आँगन की चाँदनी - 9 Sabreen FA द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आँगन की चाँदनी - 9

शाम को सब लोग हॉस्पिटल में मौजूद थे,
डॉक्टर कमरे से बाहर आ कर मुस्कुराते हुए बोले,मुबारक हो आपके मरीज़ को होश आ गया है यह खबर सुनकर सबके उतरे हुए चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी,
आरुषि दौड़ते हुए आरोही को गले लगा कर मुस्कुराते हुए बोली, अब तो मुस्कुरा दो तुम्हारे मंगीतर को होश आ गया।
आरोही शर्माते हुए बोली, दी
राहुल को होश में आने के बाद उसके माँ पापा उसके पास ही बैठे थे, राहुल के परे चेहरे पर पट्टियां बधी थी वो किसी को देख नही सकता था लेकिन अटक अटक कर बोल रहा था।
राहुल को अपने हातों पर अपनी माँ के आंसू महसूस हुए,वोह अपनी माँ से बोला,बहोत गल्क़त बात है माँ आप अभी तक रो रही है चलिए आंसू पोंछिए और वादा कीजिये आप आप नही रोयेंगी।

राहुल की माँ अपने आंसू पोंछते हुए बोली,मेरे बच्चे तेरी हर बात मुझे मंज़ूर है, फिर राहुल के पापा बोले, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो हम दोनो तो जीते जी ही मर जाते।

राहुल: पापा आपने मुझे ज़िन्दगी के तुफानो से लड़ना सिखाया है और देखिए आज मैं मौत को हरा कर वापस आया हु आपको तो खुश होना चाहिए और आप ऐसी बातें कर रहे है।
राहुल के पापा मुस्कुराते हुए बोले, बेटा मैं तो इतना खुश हूं कि तुम अंदाज़ भी नही लगा सकते।
उसके बाद उन्हों ने थोड़ी और बातें की और रूम से बाहर चले, उनके जाने के बाद रोहित और आरुषि राहुल से मिलने और थोड़ी देर बातें करके वोह लोग भी बाहर चले गए फिर अंजलि जी और अर्जुन जी ने भी राहुल से बातें की सबके मिलने के बाद आरुषि आरोही के पास जा कर बोली, मुझे पता है राहुल तुमसे मिलने के लिए कितना बेचैन है।
उसके बाद आरोही अपनी जगह से उठकर अंदर राहुल से मिलने के लिए चली गयी।
अंदर जाने के बाद उसने राहुल के पट्टी बंधे हाथों को धीरे से छुआ ।
उसके छूते ही राहुल उसे पहचान कर बोला, आरोही
आप ही है ना।
आरोही का गला भर आया, राहुल की ऐसी हालत देख कर उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
उसकी सिसकिया सुन कर राहुल परेशान होते हुए बोला, आरोही आप रो रही है।
आरोही अपने आंसू पांच कर खुद को सम्भालते हुए बोली, राहुल आप कहते थे ना मेरी दुआए आपकी सुरक्षा करेंगी मुझे नही लगता मेरी दुआओं में इतना असर था।

राहुल: यह क्या कह रही हो अगर तुम्हारी दुआओं में असर नही होता तो आज मैं ज़िंदा ही नही होता, आज के बाद ऐसी बात अपनी जुबान पर मत लाना।
फिर राहिल खयड को शांत करते हुए आगे बोला, उस दिन मैं ने तुम्हे मिलने बुलाया था कई हक़्फ़तों से देखा नही था ना लेकिन फिर एक्सीडेंट होगया और अब आंखों पर पट्टियां है मैं आपको देख भी नही सकता हु।

उसके मोहब्बत भरे लफ्ज़ अब आरोही को बहोत सुकून दे रहे थे उसके चेहरे से धीरे धीरे मायूसी अब गायब होने लगी थी।
आरोही मोहब्बत भरे लहजे में बोली,दो चार दिन की बात है फिर तो आप देख सकेंगे।

राहुल: आरोही मैं,,,,,,,,,,,,,,
उसकी बात बीच मे काटते हुए आरोही बोली, आप कब से बातें किये जा रहे है अब आराम कीजिये। मैं बाहर जाती हूं।
आरोही जैसे ही बाहर जाने लगी राहुल बोला, मुझे पता है जब से मेर एक्सीडेंट हुआ है तुमने कुछ खाया पिया नही है पहले घर जा कर खाना खाओ और आराम करो औए यह मैं तुमसे गुज़ारिश नही कर रहा हु बल्कि हुकुम दे रहा हु।
वो इतने अधिकार से कह रहा रहा था कि आरोही को कपङे दिल मे एक अलग सी मिठास घुल गयी, वो मुस्कुराते हुए बोली, ठीक है तुम्हारा सारा हुकुम मुझे मंज़ूर है।
उसके बाद आरोही वहां से चली गयी।

आरोही रात भर हॉस्पिटल में नही रुक सकती थी, वोह सुबह को अति और शाम को वापस चली जाती।
ऐसे ही एक दिन आरोही राहुल के पास बैठी हुई थी।
राहुल कुछ देर तक किसी सोच में डूबा था फिर अचानक से वो आरोही से बोला, एक बात बताओ।
आरोही: पूछिये,,
राहुल: जब तक मैं हॉस्पिटल में हु तुम रोज़ मुझसे मिलने आओगी??
आरोही: आप बताए आप क्या जवाब सुन्ना चाहते है??
राहुल: आपकी हां
आरोही मुस्कुराते हुए बोली, समझ लीजिए मेरा जवाब यही है।
राहुल खुश होते हुए बोला, थैंक्स।


ऐसे ही दिन बीतते गए, आज डॉक्टर राहुल की पट्टियां खोलने वाले थे।
राहुल मुस्कुराते हुए बोला, आज कितने दिनों बाद में अपनी फैमिली को देख पाऊंगा।
डॉक्टर ने पट्टियां खोल दी और राहुल के सर पर हाथ रखते हुए बोला, अब अपनी आंखें खोलो।
राहुल अपनो को देखने की ख़ाहिश लिए मुस्कुराते हुए अपनी आंखें धीरे से खोली लेकिन उसकी आँखों के सामने बस अंधेरा ही अंधेरा था, वो खुद पर काबू न रख पाया और उसके होंठों से चीख निकली, नही........ ऐसा नही हो सकता है।
रोहित दौड़ कर उसके पास आ कर बोला, राहुल मेरे भाई क्या हुआ??
राहुल: भाई,,, भाई मैं अंधा हो गया हूं भाई मैं कुछ नही देख सकता हु मेरी दुनिया मे अब अंधेरा हो गया है।
रोहित ने जब यह सुना तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी, राहुल यह क्या कह रहे हो??
भाई आप मेरे सामने है लेकिन मैं आपको देख नही सकता हु।
डॉक्टर परेशान होने की ज़रूरत आपके ऑपरेशन के बाद आप देख सकते है आपका ज़ख्म भर जाने के बाद हम आपका ऑपरेशन करेंगे।
रोहित: तुमने सुना न डॉक्टर ने क्या कहा है अब परेशान होने की ज़रूरत नही।
उसकी भक्त सुनकर राहुल शांत हो गया।
रोहित ने जब येह बात घर वालों को बताई तो एक बार उन्हें ज़ोर का झटका लगा, लेकिन रोहित के समझाने पर सब शांत होगये, कुछ दिनों बाद जब राहुल का ज़ख्म भर गया तो अर्जुन जी ने दिल्ली के एक मशहूर डॉक्टर से राहुल के केस के बारे में डिस्क्स किया, आखिर कार वोह राहुल का इलाज करने के लिए तैयार हो गए।
राहुल को चेक करने के बक़द वोह रोहित और अर्जुन जी से बोले, आप लोग बाहर चलें मुझे आप दोनों से कुछ बात करनी है।
राहुल उन्हें रोकते हुए बोला, आप को जो बात करनी है मेरे सामने करे।
रोहित: राहुल डॉक्टर जो भी कहेंगे मैं तुम्हे सब बताऊंगा।
राहुल: भाई मुझे पता है अब मैं सारी उम्र देख नही सकता हु।
डॉक्टर राहुल की बात सुनकर हैरान हो गए उनके बताने से पहले ही राहुल ने अंदाज़ लगा लिया।
डॉक्टर: जी यह बिल्कुल ठीक कह रहे है।
राहुल: आप लोग बाहर जाए मुझे आराम करना है।

कुछ दिनों बाद राहुल का बर्ताव अब आरोही के साथ बदलने लगा था वोह उससे रुखे पन से बात करने लगा।
राहुल अपने रूम में लेटा था तभी उसे कुछ आहत महसूस हुई, राहुल आंखे खोल कर बोला, कौन है??

आरोही: मैं हु।
राहुल: ओह इतना कह कर उसने आंखे बंद करली।
आरोही: आपने आंखे क्यों बंद करली,
राहुल: मुझे नीड आ रही है
आरोही: आपको मुझसे बात नही करनी??
राहुल: क्या बात करूं।
आरोही: पहले क्या आप मुझसे पूछ कर बात करते थे।
राहुल: आरोही मेरे सर की चोट अभी ठीक नही हुई है जब भी मैं बात करता हु उसमे दर्द की टीसें उठने लगती है।
आरोही: तो ठीक है मैं आपसे बात कर लेती हूं।
राहुल: आरोही मैं ने कहा ना यहां से जाओ मुझे नीड आ रही है।
राहुल ने इतने रूखेपन से कहा कि आरोही की आंखों में आंसू आ गए, आरोही आंखों में आंसू लिए बोली, आप इतना कैसे बदल गए।
राहुल: जब मैं बदल गया हूं टी तुम यहाँ अति क्यों हो।
आरोही: आपको लगता है आप इस तरह बात करेंगे तो मैं आपसे मिलने नही आऊंगी मैं फिर भी यहां रोज़ आऊँगी।
इतना कह कर वोह वहां से चली गयी।


कहानी जारी है...........
©"साबरीन"