अंकल Kishanlal Sharma द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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अंकल

"अंकल जी कुर्ला की एम एस टी बना दो।"खूबसूरत बाला अपना परिचय पत्र देते हुए बोली।उस युवा सुंदरी के मुंह से अंकल सुनकर तन बदन में आग लग गई।पर बोले कुछ नही।मन मसोसकर रह गए।
लल्लू की बुकिंग क्लर्क की पोस्ट पर नई नई नौकरी लगी थी।पहली पोस्टिंग उनकी बम्बई सेंट्रल स्टेशन पर हुई थी।यहाँ उन्हें एम एस टी काउंटर पर बैठा दिया गया था।
लल्लू के काउंटर पर हर उम्र,हर वर्ग के लोग एम एस टी बनवाने के लिए आते थे।इनमे औरतो की संख्या भी अच्छी होती थी।हर उम्र की औरते उनके पास आती थी।
लल्लू के पास एम एस टी बनवाने आने वाले उसे अलग अलग सम्बोधनों से बुलाते।कोई अंकल,कोई भाई, कोई बेटा, कोई पुत्र,कोई बाबूजी आदि।
कोई किसी भी सम्बोधन से बुलाये उन्हें बुरा नही लगता था।पर कोई नवयुवती,हसीन बाला, सुंदरी,रूपसी उन्हें अंकल कहती तो उन्हें बहुत बुरा लगता था।कभी कभी मन मे आता अंकल कहनेवाली को डांट दे।लेकिन वह सरकारी नौकर थे।उन्हें ग्राहक से नम्र, मधुर और शालीन व्यवहार की ट्रेनिग दी गई थी।इसलिए युवती,हसीना या सुंदरी के मुंह से भी अंकल सुनकर मन मसोसकर चुप रह जाते।
एक दिन लल्लू ने अपनी व्यथा अपने साथी दयाल को सुनाई,"अभी तो मैं जवान हूँ।मेरी शादी भी नही हुई है।लेकिन जवान लड़कियां मुझे अंकल बोलती है,तो बहुत बुरा लगता है।"
"लड़कियों को दोष क्यों दे रहे हो।तुम्हारी उम्र को पलीता तुम्हारे बाल लगा रहे हैं"
"बाल?"दयाल की बात सुनकर लल्लू चोंक कर बोले,"वो कैसे?"
"लल्लू तुम्हारी उम्र भले ही ज्यादा न हो।भले ही तुम अभी कुंवारे हो।लेकिन तुम्हारे सफेद बालों को देखकर लगता है,मानो अधेड़ हो गए हो।"
दयाल ने जो कहा सच कहा था।बचपन से ही उसे नजले का रोग था।इस रोग की वजह से असमय ही उसके बाल सफेद हो गए थे।
"फिर क्या करूँ?इस समस्या का उपाय क्या है?"दयाल की बात सुनकर लल्लू ने पूछा था।
"यह कौन सी मुश्किल समस्या है।सैलून में जाकर बालो को कलर करवा लो।आजकल एक से बढ़कर एक नेचुरल कलर आ रहे है।"
अपने साथी दयाल की सलाह लल्लू को सोलह आने पसंद आई थी।
अगले दिन वह सुबह सैलून जा पहुंचे।
"कटिंग, सेविंग और बढ़िया सा ब्लैक कलर कर दो बालो को।"
और जब वह सेलून से लौटे तो शैम्पू, सेण्ट और क्रीम,हेयर आयल आदि खरीद लाये थे।घर आकर शेम्पू लगाकर खूब अच्छी तरह नहाए थे।नहाकर शीशे

युवतीके सामने आकर खड़े हुए तो खुद को देखकर खुद ही शर्म से लाल हो गए।अब वह लग रहे थे,पच्चीस साल के।पहले वह जवान होकर भी अधेड़ लगते थे।
लल्लू ड्यूटी पर जाते समय बहुत खुश थे।दयाल की सलाह ने उनका कायाकल्प कर दिया था।ऑफिस में पहुँचने पर सहकर्मी बोले,"अब लग रहे हो युवक।"
लल्लू ड्यूटी का समय होने पर अपने काउंटर पर आ बैठे थे।कुछ देर बाद एक युवती उनके काउंटर पर एम एस टी बनवाने के लिए आई थी।वह अपना आइडेंटी कार्ड उनकी तरफ बढ़ाते हुए बोली,"अंकलजी बाल कलर करके तो आप नोजवान लग रहे है।"
युवती के मुँह से अंकल सुनकर लल्लू को लगा,उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया हो।बालो के असमय सफेद हो जाने के कारण उनकी हम उम्र लडकिया भी उन्हें अंकल कहती थी।जो लल्लू को बुरा लगता था।
दयाल की सलाह पर लल्लू ने बाल काले कर लिए,लेकिन अंकल शब्द ने उनका पीछा नही छोड़ा था।