Junoon - ishq ya badle ka.. - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

जुनून - इश्क या बदले का... - 23

इसीलिए सिमरन मन मारकर रवी और आद्या को बाय बोल श्याम के साथ आरव की कार कि तरफ़ चल देती है।

सिमरन के जाने के बाद रवी और आद्या कार मे बैठते हैं , और वहां से निकल जाते हैं ।

आद्या को कुछ भी अजीब नहीं लगता सिमरन का आरव के साथ उसकी कार से जाना , क्योंकि रवी ने उसे पहले ही सिमरन के बारे में बता दिया था ।

सिमरन और श्याम कार के पास आते ही , श्याम आगे बढ़कर कार का बैक डोर खोलता है , तो सिमरन अंदर जाके बैठ जाती है , जहां आरव पहले से ही बैठा हुआ था । श्याम ड्राइविंग सीट पर आके बैठ जाता है , और कार स्टार्ट कर देता है।

सिमरन अपने हैंड बेग से अपना मोबाईल निकालकर उसे ऑन करती है । उसे आज पूरे दिन में बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला था , कि वो अपने मोबाईल को चेक करें।

वो अपना मोबाईल चेक करती है , तो उस मे कुछ मैसेजेस आए हुए थे । तो वो उन मैसेजेस का रिप्लाइ करने में लग जाती है ।

आरव तबसे सिमरन को नोटिस कर रहा था , जबसे वो कार में आकर बैठी थी , उसने तबसे लेकर अबतक एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा था , जहां लड़कियां उसकी एक झलक पाने के लिए भी तरसती है । वहां ये लड़की उसे ऐसे इग्नोर कर रही थी , मानो वो वहां हो ही ना । आरव का उसे यू ख़ुद को इग्नोर करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता ।

क्यों....? वो तो उसे खुद भी नहीं पता था , उसने कभी भी किसी भी लड़की के लिए ऐसा कुछ फिल नहीं किया था , और नाही उसे किसी लड़की कि कोई परवा थी । लेकिन उसे इस लड़की कि हर छोटी सी छोटी बातों से इतना फर्क क्यों पड़ रहा था , वो चीज़ तो वो खुद भी नहीं समझ पा रहा था । वो यही सब सोचते हुए , खिड़की से बाहर देखने लगता है ।

कार राजावत पैलेस में आके रुकती है , तो सिमरन कार से निकलकर श्याम को लिफ्ट देने के लिए उसे थैंक्स केहती है । और घर के अंदर चली जाती है ।

वही आरव की आंखे सिमरन की बात सुनते ही छोटी हो जाती हैं , वो श्याम कि तरफ घुर कर एक नज़र देखते हुए अपने मन में , " तुम्हे लिफ्ट इस गधे ने नहीं , बल्कि में ने दी है बेवकूफ़ लड़की " और फिर वो भी घर के अंदर चला जाता है ।

डिनर के बाद...💞💞💞

सब लोग लिविंग रूम में बैठे एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे । के सिमरन उन सब के लिए किचन से आइस्क्रीम लेकर आती है , और सब को एक एक करके दे देती है । दादी , सिमरन और आरुषि एक सोफे पर बैठे थे , और नरेन और प्रांजलि दूसरे सोफे पर बैठे हुए थे , तो वही आरव अकेला सोफ़ा पर किसी महाराजा कि तरह बैठा हुआ था ।

दादी आइस्क्रीम खाते हुए हि सिमरन से , " बेटा आज तुम्हारा ऑफिस का पहला दिन कैसा गया ।

" अच्छा था दादी " वो एक फीकी सी स्माइल के साथ कहती हैं , फिर किसी सोच मे चली जाती हैं ।

लेकिन ये बात दादी नॉटिस कर लेती है । कि जरूर सिमरन किसी बात से परेशान हैं ।

" कहीं मेरे इस नालायक पोते ने तो कुछ नहीं किया ना मेरी फूल जैसी बच्ची के साथ " ये खयाल मन में आते ही दादी एक नज़र घुर कर आरव को देखती हैं।

आरव को जैसे ही रियलाइज होता है , कि कोई उसे घुर रहा है , तो वो अपनी नज़रे उठा कर देखता है तो उस कि नज़रे दादी कि नजरों से मिलती है ,जो उसे बुरी तरह घुर रही थी । वो उनकी तरफ सवालिया नजरो से देखता है...? जैसे पूछना चाह रहा हो कि बात क्या है जो आप मुझे इस तरह घुर रही है ...?

लेकिन दादी तुरंत अपनी नज़रे उस पर से फेर लेती है , और सिमरन को देखते हुए , " क्या बात है बेटा कहीं तुम्हे मेरे इस ( वो आरव की तरफ एक नजर देखते हुए ) नालायक पोते ने परेशान तो नहीं किया ना ...?

" मुझे सेक्रेटरी के साथ साथ अपनी असिस्टेंट भी तो बना लिया है इस पागल इंसान ने , पता नहीं में इतने वर्कलोड़ के साथ अपना काम कैसे करूंगी " सिमरन बिना कुछ सोचे समझे बेखयाली में कुछ भी बोल देती हैं । लेकिन उसे तुरंत अपनी ग़लती का एहसास होता है । कि अभी अभी उसने क्या बोल दिया ।
To be continued......❤

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