Junoon - ishq ya badle ka.. - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

जुनून - इश्क या बदले का... - 26

" हम क्या तुम्हारे नोकर है , जो तुम हमे ऑडर दे रहे हो , अगर इतनी ही भूख लगी है , तो जाके खुद बना लो और खाओ वरना भूखे ही सो जाओ , हमारी बलासे " , दिव्या मुंह बनाकर केहाती है ।

" तुम सच मे मेरे लिए खाना नहीं बनाओगी...? , अक्षय एक डेविल स्माइल के साथ उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए केहता है ।

अक्षय को अपनी तरफ आता देख दिव्या अपने स्टेप पिछे लेते हुए , " नहीं बनाएंगे हम तुम्हारे लिए कोई खाना वाना क्या कर लोगे तुम " ....

इतना कहते कहते वो सीढ़ियों तक पोहोच जाती है , और वो पीछे कि और गिरने हि वाली होती है कि अक्षय उसे उसकी कमर से पकड़कर एक झटके मे अपनी तरफ खींच लेता है , जहां दिव्या के दोनों हाथ अक्षय के चेस्ट पर थे , तो वही अक्षय का एक हाथ दिव्या कि पतली सी कमर के चारों ओर लिपटा हुआ था ।

ये पहली बार था जब ये दोनों एक दूसरे के इतने करीब आए हो , क्योंकि दोनों ही अपने अपने कामों मे बिज़ी होने के कारण कभी कबार ही मिलते थे । और जब भी मिलते तो हमेशा लड़ते झगड़ते रहते थे , और इनकी लड़ाई के चक्कर में हमेशा सिमरन अपनी बहन और दोस्त के बीच में पिसती रहती थी ।

कुछ सेकंड तो वो दोनों एक दूसरे कि आंखों में देखते रहते है ।

अक्षय उसी तरह दिव्या कि आंखो मे देखते हुए , " अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मजबूरन मझे पूरे राठौड़ खानदान को यहां इकठ्ठा करना होगा , उसके बाद तुम उनके सवालों के जवाब देती रहना , ओके " इतना कहकर वो उसकी कमर को छोड़ देता है , और सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे कि तरफ बढ़ जाता है ।

दिव्या गुस्से से उसे जाता हुआ देखती हैं , और पैर पटकती हुई किचन में चली जाती है । किचन मे आके उसे कुछ समझ में नहीं आता कि वो इतनी जल्दी क्या बना सकती है । तभी उसकी नजर नूडल्स के पैकेट पर जाती है , तो वो नूडल्स और पास्ता बनाने का डिसाइड करती हैं ।

तो वही अक्षय 4th फ्लोर पर पोहोंचा ता है , जहां उसका , सिमरन का और दिव्या का कमरा है ।

अक्षय अपने साथ बस एक केरी बेग लेकर आया था , जो उसके कंधे पर टंगा हुआ था । क्योंकि यहां उसका जरूरत का सामान पहले से ही था, ताकि वो जब भी यहां आए उसे कोई परेशानी ना हो ।

वो अपने रूम में आकर सीधा क्लोसेट रूम मे चला जाता है और अपने बेग को वही रखकर अपने कपड़े लेकर वॉशरूम मे चला जाता है ।

वो जल्दी ही फ्रेश होकर वॉशरूम से बाहर आ जाता है ।और जैसे ही वो कमरे में आता है तो देखता है कि दिव्या खाने कि ट्रे को कॉफी टेबल पर रख रही है । जिस मे नूडल्स और पास्ता के बाउल रखे हुए थे ।

" तुम्हे इसके अलावा कुछ और बनना नहीं आता क्या...? " , अक्षय कॉफी टेबल कि तरफ़ आते हुए कहता है ।

उसकी बात सुनकर दिव्या को गुस्सा आ जाता है , एक तो वो आधी रात को उसके लिए खाना बनाके लेकर आई है , ऊपर से ये नवाबजादे तो लड़कियों कि तरह नखरे दिखाने से बाज़ ही नहीं आ रहे ।

दिव्या उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए चिड़कर, " अगर तुम्हे छप्पन भोग ही खाने थे , तो खुद ही जाके बना लेते ना , हमे क्यों कहा बनाने को , अब जो बना है वो खाना हो तो खाओ वरना भाड़मे जाओ " , और गुस्से से अपने पैर पटकती हुई कमरे से बाहर निकल जाती है ।
" मैने ऐसा भी क्या बोल दिया कि ये मुझे भाड़ मे भेज रही है ।" , वो खुद से ही बड़बड़ाता हुआ सोफे पर आकर बैठ जाता है । और नूडल्स का बाउल लेकर खाने लगता है । खाना खा लेने के बाद वो कहने कि ट्रे को किचन में जाके रख आता है , और वापस अपने कमरे आके सो जाता है ।

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