हडसन तट का ऐरा गैरा - 7 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हडसन तट का ऐरा गैरा - 7

ऐश ख़ूब नाराज़ हुई रॉकी पर। जब तक वो यहां नहीं था तब तक तो न जाने किस अनहोनी की आशंका के बारे में सोच - सोच कर उसे याद कर रही थी पर अब जब वो सामने आकर साक्षात खड़ा हो गया तब ऐश को उस पर क्रोध आ गया।
- तू समझता क्या है रे अपने आप को? बिना बताए गायब हो गया। ये भी नहीं सोचा कि अकेले मेरा क्या हाल होगा?
- क्या बात करती है ऐश! तेरे मिलने से पहले मैं अकेला ही था, मेरे मिलने से पहले तू अकेली ही थी। हम कहां किसी रिश्ते में बंधे हैं जो मेरे लिए तू इतनी परेशान हुई? ये बंधन, ये मेल- मिलाप इंसानों की दुनिया की बातें हैं। वहां रिश्ते भी होते हैं और दुश्मनी भी। लोग शादी भी करते हैं और अलग भी होते हैं। हमारा क्या? न तेरे मेरे बीच कोई खून का रिश्ता न और कोई करार। हम तो बस संयोग से मिले और साथ रहने लगे।
रॉकी ने कहने को तो ये सब कह दिया पर वो मन ही मन खुश हुआ कि ऐश उसे इतना पसंद करती है जो उसके बिना बेचैन हो उठी। सच पूछो तो वो यही न देखना चाहता था कि ऐश को उससे कितना लगाव है? वो कहां कहीं दूर गया था? वो तो यही देखने के लिए गायब होकर छिप गया था कि ऐश को उसकी गैर- हाज़िरी कैसी लगी। मज़ा आ गया - ये तो पसंद करती है मुझे। अपने भाई तक का वियोग आराम से सह गई थी पर मेरे लिए तड़प उठी? ग्रेट!
रॉकी ने पंख फड़फड़ा कर वो तमाम मुलायम स्वादिष्ट घोंघे ऐश के सामने बिखेर दिए जो वो चुन - चुन कर ख़ास उसी के लिए लाया था।
ऐश का गुस्सा कोई सचमुच का थोड़े ही था, वो बनावटी नखरे थे, तुरंत उड़न - छू हो गए। ऐश घोंघों पर झपट पड़ी। उसे भूख तो लगी ही थी।
खा - पीकर दोनों टहलते हुए घास के किनारे एक दरख़्त की छाया में जा बैठे।
कुछ रुक कर रॉकी बोला - एक बात बता ऐश, क्या सचमुच तुझे मेरा जाना अच्छा नहीं लगा?
- अरे जा- जा, मुझे क्या फ़र्क पड़ने वाला था? तू मेरा लगता ही कौन है? ऐश बनावटी गुस्से से मुंह फेर कर बोली।
- लगता है तू अभी तक मुझसे नाराज़ है। मैंने अपनी गलती मान तो ली बाबा। ले, अब कसम ले ले कि मैं तुझे छोड़ कर कभी कहीं नहीं जाऊंगा। रॉकी बोला।
- सच? ऐश की आंखों में तरल चमक आ गई।
- तेरी कसम!
आंखों में आंसू भर कर ऐश बोली - शुक्रिया दोस्त, तू तो जानता है न, हम परदेसियों के बच्चे हैं। अपने मुल्क की ठंड से बचने के लिए हज़ारों मील उड़ कर वो यहां आते हैं और यहां की खुशनुमा रातों में प्यार भी करते हैं। उनके प्यार का प्यारा सा नतीजा जब तक आता है तब तक वो सब कुछ भूल कर वापस उड़ान भी भर जाते हैं। उनके जाने के बाद मिली वीरान सी ज़िंदगी में हमें मुश्किल से तो कोई मनपसंद साथी मिलता है, वो भी अगर ऐसे आंखमिचौली खेलने लगे तो डर लगेगा ही न! कह कर ऐश ने सिर झुका लिया।
रॉकी का दिल किया कि वो ऐश को अपने गले से लगा ले, पर वो साथ में डरता भी था कि कहीं ऐश बुरा न मान जाए, इस महारानी का कोई भरोसा भी तो नहीं!
रॉकी को ऐश का भोलापन देख कर लगता था कि न जाने ये कमसिन सी चिड़िया प्यार - व्यार का मतलब भी जानती है या नहीं! कहीं इसके लिए प्यार का मतलब बचपन की सुरक्षा भरी नज़र की तरह ही हुआ तो ये गले लगाते ही बिदक जायेगी।
उसने दूर से ही उसकी आंखों में झांक कर देखा। वहां मां की ममता, पिता का दुलार, भाई का संरक्षण मानो एक साथ ही झलक रहा था।
आज बहुत खूबसूरत भी दिख रही थी ऐश।
ये तो कुदरत का कायदा ही है, अगर साथ में कोई मनपसंद प्यारा साथी हो तो अंगों का गदरायापन और भी मुखर हो ही उठता है!
रॉकी मन ही मन उस शाम की बात याद करके शरमा गया जब उसने ऐश से तन में अंडे डालने की बात की थी।
ये मासूम भोली न जाने क्या समझी होगी? उसे तो लगता था कि ये कुछ नहीं समझती!
रॉकी ने पानी की लहरों में छलांग लगा दी क्योंकि ऐश भी अब नदी में जाने को व्याकुल थी।