में और मेरे अहसास - 33 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 33

 

आहिस्ता बात रखा करो l
सुनने वाले सुन लेगे l
समझने वाले समज लेगे ll

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आशिकी ये फिर ना दोबारा मिलेगी l
जिंदगी ये फिर ना दोबारा मिलेगी ll

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बड़े नाजुकना अंदाज न रखो ए हुश्नो वालो l
यहां हर नई सुबह नई चुनौती लेके आती है ll

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आज का ये पल है खुशी से जीवन जी ले यार कल
रहे ना रहे l
कल की फ़िक्र छोड़ आज को तू जी ले यार कल
रहे ना रहे ll

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रात मुरादों भरी काट रहे हैं आहिस्ता आहिस्ता l
और घूंघट मे बाते हो रहीं हैं आहिस्ता आहिस्ता ll

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तेरी फ़िक्र मे जलते रहते दिन रात l
दुआ खुदा से करते रहते दिन रात ll

ये कैसी मदहोशी ने घेर रखा है हमे l
खुद नशे में डूबते रहते दिन रात ll

शहर मे जमी हुई है महफिलें हुश्नो की l
दिले अरमान मचलते रहते दिन रात ll

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उनसे हररोज बात होनी चाहिए l
फोन पे सही बात होनी चाहिए ll

काली बदलियो हट जाओ ज़रा l
तारो से भरी रात होनी चाहिए ll

जीने के सहारा बन गया है तू l
छुप छुप के बात होनी चाहिए ll

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तुझे देखने वाले बहोत होगे l
मुझे देखने वाला एक तू ही हैं ll

तेरी बाते सुनने वाले बहोत होगे l
मेरी बाते सुनने वाला एक तू ही हैं ll

तुझे  छुने वाले बहोत होगे l
मुझे छुने वाला एक तू ही हैं ll

तुझे महसूस करने वाले बहोत होगे l
मेरे अह्सास समझने वाला एक तू ही हैं ll

तुझे  बेटा कहने वाले बहोत होगे l
मुझे माँ कहने वाला एक तू ही हैं ll

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जूठ ने तेरे  हीला दिया l
ग़म का घुट पीला दिया ll

भूलने तेरी बेवफाई को l
जाम मे दर्द मीला दिया ll

बंध आंखो से किया है उस l
अंधे प्यार का सिला दिया ll

जानकर भी अनजान बनते हो l
बेरुखी ने तेरी रुला दिया ll

रूह तक कंप उठीं है आज l
भूकंप की तरह जुला दिया ll

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ख़ुदा ने फैलाया है कैसा ये क़हर l
हर तरफ़ छाया हैं मौत का मंजर ll

हालत बद से बदतर हो गये हैं l
हवाओ मे घुला है मौत का ज़हर ll

लपेट रहा है अपनी ज़पत मे सबको l
कब ख़त्म होगा मौत का सफ़र ll

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तुझे एक जलक  देखने के लिए घंटों खड़े रहते हैं l
वो पल गूजर भी गया और तुझे जाते देखते रहे ll

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कभी कभी लगता है l
तू और तेरी यादे जीने का सहारा है l
तू और तेरे वादे जीने का सहारा है l
तू और तेरी बाते जीने का सहारा है l
गूजर ही जाएगी जिंदगी यूही बैठें बैठें l
बस तू यूही दिल बहलाते रहेना ll

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अर्श मे उड़ रहे हैं अरमान मेरे l
फर्श से अर्श का सफ़र है जिंदगी ll

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गैरमौजूदगी खटक रही थी तेरी आशियाने को l
रह रह के याद आ रहीं थी तेरी आशियाने को ll

एक दिन शिकायतें तेरी कर दी जाके ख़ुदा को l
साथ मांगा तेरा तुरंत तथास्तु कहा आशियाने को ll

कई बर्षों इंतजार किया इंसान के लौटने का l
आश टूटने,आखरी कदम लेना पड़ा आशियाने को ll

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महामारी ये कैसी ख़ुदा चल रही है l
डराने इंसानों को हवा चल रही  है ll

आजकल भयानक मंजर है फ़ैला l
बिना मरज़ी के रजा चल रही है ll

हमेश सम्भल जाता हू गिरते गिरते l
ना जाने किसकी दुआ चल रही है ll

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तू और तेरी यादे l
तू और तेरी बाते l
तू और तेरे वादें l
जीतना भूलने की कोशिश करते हैं l
उतनी ही ज्यादा जोरों से आती है ll

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सही समय पर लिया गया फैसला l
इतिहास बना देता है ll
दिल से किया गया फ़ैसला l
जिंदगी बना देता है ll

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वादो में जूम रहे हैं l
यादो में जी रहे हैं ll

हसीना की नशीली l
आँखों में डूब रहे हैं ll

भीगी भीगी चांदनी l
रातों में घुम रहे हैं ll

लोगों की मज़बूरी को l
लाखों में लुट रहे हैं ll

दर्द सहलाने के लिए l
बातों में फुक रहे हैं ll

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हर तमन्ना हर आरज़ू l
तुम पे शुरू और तुम्हीं से ख़त्म होतीं हैं ll
ये और बात है कि l
तुम पे जताते नहीं, तुम्हीं रहनुमा हों मेरे ll

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दर्द को सहलाने से क्या हासिल होगा?
दिल को जला ने से  क्या मिलेगा होगा ?

अब मिलना हमारा मंजूर नहीं खुदा को l
दूर से देखने आपको क्या सुकून होगा?