अचानक S Sinha द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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अचानक

कहानी - अचानक


“ नीतू, अब तो तुम्हारे सारे व्रत त्यौहार ख़त्म हो गए . कल से मॉर्निंग वॉक पर चलोगी न ? “ सतवंत कौर ने फोन कर पड़ोसन से पूछा .


“ हाँ , सत्तो दी . कल से रेगुलर वॉक पर चलूंगी .” नीतू ने कहा .


नीतू अपनी पड़ोसन को सत्तो दी कहा करती थी . एक तो वह उम्र में नीतू से बड़ी थी और दूसरे उसके पति उसे इसी नाम से पुकारते थे . दोनों पड़ोसन सुबह पांच साढ़े पांच के आस पास आधे घंटे के लिए टहलने निकलतीं थीं .सत्तो सरदारनी थी और नीतू बिहार की रहने वाली थी . इधर लगातार एक सप्ताह के अंदर ही तीनों पर्व दिवाली , भाई दूज और छठ थे , सो नीतू वॉक पर नहीं जा सकी थी .


31 अक्टूबर सं 1 9 8 4 बुधवार का दिन था . सुबह पांच बजे ही नीतू का कॉल बेल बजा .उसने जवाब दिया “ आई सत्तो दी , बस एक मिनट .” बेड से उतर कर उसने वाश बेसिन में चेहरा धोया , हांथों से ही बालों को सहेजा और अपने हाफ शूज पहन कर निकल पड़ी .


“ सत्तो दी , पता नहीं क्यों आज सुबह से ही दायीं आँख फड़क रही है . यह तो बुरा संकेत है .”


“ ये सब बकवास की बातें है .”


दोनों के घर पटना के फुलवारीशरीफ हवाई अड्डे के पास ही थे . सत्तो के पति कुलदीप सिंह पटना डेयरी में वरिष्ठ अधिकारी थे .उन दिनों पटना में नया नया डेयरी खुला था .कुलदीप गुजरात के आनंद स्थित अमूल डेयरी से डेप्युटेशन पर पटना डेयरी आये थे .उनका छः साल का एक बेटा था प्रीतम . दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को वे एक सप्ताह के लिए आनंद गए हुए थे .नीतू को दो साल की बेटी थी शिवांगी .नीतू का पति आलोक एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स मैनेजर था . वह अक्सर टूर पर बाहर रहता था .कल शाम को वह भी टूर पर निकला गया .दोनों पड़ोसनें अपने अपने बच्चे के साथ थीं .कुलदीप को सरकारी क्वार्टर मिला था , आलोक अपने एक निकट संबंधी के क्वार्टर में रहता था .


आधे घंटे के बाद सत्तो और नीतू दोनों वाक कर लौटीं तो सत्तो ने कहा “ आओ आज मेरे यहाँ से चाय पी कर जाना . “


“ आज लेट उठी तो ब्रश नहीं कर पायी हूँ .”


“ बेड टी के लिए ब्रश जरूरी नहीं है , चलो कुल्ली कर के चाय पी लो .”


“ सत्तो दी , इस बार छठ में तुमने बहुत मदद की ,नहीं तो अकेले मुझे बहुत परेशानी होती.”


नीतू चाय पी कर अपने घर चली गयी .सत्तो अपने बेटे को स्कूल भेजने के लिए तैयार कर रही

थी .नीतू भी अपनी गृहस्थी की दिनचर्या में लग गयी . नाश्ता पानी के बाद दोनों नीतू के यहाँ बैठ कर कुछ देर गप शप करती रहीं .फिर एक घंटे के बाद सत्तो अपने घर चली गयी क्योंकि उसका बेटा एक बजे तक स्कूल से लौटता था . पर अभी बारह भी नहीं बजे थे कि प्रीतम लौट आया और बोला कि स्कूल से छुट्टी हो गयी . छुट्टी की वजह उसे पता नहीं थी .दोपहर के तीन बजे थे कि अचानक सत्तो अपने बेटे प्रीतम के साथ नीतू के घर आयी .वह बहुत घबरायी थी .


सत्तो बोली “ इनका फोन आया था .बोल रहे थे कि बी बी सी से खबर मिली है कि इंदिरा गाँधी की हत्या उनके ही सिक्ख सुरक्षा गार्ड ने कर दी है . पूरे देश में तनाव की स्थिति है , सबको सतर्क रहने को कहा है .घर से बाहर निकलने को मना किया है और खुद भी अभी नहीं आ रहे हैं .वे गुजरात में ही दो तीन दिन रुकेंगे , माहौल शांत होने पर आएंगे .”


“ पर इसमें तुम्हारे डरने की क्या बात है ? “


“ देश में सिक्खों के प्रति काफी गुस्सा है , बदले की भावना से उनको निशाना बनाया जा सकता

है .”


“ ठीक है , तुम्हें डरने की क्या जरूरत है . घर को लॉक कर आयी हो न ? फिलहाल तुम यहीं रुक जाओ .”


अब उस घर में दो औरतें और दो छोटे बच्चे रह गए थे .अगले दिन 1 नवंबर को नीतू को पता चला कि पटना में भी बहुत तनाव है , लोग मोहल्ले , गलियों में सिक्खों के घर खोजते फिर रहे थे , मारपीट , तोड़फाड़ की घटनाएं मिल रही थीं. लोग ट्रेन में भी सिक्खों को ढूंढ रहे थे .नीतू का घर मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर था .बड़े अफसरों के बंगले , एयरपोर्ट ,आदि सभी अहम जगहों पर चौकसी थी .


सुबह ग्यारह बजे के आस पास कुछ शोरगुल सुनाई पड़ा . नीतू ने कहा “ सत्तो दी , मुझे भी अब डर लग रहा है .कोई जेंट्स भी नहीं हैं घर में .आप बुरा न मानो तो एक बात कहूं ? “


“ हाँ , बोलो .”


“ वाहे गुरु का नाम लेकर प्रीतम के बाल काट दो , और तुम अपना शलवार कुर्ता बदल कर मेरी साड़ी ब्लाउज पहन लो . जान है तो जहान है .”


“ मैं तो प्रीतम के बाल अपने हाथों से नहीं काट सकती हूँ .सरदारनी हूँ , दो चार को मार के मरूंगी .”


“ दी , बेकार की बातें मत करो .प्रीतम के बाल मैं काट दूंगी .तुम बाथ रूम में जा कर कपड़े वदल लो . साड़ी सीधी पल्लू ही पहनना .फिर ड्रेसिंग टेबल से अपनी मांग में बिहारी औरत की तरह सिन्दूर भर लो .और हाँ लिपस्टिक साफ़ कर लेना .”


नीतू ने किचेन की कैंची से प्रीतम के बाल काट कर बहुत छोटे कर दिए . उसके गले में एक उपनयन भी डाल दिया .नीतू खुद ब्राह्मण थी , यही सोच कर डाल दिया कि कोई पूछेगा तो रिश्तेदार बता दूंगी .


थोड़ी देर बाद नीतू का डोर बेल बजा और साथ ही दरवाजे पर नॉक करते हुए भीड़ ने हल्ला किया “ आलोक बाबू , दरवाजा खोलिये . आपका पड़ोसी सरदार आपके यहाँ तो नहीं छुपा है ?”


कुछ देर तो नीतू खामोश रही , फिर भीड़ ने हल्ला किया “ आप अगर नहीं खोलेंगे तो दरवाजा तोड़ देंगे हमलोग .”


नीतू दरवाजे के पास आकर बोली “ आलोकजी टूर पर गए हैं , घर में सिर्फ औरत और बच्चे

हैं .इसी डर से नहीं खोल रही हूँ .”


“ आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है , हमलोग सिर्फ देखना चाहते हैं कि कुलदीप आपके यहाँ तो नहीं छिपा बैठा है .”


“ वे तो टूर पर गए हैं गुजरात , आपलोग चाहें तो बगल में उनका ऑफिस है , जा कर पूछ सकते हैं .”


“ फिर आप क्यों डर रही हैं , दरवाजा खोलिये .हमें तस्सली हो जाएगी फिर हम खुद ही चले जायेंगे .आपके परिवार को कोई नुकसान नहीं होने देंगे .पर नहीं खोलने से शक की गुंजाइश है , और हमें मजबूरन दरवाजा तोड़ना होगा .”


“ नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं , मैं खोल रही हूँ .” नीतू ने दरवाजा खोल दिया . नीतू अपनी बेटी के साथ सामने खड़ी थी .सत्तो एक मचिये पर बैठी थी और अपने बेटे को बोल रही थी “ बबुआ , आके दाल भात खा ल .”


भीड़ के कुछ पूछने के पहले ही नीतू बोली “ यह मेरी मौसेरी बहन है , छठ में मदद करने के लिए बुलाया था और यह उसका बेटा .इसको आज ही लौटना था , पर ऐसी हालत में नहीं जा सकी.”


भीड़ ने नीतू के घर में घुस कर पूरा घर छान मारा , और फिर यह कहते हुए निकल गए “ यहाँ कोई सरदार नहीं है .अब हम कुलदीप का घर तोड़ कर देखेंगे कि बाहर ताला मार कर कहीं घर में छिपा तो नहीं है .”


उनके जाने के बाद नीतू ने बाथरूम में झांक कर संतोष से सांस लिया और बोली “ सत्तो दी , यह तुमने अच्छा किया .अपना शलवार , कुर्ता और दुपट्टा बाल्टी में सर्फ़ डाल कर डुबो दिया था .ऊपर से सिर्फ झाग दिख रहा था .वरना उन्हें शक हो सकता था क्योंकि मेरे यहाँ तो कोई यह ड्रेस पहनता नहीं है .”


इसके बाद वे लोग ताला तोड़ कर सरदार के घर में घुस गए .कुछ देर तक तोड़फोड़ की आवाजें आयीं फिर सभी चले गए .शहर में कर्फ्यू लगा था . तीन दिनों तक वे चारों नीतू के घर में बंद रहे .घर में ही जो कुछ साग सब्जी , राशन पानी था उसी से काम चलाया .चौथे दिन सुबह सुबह आलोक आया .उसी दिन दोपहर में कुलदीप भी पुलिस के संरक्षण में एयरपोर्ट से नीतू के घर आया. उसके अपने घर को पुलिस ने सील कर दिया था .पुलिस की उपस्थिति में ही उसके घर का ताला खोला गया .नुकसान की एक सूची बनाई गयी .


शाम को फिर दोनों परिवार आलोक के घर में बैठे थे .कुलदीप ने कहा “ अपने ही देश में हम एक बार फिर रिफ्यूजी बन गए .एक बार बंटवारे के समय पाकिस्तान से भाग कर आये थे .”


आलोक बोला “ नहीं आप कोई रिफ्यूजी नहीं हैं .यह तो कुछ दहशतगर्दों का काम है .एक दो सिक्खों की गलती की सजा पूरी कौम को नहीं दी जा सकती है .आपको न्याय मिलेगा .”


अगले दो दिनों में सब शांत हो गया . एक दिन सत्तो नीतू के घर आयी और बोली “ कुलदीप ने ट्रांसफर करा लिया है .हमलोग परसों वापस गुजरात जा रहे हैं .”


अगले दिन नीतू ने पड़ोसी को सपरिवार खाने पर बुलाया .सभी खाने के बाद एक साथ बैठ कर बातें कर रहे थे .कुलदीप बोला “ आपलोगों ने सत्तो और प्रीतम की जान बचायी है .इस एहसान का बदला तो हम किसी तरह नहीं चुका सकते हैं .पर आजीवन हम सब आपके आभारी रहेंगे .”


“ भाईसाहब , आप बेवजह हमें शर्मिंदा न करें .हमें तो सोच कर शर्म आती है कि आपलोगों के साथ ऐसा क्यों हुआ .”


खैर , दोनों परिवार ने संपर्क बनाये रखने का वादा किया .कुछ वर्षों तक दोनों परिवारों में फोन से संपर्क बना रहा .फिर आलोक का हर दो तीन साल पर ट्रांसफर होता रहा .घर के पते और फोन नंबर बदलते रहे .धीरे धीरे सभी अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहने लगे और संपर्क टूट गया .


इसके लगभग 25 वर्षों के बाद नीतू फ्रांस गयी थी .उसकी बेटी शिवांगी वहां के एक इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल से एम बी ए कर रही थी .उसी का दीक्षांत समारोह था . यह समारोह वर्साई शहर के फ्रांस के राजाओं के शैटो ( महल ) के बिलकुल समीप एक ऑडोटोरियम में था .दीक्षांत के बाद एक बड़े हॉल में खाने पीने का प्रबंध था .नीतू भी अपनी बेटी शिवांगी के साथ हॉल में कुछ खा रही थी .उसी समय एक लड़के ने पास आकर कहा “ हाय , शिवांगी . आगे का क्या प्रोग्राम है ? “


शिवांगी ने लड़के का परिचय अपनी माँ से कराया “ मम्मी यह प्रीतम है .इंडियन है , पर अमेरिका में सैटल्ड है .यहाँ एम बी ए करने आया है .”


“ मैं सोच रही हूँ कि मम्मी को थोड़ा इटली घुमा दूँ .” शिवांगी ने प्रीतम से कहा


“ गुड आईडिया , चलो एक रेंटल कार लेकर चलते हैं . मेरी मम्मा भी आयी है . सभी साथ

घूमेंगे .”


कुछ ही पल बाद प्रीतम की माँ भी वहीँ आ गयी .वह नीतू को गौर से देखे जा रही थी और नीतू भी उसे पहचानने की कोशिश कर रही थी . फिर वह बोली “ अरे नीतू , तुम तो बिलकुल नहीं बदली हो . यहाँ भी साड़ी , सिन्दूर , बिंदी सब कुछ पहले जैसा ही .यह मेरा बेटा प्रीतम है , जिसके बाल तुमने काटे थे .उसके बाद से तो उसने बाल फिर बढ़ाये ही नहीं .”


“ ओह , सत्तो दी . हाय , कैसी हो ? मैं तो तुम्हें पहचान नहीं सकी तुम्हारे जींस , टॉप और काले काले बालों से .तुम तो अभी भी चालीस से कम की लग रही हो.” .


“ आलोक नहीं आया है क्या ? और यह तेरी बेटी है न ? “


“ हां , यह शिवांगी ही है . आलोक को छुट्टी नहीं मिली . कुलदीप भाईसाहब आये हैं क्या ? “


“ नहीं वे श्रीलंका में हैं , वहां एक नया डेयरी प्लांट बैठा रहे हैं .”


“ प्रीतम तो छः फ़ीट से भी ज्यादा लंबा हो गया है .मेरे इसे पहचानने का सवाल ही नहीं था .”


सत्तो और नीतू दोनों गले मिलीं .सत्तो बोली “ भले हमारा संपर्क टूट गया हो , पर तुमलोगों को दिल से याद करते हैं हमलोग .कोई एक घटना जीवन में एक बार घटती है , पर अगर उसका कोई खास अच्छा या बुरा असर हमारे जीवन पर नहीं पड़ता तो उसकी यादें धूमिल हो जाती हैं या मिट जाती हैं.पर जिनका विशेष असर होता है वे भूले नहीं भुलायी जाती हैं .तुमलोगों ने हम माँ बेटे को नया जीवन दिया है.”


इस अचानक मिलन से सभी खुश थे . दोनों परिवार एक ही कार से इटली के पीसा का लीनिंग टॉवर , रोम , वैटिकन , फ्लोरेंस और वेनिस की सैर करते हुए पेरिस लौटे .


दो दिन बाद फिर चारों पेरिस एयरपोर्ट पर थे . प्रीतम और उसकी माँ सत्तो को न्यू यॉर्क जाना था , शिवांगी और उसकी माँ नीतू को नयी दिल्ली .चेक इन के बाद चारों एक जगह खड़े खड़े बात कर रहे थे .


सत्तो बोली “ प्रीतम तो न्यू यॉर्क में जॉब करेगा . और तुम शिवांगी ? “


“ ऑन्टी , मुझे तो कैलिफ़ोर्निया में जॉब मिला है .न्यू यॉर्क और कैलिफ़ोर्निया दोनों अमेरिका के दो छोर पर हैं . पहले इंडिया जा रही हूँ .मम्मी को पटना छोड़ कर दो सप्ताह के बाद अमेरिका जाऊँगी .”


“ तो क्या हुआ ? इसी तरह अचानक अमेरिका में भी मिल सकते हैं .वैसे बेहतर है प्लान कर कुछ दिनों के लिए फिर साथ मिलें .”


प्रीतम बोला “ ऑन्टी अचानक मिलने में ज्यादा मजा है .”


चारों जोरदार ठहाका लगा कर हँस पड़े और सिक्युरिटी चेक के लिए अपनी अपनी पंक्तियों में जा लगे .

नोट - यह कहानी 1984 की घटना पर आधारित एक काल्पनिक कहानी है .


समाप्त

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