जानिए हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में अंतर
आपने दिल की बीमारी के बारे में हार्ट फेल और हार्ट अटैक ये दो शब्द सुने होंगे . हालांकि दोनों ही दिल की बीमारी होती है . दोनों में कुछ समानता भी है लेकिन दोनों में काफी अंतर है .
हार्ट अटैक - आमतौर पर हार्ट अटैक अचानक होता है . जब हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली धमनी ब्लॉक हो जाती है ( CAD ) और दिल में रक्त प्रवाह रुक जाता है . इस से ह्रदय की मांपेशियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है और वे मर जाती हैं .
हार्ट फेल्योर -- हार्ट फेल अचानक नहीं होता है यह प्रक्रिया धीरे धीरे चलती रहती है .इसमें दिल की मांपेशियां धीरे धीरे कमजोर हो जाती हैं और हार्ट को ब्लड पंप करने में हार्ट को कठिनाई होती है . इसके चलते शरीर के अन्य अंगों में ब्लड सप्लाई बाधित होती है और सेल्स का पोषण नहीं हो पाता है . यह एक क्रोनिक बीमारी है जो धीरे धीरे बदतर होती जाती है . दवाओं की मदद से हमें लाभ होता है और लम्बे समय तक आदमी जीवित रह सकता है . कमजोर हार्ट के पंप के ठीक से नहीं काम करने से हार्ट अटैक के चलते भी हार्ट फेल कर सकता है . इसलिए कभी हार्ट अटैक के तुरंत बाद हार्ट फेल हो सकता है . इसे एक्यूट हार्ट फेल्योर कहते हैं पर समय पर उचित इलाज होने पर खतरा टल जाता है और जल्द ही ठीक होने की संभावना रहती है .
हार्ट अटैक के कारण
आमतौर पर प्लेक टूट कर ब्लड क्लॉट बनता है और यह रक्त संचार को रोकता है या बाधित करता है . कभी धमनी सख्त न भी हों तब भी आर्टरी में स्पाज्म हार्ट अटैक का कारण बन सकता है . कोरोनरी आर्टरी की दीवार के फटने से भी हार्ट अटैक हो सकता है हालांकि यह विरले होता है . इसे स्पॉन्टेनियस कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन कहते हैं .
हार्ट फेल्योर के अन्य कारण - ह्रदय के वाल्व की बीमारी , जन्मजात हार्ट की बीमारी ( हार्ट में छिद्र , वाल्व की खराबी ), इन्फेक्शन , अनियंत्रित हार्ट बीट , हार्ट मस्ल में खराबी , HIV / AIDS , केमोथेरेपी , थायरॉइड , शराब का अत्यधिक सेवन और फेफड़ों की बीमारी
हार्ट फेल्योर दो के होते हैं -
सिस्टॉलिक हार्ट फेल्योर - जब हार्ट पम्प खून को हार्ट से बाहर ठीक से नहीं निकाल पाता है .
डायस्टॉलिक हार्ट फेल्योर - जब हार्ट की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और हार्ट के अंदर पूरा खून नहीं पहुँच पाता है . हार्ट फेल्योर में खून शरीर के अन्य हिस्सों में वापस जा कर जमा हो सकता है , जैसे - फेफड़ों , लीवर , पैर , पाचनतंत्र में .
हार्ट फेल के सिम्प्टम - - आमतौर पर हार्ट फेल होने पर निम्न एक या ज्यादा सिम्प्टम हो सकते हैं -
शोर्टनेस ऑफ़ ब्रेथ ( खास कर जब आप लेटे हों )
व्हीज़िंग और खांसी
तेज अनियमित हार्ट बीट
थकावट
पैर , एड़ियों या पेट में सूजन , द्रव जमा होने से वजन में वृद्धि
कन्फ्यूजन
हार्ट अटैक के सिम्प्टम - सभी लोगों में हार्ट अटैक के सिम्प्टम समान नहीं हो सकते हैं , व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है यहाँ तक कि महिला और पुरुष का भिन्न हो सकता है .पर हार्ट अटैक के ज्यादातर सामान्य कारण इस प्रकार हैं -
सीने के मध्य में दर्द या दबाव या दोनों होना . सीने को दबा कर स्क्वीज करने जैसा अहसास और सीने में जलन होना . यह दर्द कुछ मिनटों तक रह सकता है या दर्द हो और ठीक भी हो जाये . यह दर्द अत्यधिक या माइल्ड भी हो सकता है . कभी यह दर्द बायीं बाँह तो कभी दाहिनी बाँह तक फ़ैल सकता है . हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा सामान्य लक्षण यही है . पर कुछ लोगों को ऐसा कुछ महसूस नहीं भी हो सकता है . महिलाओं में शार्टनेस ऑफ़ ब्रेथ , मिचली , उल्टी , पीठ और जबड़ों में दर्द हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण हैं .
अपर बॉडी में दर्द - शरीर के ऊपरी अंगों में दर्द होना - गले , जबड़े , बांहों और नाभि के ऊपर पेट में दर्द होना .
सांस लेने में तकलीफ , मिचली , उल्टी , कोल्ड पसीना आना , अत्यधिक थकावट और लाइट हेडेडनेस . इन सिम्प्टम के अलावा शॉर्टनेस ऑफ़ ब्रेथ ( दम फूलना ) महिलाओं में ज्यादातर देखा जाता है .
हार्ट फेल्योर का डायग्नोसिस -डॉक्टर आपका मेडिकल हिस्ट्री जानना चाहेंगे यानि स्वास्थ्य समस्या , जैसे -डॉयबिटीज , एनजाइना , ब्लड प्रेशर , शराब या सिगरेट की आदत , अन्य दवाओं के सेवन , आदि के बारे में . आला से हार्ट और लंग्स की जाँच करेंगे , गले या पैर में सूजन और लीवर की जाँच करेंगे . इसके अलावा कुछ टेस्ट कर सकते हैं - ECG , ब्लड टेस्ट , थाइरोइड , Xray , स्ट्रेस टेस्ट , इको या अल्ट्रासाउंड टेस्ट से हार्ट फेल्योर का आकलन करते हैं . ECG हार्ट फेल्योर नहीं बता सकता है पर हार्ट डिजीज के बारे में पता लग सकता है , जैसे - हार्ट बीट और रिदम , हार्ट अटैक , हार्ट का साइज आदि जिसके चलते हार्ट फेल कर सकता है .
हार्ट अटैक अचानक होता है , इसके डायग्नोसिस के लिए एंजियोग्राफी , CT स्कैन , न्यूक्लीयर स्कैन कर आवश्यतानुसार डॉक्टर एंजियोप्लास्टी या बाइपास सर्जरी की सलाह देते हैं .
हार्ट अटैक के उपचार - हार्ट अटैक एक इमरजेंसी की स्थिति होती है जिसमें जल्द से जल्द रोगी को इलाज की आवश्यकता है . ऐसे में अगर घर में खून पतला करने की दवा ( ऐस्पिरिन ) एवं और ज्यादा क्लॉट रोकने के लिए नाइट्रोग्लिसरीन की गोली से तत्काल लाभ होता है .रोगी के उपचार के लिए अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने का समय मिलता है . इसका दीर्घकालीन उपचार तो हार्ट अटैक के मूल कारण पर निर्भर करता है . डॉक्टर एंजियोग्राफी के बाद आवश्यकतानुसार आर्टरी के ब्लॉकेज को खोलने के लिए बैलूनिंग , एनजीओप्लास्टी ( स्टेंट लगाना ) और बाइपास सर्जरी की सलाह दे सकते हैं .इसके बाद भी लम्बे समय तक अन्य दवाईयां लेनी पड़ती हैं ताकि ब्लड प्रेशर , कॉलेस्ट्रॉल , हार्ट बीट और क्लॉटिंग कंट्रोल में रहे .इसके अतिरक्त डॉक्टर खानपान और व्यायाम की सलह भी दे सकते हैं .
हार्ट फेल्योर के उपचार - इसके लिए भी ज्यादातर वही दवाईयां होती हैं जो हार्ट अटैक में दी जाती हैं . इनके अलावा डाइयुरेटिक दवा दी जा सकती है जिससे शरीर में पानी एकत्रित न हो . लाइफ स्टाइल में बदलाव की सलह दी जाती है , जैसे - धूम्रपान और मदिरा का सेवन न करना , वजन नियंत्रित रखना , नियमित व्यायाम करना ,खाने में नमक कम खाना .
हार्ट फेल्योर ज्यादा होने पर हार्ट की मदद के लिए एक आसान सर्जरी कर के पेस मेकर डिवाइस लगाया जाता है . पेस मेकर हार्ट बीट के रिदम को नियमित करता है . हार्ट बीट रेगुलर रखने के लिए कभी डॉक्टर एक अन्य डिवाइस डेफिब्रिलेटर इम्प्लांट की सलाह दे सकते हैं . सीरियस हार्ट फेल्योर में हार्ट पम्प लगाना पड़ सकता है . अतिगंभीर स्थिति में जब और कोई अन्य उपाय कारगर नहीं होता है हार्ट ट्रांसप्लांट भी किया जाता है हालांकि यह अत्यंत कठिन प्रक्रिया है