प्यार का ज़हर - 36 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का ज़हर - 36

महेर : लेकिन मेने पता किया था तब तो बहुत देर थी. तुम लोगो को आने मे फिर ये इत्नी जल्दी कैसे आगए.

उबलता जल : हमारे पास वक़्त नही है. जल्दी से कोई फैश्ला लो.

महेर : ठीक है. मे खुद्को आपके हवाले कर रही हू. लेकिन इक शर्त पर. फिर यहा पे कोई भी मुसीबत नही आना चाहिये.

उबलता जल : हम अपनी जुबान के बहुत पक्के है.

महेर : ठीक है. फिर हम आ रहे है. चलो लेकिन इस जगह पे कोई नुक्सान नही पहुचना चाहिये.

उबलता जल : ठीक है फिर तुम्हे इसी वक़्त चलना होगा.

महेर : अरे मुझे अंदर बता कर तो आने दो. वरना सब ढूंड ने लगेंगे.

उबलता जल : ठीक है जाओ.

《 कुच देर बाद... 》

पंडित : ये शादी अब संपूर्ण हुई.

राज : अरे राहुल भैया महेर कहा है. नज़र नही आ रही है.

राहुल : अरे यही पे थी अभी तो वो.

प्रणाली : अरे बेटा उसे मेने बहार भेजा था. देखने को वो ना कुच काला धुआ न जाने कहा से आगया था.

राज : अरे आप लोगो को अंदाज़ा भी है क्या कर दिया है. महेर को भेज कर. हे भगवान ये क्या हो गया.

राहुल : क्या हुआ भाई सब ठीक तो है. ना तुम ऐसे क्यू चेहरे के ढंग बदल रहे हो. और गुस्सा हो रहे हो.

राज : अरे भैया कुच भी ठीक नही है महेर खतरे मे है. उसकी जान को खतरा है. मुझे अभी जाना पडेगा.

राहुल : रुको राज मे भी चलता हू तुम्हारे साथ. क्या पता महेर को बचाने मे मेरि भी मदद चाहिये होगी तुम्हे.

राज : जी नही भैया मे अकेला ही काफी हू. और अकेला ही जा सकता हू. वहा और कोई नही जा सकता. वरना महेर को और खतरा हो सकता है.

राहुल : लेकिन मे ऐसे अकेले तुम्हे नही जाने दे सकता भाई.

राज : पर मे नही गया तो महेर को खतरा बढ सकता है.

राहुल : ठीक है. जाओ पर संभाल कर जाना ठीक है.

प्रणाली : राज बेटा कुच भी हो जाये. महेर को सही सलामत लाना ठीक है.

राज : ठीक है. मम्मी आप फिक्र मत करो मे चोटी को सही सलामत लाऊंगा. ये वादा है. आप सब से मेरा अब निकलता हू. वरना देर हो जायेगा.

महेश : राहुल बेटा तुम न्यूज़ वालो को बुलाओ जल्द से जल्द. और सभी जगह इस लड्की की खोज के लिये बोल दो.

राहुल : हा पप्पा मे अभी बुलाता हू. और हा आप भी कमिस्नर को फोन लगाईये ताकी बडी सी बडी खोज हो सके.

महेश : ठीक है मे अभी जाता हू. और आप सभी मेहमानो से एक दर्ख्वास है. की अभी आप जा सकते है. दरअसाल हमारी बेटी जो महेर है. है वो कही पे ला पता है. तो हमे उन्हे ढूंड जाना होगा.

मनोज मिश्रा : अरे महेश जी कली बात नही हम यही है. अगर खुशी मे हम शामिल हुए है. तो दखी के वक़्त पे भी आपके साथ रहेंगे.

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