कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 54) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 54)

सभी कुछ देर में घर पहुंच जाते है।शॉपिंग की वजह से सब थक चुके होते हैं सो सभी जाकर सोफे पर ही बैठ जाते हैं।

स्नेहा और त्रिशा दोनो सोये हुए बच्चो को लेकर कमरे की ओर चली जाती है।

अर्पिता शोभा से कहती है ,"आंटी जी क्या हम सबके लिए एक कप चाय बना लाये"।

अरे वाह चाय!नेकी और पूछ पूछ!कमला ने कहा।
शोभा अर्पिता से बोली, " हां हां क्यों नही अर्पिता और इस समय तो एक कप चाय की अदद जरूरत महसूस हो रही है।

जी हम अभी बनाकर लाते है कहते हुए अर्पिता बाथरूम में जा हाथ पैर धूल कर रसोई की ओर चली जाती है।उसके जाने के बाद शान अपना सारा समान निकाल कमरे में चले जाते हैं।

कमरे में जाकर वो अपना सामान वहीं बेड पर रख देते है और फ्रेश होकर बाहर चले आते हैं।
शीला वहां से उठकर रसोई की ओर जाने लगती है जिसे देख शोभा कहती है, छोटी कहां चली?अर्पिता बना कर ले आयेगी चाय।
शोभा की बातों का अर्थ समझ कर शीला बोली हां जीजी अर्पिता ले आयेगी,लेकिन तब न जब उसे पता होगा कि हमारी रसोई में कौन सी चीज कहां रखी है।तो बस वही बताने जा रही हूँ।बता कर अभी आई कहते हुए शीला निकल जाती है।

शोभा मन ही मन कहती है, बस ठाकुर जी करे जो तुम कह कर गयी हो वही करो जाकर।

शीला अंदर जाकर देखती है तो अर्पिता को चारो ओर समान खोजता हुआ पाती है।तुम फ्रीज से दूध निकालो मैं सामान निकाल कर देती हूँ शीला ने अर्पिता से कहा।

"जी आंटी जी" अर्पिता मुस्कुराते हुए बोली एवं फ्रिज की ओर बढ़ जाती है।शीला जी चाय पत्ती,चीनी अदरक सभी अर्पिता के सामने निकाल कर काउंटर पर रख देती है और बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए कहती है

क्या करती हो?

पढ़ाई आंटी जी।अर्पिता ने कहा।बात करते हुए उसने चेहरे पर हल्की मुस्कान रखी हुई है।

शीला :- क्या पढ़ रही हो अर्पिता?
अर्पिता :- जी हम संगीत विषय से परा स्नातक कर रहे है ।

शीला :-इसका अर्थ है आपको गाना बजाना दोनो ही आता होगा।

अर्पिता :- "जी"!
घर में कौन कौन हैं?शीला ने आगे पूछा।(शोभा ने शीला के स्वभाव के कारण उसे अर्पिता के किरण से रिश्ते के बारे में नही बताया है।जिस कारण उसे पता ही नही कि अभी अर्पिता खुद अपने मां पापा की तलाश में है)

शीला के इस प्रश्न को सुन अर्पिता के चेहरे पर फैली मुस्कान गायब हो गई।उसकी आंखों के सामने वो ट्रेन हादसा एक बार फिर से घूम गया और एक बार फिर उसकी आँखे भीग गयी।मां, पापा, भाई भाभी, अर्पिता ने अपने आंसुओ को छिपाते हुए कहा।

ओके।।वैसे हो कहां से तुम यही लखनऊ की तो नही होगी ?शीला ने बातों को घुमाते हुए अगला प्रश्न किया।

"जी हम आगरा से है"।अर्पिता ने कहा और चाय कप में निकालने लगती है।उसे चाय निकालता देख शीला कहती है लो बातों ही बातों में चाय भी बन गयी।लाओ थोड़ी मैं ले चलती हूँ कहते हुए शीला ने दूसरी ट्रे उठाई और अर्पिता के साथ मुस्कुराते हुए वहां से बाहर चली आती है।

अर्पिता ट्रे रख चाय सभी को सर्व करती है।सभी को चाय देकर वो वापस श्रुति के पास खड़ी हो जाती है।

शोभा चाय की महक सूंघते हुए कहती है "महक बता रही है चाय बढ़िया बनी है"।।

स्नेहा और चित्रा भी वहां आ जाती है।शान चाय खत्म कर उठते है और अर्पिता के पास से निकल कर जाते हुए धीमे से कहते है "मेरे लिए शाम की कॉफी थी भूल गयी"।

अर्पिता मन ही मन कहती है भूले नही है शान लेकिन सभी चाय पी रहे थे और आपके लिए कॉफी लाती तो सब क्या सोचते।।अब कुछ देर बाद बना कर दे जाएंगे।।क्योंकि हमारी चाय तो आज पहले हो गयी।।

सभी चाय पीकर अपना अपना सामान लेकर वहां से कमरे में चले जाते है अर्पिता कप को वापस रसोई में साफ कर रख आती है और वहां से अपना सारा समान उठा कर अपने कमरे की ओर बढ़ जाती है।समान रख वो फ्रेश होने चली जाती है।

शान अपने कमरे में चले जाते है और वहां से एक बैग ले ऊपर अर्पिता के कमरे में जाकर उसे वहां रख एक चिट लिख कर पॉलीबैग के नीचे दबा देते हैं

"तुम्हारे लिए न्यू फोन तुम्हारी आधे महीने की सेलेरी से लिया है जो अब तुम्हे नही मिलेगी सो प्लीज एक्सेप्ट इट"☺️।

फोन रख वो मुस्कुराते हुए बाहर चले आते हैं।

शीला किसी कार्य से कमरे से बाहर आती है और शान को अर्पिता के कमरे में एक पॉलीबैग ले जाते हुए देख लेती है लेकिन जब वो कमरे से खाली हाथ निकलते है तब वो "शान क्या लेकर गये है" ये जानने के लिए अर्पिता के कमरे की ओर चली आती है।लेकिन दरवाजे पर जाकर शोभा की बात याद आ जाती है, "बड़ो की ओर से बच्चो को क्या संदेश जायेगा" ये सोच वो वहीं से लौट आती है।मन में अभी भी उसके यही ख्याल चल रहा है कि प्रशांत ने अर्पिता को आखिर क्या दिया है।

कमरे में अर्पिता बाहर निकल कर आती है।वो बेड पर एक पॉलीबैग रखा देख उसे उठाकर देखती है तो उसके नीचे रखा नोट उसे दिख जाता है।ओह तो ये शान रखकर गए है सोचते हुए उसे उठाकर पढ़ती है

तुम्हारे लिए न्यू फोन तुम्हारी आधे महीने की सेलेरी से लिया है जो अब तुम्हे नही मिलेगी सो प्लीज एक्सेप्ट इट"☺️।

"ओके शान! ठीक है" अर्पिता ने मुस्कुराते हुए मन ही मन कहा और जल्दी जल्दी वो बॉक्स को खोल कर अपना नया मोबाइल निकाल कर देखती है।इट्स परफेक्ट!कहते हुए वो मुस्कुराती है।तभी उसे अपने गिफ्ट का याद आता है तो वो अपना फोन वहीं बेड पर रख गिटार वाली की रिंग निकाल कर शान को देने के लिए नीचे चली आती है।

शान इस समय त्रिशा के साथ खेल रहे होते हैं।चित्रा जो ऊपर फ्लोर से दोनो को खेलते हुए देख मुस्कुरा रही होती है।अर्पिता का सारा ध्यान शान की तरफ होने के कारण वो चित्रा को देख ही नही पाती है।वो शान के कमरे में जाती है और अपने साथ लाया हुआ उपहार बेड पर रख वहां एक नोट छोड़ देती है।

"आपके लिए एक छोटा सा उपहार शान"☺️।
और वहां से वापस आकर रसोई में चली जाती हैं।जहां इस समय स्नेहा शोभा और श्रुति तीनो होती है।

अर्पिता को देख श्रुति एकदम से बोल पड़ती है "आ गयी चोरनी"।श्रुति को सुन अर्पिता हैरान और सवालिया नजरो से उसकी ओर देखती है।

"उप्स!सॉरी" धीमे से कह श्रुति अपना दायां कान पकड़ लेती है।जिसे देख अर्पिता उसे थप्पड़ दिखा कर बुदबुदाते हुए कहती है "मार पड़ेगी"।

श्रुति की बात सुनकर शोभा पूछती है,"क्या चुराया है अर्पिता ने तुम्हारा श्रुति"?

"क कुछ नही मामीजी!वो तो बस मै यूँ ही कहती रहती हूँ"।श्रुति हड़बड़ाते हुए बोली।

"हो गया तुम्हारा श्रुति!तो अब हमारी छोटी सी मदद कर दो हमे एक कप कॉफी बनानी है तो बस ये बता दो कॉफी पाउडर कहां रखा है"।अर्पिता धीमे से श्रुति से बोली।जिसे पास होने के कारण शोभा सुन लेती है

शोभा :- कॉफी पाउडर वहीं श्रुति के पास ही है और मिल्क फ्रिज में रखा है अर्पिता।

"जी थैंक यू आंटी जी" अर्पिता ने कहा तो शोभा बोली ,थैंक यू की जरूरत नही है अर्पिता तुम श्रुति की दोस्त हो तो इस घर की एक सदस्य जैसी ही हुई न"।और मन ही मन बोली घर तो ये तुम्हारा भी है अर्पिता, फर्क इतना है अभी सबकी दृष्टि में तुम एक गेस्ट हो और मेरी नजर में इस घर की होने वाली बहू।।

अर्पिता कॉफी फेंटने लगती है और कुछ ही देर में तैयार कर दो कप कॉफी बना लेती है।शोभा जब दो कप कॉफी देखती है तो सब समझ मुस्कुरा देती है।

"आंटी जी हम अभी आते हैं ये कॉफी प्रशांत जी को"..!कह वो चुप हो जाती है।

शोभा :- अरे तो दे आओ न जब उसके लिए बना ली है तो दे आओ।।इसमे मुझे या किसी को बताने की क्या जरूरत है वो हॉल में ही है त्रिशा के साथ खेल रहा है जाओ दे आओ ठीक।

अर्पिता "जी आंटी जी" कह शान के लिए कॉफी लेकर वहां से चली जाती है।अर्पिता कॉफी लेकर जब हॉल में आती है तो सीढियो से आती हुई चित्रा से टकराते हुए बचती है।

चित्रा :- सॉरी सॉरी!वो मेरा ध्यान त्रिशा पर था चित्रा बोली।जिसे देख अर्पिता कहती है "कोई बात नही चित्रा जी" वैसे भी हमारी कॉफी अभी सही सलामत है।
"हां सो तो है दिख रहा है मुझे!वैसे कॉफी किसी के लिए ले जा रही हो क्या"?चित्रा ने पूछा।

"जी प्रशांत जी के लिए" दिन में एक कॉफी तो लेते ही लेते है आज सुबह सब व्यस्त रहे थे तो सोचा अभी दे आते है"।अर्पिता ने शान की ओर देखते हुए कहा।

"कॉफी प्रशांत तो कभी कभी लेते है।ये तो चाय के शौकीन है चाय पिलाये जाओ इन्हें वो भी अदरक वाली"। और अभी पंद्रह मिनट पहले ही तो चाय ली है मुझे नही लगता कि अब ये आपकी कॉफी लेंगे।

"आपका कहना ठीक ही है लेकिन फिर भी हम एक बार पूछ लेते है अगर इन्हें नही चाहिए होगी तो ये मना कर देंगे"।अर्पिता ने कहा और शान की ओर बढ़ गयी।

उसे यूँ आगे जाता देख चित्रा मन ही मन सोचते हुए बोली, प्रशांत जी को कॉफी से ज्यादा चाय पसंद है।और अभी कॉफी के कारण वो अपने मुंह का टेस्ट थोड़े ही बिगाड़ेंगे।

अर्पिता आगे बढ़ती है और शान के पास पहुंच कॉफी मग आगे बढ़ाते हुए कहती है "आपकी कॉफी शान"?

प्रशान्त ने कॉफी मग लिया और त्रिशा को गोद में उठा कर अपने कमरे में चले जाते हैं।अर्पिता मुस्कुराते हुए वापस आती है वो चित्रा को हैरान देख कहती है अभी कुछ देर पहले ही प्रशान्त जी ने चाय ली थी और अभी कॉफी जबकि वो तो ..!

"हमने कहा था आपसे कि प्रशांत जी दिन में एक बार कॉफी जरूर लेते हैं"।और वहां से आगे बढ़ जाती है।

उसके जाने के बाद चित्रा कहती है थैंक यू अर्पिता,प्रशांत की एक आदत के बारे में पता चला मुझे।

वहीं प्रशांत अंदर जाकर त्रिशा को बेड पर उतार देते है उनकी नजर बेड पर रखे हुए उपहार पर पड़ती है।शान ने कॉफी मग वही एक तरफ रखी टेबल पर रखा और वो उपहार और संदेश उठा कर कबर्ड में रख देते हैं और कॉफी पीते हुए त्रिशा को खेल खेल में ज्ञान की बातें बताने लगते है।कुछ देर में त्रिशा चित्रा के पास जाने के लिए निकल जाती है।उसके जाने के बाद शान कबर्ड में रखा वो उपहार और नोट निकाल कर देखते है
आपके
लिए एक छोटा सा उपहार शान🙂!शान अर्थात ये अर्पिता लेकर आई है।देखते है मेरी पगली मेरे लिए क्या लेकर आई है सोचते हुए वो उपहार को खोल कर देखते है जो एक खूबसूरत सा सिल्वर गिटार की रिंग होता है! ये तो बेहद खूबसूरत है।कुछ देर देखने के बाद वो उसे वापस कबर्ड में रख देते है।

अगले दिन से रस्मे प्रारम्भ हो जाती है।घर में गेस्ट आना शुरू हो जाते हैं।पहले दिन अर्पिता श्रुति की मदद से हल्की डेकोरेशन भी कर देती है।
एक के बाद एक रस्मे होती जाती हैं।सभी पूरे मन से रस्मो को एन्जॉय करते हैं।
हल्दी की रस्म भी शुरू होती है।जैसी रस्म वैसी ही साज सज्जा एवं वैसे ही सबने कपड़ो के लिए भी थीम अरेंज की होती है।राधिका अर्पिता चित्रा श्रुति स्नेहा एवं सभी लेडीज पीले या क्रीम रंग के मैचिंग कपड़े ही पहने हुए है।और जेंट्स में भी सभी इसी रंग के हल्के कपड़े पहने हुए हैं।कहने को दिसम्बर की कटकटाती सर्दी वाला महीना लेकिन उमंग उत्साह इतना कि राधिका और बच्चो को छोड़ घर के किसी सदस्य ने स्वेटर तो क्या एक शॉल तक नही शरीर पर रखा है।परम के हल्दी लगना शुरू हो जाती है।स्नेहा हल्दी लेकर आगे आती है। उसके साथ ही साथ चल रहा नन्हा सा आर्य हल्दी को खाने की कोई वस्तु समझ उसमे सबसे पहले हाथ डुबो देता है और कोरी हल्दी के हाथ लेकर मम्मा डांट न दे इसीलिए वहां से भाग जाता है।अर्पिता उसे यूँ सबके बीच दौड़ता देखती है कहीं कोई बच्चे पर ध्यान न दे पाये और बच्चे को लग जाये इसीलिए उसके पीछे चली आती है।दूसरी ओर खड़े शान भी आर्य को देखते है सो वो भी उसकी सुरक्षा के लिए ही उसके पीछे चले आते है।स्नेहा सुमित की ओर देख आर्य के पास जाने का इशारा करती है और हल्दी लगाना शुरू कर देती है।

अर्पिता आर्य के पास पहुंचती है और उसे गोद में उठा लेती है।आर्य पकड़ से छूटने के लिए अर्पिता के गालों पर हल्दी का हाथ फिरा देता है।सामने शान आकर खड़े हो जाते है तो चाचू कहते हुए उनकी ओर लपकता है।
शान की गोद में आते हुए उसके हाथ शान के चेहरे से स्पर्श होते हुए उनके गले तक जाते है जिससे बची हुई हल्दी शान को लग जाती है।

शान आर्य को गोद में लेकर वहां से दूसरी ओर चले जाते है।वहीं आर्य को देख रही शोभा ये सब देख कर मन ही मन कहती है, "लोग सच ही कहते है जोड़ियां ऊपर से ही बनकर आती है"! दो रस्मो का एक के बाद एक होना यूँ ही नही हो सकता।अरी शान के साथ है ये देख सुमित वहां से पीछे लौट आते हैं।

अर्पिता, श्रुति चित्रा राधिका शोभा कमला शीला सभी लेडीज के पास ही आकर खड़ी हो जाती है और रस्मो को एन्जॉय करने लगती है।

स्नेहा और राधु के परिवार से बाकी बच्चे भी आ चुके हैं।प्रीति और महक को देख शोभा कहती है प्रीति महक अब तुम लोग आ गये हो तो ढोलक की थाप जरा तेजी से तो दो।गाना बजाना मंगल गान भी तो थोड़ा बहुत कर लिया जाए।

थोड़ा बहुत क्यों हम सब तो मन भर के गाना बजाना करेंगे प्रीति और महक एक साथ बोली और ढोलक पर थाप देकर एक के बाद एक गीत गाने लगती है।वहीं परम के हल्दी लग जाती है।प्रेम भी अपनी बाकी इच्छाओं को पूरी करते हुए राधु के खुद ही हल्दी लगा देते हैं।और अपने ही हाथ से खुद भी लगा लेते हैं।प्रशांत सबकी वीडियोग्राफी करवाते हैं।रस्म एन्जॉय करते हुए ही स्नेहा श्रुति अर्पिता शोभा कमला और शीला से पूछते हुए मेहमानों का परिचय पा उचित आवभगत भी करती जाती हैं।वहीं प्रेम प्रशांत नमन (स्नेहा का भाई) भी सबकी मदद करते हैं।अर्पिता को सबसे उचित तरीके से घुलता मिलता देख शीला प्रसन्न हो मन ही मन कहती है लड़की इतनी भी बुरी नही है।

धीरे धीरे रस्म पूरी हो जाती है तो सभी मेहमानों को कमरो में ठहरा कर अपने अपने कमरो में जाकर स्नान वगैरह कर नीचे चले आते हैं।

सबके आने पर शोभा मुस्कुराते हुए बोली , "आज से शादी समपन्न होने तक सभी की खाना बनाने की मैंने छुट्टी कर दी है| खानसामा यानी एक रसोइया नियुक्त कर दिया है जो सुबह दोपहर शाम खाना बना कर दिया करेगा तो मेरी प्यारी बहुओ जीजी और छोटी सब खूब मन से हर फंक्शन को एन्जॉय करो।

ये तो बड़ी अच्छी वाली न्यूज दे दी शोभा।सच में फंक्शन में थे तो लग रहा था कि शाम को कैसे क्या करेंगे लेकिन अब तो कोई टेंशन ही नही है।बस ऑर्डर दो और कुछ ही देर में खाना तैयार कमला ने कहा तो शोभा बोली हां जीजी तभी तो किया ऐसा।इस कारण हम महिलाये कोई फंक्शन एन्जॉय ही नही कर पाती थी।

"मां!ये तो बहुत अच्छा किया आपने।इसका मतलब ये हुआ कि अभी सब फ्री है" ?प्रेम ने उत्साहित होकर पूछा।जिसे देख कर शोभा बोली "हां प्रेम"।

प्रेम :- फिर ठीक है तो क्यों न अब हम सभी इस समय को कुछ फॅमिली प्ले टाइम के रूप में बिताये।यानी कुछ गेम खेले।जिनमे चैलेंजेस भी हो और ढेर सारी मस्ती भी जिन्हें खेलते हुए हमारी सारी थकान ही दूर हो जाये।

प्रेम की बात सुन प्रशांत एक्साइटेड होकर बोले "वाह भाई आइडिया तो बहुत अच्छा है"।बड़ा ही आनंद आयेगा इसमें।

प्रेम ;- हां प्रशांत।तो फिर चलो सभी चलकर महफ़िल सजाते हैं।आप सभी लेडीज यहीं बैठिये हम लोग पहले जाकर वहां महफ़िल सजाने के लिए थोड़ी सी जगह तो बना ले।

नमन प्रशांत सुमित भाई चलो ।।प्रेम ने कहा और दोनो कमला के कमरे से रेंट पर लाए हुए गद्दे,चादर और एक पिलो सब ले आते हैं।प्रेम सुमित नमन गद्दा बिछाते है तो शान अपने रूम में सम्हाल कर रखी गयी लाइट्स और एक कलरफुल रोशनी फेंकने वाला बल्ब सब अरेंज कर लगा देते है।चारो ओर कृत्रिम पौधों वाले गमले खड़े कर देते है।सभी पंद्रह मिनट में वहां का पूरा कायापलट ही कर देते हैं।

सब तैयार है ये देख प्रेम चित्रा से कहते है तो प्ले अरेंज करने वाला डिपार्टमेंट चित्रा जी अब तक आपने गेम सोच ही लिया होगा कि क्या खेलना है।तो अब सबको गेम के रूल्स बताओ जिससे गेम शुरू किया जा सके।

प्रेम की बात सुन कर चित्रा बोली,"अवश्य जीजू"! और मुस्कुराने लगती है।राधिका उसकी इस ठिठोली को देख मुस्कुराते हुए उसके पास जा कहती है, हमे बेहद खुशी हुई तुम्हे वापस यूँ हंसता मुस्कुराता देख।।

राधु को सुन चित्रा मुस्कुराते हुए कहती है अब बाकी बातें बाद में करेंगे पहले जरा गेम का ही मजा लेते हैं।सब इंतजार कर रहे हैं।

हां अवश्य चित्रा राधिका ने कहा तो चित्रा आगे बढ़ते हुए कहती है हां मैंने गेम प्लान कर लिया है और जस्ट अभी अभी किया है तो अर्पिता से डिस्कस नही कर पाई, "सॉरी अर्पिता" चित्रा ने अर्पिता से कहा और बाकी सब से बोली, "क्योंकि हमारे यहां सभी को गाने तो आते ही है नये हो या पुराने तो मैंने सोचा है कि गर्ल्स वर्सेस बॉयस करते हुए सब यहां दो भागो में बैठ जाते हैं और फिर पेयर में शब्दो का खेल खेलते हैं।यानी एक कोई शब्द बोलेगा उसे सुनने के बाद जो भी शब्द जेहन में आये वो बोल दो फिर आगे एक और फिर एक और अंत में जिसने भी पांच सेकण्ड से ज्यादा समय लिया उस पर एक पॉइंट बढ़ जायेगा और उसी शब्द के इस्तेमाल से रिलेटेड एक सॉन्ग गाना पड़ेगा।लेकिन खास बात ये होगी जिस भी टीम के सदस्य ने पहले शब्द बोला है तो उसके पार्टनर को ही अगला शब्द बोलना होगा।कह कर चित्रा खामोश हो जाती है।

चित्रा की बात सुन प्रेम बोले गेम तो इंट्रेस्टिंग है लेकिन कुछ सदस्य यहां ऐसे है जिनका पार्टनर ही नही है तो उसके लिए क्या सोचा है तुमने चित्रा।।

उनके लिए सोचा है न गेम के लिए बचे हुए सदस्यो में से वो अपना पार्टनर खुद ही चुन लें।इसमे तो कोई समस्या ही नही होगी।

"ओके आइडिया अच्छा है चित्रा दी" श्रुति बोली।।
अपनी बात खत्म कर चित्रा ने शान की ओर देखा लेकिन शान तो चोरी छुपके अर्पिता को देख रहे हैं जो चित्रा के पीछे शोभा के पास खड़ी होती है।

"ठीक है फिर मैं ही गेम के लिए पार्टनर सजेस्ट कर देती हूँ परम अभी के लिए श्रुति के साथ एन्जॉय करो।नमन आपकी और चित्रा की अंडरस्टैंडिग भी ठीक है तो आप चित्रा के साथ इस गेम को खेलेंगे और प्रशांत आप ..अर्पिता के पार्टनर बनेंगे ठीक है किसी को कोई समस्या तो नही है"शोभा ने शान को देखते हुए कहा।शोभा की बात सुन कर शान और अर्पिता ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर नजरे चुरा कर मुस्कुराने लगते हैं।वहीं शोभा जी का निर्णय सुन कर चित्रा के चेहरे पर छाई मुस्कान गायब हो जाती है जिसे देख राधिका दूर से ही उसे चेहरे पर मुस्कान रखने का इशारा कर देती है। हम्म गर्दन हिला चित्रा हल्का से मुस्कुराती है और सभी को अपने पार्टनर के सामने ही बैठने को कहती है।

महक प्रीति दोनो बस एन्जॉय करने के लिए वही बैठ जाती है। चित्रा कहती है "पहले कौन शुरू करेगा इसका निर्णय करने के लिए टॉस करते हैं"।

"ठीक है चित्रा" कहते हुए प्रेम जी ने अपने हाथ में कॉइन निकाल कर रखा और बोले, "तो बताओ हेड या टेल"!

"हेड प्रेम जी" राधिका ने कहा तो प्रेम जी मुस्कुराते हुए मन ही मन बोले "पता था मुझे हेड ही बोलोगी"।

ओके कह प्रेम जी सिक्का उछालते हैं।सभी उत्साहित होकर सिक्के की ओर देखते है जो नीचे जमीन पर पड़ा हुआ टेल दर्शाते हुए मुस्कुरा रहा है।

टेल आया है यानी शुरुआत हम बॉयज करेंगे!!एवं हमेशा की तरह इस गेम की शुरुआत घर के बड़े सदस्यो के साथ होगी तो शुरुआत करते हैं बड़े पापा यानी ताऊजी से कहते हुए प्रेम जी ने अपने ताऊजी की ओर इशारा किया जिसे देख वो बोले,"कमला बच्चे अगर कह रहे है तो फिर शुरू ही करते हैं

मेरा शब्द है" दिन" जिसे सुन कमला ने कहा "रैन"
प्रेम के ताऊजी :-"सपना"
कमला :- नैन
ताऊजी :- आंसू
कमला :- खुशी

ताऊजी आगे क्या बोले यही सोचने लगे जिससे समय निकल गया।जिसे देख चित्रा बोली, "आप पर एक अंक से लीड प्राप्त कर ली हम लोगों ने।सो नियम के अनुसार अब खुशी शब्द के इस्तेमाल वाला कोई सॉन्ग गाइये"।

न भाई ये गाना मेरे वश का नही है इसके लिए माफ करो ताऊजी ने कहा तो चित्रा बोली "ठीक है फिर आप और आपकी साथी इस गेम से आउट हुए।।अब आप दोनो बाहर प्रीति और महक के पास ही जाकर बैठिये"।ठीक है चित्रा कहते हुए कमला और ताऊजी दोनो प्रीति महक के पास जाकर बैठते हैं।

चित्रा आगे बोली, " जीजू,शब्द खत्म आप की टीम में हुआ था तो शुरू भी अब आप ही करेंगे"।

ठीक है हम भी हार मानने वालो में से नही है इस बार पापा मैदान में उतरेंगे ठीक है,प्रेम जी नृपेंद्र जी की ओर देखते हुए बोले।

ये सुन शोभा बोली," मैं तो खेलने से पहले ही सरेंडर करती हूँ प्रेम।इनसे तो मैं वैसे भी हार ही जाउंगी" और उठकर बाहर कमला के पास जाकर बैठ जाती है।वहीं शीला जी राधु से कुछ देर में आने का बोल वहां से उठकर चली आती है।

"ये ठीक नही है आंटी जी बिन खेले ही हार मान ली आपने"।चित्रा ने शोभा से कहा तो उसकी बात सुन राधु बोली "क्योंकि इसी हार में इनकी जीत है चित्रा चलो अब गेम आगे कंटीन्यू करते है"

ठीक है राधिका! अब हमारी तरफ से गेम में आउट हुए है तो अगला शब्द भी हमारी ओर से ही कोई बोलेगा तो इस बार राधु तुम ही शुरू करो।

"हम चित्रा।हम शुरू हो गये तो गेम खत्म ही न होना हमे तो अंत के लिए ही रहने दो फिलहाल आप सभी कंटीन्यू करो" कहते हुए राधु ने एक नजर प्रेम की ओर देखा जो राधु की इस बात पर मंद मंद मुस्कुरा रहे होते हैं।

"हम्म ये भी सही कहा तो फिर स्नेहा भाभी आप ही शुरू कर दो" चित्रा ने स्नेहा की ओर मुखातिब होते हुए कहा।

स्नेहा आगे कुछ कहती तब तक आर्य के रोने की आवाज सुनाई देती है तो स्नेहा ये कह वहां से चली जाती है अभी तुम लोग ही कंटीन्यू करो मैं आर्य के पास जाती हूँ।वहीं परम का फोन रिंग होता है तो वो प्रशांत को बता वहां से निकल जाते हैं।चित्रा परम को जाते हुए देख कहती है "ठीक है फिर अब तो एक ही विकल्प शेष है" अर्पिता!तो अर्पिता अब प्लीज तुम ही ध्यान से खेल कर हमें लीड में ला सकती हो।

चित्रा की बात सुन अर्पिता बोली, हम कोशिश ही कर सकते हैं बाकी सब ठाकुर जी जाने।अर्पिता की बात सुन शान मन ही मन बोले हारना तो मुझे ही है,मेरी हार में ही मेरी जीत होगी लेकिन उससे पहले थोड़ा तंग करना तो मेरा भी बनता है अप्पू।

वही अर्पिता मन ही मन कहती है हम इनसे तो कभी जीत ही नही सकते हमे तो इन्हें जीतते हुए देखना ही भाता है चित्रा जी,सो माफ कीजियेगा हारेंगे हम ही लेकिन तंग करना तो बनता है सोचते हुए एक शब्द बोलते हुए गेम शुरू करती है ..

सात
शान :- स्वर
अर्पिता :- सरगम
शान :- गीत

क्रमशः...