टापुओं पर पिकनिक - 4 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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टापुओं पर पिकनिक - 4

आर्यन ने घर जाने के बाद रात को पापा की गोद में बैठ कर अपनी बांहें उनके गले में ही डाल दीं। इस समय वो बिल्कुल भूल ही गया कि अब वो बच्चा नहीं, बल्कि एक टीनएज का किशोर है। पापा उसे प्यार से देखते हुए हंसकर बोले- अरे- अरे बेटा, अब तुम्हारा और मेरा वेट बराबर है!
किचन से आइसक्रीम के बाउल्स लेकर कमरे में घुसती मम्मी भी ये देख कर हैरान रह गईं कि बाप- बेटे के बीच ये लाड़ - दुलार भला क्यों हो रहा है? क्या चाहता है आर्यन?
लेकिन जैसे ही आर्यन ने अपनी ख्वाहिश मम्मी- पापा को बताई, दोनों के ही हाथ की आइसक्रीम जैसे फीकी हो गई। दोनों एक दूसरे की ओर देखने लगे।
- नहीं- नहीं बेटा, इट्स नॉट अलाउड। नो पॉसिबिलिटी। ये नहीं हो सकता। पापा ने एकदम से पटाक्षेप कर दिया।
उसी समय कमरे में आर्यन की दीदी भी अपने कमरे से पढ़ाई पूरी करके अभी- अभी आई थी। उसने मम्मी के हाथ से आइसक्रीम लेते हुए जब ये सुना कि आर्यन को किसी बात के लिए मना किया जा रहा है तो वो बिना कुछ जाने भी मन ही मन खुश हुई। क्योंकि उसका ये मानना था कि आर्यन को तो हर बात की छूट मिल जाती है पर उस पर सारी बंदिशें लगाई जाती हैं।
अच्छा हुआ, मज़ा आया, पापा ने आर्यन को भी मना किया।
यद्यपि वो ये नहीं जानती थी कि क्या बात हो रही थी और आर्यन ने पापा से क्या मांगा था!
पर वो ये भी अच्छी तरह जानती थी कि अगर वो पूछेगी तो उसे बताया नहीं जाएगा। क्योंकि इससे आर्यन के चिढ़ जाने की आशंका थी। उसे अनुमति नहीं जो मिली थी। अभी मूड ऑफ़ हो जाएगा उसका। और उसका मूड ऑफ़ हुआ तो घर में सबका मूड ऑफ़ हो जाएगा।
लेकिन शायद आइसक्रीम मज़ेदार थी। किसी का मूड ऑफ़ नहीं हुआ। उल्टे आर्यन ने तो मम्मी से एक प्लेट और देने की फरमाइश कर डाली।
बाद में मम्मी ने आर्यन को अकेले में समझाया- बेटा, पापा ठीक कह रहे हैं। इस समय कहीं बाहर जाना बिल्कुल सेफ नहीं है। फ़िर केवल तुम बच्चे लोग अकेले जाओगे, पहली बार... नहीं - नहीं नाइट स्टे करना तो बिल्कुल भी ठीक नहीं।
आर्यन को भी समझ में आ गया कि वो चाहे टीनएज में आ गए हों, पर उसे और उसके दोस्तों को अकेले शहर से बाहर घूमने जाने और रात को रुकने की इजाज़त तो नहीं ही मिलेगी।
असल में उसने अपने जन्मदिन के तोहफ़े के रूप में यही मांगा था कि वो अपने पांच फ्रेंड्स के साथ एक रात के लिए कहीं सैर पर जाना चाहता है उसे जाने की इजाज़त दे दी जाए।
अगली सुबह फ़ोन पर आर्यन को पता चल गया कि केवल आगोश को छोड़ कर किसी को भी ऐसी अनुमति अपने पैरेंट्स से नहीं मिली।
आगोश को भी उसके पिता ने ये कहा कि ओके, जाओ पर हम तुम्हारे साथ अपने स्टाफ के किसी एक आदमी को भेजेंगे।
और मनन को तो ज़ोरदार डांट पड़ी कि ऐसी बे-सिरपैर की बात तुम्हारे दिमाग़ में आई ही कैसे?
आज जब सब बच्चे स्कूल में आपस में मिले तो कुछ बुझे- बुझे से थे। उनके प्लान पर पानी जो फिर गया था।
पर आर्यन भी इतनी आसानी से हार मानने को तैयार नहीं था।