आपका कुकिंग आयल कैसा हो S Sinha द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

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आपका कुकिंग आयल कैसा हो

आपका कुकिंग आयल कैसा हो


आजकल हमारे किचेन में कुकिंग आयल के लिए अनेकों विकल्प मौजूद हैं - देशी सरसो तेल और शुद्ध घी से ले कर एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव आयल या इनके बीच सनफ्लावर , कनोला , पीनट , सीसमे ( तिल ) , नारियल , वेजिटेबल आयल , राइस ब्रान आयल आदि . कौन सा कुकिंग आयल आपके लिए बेस्ट है या कौन सा आयल आप चुनें इसके पहले यह समझने की कोशिश करें कि कौन सी चीज या कौन सा गुण कुकिंग आयल को बेहतर बनाता है . यह कुछ बातों पर निर्भर करता है . ध्यान देने की बात है कि एव्री कुकिंग प्रोसेस एंड एव्री कुकिंग आयल इज डिफरेंट . इसलिए आप कौन सा आयल चुनते हैं इसके लिए कुछ पहलुओं पर जरूर विचार करें -


कुकिंग आयल में कौन सा फैट है और कितना है यह महत्त्व रखता है . मोनो अनसैचुरेटेड और पॉली अनसैचुरेटेड फैट्स स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं . सैचुरेटेड फैट स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है इसलिए कुकिंग आयल वैसा चुनें जिसमें सैचुरेटड फैट अगर हो तो सीमा के अंदर ही हो.


कितनी देर और कितना गर्म कुकिंग या बेकिंग करना है , यह भी सोच लें .गर्म करने पर भिन्न फैट भिन्न प्रकार से बिहेव करते हैं . ज्यादा तापमान पर या ज्यादा देर तक कुक करने से कुछ फैट डिग्रेड और ऑक्सीडाइज करते हैं जिसके चलते स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व बनते हैं . इसके अलावा स्वाद भी ख़राब हो सकता है . पॉली अन सैचुरेटेड फैट मोनो अनसैचुरेटेड या सैचुरेटेड की तुलना में जल्द ऑक्सीडाइज करता है .


कुकिंग आयल का स्मोकिंग पॉइंट क्या है , इस पर भी गौर करें . किसी भी तेल का स्मोक पॉइंट वह तापमान है जिस पर वह तेल गर्म करने पर धुंआ या हल्का नीला वाष्प बनने लगता है . अगर आपके तेल के साथ ऐसा है तो उसे फेंक दें . यह इस बात का संकेत है कि आपका तेल डिग्रेड या ब्रेक हो कर ऑक्सीडाइज कर रहा है और इस प्रक्रिया में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्व बना रहा है . अनरिफाइंड तेल का स्मोक पॉइंट रिफाइंड की तुलना में कम होता है , इसलिए ऐसे तेल में उच्च तापमान पर कुकिंग अच्छा नहीं है .


आपको कौन सा फ्लेवर पसंद है , कुकिंग आयल का चॉइस इस पर भी निर्भर करता है . भिन्न कुकिंग आयल के फ्लेवर भी भिन्न होते हैं इसलिए आपके खाने का स्वाद भी भिन्न हो जाता है , जैसे दक्षिण भारत में सरसो तेल का फ्लेवर शायद पसंद न हो और उत्तर में नारियल तेल का .


कुकिंग आयल के प्रोज और कॉन्स ( pros and cons )


अब एक नजर आमतौर पर इस्तेमाल में आने वाले कुकिंग आयल के प्रोज और कॉन्स ( pros and cons ) पर


देशी घी - घी एक प्रकार का शुद्ध बटर है . इसका ज्यादातर फैट सैचुरेटेड फैट होता है और शेष मोनो अनसैचुरेटेड फैट होता है . इसमें हार्ट हेल्दी तत्व CLA ( कंजुगेटेड लिनोइक एसिड ) और बुटीरेट ) होते हैं , हालांकि बहुत कम मात्रा में होते हैं . इसका स्मोक पॉइंट बटर की तुलना में काफी ज्यादा होता है और पॉली अनसैचुरेटड फैट कम मात्रा में होने के कारण घी ज्यादा गर्म होने पर भी अपेक्षाकृत स्टेबल रहता है . सैचुरेटेड फैट ज्यादा होने के कारण इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना बेहतर है .

एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव आयल - इसे कुकिंग के लिए बेस्ट आयल माना जाता है - पकाना हो या रोस्टिंग या सलाद ड्रेसिंग सभी के लिए यह अच्छा होता है . इस में हार्टहेल्दी मोनो अनसैचुरेटेड फैट होता है . इसके अलावा इसमें पॉलीफेनॉल होता है जो एंटी ऑक्सीडेंट होता है . अन्य कुकिंग ऑयल्स की तुलना में यह ज्यादा तापमान में डिग्रेड करता है . इसका स्वाद भी फ्रूटी और बटरी होता है . दूसरे नंबर पर अवाकाडो आयल माना जाता है .


वेजिटेबल आयल - इसमें पॉली अनसैचुरेटेड प्रचुर मात्रा में होता है . इसमें मौजूद ओमेगा - 6 फैट के हार्ट पर असर को ले कर अभी वैज्ञानिकों में मतभेद है . वेजिटेबल आयल का स्मोक पॉइंट अपेक्षाकृत ज्यादा होता है पर रेस्टोरेंट्स में ज्यादा देर और ज्यादा तापमान पर फ्राई करने से यह ऑक्सीडाइज कर सकता है . इसे बेकिंग , फ्राइंग और मैरिनेड सभी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं . अपेक्षाकृत सस्ता होने के चलते आमतौर पर यह लोगों की पसंदीदा तेल है . कोकोनट आयल , सनफ्लावर आयल , पीनट आयल , सीसमे आयल , कॉटन सीड आयल , कॉर्न आयल , राइस ब्रान आयल , मस्टर्ड आयल आदि इसी श्रेणी में आते हैं . कुछ ह्यड्रोजनेटेड आयल में ट्रांस फैट अपेक्षाकृत ज्यादा होता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है . खास कर फ़ास्ट फ़ूड में इसका इस्तेमाल होता है . आमतौर पर सोय बीन आयल हाइड्रोजनेटेड होता है . कोकोनट आयल भी आंशिक रूप से हाइड्रोजनेटेड होता है .


सरसो तेल - भारत के उत्तर और पूरब में कुकिंग के लिए अक्सर सरसो तेल यूज किया जाता है . इसमें विटामिन E प्रचुर मात्रा में मौजूद होने के कारण यह एंटी एजिंग होता है . यह UV किरणों को भी ब्लॉक करता है . शरीर के अनेक अंगों के लिए यह एक नेचुरल स्टीमुलेंट है . यह बाल, त्वचा , सर्कुलेटरी सिस्टम , एक्सक्रेटरी सिस्टम के लिए अच्छा होता है .


सरसो तेल में सैचुरेटेड फैट कम मात्रा में होता है . अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के अनुसार एक टेबलस्पून तेल में 4 gm से कम सैचुरेटेड फैट मान्य है जबकि इसमें एक टेबलस्पून में करीब 2 gm सैचुरेटेड फैट होता है . साथ ही करीब 3 gm पॉली अनसैचुरेटेड फैट मिलता है जो अच्छा होता है . इसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट काफी होता है जो HDL ( गुड कोलेस्ट्रॉल ) के लिए अच्छा होता है .


इसमें इरुसिक एसिड भी होता है जो हृदय , रक्त , पाचन और श्वांस प्रणाली के लिए अच्छा नहीं होता है इसलिए अमेरिका में कुकिंग के लिए यह मान्य नहीं है . इस से साइनस में इरिटेशन हो सकता है . कुछ लोगों में इस से एलर्जी या ड्रॉप्सी या स्वेलिंग भी देखी गयी है . सरसो तेल अच्छा भी है और बुरा भी , यह बहुत कुछ

व्यक्ति विशेष पर भी निर्भर करता है .

कोकोनट आयल - हालांकि इसमें मीडियम चेन ट्राईग्लिसराइड होता है जो हेल्दी होता है पर इसकी मात्रा बहुत कम होती है जबकि सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है . सैचुरेटेड फैट ज्यादा होने के कारण इसके सीमित मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जाती है . कोकोनट आयल ज्यादा तापमान तक स्टेबल रहता है . इस तेल में कुक करने पर कोकोनट का स्वाद रहता है .


पीनट आयल - इसमें मोनो अनसैचुरेटड फैट समुचित मात्रा में होता है . इसका स्मोक पॉइंट भी अपेक्षाकृत ज्यादा है इसलिए इसमें ज्यादा ताप पर कुकिंग या फ्राइंग कर सकते हैं . फ्लेवर में यह लगभग न्यूट्रल होता है .

कनोला आयल - हालांकि कनोला आयल में अन्य कुकिंग आयल इतना मोनो अनसैचुरेटेड फैट नहीं होता है फिर भी यह अच्छा है क्योंकि इसमें पॉली अनसैचुरेटेड फैट प्रचुर मात्रा में है . इसके अतिरिक्त इसमें हार्ट हेल्दी ओमेगा -3 भी होता है . कनोला आयल का स्मोक पॉइंट उच्च तापमान है पर इसमें मौजूद पॉली अनसैचुरेटेड फैट ताप सहन नहीं कर सकता है और यह ट्रांसफैट में बदल सकता है . हालांकि ट्रांस फैट हार्ट के लिए अच्छा नहीं होता है पर घर में नार्मल कुकिंग टाइम और टेम्प्रेचर पर कम मात्रा में ट्रांस फैट बनता है . इसका स्वाद न्यूट्रल होता है पर पुराना होने पर ओमेगा -3 के चलते फ़िशि स्मेल आता है .


सन फ्लावर आयल - इसमें अन्य कुकिंग आयल की तुलना में अधिक मात्रा में पॉली अनसैचुरेटेड फैट ( लिनोलिक एसिड के चलते ) होता है . गर्म करने पर आसानी से यह ब्रेक करता है . इसका हाई ओलिक वैल्यू ( ओलिक एसिड के चलते ) वाला तेल भी आता है जिसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट ( ओमेगा -9 ) अधिक मात्रा में होता है , यह वर्सन हाई टेम्परेचर पर स्टेबल रहता है और ओलिव आयल और एवाकाडो आयल की तरह ही हार्ट हेल्दी होता है . हाई ओलिक वैल्यू वाला सन फ्लावर अपने हाई स्मोक पॉइंट और न्यूट्रल स्वाद के चलते फ्राइंग के लिए सामान्य सन फ्लावर से बेहतर होता है . यह हार्ट हेल्दी होता है और वजन संतुलित रखता है .


सैफ्लावर आयल - सनफ्लॉवर आयल की तरह इसमें भी अनसैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है . इसका स्मोक पॉइंट बहुत ज्यादा होता है इसलिए यह हाई टेम्परेचर पर भी स्टेबल होता है . यह भी ब्लड शुगर , कोलेस्ट्रॉल और वजन मैनेजमेंट के लिए अच्छा होता है हालांकि हमारे देश में यह बहुत कम पाया जाता है .


बॉटमलाइन - कुकिंग आयल का चुनाव करते समय इसके स्मोक पॉइंट , इसकी प्रोसेसिंग और अपने मकसद को ध्यान में रखें , जैसे क्या आपको ज्यादा तापमान पर कुक करना है या डीप फ्राई करना है . अधिक मोनो सैचुरेटेड और पॉली सैचुरेटेड फैट वाले खाद्य हेल्दी होते हैं . सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट वाले कुकिंग तेल स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं .

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