कहानी - भाभी जी घर पर हैं
“ अरे यार , इस खूसट मकान मालिक को डिपाजिट की रकम तीन दिन के अंदर न मिली तो हमलोगों को यह फ्लैट खाली करने के अलावा और भी कितना घाटा होगा सोचा है तुमलोगों ने ? “ मुकेश बोला
“ हाँ , वह बूढ़ा बोल गया है कि एग्रीमेंट के अनुसार हम अगर डिपाजिट अगले तीन दिनों तक जमा न कर पाए तो जो डिपाजिट हमने किया है उसका 50 प्रतिशत ही वह लौटाएगा और मकान भी खाली करना होगा . “ दुर्गेश ने कहा
“ मुझे तो अब डर लगने लगा है . हमलोगों को आये हुए एक महीना होने जा रहा है और अभी तक मुझे नौकरी भी नहीं मिली है . क्या मुंह दिखाऊंगा वापस घर जा कर ? पापा ने साहूकार से 2 प्रतिशत महीने सूद पर लोन लेकर मुझे रूपये दिए थे . मैंने भी सोचा था कि मुंबई में महीने भर में कोई न कोई नौकरी मिल ही जाएगी . “ दयाल बोला
तीनों लड़के लैपटॉप में देखने लगे कि आज रूम शेयर करने वाले किसी का मेल आया है कि नहीं . मुकेश , दुर्गेश और दयाल तीनों ने महाराष्ट्र के डोनेशन वाले कॉलेज से इंजीनियरिंग किया था . कैंपस से तो दो चार भाग्यशाली लड़कों को ही नौकरी मिल सकी थी . मुकेश और दुर्गेश दोनों उत्तर प्रदेश से थे और दयाल बिहार का रहने वाला था . एक तो उत्तर भारतीय के नाम पर उन्हें जल्दी मकान नहीं मिल रहा था . बहुत दौड़ धूप करने के बाद उन्हें थाने में एक फ्लैट मिला था , 50,000 डिपोजिट और 18000 मासिक किराए पर . तीनों ने मिलकर कुछ डिपॉज़िट मकान मालिक को दिए थे पर अभी भी कुछ रकम देनी बाकी थी . उन्होंने इंटरनेट पर रूम शेयर करने के लिए पोस्ट किया था , पर तीन सप्ताह होने के बाद भी कोई रूम पार्टनर नहीं मिल था , और जो मिले वे उतने डिपॉजिट देने को तैयार न थे .
भाग्यवश मुकेश और दुर्गेश दोनों को करीब बीस पच्चीस हजार की नौकरी मिल गयी थी . उनकी सैलरी भी एक सप्ताह बाद मिलने वाली थी . तीनों के पास मुश्किल से सप्ताह भर खाने पीने के लायक पैसे बचे थे . उनके प्लान के मुताबिक एक और पार्टनर मिलने के बाद दो दो लड़के एक रूम में रहेंगे , मुकेश और दुर्गेश एक कमरे में और दयाल और आने वाल नया लड़का दूसरे कमरे में . अटैच बाथरूम एक ही कमरे में था और एक कॉमन बाथरूम था .
डिनर के बाद तीनों फर्श पर ही चटाई बिछा कर अपना अपना ईमेल चेक कर रहे थे . दयाल के पास रूम शेयर करने के लिए एक ईमेल आया था , पर वह रिया नाम की एक लड़की का था . तीनों एक दूसरे की ओर देखने लगे . दयाल बोला “ अगर लड़की हो कर वह साथ रहने को तैयार है तो हमें क्या प्रॉब्लम है , आने तो दो उसे . पहले उससे बात कर के तो देखें ? “
दयाल ने रिया को तुरंत ईमेल का जवाब दिया और अपना सेल नंबर भी दिया . दस मिनट के अंदर ही उसे रिया का फोन आया “ कल शाम को मैं मिलने आ रही हूँ . मैं डिपोजिट की रकम भी दूंगी . पर कुछ मामूली शर्तें मेरी भी होंगी . “
“ ठीक है तुम आओ तो सही . “
तीनों दोस्तों ने राहत की सांस ली . अगले दिन शाम को रिया अपने सामान के साथ आयी . उसने अपना सामान एक कोने में रख कर कहा “ गाइज , मैं तो पूरा तैयार हो कर रहने के लिए आई हूँ . मेरा कमरा दिखाओ . “
मुकेश बोला “ यह दयाल का रूम है , इसी रूम के लिए एक पार्टनर की तलाश थी . पर तुम हमारे साथ रहना चाहोगी ? “
“ क्यों नहीं ? मुझे फर्क नहीं पड़ता , पर क्या तुमलोग असहज महसूस करोगे या मुझसे डरोगे तो नहीं ? “
सभी उसकी ओर देखने लगे .
रिया ने एक बार पूरे फ्लैट को घूम कर देखा , फिर कहा “ गाइज , मैं एक रूम में अकेले ही रहूंगी और वह भी अटैच बाथ वाले में . “
“ इसका मतलब हम तीनों एक रूम में और तुम अकेले ? “
“ हाँ और किराया भी मैं तुमलोगों से ज्यादा दूंगी , आधा किराया मैं खुद दूंगी बाकी आधे में तुम लोग शेयर कर लेना . “
तीनों दोस्तों ने आपस में बात किया , फिर सोचा यह तो काफी अच्छा ही रहेगा , उन तीनों को सिर्फ तीन तीन हजार ही किराया देना होगा .
दयाल बोला “ ओके रिया , डन . पर हमारी भी कुछ शर्तें हैं . “
“ क्या ? “
“ घबराओ नहीं , कुछ एब्सर्ड नहीं हैं . सुबह में टाइम कम रहता है हमलोगों में किसी को चर्चगेट तो किसी को पवई जाना होता है . सुबह की चाय और टोस्ट तुम बनाया करना . दिन में तो लंच बाहर ही होता है , डिनर मिलजुल कर बना लेंगे . महरी सुबह सुबह छः बजे ही आती है . उसे तुम्हें ही मैनेज करना होगा . “
“ ठीक है , कल मैं डिपॉजिट मनी ऑनलाइन ट्रांसफर कर दूंगी . “
अब उस दो रूम के फ्लैट में चार लोग रहने लगे थे . वादे के मुताबिक रिया ने सुबह की चाय बना दी और टोस्टर में ब्रेड रख कर कहा “ तुमलोग अपना ब्रेकफास्ट कर लेना . “
मुकेश और दुर्गेश नाश्ता कर जल्द ही निकल गए . दयाल और रिया रह गए थे . रिया ने कहा “ फ्लैट की चाभी तो एक ही बची है , मैं थोड़ी देर में निकलूंगी . तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ? “
“ मेरा अँधेरी की एक कंपनी में फाइनल इंटरव्यू है , फोन पर इंटरव्यू पहले ही हो चुका है ? “
“ बेस्ट ऑफ़ लक . वैसे मुझे भी अँधेरी ही जाना है . अभी चाभी मैं रख लेती हूँ , पर फ्लैट की एक्स्ट्रा चाभी बनवानी होगी . तुम अपने लौटने का प्रोग्राम फोन पर बता देना . “
दयाल और रिया एक ही साथ लोकल ट्रेन पर चढ़े . रास्ते में रिया ने बताया कि वह बंगालिन है पर बिहार के पटना में सैटल है . उसके पापा का बिजनेस है . दयाल भी पटना के निकट आरा का रहने वाला था . उस दिन रिया पहले ही लौट आयी थी .
दयाल वापस लौटा तो उसके हाथ में मिठाई का पैकेट था . रिया ने पूछा “ लगता है गुड न्यूज़ देने वाले हो ? “
“ हाँ , तुम्हारा आना मेरे लिए काफी लकी रहा . मुझे भी जॉब मिल गया . लो मिठाई खाओ . “
“ कॉंग्रट्स , दयाल . “
शाम को डिनर आपस में मिलजुल कर बनता . चारों के बीच अच्छा तालमेल हो गया था . पर एक प्रांत के होने के कारण और दोनों के ऑफिस अँधेरी में होने की वजह से दयाल और रिया कुछ नजदीक आने लगे थे . कुछ दिनों बाद दयाल और रिया कभी एक साथ मूवी तो कभी डिनर पर भी जाने लगे . सुबह में जल्दबाजी होने के कारण दयाल को अक्सर रिया का बाथरूम शेयर कर लेने की छूट मिल गयी थी , पर जब पहले रिया बाथरूम यूज कर लेगी तब .
एक रविवार मुकेश का कोई दोस्त आया तो रिया से उसने परिचय कराते हुए कहा “ यह रिया है , हमारी आधी घर वाली . “ इस बात पर पांचों एक साथ हँस पड़े .
समय मुठ्ठी में रखी बालू की तरह सरकता रहा . लगभग एक साल होने को था . इस बीच रिया और दयाल दोस्ती की हद तोड़ कर प्रेम की सीमा में प्रवेश कर चुके थे . इसकी भनक बाकी दोस्तों को लग गयी थी . मुकेश और दुर्गेश ने दयाल से एक दिन पूछ ही लिया “ यार , रिया के बारे में तेरा इरादा क्या है ? कहीं शादी करने की तो नहीं सोच रहा है ? “
“ अभी सिर्फ मन ही मन सोचा है , पर प्रपोज नहीं किया है . “
कुछ दिनों बाद कंपनियां बोनस डिक्लेअर करने जा रही थीं . इत्तफाक से चारों को अच्छे बोनस मिले . दुर्गा पूजा की छुट्टी में चारों ने एक ही साथ ट्रेन से आने जाने के लिए रिजर्वेशन कराया था . मुकेश को इलाहबाद , दुर्गेश को कानपुर , दयाल को आरा और रिया को पटना जाना था .
चारों मुंबई से पटना की ट्रेन में अपने अपने घर जा रहे थे . मुकेश और दुर्गेश अपने अपने स्टेशन उतर गए थे और थोड़ी देर में आरा स्टेशन आनेवाला था . रिया ने कहा “ दयाल ,तुम्हारा स्टेशन आनेवाला है . “
“ हाँ , पर सोच रहां हूँ मैं भी पटना ही चलूँ , आरा का बर्थ नहीं मिल रहा था . मेरा टिकट भी पटना तक का है , एक घंटा के अंदर पहुँच ही जायेंगे . वहीँ से मैं अपनी मम्मी , पापा और भाई बहन के लिए कपड़े खरीद लूंगा . आरा में रेडीमेड के अच्छे शोरूम नहीं है . “
एक घंटे में रिया और दयाल पटना पहुंचे . प्लेटफार्म पर रिया के पापा आये थे . रिया ने दयाल से उनका परिचय कराया और कहा “ यह मेरा फ्रेंड है और मेरे साथ फ्लैट शेयर करता है . “
दयाल ने हंस कर कहा “ नो अंकल , रिया हमारा फ्लैट शेयर करती है . “
तीनों एक साथ हँस पड़े थे . पापा ने रिया से धीरे से कहा “ सिर्फ फ्रेंड है या . . . मुझे तेरी मम्मी ने बता रखा है . “
रिया शरमा कर रह गयी . दयाल बोला “ मैं अपना सामान क्लॉक रूम में रख कर , यहीं वेटिंग रूम में फ्रेश हो लेता हूँ . थोड़ी शॉपिंग कर के शाम की ट्रेन से आरा लौट जाऊंगा . “
रिया के पापा ने कहा “ नहीं , तुम हमारे साथ चलो , मेरे घर में ही फ्रेश हो लेना और शाम क्यों रात में डिनर कर के तूफ़ान एक्सप्रेस से लौट जाना . दिन भर का टाइम रहेगा शॉपिंग के लिए . “
दयाल रिया के घर गया . वह कुछ देर में फ्रेश हो कर बाहर चला गया . इधर रिया के मम्मी पापा ने रिया से दयाल के बारे में जानकारी ली . फिर रिया से पूछा “ तुम्हें दयाल पसंद है तो हमें भी कोई आपत्ति नहीं है . “
दयाल शाम को लौटा तो रिया ने यह बात बतायी . वह बोला “ मुझे भी पूरा भरोसा है मेरे मम्मी पापा को भी इस फैसले पर कोई ऐतराज़ नहीं होना चाहिए . “
दयाल रात में अपने घर चला गया . अगले ही दिन रिया के पापा ने दयाल के पापा को फोन कर इस रिश्ते के बारे में उनका विचार जानना चाहा तो दयाल के यहाँ से भी स्वीकृति मिल गयी .
दो दिन बाद दशहरे के दिन दयाल के मम्मी पापा और दयाल रिया के घर गए . उसी दिन दोनों की सगाई हुई . दोनों परिवार खुश थे .
छुट्टी के बाद रिया और दयाल मुंबई लौट रहे थे . पहले इलाहबाद में दुर्गेश ट्रेन में चढ़ा . उसने दोनों की अँगुलियों में नए इंगेजमेंट रिंग देखा . फिर मुस्कुरा कर पूछा “ तो तुमलोगों का मामला फिट हो गया , है न ? “
दोनों ने मुस्कुरा कर सहमति प्रकट किया . दुर्गेश ने पूछा “ शादी कब कर रहे हो ? “
“ जनवरी में . “ दयाल ने कहा
तीन घंटे बाद कानपुर में मुकेश चढ़ा तो उसे भी यह बात पता चली . उसने दोनों को मुबारकबाद दिया .
मुंबई पहुँचने के कुछ दिन बाद ही उनके फ्लैट के बगल वाला फ्लैट खाली हुआ . मुकेश ने प्रस्ताव रखा “ मैं दुर्गेश के साथ इसमें मूव कर जाता हूँ . हमारे डिपॉजिट की रकम तुम्हें वापस करनी होगी . बोनस तो मिला ही है दोनों को , कोई प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए . आखिर तीन महीने बाद तुमलोगों की शादी भी होने जा रही है . “
रिया और दयाल ने हामी भरी . कुछ देर बाद दुर्गेश भी लौटा और यह जानकारी उसे दी गयी . दुर्गेश बोला “ वाह , रिया तो कमाल की चीज निकली . पहले तो आधी घरवाली बनी और अब हमें निकाल कर पूरी घरवाली बनने जा रही है . ठीक है , अपना अपना नसीब है . “
“ हाँ , अब हमें इसे भाभी कह कर बुलाना होगा . है न भाभी ? “ दुर्गेश ने कहा
“ और वीकेंड की चाय और ब्रेकफास्ट भाभीजी करायेंगी . इसमें कोई छूट नहीं मिलेगी . “
“ ओके बाबा . “ रिया बोली
अगले हफ्ते मुकेश और दुर्गेश नए फ्लैट में शिफ्ट कर गए . वीकेंड में दोनों ने दयाल के फ्लैट का बेल बजाया .
दयाल के दरवाजा खोलने पर दोनों ने एक साथ पूछा “ भाभीजी घर पर हैं , हम चाय पीने आये हैं . “
“ हाँ , हाँ , देवरों . तुम्हारी भाभी घर पर है और चाय पर तुमलोगों का इन्तजार कर रही है .अंदर चलो , जल्दी .” रिया ने कहा और सभी एक साथ हँस पड़े .
xxxx समाप्त xxxxx