेड होते हुए कहा।

" क्या ? " ये सुनकर संजना सरप्राइज़ हो गई थी।

" नहीं यकीन हो रहा है ना..? "

" मतलब अनिरूद्ध तुम्हारे दोस्त है ? "

" हा वो मेरा कोलेज का फ्रेंड है हम सब कैनेडा एक ही फार्मा कोलेज और एक ही क्लास मे थे ..."

" ओह..एसा है .. तो तो तूझे उन्हें इन्विटेशन देने कि जरूरत नहीं है .."

" क्यों ? क्या हुआ ? तू एसा क्यों कह रही है ? "

" अरे पहले पूरी बात तो सुन मेरी.. उन्हें हमने पहले ही इन्विटेशन भेज दिया है । "

" मतलब तुम लोग पहले से उसे जानते हो ? "

" हा .. हम दो तीन बार मिले थे और वो हमारे घर भी आए थे उनकी नई कंपनी बनाने का काम हमारी कंपनी को ही तो मिला है .. "

" क्या बात कर रही है ! " किंजल और भी ज्यादा खुश हो गई थी ये सुनकर ..

" किंजल तुम तो दो दोस्तो कि बात कर रही थी ना.. तो दूसरा कौन..? "

" दूसरा वो लॉलीपॉप.."

" क्या...? लॉलीपॉप ? वो कौन है ? "

तभी किंजल के फोन कि रिंग बजी..

" एक मिनिट हा .. अभी आती हूं .."
किंजल ने कहा और वो फोन पर बात करने कमरे के बाहर चली गई।

" ये किंजल भी ना कैसे कैसे नाम रखती है .. लॉलीपॉप ..! ये भी कोई नाम हुआ.." संजना भी मुस्कुराने लगी..

इस तरफ किंजल उसकी किसी फ्रेंड से बात कर रही थी।
" अच्छा सुन शाज़िया... आज मुझे अनिरूद्ध और सौरभ मिले..."

" अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है .. कैसे है दोनो हेंडसम ? "

" दोनो बड़े चंगे है.. थोड़े से भी चेंज नहीं हुए .. दोनो .."

" अभी भी उतने हॉट है क्या ? "

" हा .. अब तो और भी ज्यादा हॉट हो गए है पर तू ना ज्यादा सपने मत देख .. वो तुम्हारे लेवल के नहीं है समझी ! "

" हा हा ज्यादा लेक्चर मत जाड.. तू ये बता तेरा वाला कहा है ? "

" मेरे वाले का क्या मतलब है .. ! एसा कोई नहीं है समझी.."

" तू ना मुझ से जूठ बोल सकती है पर छुपा नहीं सकती .. "

" नहीं.. नहीं एसा कुछ नहीं है .."

" तू करन के बारे में बोलना अवॉइड कर रही है ना ताकि तू अपनी फीलिंग्स किसी के सामने ना आने दे "

" यार प्लीज़ तू वापस मत शुरू हो जा .. जब हम कोलेज मे थे तब भी उसकी गर्लफ्रेंड थी उसके साथ और अब उसकी वाइफ भी होगी उसके साथ .. उसकी लाईफ मे मेरी जगह तब भी नहीं थी और कभी होगी भी नहीं .. इसलिए ये बार बार मुझे उसके बारे में याद दिलाना बंध कर समझी .."

किंजल गुस्से में बोली और फोन काट दिया .. पर पीछे संजना ने सब कुछ सुन लिया था ।

🥰 क्रमशः 🥰