Kaisa ye ishq hai - 60 books and stories free download online pdf in Hindi

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 60)

अर्पिता अपने मां पापा को सामने देख भावुक हो गयी उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।वो अपने मां पापा के पास जाती है और उनके गले से लग जाती है।हमे विश्वास था आप दोनो बिल्कुल ठीक होंगे हम कबसे आपके आने का इंतजार कर रहे थे।बोलते बोलते अर्पिता हिचकी लेने लगती है उसके मुंह से शब्द ही नही निकलते वही अर्पिता के मां पापा दोनो अर्पिता को इस रूप में देख शॉक्ड हो जाते हैं।वो एक दूसरे की ओर देख अर्पिता से प्रश्न करते हुए बोले,अर्पिता ये सब क्या है?तुमने बिन अपने मां पापा से पूछे इतना बड़ा कदम भी उठा लिया!क्यों अर्पिता?क्या हेमंत जी दया जी से इतना भी सब्र नही रखा गया कि दो महीने में ही तुम्हारी शादी कर दी!अर्पिता किससे की है तुम्हारी शादी हेमंत और दया जी ने।हमे तुम्हारे जीवन साथी से मिलना है कहां है वो यहां साथ नही आया!

अपने मां पापा की बातें सुन अर्पिता सोचती है अब हम क्या बोले मां पापा से!सब कितना उलझ गया है।हम कैसे और क्या बोले?मौसा जी और बाकी सब को तो हमारे या मां पापा के बारे में यही पता है कि अब हम लोग इस दुनिया का हिस्सा ही नही है।हम क्या करे कैसे सब सम्हाले।

अर्पिता को सोच में डूबा हुआ देख उसके पिता बोले "कहां खोई हो अर्पिता मैं कुछ पूछ रहा हूँ तुमसे"?

अर्पिता कुछ नही कहती है।वहीं अर्पिता को अभी तक बाहर न आता देख बाहर खड़े शान अंदर चले जाते हैं।अर्पिता को नजरे झुकाये खड़ा देख वो सब समझ कर आगे बढ़ कहते है, अंकल जब से वो रेल हादसा हुआ है तबसे बहुत कुछ बदल चुका है।अर्पिता के बारे में हमारे परिवार के अलावा किसी को कुछ भी नही पता है।किरण मौसा जी और दया दादी के लिए अर्पिता और आप सब उसी रेल हादसे में नही रहे।

प्रशांत को वहां देख हेमंत जी बोले बेटे लेकिन आपने तो कहा था कि अर्पिता उनके साथ ही है और बहुत खुश है।

अपने मां पापा की बात सुन अर्पिता शान की ओर हैरत से देखने लगी।

जी अंकल!मैंने कहा था क्योंकि तब वो आपकी हेल्थ के लिए सही था।आज आप स्वस्थ है इसीलिए तो मैंने आज का दिन चुना आपको यहां लाने के लिए।शान ने कहा और वो चुप हो गये।

अर्पिता शान को बस हैरत से देखती ही जा रही है वो समझ ही नही पा रही है कि शान उससे उसकी कल्पना से भी कहीं अधिक प्रेम करते हैं।खुशी और प्रेम दोनो की अधिकता से उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।

तो फिर मेरी बच्ची कहां रहती थी बेटे!तुम ही बताओ मुझे क्या सच है और अर्पिता तुम क्यों अपने मौसाजी और बहन के पास नही गयी।अब बोलो क्या बात है चुप क्यों खड़ी हो।अर्पिता के पिता ने तेज आवाज में कहा।जिसे सुन शान बोले अंकल अर्पिता अब तक अपनी दोस्त श्रुति और उसके भाई यानी मेरे साथ रहती थी।उसके सबके पास न जाने की एक बड़ी वजह है इसका स्वाभिमान!भला वो उस घर में कैसे जाती जहां की मुखिया ने बिन किसी दोष के इसे आपके साथ घर जाने को कह दिया।दया दादी ने इसे इसकी मासी की मौत का जिम्मेदार ठहरा दिया।उस पर हुआ वो रेल हादसा इसमे इसका कानपुर स्टेशन पर पर ट्रेन का छूट जाना और आप दोनो के साथ हादसा होना कैसे सबका सामना करती ये।कौन यकीन करता इस पर कि इसकी ट्रेन छूट गयी थी।यही सब बातें सोचते हुए इसने खुद को सबकी नजरो से दूर ही रखा एवं जॉब और पढाई दोनो करते हुए खुद को भी सम्हाल लिया।अब आप लोग आ गये है तो अब सच सामने आने पर भी कोई परेशानी नही आयेगी इसे।

शान की बात सुन अर्पिता के पापा भावुक हो गये और बोले, "अपने मान और स्वाभिमान दोनो को बनाये रखने के लिए इतना कुछ अकेले ही सहती गयी मेरी बच्ची।इसकी कैपेसिटी से तो हम पहले से ही परिचित थे लेकिन इतनी ज्यादा होगी ये नही पता था।

बाकी सब मैं समझ गया लेकिन शादी जैसा निर्णय क्यों लेना पड़ा अर्पिता!इन दो महीने में ऐसा क्या हो गया अर्पिता।अर्पिता के पिता ने अर्पिता से पूछा!लेकिन अर्पिता कुछ नही बोली वो बस एकटक शान की ओर देखती रही और मन ही मन बोली, शान!प्रेम का अगर कोई मूर्तिमान रूप होता है तो वो आप ही हैं।अगर सच में कोई परिभाषा हुई प्रेम की तो हमे बस एक ही नाम समझ आ रहा है शान!लोग कहते है प्रेम का मतलब रब होता है लेकिन हमारा हृदय सिर्फ एक ही बात कहता है प्रेम का अर्थ हैं शान!

अर्पिता के पिता की बात सुन शान अपना सर झुका कर और हाथ जोड़ते हुए बोले इसका कारण भी मैं हूँ पापाजी!इन बीते दो दिनों में कुछ ऐसी गलतफहमियां सबको हुई कि हमारे पास इसके अलावा कोई और विकल्प नही बचा।मेरी वजह से इसके मान और स्वाभिमान दोनो को ठेस पहुंची है जिस कारण मैंने इसे मजबूर कर इससे शादी की है इसने अपनी मर्जी से नही की है।।

मैं कुछ समझ नही पा रहा हूँ!एक तरफ तुम इतनी शिद्दत से हमारी देखभाल करते हो और दूसरी ओर मेरी बेटी को मजबूर कर उससे शादी करते हो क्यों?

शान इस बारे में कुछ नही कहेंगे ये सोच अर्पिता आगे बढ़ बोली, "क्योंकि ..क्योंकि हमारे बीच विश्वास और प्रेम का रिश्ता है पापा"।कह कर अर्पिता खामोश हो जाती है।अर्पिता के बाबूजी ने एक क्षण उसकी मां की ओर देखा और फिर आगे बढ़ प्रशांत के हाथ थाम लिए और एक गर्वीली मुस्कान लिए बोले, 'अगर इस मजबूरी के जरिये मुझे तुम्हारे जैसा बेटा मिले तो फिर अर्पिता से कोई शिकायत नही है।बल्कि अब हम भी निश्चिन्त है कि किस्मत ने उसे एक सच्चा और परवाह करने वाला जीवनसाथी दिया है।'उन्होंने अर्पिता की ओर देखा और बोले,इसे कभी निराश नही करना अर्पिता ये बहुत प्रेम करता है तुमसे उसके लिए ये सब कुछ सम्हाल सकता है।लेकिन सब सम्हालने में इसका साथ देकर इसे तुम ही सम्हाल सकती हो।

अपने पापा के मुख से ये शब्द सुन अर्पिता गर्दन झुका कर हां करती है।उसने एक बार शान की ओर देखा और अपनी पलके झपका कर कृतज्ञता जाहिर करती है।ये देख शान हल्का सा मुस्कुराये और बोले,अब मैं निकलता हूँ वहां रस्मे शुरू हो रही होगी आपलोग आराम से बैठकर बाते करिये प्रणाम कहते हुए शान वहां से निकल जाते हैं।अर्पिता अपने मां पापा से बाते करने लगती है और कुछ देर बाद कहती है,मां पापा आप लोग भी चलिये सबसे मिल लीजिये?हमे भी रस्मो में शामिल होने के लिए पहुंचना है।ताईजी हमारा इंतजार कर रही होगी।

अच्छा लगा हमे ये देखकर कि तुम अपनी जिम्मेदारी समझती हो चलो चलते है लेकिन हम ऐसे जाएंगे इस हाल में क्या ठीक रहेगा।अर्पिता के पिता सोचते हुए बोले।

पापा ठीक तो लग रहे है आप क्या कमी है इनमे।हम मानते है कि अभी पूरी तरह स्वस्थ होने में समय लगेगा लेकिन अभी आपको सबसे मिलना होगा क्या सोचेंगे सब कि आज ही दुल्हन की शादी हुई और उसके घर से शामिल होने कोई नही आया।बताओ भला!आप एक बार हमारे नये परिवार से तो मिल लीजिये न अर्पिता ने जोर देते हुए कहा।

हम्म बात भी सही है बेटा चलो फिर चलते है कहते हुए तीनो कमरे से बाहर चले आते हैं।अर्पिता अपने मां पापा को अपने नये परिवार से मिलाती है वहीं बारातियो की अगवानी करते हुए हेमंत जी की नजर अर्पिता के मां पापा और अर्पिता पर पड़ती है उन्हें एक पल को तो विश्वास ही नही होता कि वो तीनो वहां है।जब उन्हें चलते फिरते देख रहे है तब वो तुरंत दौड़ते हुए अर्पिता के मां पापा के पास आते है और उन्हें गले से लगाकर कहते है 'भाईसाहब आप बिल्कुल स्वस्थ है' आप यहां कैसे?आप तो उस दिन... और अर्पिता भी यहां तीनो एक साथ.. यहां देख कर यकीन नही हो रहा कि ये वास्तविकता है।उनकी भी वही हालत है जैसे कुछ देर पहले अर्पिता की थी।निशब्द, शब्द अगर है भी तो उनमे भी हड़बड़ाहट है।

हेमंत जी को ऐसे देख अर्पिता के पिता बोले, ये सब तो ऊपर वाले का चमत्कार है और किसी अपने की मेहनत।आप निश्चिन्त रहिये अब सब ठीक है हम भी और अर्पिता भी।

हम्म बाकी बातें आराम से बैठकर करते है अभी आप कहीं मत जाइयेगा अपनी किरण की शादी है इसके सम्पन्न होने के बाद आराम से बैठ के गुफ्तगूं करेंगे फिलहाल आप दोनो सबसे मिलकर घर निकल जाइये और वहीं आराम करियेगा।हेमंत जी ने कहा तो दोनो बोले जी अवश्य, लेकिन पहले सब से मिल ले।हेमंत जी ने अर्पिता की ओर देखा और बोले तुमसे भी मैं फुर्सत में बात करता हूँ अभी तुम अपनी बहन और सहेली के पास जाओ वो तुम्हे बहुत याद करती है।"जी मौसा जी हम जाएंगे लेकिन पहले मां पापा को सबसे मिला दे और फिर द्वारचार की रस्म देख ले फिर हम इस तरफ से ही शादी में शामिल होंगे"।अर्पिता बोली।

हेमंत जी उसकी बातों का अर्थ समझ नही पाये और बोले अभी इतना समय नही है कि तुम्हारी बातों का अर्थ पूछ सकूँ बाद में फुर्सत से बैठ कर पूछता हूँ।ठीक है आप सभी आनंद लीजिये मैं तनिक गेस्ट लोगों को देखता हूँ।कहते हुए हेमंत जी वहां से चले जाते हैं।वहीं अर्पिता अपने पेरेंट्स को शोभा और नृपेंद्र जी के पास ले जाती है एवं उनसे उनका परिचय कराती है।प्रेम जी सुमित स्नेहा श्रुति सभी से परिचय कर उसके माता पिता कुछ क्षण साथ व्यतीत करते है। प्रशांत जो छोटे के पास होते है दोनो को काफी देर से खड़ा देख उनके पास आये और बोले, आप दोनो थक चुके होंगे आप मेरे साथ बाहर आइये मैं।आपको मेरे रूम पर पहुंचा देता हूँ आप वहां अब रेस्ट करिये।

ठीक है बेटे लेकिन आप को यहां कई कार्य होंगे आप यहीं रुकिए हमे पता बता दीजिये हम पहुंच जाएंगे अर्पिता के मां पापा ने कहा तो शान बोले, जी आपके लिए मैं कैब बुलवा लेता हूँ जब तक कैब आयेगी तब तक आप यहीं कुर्सी पर बैठिये ठीक है।

जी ठीक है बेटे!हमे पता है कि तुम हमे अकेले नही जाने दोगे।दोनो ने कहा तो शान बस मुस्कुरा दिये और बोले,कैसे जाने दूँ आपकी बेटी मेरे परिवार का ध्यान रखती है तो फिर मुझे भी उसके परिवार का ध्यान रखना चाहिए कि नही बोलिये।

हम्म!तर्क भी खूब देते हो।दोनो ने कहा तो शान ने कुर्सी उठाकर वहीं रख दी और उन्हें बैठाकर वहां से चले आते हैं।अर्पिता प्रशांत को देख मुस्कुराते हुए कहती है, कभी जताया नही कभी बताया नही बस रिश्तो को कैसे सम्हाला जाता है ये कर के दिखाया है आपने"आप सबसे अलग है शान!जितना हम आपको जान रहे है समझ रहे है हमे हर बार कुछ नया ही देखने को मिलता है।

परम चारो ओर देखते है जब प्रशांत प्रेम और अर्पिता आसपास नही दिखते तब वो प्रशांत को कॉल लगाते है और कहते है,भाई आप और भाभी दोनो यहां आओ मेरे पास,प्रेम भाई तो अभी व्यस्त है तो आप दोनो ही मेरे पास आओ मुझे कुछ बात करनी है।

आते है छोटे कहते हुए प्रशांत ने फोन रखा और अर्पिता को संदेश भेजते है, छोटे" बुला रहा है अपनी छोटी भाभी को"?

अर्पिता ने संदेश देखा ।" आते है" रिप्लाई कर मुस्कुराई।एवम श्रुति से कह परम के पास चली जाती है।

अर्पिता और प्रशांत दोनो ही परम के पास पहुंचते है। "क्या हुआ छोटे क्या कहना है" प्रशांत ने पूछा।
हम्म कहना तो इतना सा है कि आप दोनो कहां सब लोगों में घूम रहे हो क्या पूरी शादी यूँ ही निकलेगी, कोई संगीत नही कोई धमाल नही बताओ

हम्म बात तो सही है आपकी और हमे नही लगता कि आरव भाई के रहते हुए ये शादी यूँही निकलने वाली है।लेकिन फिर भी आप परेशान हो हम कुछ करते है हम नही नृत्य कर सकते तो क्या हुआ बाकी सबसे करा ही सकते हैं।आपको करना है तो आप बता दीजियेगा ठीक है।अर्पिता ने कहा और वहां से श्रुति के पास गयी और उससे दोनो पक्षो में कॉम्पटीशन रखने को बोली।उसके विचार से सहमत हो श्रुति बोली, अच्छा है बहुत मजा आयेगा लेकिन ये सब वरमाला होने के बाद ठीक रहेगा।

ठीक है अर्पिता ने कहा तभी वहां सात्विक आ जाता है जो अर्पिता को देख शॉक्ड हो तेज आवाज में कहता है,ये तुमने क्यों किया मेरा मतलब है कब किया अरे मुझे बताया भी नही।अर्पिता बहुत गलत किया तुमने दोस्तो को भी नही बताया।

अर्पिता बोली, सॉरी सात्विक सब बहुत जल्दी में हुआ है हम आपको नही बता पाये उसके लिए सॉरी।तुम अभी शादी एन्जॉय करो हम इस बारे में।बाद में बात करेंगे ठीक है।

हम्म सात्विक ने कहा तो श्रुति उसे अपने साथ अपने भाइयो से मिलवाने ले जाती है। अर्पिता शोभा के पास गयी और उससे बोली, " ताईजी हम अब किरण के पास जाये इस समय वो बहुत अकेला महसूस कर रही होगी"।

ठीक है तुम तो अब दोनो पक्षो से हो तो संतुलन बनाना पड़ेगा तुम जाओ।अब उसके साथ ही रहना ठीक है।शोभा ने कहा तो अर्पिता हल्का सा मुस्कुरा दी और किरण के पास चली जाती है।किरण एक कमरे में तैयार हो कर खामोश बैठी है अर्पिता उसके पास जाकर कहती है "बहुत सुन्दर लग रही हो किरण किसी की नजर न लगे" लाओ हम ही नजर उतार देते है"।आवाज सुनकर किरण ने हैरत से पीछे देखा,तो सामने अर्पिता को देख वो बैठे से खड़ी हो जाती है।अर्पिता तुम!यहां मेरे सामने!ये सपना है या हकीकत यार तुम यहां सच में हो या सिर्फ मुझे दिख रही हो।किरण चकित होते हुए बोली।उसकी बात सुन अर्पिता बोली, हम ही है किरण हकीकत है ये सपना नही।कहते हुए वो आगे बढ़ किरण के गले लग जाती है।दो महीने के इस अंतराल के बाद यूँ एक दूसरे के गले लगने पर दोनो ही भावुक हो जाती है और लाख रोकने पर भी आंखों से आंसू छलक ही जाते है।किरण धीरे धीरे बोली, " तुम कहां थी अर्पिता अब आई हो तुम्हे पता है मैं कितना अकेलापन महसूस कर रही थी,मेरी दोनो सहेलियां मेरी मां और तुम दोनो ही मेरे साथ नही थी।हर एक फंक्शन मेरा सूना सूना रहा और तुम अब आई हो ..और मौसा जी मासी जी दोनो कैसे है और तुम ये क्या पहने हो और तुमने मेरे बिन शादी भी कर ली।कब किससे कैसे अब कुछ बोलो भी यूँ चुप काहे खड़ी हो।

अर्पिता मुस्कुराते हुए उसके आंसू पोंछते हुए बोली, सब बता देंगे अब से हमे एक साथ ही रहना है अभी के लिए तुम ये आंसू पोंछो और अपना टच अप कराओ ऐसे बाहर जाओगी तुम ..!

ठीक है अब तुम आ गयी हो तो तुम ही कर दो!और मुझे एक बात बताओ तुमने, 'शादी की किससे प्रेम तो तुम प्रशांत भाई से करती हो' और उनकी तो अभी शादी हुई नही फिर तुमने किसी और से विवाह कैसे कर लिया और इतनी खुश भी लग रही हो।

"तुम ठीक तो हो अर्पिता" किरण ने चिंतित होते हुए पूछा तो अर्पिता बोली जो होना था वो हो गया हम तो आज भी उनसे ही प्रेम करते है और हमेशा करेंगे और हम खुश इसीलिए है कि तुम अब से हमारी देवरानी बन जाओगी कितना मजा आयेगा न दोनो बहने हमेशा साथ साथ।

अर्पिता की बात सुन किरण खुशी से दोबारा अर्पिता के गले लग बोली,"ये तो बहुत अच्छा हुआ"

हम्म अच्छा हुआ लेकिन अब तुम बस अपना टच अप कर लो बाहर सारी तैयारियां हो रखी है तुम्हे किसी भी समय बुला लेंगे तो अब नो रोना धोना ओनली हैपिनेस।अर्पिता ने मुस्कुराते हुए कहा जिसे देख किरण भी मुस्कुराने लगती है।

दोनो बहने वहीं बैठ कर बातें करते हुए अपना श्रृंगार दोबारा कर लेती है।कुछ ही देर में बाहर रिश्तेदारों से मिल कर जब दया जी दुल्हन के कमरे में आती है तो अर्पिता तुरंत ही घूंघट डाल कर वहां से निकल जाती है।किरण को उसका यूँ इस तरह जाना थोड़ा अजब लगता है।वहीं बाहर शान अर्पिता को बाहर न देख उसे चारो ओर देखते है।श्रुति स्नेहा छाया के साथ खड़ी चित्रा को पीछे से देख उसके पास चले आते है लेकिन कुछ कदमो की दूरी रह जाने पर वहां से मुड़ कर अन्य तरफ चले जाते हैं।अर्पिता वहीं खड़े हो दया जी के जाने का इंतजार करती है लेकिन समय ज्यादा होने पर वो वापस शोभा जी के पास आकर खड़ी हो जाती है और मन ही मन सोचती है खुशी के अवसर हम अभी आपके सामने आकर आपके मन में कड़वाहट का भाव नही लाना चाहते दादी मां।अर्पिता के मां पापा को कमरे की चाबी दे शान उन्हें कैब में बिठा कर चले आते हैं।

कुछ देर बाद वरमाला के लिए किरण को बुला लिया जाता है परम और किरण दोनो को ही मंच के ऊपर पहुंच वरमाला की रस्म करते हैं।सभी बड़े जन नव जोड़े को आशीर्वाद देने लगते हैं।परम की खुशी के लिए अर्पिता के प्लान के अनुसार श्रुति चित्रा आरव से कम्पीट करते हैं।एक हंसी खुशी के माहौल के साथ ये रस्म पूरी होती है।श्रुति से कम्पीट करते हुए आरव की नजर चित्रा पर जाकर रुक जाती है।जो डांस करते हुए बीच बीच में अपने आंसुओ को पोंछती जाती है।उसे देख आरव मन ही मन सोचता है, इतने खुशी के मौके पर इनकी आंखों में आंसू कोई न कोई बात अवश्य होगी?

परम किरण दोनो ही एक प्यारा सा कपल डांस करते हैं।अर्पिता,शोभा प्रशांत प्रेम स्नेहा सुमित सभी खड़े हो तालियों के साथ उनका स्वागत करते हैं।नृत्य उल्लास के बाद सभी खाने का लुत्फ उठाते है एवं उसके बाद एक के बाद रस्मो का सिलसिला शुरू हो जाता है।प्रेम जी वीडियो कॉल के जरिये राधिका को एक के बाद एक सारी रस्मे दिखाते हैं।सुबह तक सारी रस्मो के साथ विवाह सम्पन्न हो जाता है।अर्पिता,शान के साथ शोभा जी से कह एक बार फिर अपने मौसा जी और आरव से मिलती है एवं उनसे बातचीत कर मिलकर बाहर चली आती है।जहां उसके मां पापा शोभा जी के साथ वार्तालाप कर रहे हैं।
प्रेम जी ने शोभा के कहने पर दो विदाई के लिए गाड़ियां बुलवाई हैं।जहां किरण की विदाई के बाद वो प्रेम को परम और किरण के साथ जाने को कहती है और खुद अर्पिता शान के साथ दूसरी गाड़ी से निकलती है।स्नेहा सुमित श्रुति चित्रा आर्य त्रिशा और छाया ये सभी वहां से एक ही गाड़ी में निकल आते हैं।

शान अर्पिता और प्रशांत तीनो ही आने वाले तूफान के बारे में सोच रहे है क्योंकि शीला जी के स्वभाव से सभी परिचित जो है।

कुछ घण्टो की ड्राइव के बाद सभी बांदा में पहुंच जाते है।अर्पिता मन ही मन सोच रही है न जाने मां कैसे रिएक्ट करें।ठाकुर जी इतनी कृपा करना उन्हें जो कहना वो गेस्ट के सामने न कहे सबके जाने के बाद जो भी कहना है वो कह ले हम कुछ नही कहेंगे।लेकिन सब लोगों के सामने ताईजी के सम्मान पर आंच आयेगी।हमारे कारण ऐसा नही होना चाहिए।सोचते हुए उसकी आँखे छलक आती है जिसे देख शान बोले, "जो होगा हम मिलकर सामना करेंगे" अर्पिता! मां थोड़ा सा गुस्सा करेंगी लेकिन जल्द ही हम सब मिलकर ठीक कर लेंगे।

अर्पिता, तुम परेशान मत हो अब इतना बड़ा फैसला लिया है तो शीला को उसे अपनाने में भी समय लगेगा और मुझे तुम पर भरोसा है अपनी अच्छाई से तुम जल्द ही उसका मन और विश्वास दोनो जीत लोगी।शोभा जी ने कहा तो अर्पिता आंसुओ के साथ ही हल्का सा मुस्कुरा देती है।
दोनो गाड़िया घर के मुख्य दरवाजे पर रुकती है।शोभा दोनो से कहती है मुझे जाकर पहले शीला से बात करनी होगी तुम दोनो यहीं रुकना ठीक है।

"जी ताईजी" दोनो ने कहा तो शोभा गाड़ी से उतर कर अंदर शीला जी के पास चली आती है।

वहीं अर्पिता को उदास परेशान देख शान अर्पिता का मूड ठीक करने के लिए कहते है, अप्पू इक बात बताओ?क्या दोपहर में तुम सच में मेरी डंडे से पिटाई कर देती।

अर्पिता शान की ओर देखते हुए बोली :- आपको लगता है हम ऐसा कर पाते!वो तो आपको सबक देने के लिए बस छोटा सा अभिनय किया था हमने शान!भला हम आपको कैसे दर्द दे सकते है शान!आपके पास तो हमारे हर दर्द की दवा है।

शान मुस्कुराते हुए बोले :- अच्छा इतनी तारीफ!फिर बताओ तुम्हारे इश्क़ की हद कितनी है..

अर्पिता शायराना अंदाज में बोली :-

"हमारे इश्क़ की हद न पूछिये शान!हमारा इश्क़ भी हमारी रूह की तरह आपको ही समर्पित है"!

क्रमशः......


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