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सूरत और सीरत


कहानी - सूरत और सीरत


मनोज बाबू घर में प्रवेश कर कुर्सी पर बैठ अपने जूते खोल रहे थे . जूते खोल कर अभी अपने मोज़े उतार रहे थे .इतने में उनकी पत्नी दौड़ कर उनके पास आयी और बोली " लड़के वाले ने क्या कहा ? "

" होगा क्या ? भैया ने उल्टे लड़के के बाप को ही खरी खोटी सुना दिया .भाभी आप भैया को समझाएं , हम

लड़की वाले हैं .लड़के वालों से विनम्रता से बात करनी होगी .अभी भी बात बन सकती है ."


मनोज की बगल में बैठा उनका छोटा भाई निर्मल बोला .


" दो साल में ये रिटायर करने जा रहे हैं , अभी से सठिया गए हैं . तीन तीन जवान बेटियां बैठी हैं . .आखिर हुआ क्या , बोलिये तो सही ." पत्नी माला ने कहा


" तुम्हें तो बड़ा गुमान था कि तीनों बेटियां परी सी सुन्दर हैं , उनकी शादी में दिक्कत नहीं होगी . और कहा था कि सरला और रमेश दोनों एक दूसरे को कॉलेज से जानते हैं . रमेश गहरा सांवले रंग का है तो क्या हुआ , लड़के का रंग नहीं देखा जाता है . वह तो सरला पर पहले से ही लट्टू है ." मनोज ने कहा


" हाँ , सरला की बात से तो ऐसा की लगता था ."


" छोड़ो , जैसी तुम , वैसी तुम्हारी बेटी . सरला ने न जाने तुमसे क्या कहा कि तुमने मुझे रमेश के घर यह कह कर भेज दिया कि वहां बिना दहेज़ दिए बात बन जाएगी ."


" देवरजी , आप ठीक से बताएं आखिर बात क्या हुई है ? "


" भाभी , रमेश के पापा को अपनी सरला बहुत पसंद है .पर उन्होंने एक लम्बी चौड़ी लिस्ट थमा दी .गृहस्थी के सारे सामान के साथ उन्हें गहने , मोटरसाइकिल और चार लाख रुपये नगद भी चाहिए . ये तो ज्यादती है .फिर भी भैया को ऐसा नहीं कहना चाहिए था ."


" ऐसा क्या कह दिया इन्होंने ? "


" भैया ने पहले तो यही कहा था कि शादी का पूरा खर्च हमलोग उठाएंगे , लड़के वाले को अपने पॉकेट से एक पाई नहीं खर्च करनी होगी .कुछ गहने और सारे परिवार के लिए कपड़े भी हम देंगे . पर कैश और मोटरसाइकिल नहीं दे सकते हैं ."


" मैं और क्या करता ? जितना स्वेच्छा से दे रहा था वही मेरे लिए काफी था .मुझे और भी दो बेटियां ब्याहनी हैं .उनकी माँग मान ली तो बाकी बेटियों का ब्याह नहीं कर पाऊंगा . मैंने कह दिया कि इससे ज्यादा नहीं दे सकता हूँ . "


" थोड़ा और आगे बढ़ कर मोटरसाइकिल की मांग मान लेते .खैर ,फिर उन्होंने क्या कहा ? " माला बोली


" उन्होंने कहा कि रमेश के लिए एक से बढ़ कर एक ऑफर आ रहे हैं . आपसे तो उसका आधा भी नहीं मांग रहा हूँ क्योंकि सरला उसे पसंद है . आपको नहीं मंजूर है तो कोई और घर ढूंढिए बेटी के लिए या बेटी को अपने घर ही बैठाये रखें ."


" फिर क्या कहा आपने ?"


" मैं वहां से उठ खड़ा हुआ और बोला कि अपने दरवाजे पर एक नोटिस बोर्ड लगा दें कि यहाँ दूल्हा बिकता है . "


निर्मल बोला " इतना ही नहीं , भैया ने यहाँ तक कह दिया कि रखिये अपने कालिया बेटे को अपने पास ."


माला ने अपना सर पीट लिया और कहा " हे भगवान् , पहली बेटी में यह हाल है .लड़की वाला होकर इतनी कड़वी जबान रही तो कोई अपनी चौखट पर नहीं चढ़ने देगा .आगे से चेत जाईये ."


रमेश और सरला दोनों एक ही जाति के थे . दोनों बी .एस सी फाइनल की परीक्षा दे चुके थे , सिर्फ प्रैक्टिकल बाकी थे .रमेश ने कुछ बैंकों और अन्य नौकरियों के लिए टेस्ट दे रखे थे .उसे कहीं न कहीं नौकरी मिलने की पूरी उम्मीद थी .


रमेश सरला की सुंदरता पर मुग्ध था . कभी कभी दोनों मिल कर प्रेम की कुछ बातें भी करते .वह सरला को पसंद तो करता था पर पिता की मर्जी के विरुद्ध शादी करने की हिम्मत नहीं थी .


रमेश का एक और दोस्त था मनोहर . मनोहर सांवला और देखने में साधारण था पर पढ़ाई में बहुत तेज था . वह पिछड़ी जाति के गरीब परिवार का लड़का था . सरला भी उसे जानती थी और पढ़ाई के सिलसिले में कभी कभी उससे मदद भी लेती थी .रमेश तो मनोहर के नोट्स से ही पढ़ा करता था .


केमिस्ट्री प्रैक्टिकल के कुछ दिन पहले कुछ विद्यार्थी अपने छूटे हुए एक्सपेरिमेंट पूरा करने लैब गए थे .रमेश , सरला और मनोहर भी गए थे .


लैब जाने के रास्ते में ही रमेश सरला को डांट कर बोला " तेरे बाप को अपनी बेटी की सुंदरता पर बहुत गुमान है न , इसलिए मेरे पापा को मेरे रंग पर खरी खोटी सुना गए ."


" नहीं , मुझे ऐसा नहीं लगता है और मेरे पापा इस तरह के लूज टॉक नहीं करते हैं ."


" तुमको पता है तेरे बाप ने क्या कहा है मेरे पापा को ? "


" नहीं , ये तो नहीं पता है .पर बार बार बाप बाप क्या लगा रखा है ? "


" मैंने तो सिर्फ बाप ही कहा है , तेरे बाप ने जो कमीनी हरकत की है उसके लिए कुछ भी कहा जा सकता है ."


" तुम्हारे पापा ने भी तुम्हारे लिए लम्बी चौड़ी लिस्ट और नगद दहेज़ की मांग जो की , वह क्या जायज थी ? "


मनोहर दोनों को शांत रहने को बोल रहा था .


" जानते हो इसके बुढ़ऊ बाप ने क्या कहा है ?" रमेश ने कहा , फिर बिना रुके आगे बोला " साले ने मुझे कालिया और बिकाऊ कहा ."


" तुम्हें बोलने की जरा भी तमीज़ नहीं है ." सरला बोली


मनोहर ने कहा " अरे भाई तुमलोग अपनी दोस्ती के बीच में अपने पिताजी को क्यों घसीट रहे हैं ."


रमेश गुस्से में था .मनोहर और सरला को वहीँ छोड़ कर लैब की ओर बढ़ गया . सरला और मनोहर दोनों कॉरिडोर में खड़े बातें कर रहे थे .थोड़ी ही देर में रमेश वापस उनके पास आया . मनोहर बोला " अभी तो सर के आने में कुछ समय है . चलो कैंटीन में बैठते हैं .एक एक कप चाय हो जाये ."


" चाय , वाय छोड़ो अभी मुझे इस खड़ूस मनोज की बेटी से निपटने दो ." अभी भी रमेश काफी गुस्से में था .सरला की ओर देख कर बोला " हाँ , तो बोल तेरे बाप ने मेरे पापा का अपमान क्यों किया था ?"


" मैं नहीं मानती कि मेरे पापा ने तुम्हारे पापा का कोई अपमान किया है . और ये बातें बड़ों के बीच में ही रहने दो .मेरा क्या कसूर है ? "


" कसूर तेरी सुंदरता का है . तेरे बाप को बेटी की सूरत पर बहुत नाज है न .अभी मैं इसका इलाज कर देता हूँ .अभी मैं तेरा थोबड़ा इस तरह बिगाड़ कर रख देता हूँ कि जो भी तुम्हें देखेगा बिना थूके नहीं रहेगा ."


रमेश ने अपने हाथ में एक शीशी छुपा रखी थी .उसे लेकर सरला की ओर तेजी से लपका और शीशी का द्रव उसकी ओर फेंकना चाहा .


तभी खतरे को भांपते हुए मनोहर दोनों के बीच में आ गया .वह रमेश का हाथ पकड़ कर उसे रोकना चाहता था .पर तब तक द्रव शीशी से बाहर छलक कर मनोहर के चेहरे पर जा गिरा .मनोहर जलन और पीड़ा से कराह उठा . सरला ने चिल्ला कर कहा " हेल्प , हेल्प , कोई पकड़ो इसे .रमेश ने एसिड से अटैक किया है ."


दो तीन लोगों ने आ कर रमेश को पकड़ लिया था .सरला एक और लड़के के साथ मिल कर मनोहर को वाश बेसिन पर ले गयी .लगातार 20 मिनट तक मनोहर के चेहरे को ठंडे पानी में रखा .उसका जलन कुछ कम हुआ .मनोहर को लेकर यूनिवर्सिटी की डिस्पेंसरी गयी .वहां एक डॉक्टर ड्यूटी पर था .डॉक्टर ने मनोहर को देखा .उसका जेंटल कोल्ड पैक और मरहम आदि से उपचार किया .


डॉक्टर ने पूछा " पुलिस में रिपोर्ट किया है ? यह एसिड अटैक का मामला है ."


साथ आये एक लड़के ने कहा " जी , उसे कॉलेज में पकड़ लिया गया है ."


डॉक्टर ने मनोहर और सरला की ओर देख कर कहा " गुड लक मनोहर .तुम्हारी आँखें बच गयी हैं .वैसे भी यह फर्स्ट डिग्री का बर्न इंजुरी है .एसिड थोड़ा डाइल्यूट था , दो सप्ताह में पूरा आराम मिल जायेगा .पर बैड न्यूज़ है कि चेहरे का दाग शायद न जाए .इसे कोई प्लास्टिक सर्जन ही ठीक कर सकता है . पर यह सब हुआ कैसे ? "


" रमेश का निशाना मैं थी .मुझे बचाने के लिए मनोहर बीच में आ पड़ा और भुगतना इस निर्दोष को पड़ा ." सरला ने कहा


उधर रमेश को पुलिस पकड़ कर थाने ले गयी . रमेश ने अपना जुर्म मानने से इंकार कर दिया .जब मनोहर का बयान लेने पुलिस पहुंची तो उसने कहा " नहीं , गलती किसी की नहीं थी .यह मेरी लापरवाही से हुआ है . लैब में एक्सपेरिमेंट करते समय टेस्ट ट्यूब मेरे हाथ से छूट कर गिर कर टूट गया था . एसिड के छलक कर मेरे चेहरे पर पड़ने के कारण यह दुर्घटना हुई है ."


मनोहर ने इशारे से सरला को शांत रहने के लिए कहा .


पुलिस के जाने के बाद सरला बोली " तुमने पुलिस को गलत बयान क्यों दिया ?"


" मुझे तो जो होना था हुआ .अब रमेश पुलिस केस में फंसता तो उसे सजा निश्चित होती और उसका कैरियर समाप्त था ."


" और उसने तुम्हारा चेहरा सदा के लिए बिगाड़ दिया उसका क्या ? "


" भूल जाओ इसको . मैं दोस्त की नादानी समझ इसे भूल जाऊँगा , मुझे कोई परेशानी नहीं है , बस इसे नियति मानता हूँ ."


" तुम इतने महान हो ,ये मैंने आज जाना है . "

इसके बाद सरला और मनोहर की दोस्ती बढ़ गयी थी. 15 दिनों में मनोहर ठीक हो गया .उनके प्रैक्टिकल एग्जाम खत्म हो गए थे . सरला और मनोहर दोनों ने बैंकिंग सर्विसेज के लिए टेस्ट दिए थे , नतीजे का इंतजार था .


इधर मनोज बाबू सरला की शादी के लिए प्रयत्नशील थे , पर बात लेन देन पर फंस जाती थी . सरला तो अंदर ही अंदर मनोहर को चाहने लगी थी , पर अभी तक प्यार का इजहार नहीं कर सकी थी .मनोहर हमेशा सरला से शालीनता पूर्वक दोस्ती की सीमा के अंदर ही व्यवहार करता था .


बी एस सी का परिणाम आया था . मनोहर को फर्स्ट क्लास आया था .सरला को भी संतोषजनक मार्क्स मिले थे . रमेश को किसी तरह पास मार्क्स मिले .


सरला अपनी माँ माला से मनोहर के गुणगान करते थकती नहीं थी .एक दिन माला ने बेटी से पूछा " आखिर तेरे मन में क्या चल रहा है उसके बारे में .तू उसे चाहती है क्या ? पर मुझे डर है तेरे पापा उसकी जाति के चलते उसे पसंद नहीं करेंगे . "


सरला ने कहा " वह बहुत नेक इंसान है .उसकी जितनी तारीफ़ की जाए , कम है ."


कुछ दिनों बाद बैंकिंग सर्विसेज के परिणाम आये . मनोहर का चयन प्रोबेशनरी अफसर के लिए हुआ था .वहीँ सरला का उसी बैंक में क्लर्क के लिए पर रमेश असफल रहा था .


सरला की एक चचेरी बहन थी यमुना . उसे बचपन में पोलियो हो गया था . चलने के लिए उसे एक विशेष तरह का जूता पहनना होता था और साथ में छड़ी का भी सहारा लेना होता था . यमुना का भी चयन बैंक क्लर्क के लिए हुआ था ,विकलांग कोटे से . सरला और मनोहर एक ही बैंक में थे , जबकि यमुना दूसरे बैंक में थी .यमुना साधारण मध्यम वर्गीय परिवार से थी .उसके पिता रिटायर हो चुके थे .यमुना की छोटी बहन की शादी तो उन्होंने कर दिया था पर यमुना की शादी उसके पैर की खराबी के चलते अभी तक नहीं हो सकी थी .उसके पिता हमेशा यमुना को लेकर चिंतित रहते , उन्हें एक बार हार्ट अटैक भी हो चुका था . यमुना के बारे में सरला ने मनोहर को बता रखा था .


सरला की नौकरी मिलने के बाद मनोज बाबू के पास बेटी की शादी के लिए प्रस्ताव आने लगे .उन्हें अब शांति मिल रही थी क्योंकि अब वह अपनी मर्जी से रिश्ता चुनने की स्थिति में थे .इसी बीच रमेश के पिता भी मनोज बाबू के पास अपने बेटे के लिए सरला से शादी का प्रस्ताव ले कर आये .


रमेश अभी तक बेकार बैठा था . यह रिश्ता न तो सरला को पसंद था न ही उसके पिता को . अगर रमेश को नौकरी मिली होती तब भी यह रिश्ता उन्हें पसंद नहीं था .


इधर सरला और मनोहर अब रोज ही दफ्तर में मिला करते . सरला ने एक दिन मनोहर से पूछा " अब तो

तुम बैंक के अफसर हो , शादी के बारे में क्या सोचा है ?"


" मेरे माता पिता के पास कुछ प्रस्ताव आये हैं . पर हमारी जाति में पढ़ी लिखी लडकियां कम ही हैं .जो कुछ

पढ़ी लिखी हैं उन्हें मेरा चेहरा पसंद नहीं है ."


" मैं जात पात और चेहरे की सुंदरता को तवज्जो नहीं देती हूँ . मैं सूरत को नहीं सीरत को अच्छा मानती हूँ . "


" यह तुम्हारा बड़प्पन है .पर इससे हम समाज की सोच तो नहीं बदल सकते हैं न . "


" उनकी सोच बदल सकती है , अगर हम मिल कर प्रयास करें .किसी न किसी को तो आगे बढ़ना होगा ."


" खैर , अब तुम अपनी शादी के बारे में बताओ ."


" रिश्ते आ रहे हैं , उनमें कुछ पापा को पसंद हैं . पापा अब मेरी पसंद जानना चाहते हैं ."


" फिर देर किस बात की ? "


" देर तो तुम्हारे समझने भर की है ."


" क्या मतलब ? "


" क्यों अनाड़ी की तरह बात कर रहे हो ? मुझे लड़की हो कर कहना पड़ेगा क्या ? "


" क्या ? "


" मैंने सिर्फ तुम्हें चाहा है , मैं मन से तुमसे प्यार करती हूँ . "


" तुम हर तरह से अच्छी हो . तुम मुझ से बेहतर जीवनसाथी डिजर्व करती हो . और वैसे भी मेरी जाति और ये चेहरे के दाग देख रही हो न ."


" ये दाग तो तुम्हें मैंने ही दिए हैं .मुझे रमेश से बचाने के लिए तुम्हें बीच में आने की क्या जरूरत थी? तुम सच बताओ मैं तुम्हें पसंद हूँ या नहीं ? "


" तुम्हें जो नापसंद करे , वह दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख ही होगा . तुम्हारे लिए मुझसे बेहतर कितने रिश्ते तुम्हारे माता पिता के पास आ रहे हैं . मुझे डर है कि हमारे रिश्ते से तुम्हारे घर वाले बहुत नाराज होंगे . तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो और सदा रहोगी .मैं तुम्हें कभी खोना नहीं चाहूँगा . . "


इसके चंद दिनों के बाद ही यमुना के पिता को दिल का दौरा पड़ा . वे अस्पताल में भर्ती थे . मनोज बाबू , सरला और मनोहर भी अस्पताल में उन्हें देखने गए थे .डॉक्टर ने कहा " इनकी हालत बहुत नाजुक है .हम पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन किसी पल कुछ भी हो सकता है ."

यमुना के पिता बेटी के हाथ पकड़े हुए किसी तरह बोल पा रहे थे " मुझे माफ़ करना बेटी .मैं तेरे हाथ पीले न कर सका ."


उनकी आँखों से आंसू की धारा निकल रही थी .यमुना की माँ भी आँचल से अपने आँसू पोंछ रही थी . वह पति को समझा रही थी " आप इस समय शांत रहें . कोई भी चिंता आपके लिए खतरनाक है ."


" चिंता कैसे न करूँ ? एक तो भगवान् ने यमुना के साथ अन्याय किया है .ऊपर से उसका अभागा पिता भी उसके लिए कुछ न कर सका . "


उनकी बात सुन कर वहां उपस्थित सभी की आँखें भर आयीं .बहुत मुश्किल से उन्होंने फिर यमुना के हाथ सहलाते हुए कहा " मुझे माफ़ करना बेटी ."


उसी समय मनोहर जल्दी से आगे बढ़ा और बोला " अंकल मुझे माफ़ करें . मैं पिछड़ी जाति का हूँ . अगर आपलोगों को मंजूर हो तो मैं यमुना का हाथ थामने के लिए तैयार हूँ ."


इतना बोल कर उसने यमुना का हाथ अपने हाथ में ले लिया . यमुना के पिता की आँखों से एक बार फिर आँसू छलक पड़े .इस बार ये ख़ुशी के आंसू थे .


वहाँ मौजूद सभी की आँखें मनोहर और यमुना को देख रही थीं .इस समय सबसे ज्यादा आँसू सरला की आँखों में थे . ऐसा लग रहा था कि वह मनोहर की ओर सवालिया निगाहों से देख रही थी .किसी की समझ में न आया कि सरला के आँसू ख़ुशी के थे या गम के . उसकी निगाहें मनोहर से दुखी मन से पूछ रही थीं कि तुमने ऐसा क्यों किया .


कुछ पल बाद सरला ने दुपट्टे से दोनों आँखों के आँसू पोंछे . फिर उसने अपने होंठों को भींचते हुए हल्की सी बनावटी मुस्कराहट लाने की कोशिश की और मनोहर को अंगूठे से “ थम्स अप “ का इशारा किया . जहाँ एक तरफ बहन की शादी ठीक होने की ख़ुशी थी वहीँ दूसरी ओर उसके दिल का दर्द उसकी आँखों और चेहरे पर स्पष्ट झलक रहा था . फिर भी उसे संतोष था उसका मनोहर सचमुच कितना मनोहर था .


मनोहर ने सरला के पास जा कर धीरे से कहा “ सरला तुम मेरे फैसले से नाराज हो ? “


सरला सर झुकाये खामोश खड़ी थी , मनोहर उसके पास आ कर बोला “ मुझे माफ़ करना , मैंने जो सही समझा वही किया . तुम्हारे लिए रिश्तों की कमी नहीं है , पर यमुना की शादी न होने के चलते अंकल अंदर से दुखी थे और उनकी जान को भी खतरा था . “


यमुना के पिता अपने हाथ उठा कर आशीर्वाद दे रहे थे . सरला ने मनोहर का हाथ पकड़ कर कहा “ थैंक यू , मैं तुम्हारे फैसले से बहुत खुश हूँ . मेरी नजरों में तुम और ज्यादा अच्छे लगने लगे . “

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