श्रद्धा फूल को जैसे ही अपने बैग में रखने ही वाली थी,की तभी करण वहा आ जाता है और श्रद्धा के हाथ से फूल छीन कर अपने हाथों से मिसते हुए श्रद्धा से पुछता है" तुम ये फूल क्यों ली उसने आखिर ऐसा क्या कहा जो तुमने ये फूल लिया? ".....
श्रद्धा चौकते हुए बोलती है"क्या बात कर रहे हो तुमने ही तो उससे बोला, की जाओ उसे फूल देकर आओ?"
करण फूल को फेकते हुए कहता है"तो ये बात है अब देखो कैसे उसे उसकी औकात दिखाता हूं मुझसे होशियारी किया हैं ना अब दिखाता हूं क्या चीज़ हू मैं!"...
श्रद्धा कुछ नही समझ पाती हैं, की करण आखिर क्या बोल रहा है, श्रद्धा करण से पूछती है,"क्या हुआ है,और तुम किसकी औकात दिखाने की बात कर रहे हों,और फूल क्यों फेक दिए?"
करण श्रद्धा से बिन कुछ कहे ही वहा से चला गया, श्रद्धा भी अपने क्लॉस के में चली जाती है।
क्लॉस रूम****
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ऋषि अपने क्लॉस में फर्स्ट बेंच पर बैठा हुआ था, तभी क्लॉस में श्रद्धा आति है,और ऋषि को देखती है,पर ऋषि पढ़ने में लगा था। ओ श्रद्धा पर ध्यान नही देता है। श्रद्धा अपने सीट पर जाकर बैठ जाति है।
और अपनी दोस्त से पूछती है,"अच्छा अंजली ये वही लड़का है ना जो मुझसे बाहर मिला था?"
"हा यही है,पर तू क्यों पूछ रही है?"अंजली श्रद्धा से पूछती है ।
"नही बस ऐसे ही पूछ रही थी!"श्रद्धा ये कहते हुए अपनी किताबे निकलने लगती है।तभी करण अपने कुछ दोस्तो के साथ क्लॉस में आता है,और इधर उधर देखने लगता है, फिर उसकी नज़र ऋषि पर जाति है। करण ऋषि के पास जा कर ऋषि का कॉलर पकड़ कर कहता है।"क्यों बे ज्यादा दिमाग वाला बन रहा है?"..... ऋषि बेंच पर बैठा हुआं बस बर्दास्त कर रहा था।
तभी करण का दोस्त बोलता हैं"अरे भाई क्या टाइम पास करना है,जो करना है इसका करो और चलो यहां से वरना मास्टर आ जाएगा".....
करण ऋषि को एक पंच मारता है उसके फेस पर , ऋषि के मुंह से खून निकलने लगता है , करण ऋषि को उसके जगह से बाहर निकाल कर बहुत बुरी तरह से मारता है, ऋषि चुप चाप मार खाता रहता है।, श्रद्धा ये सब बैठे हुए देख रही थी।
तभी वहा विजय कुमार ( मास्टर )आते है,और क्लॉस में लड़ाई का माहौल देख कर सब को उनको अपने अपने क्लॉस में जाने को कहते है। करण और उसके दोस्त क्लॉस से बाहर निकल जाते है।
ऋषि के हाथ मुंह से खून निकल रहा होता है,ये देख कर विजय कुमार ऋषि को (फर्स्ट एड )के लिए भेजते है। तभी श्रद्धा की दोस्त अंजली कहती है,"बेचारा पहला दिन था,और तेरे ब्वॉयफ्रेंड ने क्या हाल कर दिया इसका!"....पर श्रद्धा उसकी बातों को नजर अंदाज करत देती है।
क्लॉस रूम****
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ऋषि अपने क्लॉस में फर्स्ट बेंच पर बैठा हुआ था, तभी क्लॉस में श्रद्धा आति है,और ऋषि को देखती है,पर ऋषि पढ़ने में लगा था। ओ श्रद्धा पर ध्यान नही देता है। श्रद्धा अपने सीट पर जाकर बैठ जाति है।
और अपनी दोस्त से पूछती है,"अच्छा अंजली ये वही लड़का है ना जो मुझसे बाहर मिला था?"
हा यही है,"पर तू क्यों पूछ रही है?"अंजली श्रद्धा से पूछती है ।
"नही बस ऐसे ही पूछ रही थी!"श्रद्धा ये कहते हुए अपनी किताबे निकलने लगती है।तभी करण अपने कुछ दोस्तो के साथ क्लॉस में आता है,और इधर उधर देखने लगता है, फिर उसकी नज़र ऋषि पर जाति है। करण ऋषि के पास जा कर ऋषि का कॉलर पकड़ कर कहता है।"क्यों बे ज्यादा दिमाग वाला बन रहा है?"..... ऋषि बेंच पर बैठा हुआं बस बर्दास्त कर रहा था।
तभी करण का दोस्त बोलता हैं"अरे भाई क्या टाइम पास करना है,जो करना है इसका करो और चलो यहां से वरना मास्टर आ जाएगा".....
करण ऋषि को एक पंच मारता है उसके फेस पर , ऋषि के मुंह से खून निकलने लगता है , करण ऋषि को उसके जगह से बाहर निकाल कर बहुत बुरी तरह से मारता है, ऋषि चुप चाप मार खाता रहता है।, श्रद्धा ये सब बैठे हुए देख रही थी।
तभी वहा मास्टर आते है,और क्लॉस में लड़ाई का माहौल देख कर सब को उनको अपने अपने क्लॉस में जाने को कहते है। करण और उसके दोस्त क्लॉस से बाहर निकल जाते है।
ऋषि के हाथ मुंह से खून निकल रहा होता है,ये देख कर मास्टर ऋषि को फर्स्ट एड के लिए भेजते है। श्रद्धा को ऋषि के लिए थोडा बुरा लगता हैं।
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(Motivation Speech by विजय कुमार)****
तो डियर स्टूडेंट्स यहां वही स्टूडेंट्स मौजूद है, जिन्होंने डोनेशन दे कर एडमिश लिया है,या तो फिर स्कॉलरशिप के जरिए एडमिशन लिया है।पर क्या कोई बता सकता है इन दोनो में क्या फर्क है?".......
सब शांत होकर बैठे हुए थे अपनी अपनी जगह पर तभी ऋषि वहा आता है..."may I coming sir?"..."yes coming."
ऋषि जा कर अपने सीट पर बैठ जाता है।
काफ़ी देर तक कोई भी जवाब नही देता हैं, विजय कुमार कहते है" चलो कोई बात नही मैं बताता हूं,जो डोनेशन दे कर यहां आते है , दरअसल ओ अपनी मर्जी से नही बल्की अपने माता पिता के मर्जी से आते है। ये उनके माता पिता का सपना होता है की उनका बेटा डॉक्टर बने।और यही वजह है की आज कल के स्टूडेंट्स का मन मेडिकल की पढ़ाई में लगता ही नहीं है।
पर जो स्कॉलरशिप पर यहां आता है, उसे मेडीकल की पढ़ाई की कीमत पता होती हैं। कई रातें कई महीने दिन रात एक कर देता है अपने सपनो को पाने के लिए। और जब ओ डॉक्टर बनता है तो ओ एक डॉक्टर नही बल्की एक भगवन के रूप में निखरता है उसके हाथों में लोगो की जिंदगी बचाने की कैपेसिटी होती है।
जब कोई किसी बीमारी से ग्रसित होता है तो ओ एक डॉक्टर में भगवान को देखता है। क्युकी भगवान के बाद एक डॉक्टर ही है जो उसे ठीक कर सकता है। मैं ये नही कहता की डॉनेशन देने वाले एक अच्छे डॉक्टर नही बन सकते,हो सकता है किसी कारण से ओ कंपटीशन क्वालीफाई नही कर पाया हो।
देखो मैं यहां किसी पर उंगली नही उठा रहा हुं, मेरा बस इतना ही मानना है की अगर तुम मेडिकल फील्ड में अब आ गए हो तो अपना पूरा effort लगा दो क्योंकि तुम्हारे हाथ में लोगो की जिंदगिया हैं।"
तभी बेल बजता है, विजय कुमार सब स्टुडेंट्स को first day के लिए बेस्ट wishes देते है।और चले जाते है।
आशा करता हूं की आप सबको ये एपिसोड पसंद आया होगा। तब तक के लिए byy फिर मिलते है नेक्स्ट एपिसड में एक नए twist के साथ।
तब तक पढ़ते रहिए मेरी कहानी AFTER LOVE