टापुओं पर पिकनिक - 7 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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टापुओं पर पिकनिक - 7

साजिद की शक्ल देख कर पहले तो आगोश और सब दोस्तों ने समझा कि उसने शायद कोई बिल्ली कुत्ता या बंदर आदि देख लिया है और वह डर गया है।
उसके इस हाल पर सब हंस पड़े और उसकी खिल्ली उड़ाने लगे। पर साजिद लगभग कांपने लगा और फटी आंखों से उन सब को देखता रहा।
- क्या हुआ? अब आगोश एकदम गंभीर हुआ।
अटकते हुए साजिद ने बताया कि उस कमरे में एक लड़की ज़मीन पर बैठी हुई रो रही है।
ये सुनते ही आगोश तीर की तरह निकल कर भागने लगा पर साजिद ने झटके से उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया।
आगोश ज़ोर लगा कर हाथ छुड़ाने लगा तो साजिद ने धीरे से उसके कान में कुछ कहा।
सब दोस्त हैरान रह गए। आगोश के साथ बाहर जाने के लिए उठा आर्यन भी एकाएक चौंक कर रुक गया।
आगोश ने जल्दी से अलमारी खोल कर उसमें से एक चादर निकाली और उसे हाथों में इस तरह फ़ैला कर धीरे - धीरे आगे बढ़ा मानो किसी जानवर पर फंदा फेंक कर उसे पकड़ना हो।
दरअसल साजिद ने आगोश के कान में यही कहा था कि लड़की ने कुछ पहन नहीं रखा है।
मनन रोने लगा।
पर इस बार उसके रोने पर उसकी कोई मज़ाक नहीं उड़ी। सभी डरे हुए थे।
धीरे से आर्यन केवल इतना पूछ सका- कितनी बड़ी है?
सब दोस्त हिम्मत करके आपस में हाथ पकड़े उस कमरे की ओर बढ़े। सब अभी गैलरी तक ही पहुंचे थे कि लड़की आंखें पौंछते हुए निकल कर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी।
लड़की अंधेरे में नीचे उतर कर जाते हुए उन बच्चों से कुछ साल बड़ी ही दिखाई दे रही थी। उसकी एक लम्बी सी चोटी उसकी कमर पर झूलती दिखाई देती थी। लड़की ने सचमुच कुछ नहीं पहना था।
सब दोस्त इतनी बुरी तरह घबरा गए कि आगोश अपने हाथों में पकड़ी हुई चादर भी लड़की को नहीं दे सका। किसी का इतना साहस भी नहीं हुआ कि लड़की से रुकने के लिए कहे। यहां तक कि बच्चे उससे ये पूछ भी नहीं सके कि वो कौन है और वहां कैसे आई। जबकि बंगले का मुख्य द्वार भीतर से बंद था।
लड़की बाहर निकल कर बंगले के पिछवाड़े बने सर्वेंट क्वार्टर के बगल से होती हुई बाउंड्री वॉल पर चढ़ कर उस पार सड़क की ओर कूद गई।
अपनी आंखों से उसे घर से बाहर जाते देख लेने के बाद बच्चों की चेतना लौटी और वो फ़िर से कमरे के भीतर आ गए।
- शायद कोई पगली होगी जो घर के भीतर घुस आई। आगोश ने कुछ घबराते हुए कहा।
- क्या पहले भी कभी ऐसा हुआ है? क्या तुम्हारी कॉलोनी में रहती है कोई पागल औरत या लड़की? आर्यन ने पूछा।
साजिद ने अब बताया कि उसने कमरे में जाकर जैसे ही बदलने के लिए अपने कपड़े खोले एकदम नज़दीक दीवार के पास बैठी ये लड़की दिखाई दी। जल्दी में साजिद ने कमरे की लाइट भी नहीं जलाई थी क्योंकि उसे तो अपने शॉर्ट्स पहन कर वापस आ ही जाना था। पर अंधेरे में भी लड़की का चेहरा चमकता हुआ दिख गया और साजिद ने उसे रोते देखा।
साजिद के रोंगटे खड़े हो गए। वह तत्काल पैंट वापस चढ़ाता हुआ कमरे की ओर दौड़ा।
रात का एक बजा था। बच्चे बुरी तरह डर गए थे। आगोश अब सोच रहा था कि मम्मी ने तो जाते वक्त ड्राइवर अंकल से कहा भी था कि वो आज सर्वेंट क्वार्टर में ही रुक जाएं, पर आगोश ने ही मना कर दिया था। आगोश बोला था- इतना डरने की कोई बात नहीं है मम्मी, मैं अकेला नहीं, हम सारे दोस्त रहेंगे यहां।
अब उसे महसूस हो रहा था कि उसे ड्राइवर अंकल को रोक ही लेना चाहिए था, वो नीचे सर्वेंट क्वार्टर में ही तो रहते, ऊपर बच्चों को तो उनसे कोई खलल नहीं पड़ता।
- आगोश प्लीज़, ड्राइवर अंकल को फ़ोन करके बुला ले, मुझे घर छोड़ देंगे। मनन ने कहा।
चारों उसकी शक्ल देखने लगे।