चलो एक बार फिर से बचपन में चले जाते हैं l
हर पल हर लम्हा चैन ओ सुकून की साँस पाते हैं ll
********************************
जिंदगी रुक गई साँसें चलतीं रहीं l
उम्मीदों के धागे से सिलती रहीं ll
रोज रोज ख्वाइशे निकलती रहीं l
यूही रात भर शमा पिघलती रहीं ll
देख दुनिता दिल की जलती रहीं ll
दर्द से तरबतर फिर भी पलती रहीं ll
********************************
गीत किसी और का लिखा गाऊं कैसे?
बसंत मे ख़ुद के मन को हरषाउं कैसे?
********************************
कम नहीं अहसान कद्रदानों के देख l
है निशाने पर हम कमानो को देख ll
सामना कर रहे हैं, वार सीने पर ले l
धायल हो खड़े है,चट्टानों को देख ll
जिस तरह पवन ले चला है तूझे l
एकबार तू भी बादबानो को देख ll
जिंदगी हो या पतंग सुनले समझले l
उड़ान से पहले आसमानों को देख ll
माना के खुशबु से सांसे महकानी है l
काग़ज़ी फ़ूल है फूलदानों को देख ll
५-२-२०२२
********************************
आहिस्ता से आहिस्ता से बात आगे यू बढ़ी l
जैसे पीयू से मिलन की रात आगे यू बढ़ी ll
४-२-२०२२
********************************
हर खुशी मिलती हैं अजनबी की तरह l
जिंदगी भी मिली हैं तिश्नगी की तरह ll
********************************
आ भी जाओ शाम कहीं ढल ना जाए l
मौसम प्यार का कहीं निकल ना जाए ll
सजधज के बेठे है सावरिया के लिए l
इंतज़ार में हसरते कहीं पिघल ना जाए ll
बरसो लगा दिये मकसद पूरा करने में l
धड़िया मिलन की कहीं छल ना जाए ll
पहले आप पहले आप कहते रहोगे तो l
यहा रफ़्तार वक्त कहीं बदल ना जाए ll
********************************
सोई हुई थी हसरतें उसने फ़िर से जगादी l
किसी अजनबी ने आके मेरी जिंदगी सजादी ll
बहार की तमन्ना की थी ख्वाबों मे रूबरू l
खुसबूदार गुलाबों सी मेरी जिंदगी महकादी ll
********************************
आज चाँद के पार चलो ए दिल l
इस क़ायनात मे ना पलों ए दिल ll
बेशुमार रुस्वाइयाँ ही मिलेगी l
ग़लत वक्त है ना ढलो ए दिल ll
********************************
जन्मों जन्म तेरा मेरा साथ रहे l
हमसफ़र का हाथो मे हाथ रहे ll
********************************
जो कहता है उसे कहने दो l
वक़्त की धारा में बहने दो ll
होसलो संजोए आए हैं हम l
इश्क का इज़हार करने दो ll
खुदा के वास्ते चैन सुकूं की l
आज साँसे दिल में भरने दो ll
सखी सुहानी चांदनी रातों में l
सुन्दर ख्वाबों मे सरने दो ll
चाव से लगाया मुहब्बत का l
काजल आँखों से झरने दो ll
********************************
क्या बात है कि वह अब नज़रे चुराने लगे हैं?
वो खुद से ही खुद का अक्स छुपाने लगे हैं ll
दिल की धड़कनों ने ऐसा क्या कह दिया?
इशारों इशारों में दिल को लुभाने लगे हैं ll
चोट तो दिल पे लगी है दिमाग क्यूँ बंध है?
प्यार सी महँगी दौलत को लुटाने लगे हैं ll
२८-१-२०२२
********************************
किस उलझन में पर जी रहे हैं लोग?
फिर क्यूँ गम के घूंट पी रहे हैं लोग?
एक दिन दूसरे दिन पे भारी पड़ रहा है l
होसलो के धागे से रूह सी रहे हैं लोग ll
वक़्त के साथ कदम से कदम मिलाकर l
हालात का सामना कर भी रहे हैं लोग ll
कल बड़ी मुश्किलों का सामना किया है l
किस खौफ की सोच में बी रहे हैं लोग ll
अभी उम्मीदों का दामन पकडे रखा है l
जैसे तैसे वक्त बीता ही रहे हैं लोग ll
२८-१-२०२२
********************************
तेरा ही खयाल था,और तुम आ गये l
तेरा ही जिक्र हुआ, और तुम आ गये ll
चंद देर ठंडी की तेज हवा क्या चली l
तेरा ही फिक्र हुआ, और तुम आ गये ll
सर्द मौसम में चाय की दुकान देखकर l
तेरी ही याद आई, और तुम आ गये ll
मुझे थरथराता देख साल पहनाई थी l
तेरा ही नाम आया, और तुम आ गये ll
खुशनुमा लम्हों की याद मे लिखे हुए l
तेरा ही ख़त आया, और तुम आ गये ll
२५-१-२०२२
********************************
महोब्बत गुनाह है तो गुनाह ही सही
हम गुनाह करने मे भी माहीर नीकले l
मालूम था एक तरफ़ा मुहब्बत है मिरी l
गम से दिल भरने मे भी माहीर नीकले ll
दिल फेंक दिल ए नादां से दिल लगाया है l
बेवफ़ा पर मरने मे भी माहीर नीकले ll
मालूम था बेवफ़ाओ से वाबस्ता पड़ेगा l
उम्मीदों पर तरने मे भी माहीर नीकले ll
सखी इश्क ने शतरंज की जाल बिछाकर l
सुकून ए चैन हरने मे भी माहीर नीकले ll
२५-१-२०२२
********************************
होसलो से अपने मन को भर लेना l
आजाद अपने आप को कर लेना ll
भेदभावो की बेड़िओ को तोड़ कर l
आज दुश्मनों के चैन को हर लेना ll
विचारो को कैद से मुक्त करके l
खुशियो से आगन को भर लेना ll
सालो पुरानी ख्वाइश पूरी हो रहीं हैं l
बाद मुद्दतों के कम दूरी हो रहीं हैं ll
जादुई चाराग सा सामने आ गया है l
खुशी के मारे हालत बुरी हो रहीं हैं ll
********************************
गले लगानी तड़प बढ़ रही है l
देखने की तरस बढ़ रही है ll
********************************
वक़्त बदलता रहता है l
दिल मचलता रहता है ll
हुश्नण की महफिल मे l
जाम छलकता रहता है ll
मीठी यादों के खजाने में l
लम्हा धबकता रहता है ll
पिया से मिलन का समय l
रेत सा सरकता रहता है ll
खुद से भी छुपाया हुआ l
ख्वाब धड़कता रहता है ll
२२-१-२०२२
********************************
लोगों के दिलों में राज करते हैं l
जो हमेशा नरम मिजाज रखते हैं ll
खुद को खुद के अरमान दुखी करते हैं l
फ़िर अपनों के फ़रमान दुखी करते हैं ll
अपने आप पे भरोसा होना चाहिए l
हद से ज्यादा गुमान दुखी करते हैं ll
किसीको धोखा नहीं देना चाहते पर l
मतलबी जहां मे इमान दुखी करते हैं ll
मान मेरा रिसते बेनाम दुखी करते हैं ll
सही सोच पे कमान दुखी करते हैं ll
२०-१-२०२२
********************************
कोहिनूर जैसे चमकते चहरे को देखते रह गया l
वो आँखों ही आँखों में अनकही बातेँ कह गया ll
१८ -१-२०२२
********************************
आजादी का मतलब कहाँ समज पाए हैं हम l
विचारो की बंदिशों से कहाँ निकल पाए हैं हम ll
वही भेदभाव, पक्षवाद, सामंतवाद से घिरे हैं l
छोटी और बेकार सोच कहाँ बदल पाए हैं हम ll
रग रग मे मुक्ति का ज़ज्बा भर्रा हुआ था उस l
महात्मा गांधी के जैसा कहाँ तड़प पाए हैं हम ll
मुक्त होने के बाद देश और देशवासियों के लिए l
भगतसिंह की तरह कहाँ खनक पाए हैं हम ll
बेमतलब के वहम दिलों में पाल रखे हैं सालो से l
सुन्दर गुलदस्ता के जैसे कहाँ पनप पाए हैं हम ll
पछतर साल के बाद भी नफरतों को पनाह दी हैं l
आज भी दिलों दिमाग से कहाँ संभल पाए हैं हम ll
१९-१-२०२२
********************************
मुसाफ़िर
अपनों के दिये दर्द तो सारे मुसाफिर है l
एक दिन तो इन्हें जाना तो आख़िर है ll
सालो साल तयखाने के पटारे मे दबी l
गुप्त रखी हुई बात आज तो जाहिर है ll
इतना मत सोचो उनके बारे में जब के l
दिलसे जुड़ी हुई हर चीज़ तो ताहिर है ll
मुसलसल दूसरों के बारे में सोचते हैं l
खुदा के बंदे का नाम लो तो हाजिर है ll
भरोसा रखना चाहिए आप - अपनों पे l
समज लेना उसे नादान जो काफ़िर है ll
सुनो ज़माने भर का जहर पी कर बैठें है l
सोग न हो सखी दर्द छुपाने मे माहिर हैं ll
१९ -१-२०२२
********************************