Suna Aangan - Part 4 books and stories free download online pdf in Hindi

सूना आँगन- भाग 4

अभी तक आपने पढ़ा अपनी पत्नी के लिए उपहार में मंगलसूत्र लेकर अभिमन्यु आ रहा था कि एक ट्रक ने उसकी कार को ऐसी टक्कर मारी कि अभिमन्यु ने वहीं दम तोड़ दिया; तभी वैजयंती के पास एक फ़ोन आया। अब पढ़िए आगे -

नैना, नवीन सभी लोग वैजयंती के आस पास ही खड़े थे। वैजयंती रोने लगी रोते-रोते उसने नवीन से कहा, "नवीन देखो ना यह इंस्पेक्टर साहब क्या कह रहे हैं?" 

नवीन ने वैजयंती के हाथ से फ़ोन लिया और नैना ने वैजयंती को संभालते हुए पूछा, "भाभी आख़िर हुआ क्या है? आप रो क्यों रही हो?"  

"एक-एक एक्सीडेंट…"

तब तक नवीन ने फ़ोन पर पूछा, "इंस्पेक्टर क्या हुआ?" 

"देखिए यहाँ जो एक्सीडेंट हुआ है, उसमें जो गाड़ी चला रहे थे अभिमन्यु, उनके पास मिले कार्ड से उनका नाम पता चला है उनकी मृत्यु हो चुकी है।" 

"क्या …," नवीन निढाल होकर बैठ गया। उसके हाथों से फ़ोन छूट गया। सब समझ गए कि मामला गंभीर है।

"क्या हुआ नवीन?" अशोक जी ने पूछा।

"बाबूजी भैया … "

"क्या हुआ अभि को?" ऊषा ने पूछा।

तब तक वैजयंती उठ कर खड़ी हो गई और नवीन के पास जाकर उसे जोर-जोर से झकझोरते हुए पूछने लगी, " नवीन क्या हुआ है अभि को? बता मुझे, तू चुप क्यों है? तेरी आँखों में आँसू क्यों हैं? वह हैं तो सही ना या … " 

जोर से रोते हुए नवीन ने कहा, "भाभी, भैया हमें छोड़ कर चले गए।"

इतना सुनते ही वैजयंती ने नवीन के गाल पर एक तमाचा लगाते हुए कहा, "तू पागल हो गया है क्या? यह क्या बकवास कर रहा है? अभि मुझे छोड़ कर कभी कहीं नहीं जा सकता। अभी थोड़ी देर पहले ही तो मुझसे वीडियो पर बात की है उसने। मेरे लिए हीरे का मंगलसूत्र भी खरीदा है ताकि मैं हमेशा सुहागन रहूँ। वह बस आता ही होगा।"

अशोक, ऊषा, नैना सब यह सुनकर बेसुध होकर रो रहे थे। बूढ़े माता-पिता का सहारा जो उन्हें कंधा देने वाला था, आज उन्हें छोड़कर चला गया। वैजयंती बेहोश हो गई उसे होश में लाने की कोशिश नैना कर रही थी। नवीन घटना स्थल के लिए निकलने लगा। तभी उसका दोस्त उदय आ गया। उसे बाहर से ही पता चल गया था। वह नवीन के साथ घटना स्थल पर पहुँचा।

"यह क्या हो गया मेरे दोस्त?" नवीन ने रोते हुए कहा।

"धैर्य रख नवीन तुझे हिम्मत रखनी होगी। कमज़ोर पड़ने का वक़्त नहीं है यह। घर में सभी को अब तुझे ही संभालना है।" 

नवीन ने रोते हुए अभिमन्यु के जिगरी दोस्त सौरभ को फ़ोन करके इस दुर्घटना के बारे में बताया। यह सुनते ही उसके पाँव तले से ज़मीन ही खिसक गई और वह भी तुरंत ही घटना स्थल पर पहुँच गया।

उधर घर पर टेबल के ऊपर केक रखा था। कमरा फूलों से सजाया हुआ था। लाल रंग की साड़ी में दुल्हन की तरह सजी-धजी वैजयंती बैठी थी, वह होश में नहीं थी। अभी वह शांत थी किंतु आँखें लगातार पानी से मानो नहा रही हों। नैना सभी को संभालने में लगी हुई थी।

अभिमन्यु को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। नवीन और उसके कुछ दोस्त हॉस्पिटल में मौजूद थे। शराब पीकर ट्रक चलाने वाला ड्राइवर घटना स्थल से फरार हो चुका था। पुलिस उसे ढूँढने की कोशिश कर रही थी। चार घंटे के बाद अभिमन्यु का पार्थिव शरीर नवीन को सौंप दिया गया। साथ ही पुलिस ने अभिमन्यु का मोबाइल और मंगलसूत्र का डब्बा नवीन को देते हुए कहा, "मिस्टर नवीन सॉरी भगवान आपके परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति दे।"

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

स्वरचित और मौलिक

क्रमशः

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