प्रीत की रीत निभा लेना l
उम्रभर एसे ही साथ देना ll
जाने की बात की और l
भीग गये क्यूँ मेरे नैना ll
एक ही दिन न मिले तो l
काटे नहीं कटती रैना ll
जरा सी बात दिल पे ली l
उदास सी रहती है मेना ll
बह ने को तैयार होती है l
सदा आंसूओ की सेना ll
१७-१-२०२२
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मौन रहकर वार करते हैं l
वही गहरी चाल चलते हैं ll
सच्चाई की राह चलने वाले l
खुदा से कभी नहीं ड़रते हैं ll
उच्ची उड़ान भरने के लिए l
ख्वाब जगते हुए देखते हैं ll
घने अँधेरों रहते हैं फिरभी l
उम्मीद के दिये जलते हैं ll
बात पते की कहने के लिए l
सखी सही वक़्त ढूंढते हैं ll
दुनिया वालो से हटके है वो l
जो दिल मे जज्बात भरते हैं ll
१६-६-२०२२
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मेरी मुहब्बत का गवाह तेरे सिवा कोई नहीं l
अब करता मेरी परवाह तेरे सिवा कोई नहीं ll
तेरे आ जाने से होती है रोनक कायनात में l
आँखों मे चमक की वजह तेरे सिवा कोई नहीं ll
अजीब सी बैचैनी ने दिल को घेरे रखा था l
दिल मे खुशियों का वजूद तेरे सिवा कोई नहीं ll
दिलों दिमाग में बस तुही हामी हो चुका है l
पहले नंबर पर जनाब तेरे सिवा कोई नहीं ll
जिंदगी का बाकी सफ़र साथ साथ कटे l
चाहत यही है हमसफ़र तेरे सिवा कोई नहीं ll
१५-१-२०२२
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एक तूफानी रात वो आया था l
यादो का बवंडर वो लाया था ll
जब रूबरू होने लगे वो लम्हें l
तब रूह ने सुकून पाया था ll
१४ -१-२०२२
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आज की रात तूफानी है l
जिंदगी तो आनी जानी है ll
जी भर के मज़ा लूटेंगे l
लम्हों ने फ़िर ठानी है ll
कोई कर्ज न रखेगे l
हर साँस लुटानी है ll
हथेली पे चुंबन की l
आखिरी निशानी है ll
सदियों से प्रीत की l
चकोरी दीवानी है ll
दिमाग को बंध कर l
दिल की मानी है ll
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#पतंग
मदमस्त पतंग संग उड़ना है ऊँचे आसमाँ मे l
रंगीले पंछी संग रहना है ऊँचे आसमाँ मे ll
१३ -१-२०२२
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किस मृगतृष्णा मे लोग जी रहे हैं पता नहीं l
हररोज हरलम्हा जहर पी रहे हैं पता नहीं ll
एक पल दूसरे पल पर भारी पड़ रहा है l
साँस रुई से जिंदगी सी रहे हैं पता नहीं ll
अन्जामे ज़िंदगी मौत ही है आखिरकर l
इतना ज्यादा लोग बी रहे हैं पता नहीं ll
बुद्धि वालो की दुनिया में मेरा कोई नाम नहीं l
अक्कल की बात करने मे युही बदनाम नहीं ll
अपने से ज्यादा अपनों की परवाह करता हूं l
सुनो खुदा के बंदे का यहां कोई मकाम नहीं ll
जूठे और मक्कार लोगों की कायनात में अब l
सच कहते वक़्त सोचता कभी अंजाम नहीं ll
दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलना हूँ पर l
खुद के साथ लड़ाई में रखता सरजाम नहीं ll
खुशी के चंद लम्हे शायद मील जाए और l
यूही जिये जा रहा हूँ खींचता लगाम नहीं ll
११-१-२०२२
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अपने आप पर गुमान हो जाये l
चाहते हैं पूरे अरमान हो जाये ll
मुखौटे पहने फिरते हैं घर में l
अपनों की पहचान हो जाये ll
बस मे हो इतना काम करते हैं l
काश खुदा महेरबान हो जाये ll
अपनों से उम्मीद ही छोड़ दी l
गैर अब कदरदान हो जाये ll
हम जी ले चार लम्हे खुशी से l
फरिश्तों का फरमान हो जाये ll
दिवानों की तरह प्यार करे l
जा से प्यारी जान हो जाये ll
खुशियो की बारिश बरसा दे l
कही साँस बेईमान हो जाये ll
९-१-२०२२
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ये कौन आया कब्र पे मेरी फूल चढ़ाने l
यहां भी कोई सोने नहीं देगा चैन से ll
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दिल लगाने का अंजाम देखो l
सरे - आम हुए बदनाम देखो ll
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यादो की बारात सताती है l
नीद आँखों से उड़ जाती है ll
सपनों की नगरी से होकर l
आईना खुद को दिखाती है ll
मुद्दतों से न आने वालो को l
ख्वाबों मे रूबरू लाती है ll
अश्कों की बारिस बहाकर l
जब जाके चैन वो पाती है ll
प्यार से प्यारे सजना की l
तस्वीर देख शरमाती है ll
७-१-२०२२
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आंखे चुराने वाले को नजर अंदाज मत करे l
हाथ छुड़ाने वाले को नजर अंदाज मत करे ll
सखी महफिल मे होश में अपनी ही कहीं हुईं l
बात घुमाने वाले को नजर अंदाज मत करे ll
लाख कठिनाई का सामना किया जिसने उस l
साथ निभाने वाले को नजर अंदाज मत करे ll
दिल मे उम्मीदे जगाकर चुपके से चल दिए l
नाम भुलाने वाले को नजर अंदाज मत करे ll
मंझिल तक साथ रहने का वचन तोड़ दिया l
राह मोड़ने वाले को नजर अंदाज मत करे ll
६-१-२०२२
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मखमली यादो के सहारे जी रहे हैं l
महफिल मे नजरों से जाम पी रहे हैं ll
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आंख मे हया है l
बात मे बयां है ll
रात मे चांद है l
याद मे राज है l
दिल मे खास है l
सर पर ताज़ है ll
हाथ में जाम है l
होठ पे नाम है ll
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खुशियां छलक रहीं हैं आँखों से l
इजहार कर दिया बातों बातों मे ll
दीदार की तलप इस तरह बढ़ी l
मिलने का वादा किया रातों मे ll
मधुर प्यार भरी मुलाकात के l
लम्हो को संजोया है यादो मे ll
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कदम गुस्से में है ll
सनम गुस्से में है ll
कागज को पता है l
कलम गुस्से में है ll
सुनो कई दिनों से l
कसम गुस्से में है ll
बात मानो तुम से l
तो कम गुस्से में है ll
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खूबसूरत तोहफ़ा चौथ के दिन l
माहताब भेजा है सौगातो मे ll
मेरे जैसा मुझसे प्यार कर के दिखा l
मेरी तरह तुझपे इतना मर के दिखा ll
सुन सदीओ से इंतज़ार में कर रहे हैं l
ढेर खुशियो से दामन भर के दिखा ll
शर्त दिल की लगाई है आज हमने l
खुद और खुदा से लड़ के दिखा ll
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किताबी कीड़ा बनके सारी उम्र बिताई l
कुछ काम आई जनाब किताबी पढ़ाई ll
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रेत की तरह सरक गया साल l
लम्हो संग फिसल गया साल ll
दिल दहला लेने वाली जानलेवा l
महामारी से छलक गया साल ll
कुदरत का कहर यू छाया के l
डर के मारे बहक गया साल ll
चारो ओर सुनसान इन्सां की l
खुशीयो को तरस गया साल ll
सुनी सड़के, सुने शहरों को l
बेबस देख तड़प गया साल ll
१-१-२०२२
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उम्र यादो मे काट दे ये मुमकिन तो नहीं l
दर्द अपनों मे बाट दे ये मुमकिन तो नहीं l ll
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आज ठंड का मजा लीजिए l
झुकाम की सजा लीजिए ll
जम से कहीं बर्फ़ न हो जाओ l
तन स्वेटर मे छुपा लीजिए ll
जिस्म को गरमा ने के लिए l
चाय ओठों से लगा लीजिए ll
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प्यारे हाथो से दी चाय की प्याली l
बड़ी मीठी लगी थी प्यार की पाली ll
पीली इलायची की खुशबु भरी हुई l
उमंगी धड़कनों की सककर डाली ll
पहली मुहब्बत की पाकीजगी मे l
ताज़ा हसरतो से बनाईं निराली ll
महबूब के साथ गुज़रे हुए सुहाने l
लम्हों की याद में हुईं हैं काली ll
जायका चाय कुछ नया सा है l
आज लगता है ख़फ़ा है साली ll
ख़ुशनुमा शमा बांधे रखने के लिए l
हसीं हसी मे बेनूर बाते है टाली ll
खुद ही अपने हाथो से पिलाते l
याद आती है आज भी ख्याली ll
माजी को दिल से लगाए रखा है l
जैसे बगिया संजोता है माली ll
५-१-२०२२
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