Part - 4 पिछले अंक में आपने पढ़ा कि जंगल से शहर आने के बाद उमा को किस तरह गलत काम में फंसाया गया , अब आगे पढ़ें ….
कहानी - एक अनोखा विवाह 4
एक दिन वह एस्कॉर्ट बन कर अपने ग्राहक के साथ ड्रग ले जा रही थी . पुलिस को कहीं से इस धंधे की गुप्त सूचना मिल चुकी थी . अचानक सादे ड्रेस में पुलिस ने रेड किया . ड्रग तस्कर मालिक के आदमी भी अपने बॉस और उमा पर नजर रखे हुए थे . पुलिस से पकडे जाने का खतरा देख कर उन्होंने रेड पार्टी पर फायरिंग कर दिया . मालिक तो ड्रग पैकेट के साथ भागने में कामयाब हो गया पर क्रॉस फायरिंग में उमा को गोलियां लगीं और वह गिर पड़ी . उसके शरीर से खून बह रहा था और वह बेहोश हो गयी . पुलिस ने उमा को अस्पताल में भर्ती करा दिया .
उमा का ऑपरेशन कर गोलियां निकाल दी गयीं . डॉक्टर ने कहा वह खतरे से बाहर है . पुलिस उसका बयान लेना और उस से पूछताछ करना चाहती थी . डॉक्टर ने कहा “ अभी उमा को होश आने में कुछ समय लगेगा . उस के बाद ही आप उससे पूछताछ कर सकते हैं . “
उमा को जब होश आया पुलिस पूछताछ करने आई . इत्तफाक से वह पुलिस अफसर और कोई नहीं बल्कि राज था जिसकी जान कुछ वर्ष पहले उमा ने बचाई थी . उमा के चेहरे पर भी पट्टी बंधी थी इसलिए राज उमा को नहीं पहचान सका और उमा भी राज को नहीं पहचान सकी थी . राज जब जंगल में उमा से मिला था सामान्य स्थिति में नहीं था . एक तो वह घायल था और ऊपर से चेहरे पर कैमोफ्लेज के लिए काले और हरे रंग पुते थे . इसके अतिरिक्त राज के पैरों में गोली लगने के बाद उसकी चाल पहले जैसी नॉर्मल नहीं थी . पुलिस में उसकी पोस्टिंग अब पूछताछ और कागजी कार्रवाई सेक्शन में थी . इसलिए अस्पताल में दोनों दोबारा मिले पर एक दूसरे को पहचान नहीं सके . खैर राज ने अपनी पूछताछ जारी रखी . पूछताछ के दौरान उमा ने जंगल से यहाँ तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया . राज को जंगल वाली घटना याद आई पर न उमा ने किसी पुलिस जवान को अपना दूध देने की बात बताई न राज से उसके बारे में पूछा . पर उसके मन में कुछ शंका जरूर हुई .
तभी डॉक्टर ने आ कर राज से कहा “ फिलहाल पेशेंट को ज्यादा परेशान नहीं करें . अभी उसे बहुत पीड़ा है . “
“ उमा को अस्पताल से कब तक छुट्टी मिलने की उम्मीद है ? “ राज ने पूछा
“ अभी उसे कुछ समय लगेगा . फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है . यह उमा का प्रोग्रेस देखने के बाद कहा जा सकता है . फिर भी कम से कम दस पंद्रह दिन लग सकते हैं . “
“ ठीक है , बाकी पूछताछ के लिए मैं फिर बाद में आऊंगा . अभी तुम आराम करो . “ राज ने उमा से कहा और वह अस्पताल से निकल गया .
राज रोज रोज अस्पताल में फोन कर उमा का हाल पूछ लेता . चार दिन बाद राज ने जब पूछा तब डॉक्टर बोला “ इंस्पेक्टर साहब , उमा में उम्मीद से ज्यादा प्रोग्रेस हुआ है . उसकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है . यही रफ्तार रहा तो दस दिनों के अंदर उसे छुट्टी मिल सकती है . “
“ क्या आगे की पूछताछ के लिए कल मैं आ सकता हूँ ?
“ श्योर “
“ थैंक्स डॉक्टर “
अगले दिन राज अस्पताल जा कर उमा से मिला . “
पूछताछ के दौरान उमा ने कहा “ साहब , मेरा विश्वास कीजिए मैं ऐसी नहीं थी . मुझे जिस्मफरोशी में बड़े लोगों ने फंसाया है और फिर बाद में मुझसे कभी कभी कुछ सामान किसी किसी को पहुंचाने को कहते थे . मुझे पता नहीं उसमें क्या रहता था . आपसे पहले वाले पुलिस के साहब ने हमसे पूछा था कि तुम ड्रग तस्करी कब से करती हो . सच कहती हूँ सर , मुझे पता भी नहीं है कि ड्रग क्या होता है और तस्करी पर वे बार बार मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं और कहा कि मुझे लम्बी सज़ा होगी . मैं अपनी बेटी की कसम खा कर कहती हूँ कि ड्रग वग के बारे में कुछ नहीं जानती हूँ . “
“ तुम्हारी कोई बेटी भी है ? “
“ हाँ , सात साल की मेरी एक बेटी है , तारा नाम है उसका . “
“ पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार तुम्हारी उम्र मात्र 22 साल की है और तुम्हारी सात साल की एक बेटी भी है . इसका मतलब तुम्हारी शादी बहुत कम उम्र में हो गयी थी . “
तब उमा ने अपनी राम कहानी राज को सुनाई और बताया कि मात्र पंद्रह साल की उम्र में ही वह माँ बन गयी थी . उसने कहा “ मुझे बचा लो साहब , अगर मुझे सजा हुई तब मेरी बेटी का क्या होगा ? “
राज कुछ सोच में डूब गया . फिर बोला “ तुम्हें जब पुलिस ने पकड़ा था उस समय तुम्हारे पास से क्या क्या सामान पुलिस ने बरामद किये ? “
“ कुछ नहीं सर . सिर्फ मेरा पर्स था मेरे पास जिस में कुछ रुपये थे . एक पैकेट जो हमें पहुँचाना था तब तक उन्हीं लोगों के हाथ में था . “
“ इस के अलावा और कोई गलत काम करते देखा था तुम्हें , मतलब सेक्स आदि ? “
“ नहीं सर , ऐसा कुछ भी नहीं था उस समय . पर्स में पैसे भी बहुत कम थे , बस इतना कि टैक्सी से घर जा सकते थे . “
“ फिर तो तुम्हारे बचने का चांस ज्यादा है . मैं अपनी तरफ से भी कोशिश करूंगा कि तुम्हें सजा न हो क्योंकि पुलिस को किसी भी अपराध का कोई साक्ष्य तुम्हारे पास नहीं मिला है . हाँ , तुम्हारे अन्य साथियों तक पहुँचने के लिए पुलिस तुमसे कच पूछताछ कर सकती है .इसमें घबराने या डरने की बात नहीं है . अगर जरूरत पड़ी तो पुलिस तुम्हें अपना गवाह बना सकती है . ऐसे में तुम्हारे मामूली अपराध अगर पाए भी गए तो तुम्हें उसकी साजन नहीं मिलने की पूरी संभावना है .”
“ सर , मुझे किसी तरह सजा से बचाएं , मैं अपनी बेटी को ले कर यहाँ से बहुत दूर चली जाऊंगी और मेहनत कर गुजारा कर लूंगी . अभी तो तारा बहुत छोटी है , इन सब बातों से अनभिज्ञ है .आगे भी मेरी बेटी को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चलने देंगे हम .”
“ पर यहाँ से छूटने पर तुम कहाँ जाओगी ? “
“ इस बारे में अभी तक कुछ नहीं सोचा है .”
“ ठीक है , अभी मैं चलता हूँ .मैं तुम्हारे स्वास्थ्य की जानकारी बीच बीच में अस्पताल से लेता रहूंगा और तुम्हारे डिस्चार्ज के समय मैं भी यहाँ मौजूद रहूंगा . हाँ , अगर तुम अपनी बेटी का ठिकाना मुझे बताओ तो मैं उस से मिलने की कोशिश करूंगा .”
इतना कह कर राज अस्पताल से चला गया . दस दिनों के बाद उमा को डिस्चार्ज होना था .उस दिन राज तारा को ले कर अस्पताल में मौजूद था . उमा अपनी बेटी को देख कर बहुत खुश हुई , उसे अपने पास बुला कर बहुत प्यार किया फिर राज से कहा “बहुत मेहरबानी साहब , आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है . किसी पुलिस वाले को इतना रहम दिल मैंने न देखा है न सुना है . “
क्रमशः