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परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग19 - प्रह्लाद का पुनः राजसभा में प्रवेश
द्वारा Praveen

प्रथम बार का आक्रमण, पुरोहितों की प्रार्थना पर मुक्ति]कुछ समय के पश्चात् दैत्यराज ने अपना दूत भेज कर गुरुपुत्रों के साथ ब्रह्मचारी प्रह्लाद को बुलवाया और बड़े प्रेम के ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग18 - दैत्य-बालकों से प्रह्लाद की बातचीत
द्वारा Praveen

[प्रह्लाद का सहपाठी बालकों को ज्ञानोपदेश] प्रह्लाद पुनः अपना पाठ पढ़ने लगे, गुरु-पुत्रों ने उनको शुक्रनीति के तत्त्वों को भली भाँति पढ़ाया और अर्थ, धर्म तथा काम इन त्रिवर्गों ...

नवरात्रों का वसंत
द्वारा गायत्री शर्मा गुँजन

नवरात्रों का वसंत अनुराधा वैसे तो धर्म पुण्य में कुछ खास दिलचस्पी नहीं लेती अपने मन की मालकिन जो ठहरी ! वहीं नवरात्रे पर बाजार आहा ! क्या खूब ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग17 - प्रह्लाद का पुनः गुरुकुलवास
द्वारा Praveen

[आचार्य का कठोर शासन]प्रह्लाद जी गुरुकुल में इस बार बड़ी निगरानी के साथ रक्खे गये। उनके आचार्य साम, दाम और भेद की नीति से उनको अपने वश में करने ...

गणगौर
द्वारा Captain Dharnidhar

इस पर्व पर स्त्रियां शिव जी और गौरा की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए गीत गाती हैं :- गौर गौर गोमती ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग16 - हिरण्यकशिपु का कड़ा शासन
द्वारा Praveen

[देवताओं में घबड़ाहट, विष्णुभगवान् द्वारा आश्वासन-प्रदान]प्रह्लाद पुनः गुरुकुल में अध्ययन करने लगे और इधर दैत्यराज कठोर शासन करने लगा। यों तो दैत्यराज हिरण्यकशिपु के हृदय से भगवान विष्णु का ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग15 - प्रह्लाद की प्रतिभा
द्वारा Praveen

[स्वल्पकाल में ही ज्ञान प्राप्ति] महाराज शुक्राचार्य के सुपुत्र षण्ड और अमर्क यद्यपि बड़े योग्य विद्वान् थे, शास्त्र में तथा लोक व्यवहार में भी बड़े निपुण थे और दैत्यराज ...

चमत्कारी हनुमान बाहुक
द्वारा Captain Dharnidhar

हनुमान बाहुक :- तुलसीदासजी का शीघ्र फलदायक चमत्कारिक स्तोत्र हनुमान बाहुक जपने मात्र से सभी कष्टों का निवारण.गोस्वामी तुलसीदास जी रचित 44 पद्यों का शीघ्र फलदायक स्तोत्र, जिसकी रचना ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग14 - प्रह्लाद की शिक्षा
द्वारा Praveen

[गुरुकुल वास]प्राचीन भारतवर्ष में विद्या का इतना अधिक प्रचार और महत्त्व था कि प्रत्येक मनुष्य के लिये उसका प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक समझा जाता था। साधारण श्रेणी के प्रजाजनों ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग13 - प्रह्लाद की दीनबन्धुता
द्वारा Praveen

[पिता से सत्याग्रह]क ओर बालक प्रह्लाद की अव्यभिचारिणी भक्ति रात-दिन उनको भगवान् विष्णु की ओर खींचती थी, दूसरी ओर हिरण्यकश्यपु के अन्तःकरण की अटूट शत्रुता विष्णु के न पाने ...

ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है…
द्वारा Rajsa Is Back

ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है? ये  ख़याल हम सबके के दिमाग में कभी न कभी ज़रूर आ ही जाता है. आपके मन में भी शायद कभी ये ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग12 - बालक प्रह्लाद को माता की शिक्षा
द्वारा Praveen

[भक्ति की प्रबलता]जब से राजोद्यान में माता के साथ बालक प्रह्लाद की भक्ति-विषयिणी बातें हुई, तब से प्रह्लाद की भक्तिरस की धारा और भी अधिक वेग से प्रवाहित होने ...

आस्था....
द्वारा Saroj Verma

आस्था के तार ह्रदय के साथ जुड़े हुए होतें हैं एवं हमारी आस्था हमारी संवेदना से जुड़ी होती है,हमारे मन का विज्ञान ही आस्था को मान सकता है और ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग11 - प्रह्लाद का बालचरित्र
द्वारा Praveen

[भक्ति का भाव]प्रह्लाद के शारीरिक सौन्दर्य, अपूर्व तेज और विचित्र बालचरित्र की महिमा धीरे-धीरे सारे नगर ही में नहीं, प्रत्युत सारे साम्राज्य में कही और सुनी जाने लगी। उनकी ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - भाग10 - हिरण्यकशिपु को वर प्राप्ति
द्वारा Praveen

[प्रह्लाद का आविर्भाव, देवताओं में खलबली]धीरे-धीरे दैत्यराज हिरण्यकशिपु की तपस्या पूरी हुई और उसके समीप दक्ष, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु आदि अपने मानस पुत्रों के सहित जगत्स्रष्टा ब्रह्माजी जा पहुँचे। ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग9 - महारानी का कयाधू को महर्षि नारद का महोपदेश
द्वारा Praveen

[गर्भस्थ प्रह्लाद को ज्ञानप्राप्ति]एक दिन जब कि, गर्भस्थ प्रह्लाद अधिक चैतन्य हो चुके थे और पूर्वजन्म के प्रभाव से उनको श्रवणादि विषयों का यथेष्ट ज्ञान प्राप्त हो चुका था, ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग8 - देवताओं का हिरण्यपुर पर आक्रमण
द्वारा Praveen

[महारानी कयाधू का हरण]देवराज इन्द्र, हिरण्यकशिपु की दशा देखकर जब अपने स्थान पर पहुँचे तब उन्होंने अपने मन्त्रिवर्ग को बुलाया और उनसे परामर्श किया। सभी लोग एकमत हुए कि ...

श्री श्री चैतन्य महाप्रभु
द्वारा Praveen

“जिन चैतन्य महाप्रभु ने उत्कृष्ट और परम उज्ज्वल रसमयी भक्ति सम्पत्ति वितरण के लिये कलियुग में कृपापूर्वक अवतार लिया है। वे स्वर्ण कान्तिवाले शचीनन्दन हरि हमारे हृदय में स्फूर्ति-लाभ ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग7 - प्रह्लाद गर्भ में
द्वारा Praveen

[पुनः तपस्या और देवताओं में हलचल]रानी कयाधू गर्भवती हैं, इस समाचार को सुनकर दैत्यराज ने अपने आचार्यचरण शुक्राचार्यजी से प्रार्थना की कि आप इस बालक के यथोचित पुंसवनादि संस्कार ...

संत नागा निरंकारी महाराज
द्वारा Praveen

संतो और महात्माओ की महिमा का बखान करना बड़े सौभाग्य और परम पूण्य की बात है। संत नागा निरंकारी परम अवधूत थे। उन्होंने लोक-लोकान्तरों के आत्मरहस्य को जन्म-जन्मांतर से ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग6 - भ्रातृ-वध से व्याकुलता
द्वारा Praveen

[तपोभूमि की यात्रा]जब से हिरण्याक्ष को वाराह भगवान् ने मारा, तब से हिरण्यकश्यपु का चित्त कभी शान्त नहीं रहा। यद्यपि वह राजकाज करता था, खाता-पीता था और यथा-शक्ति सभी ...

आचार्य श्रीरामानन्द
द्वारा Praveen

आचार्य श्रीरामानन्द जी एक उच्चकोटि के आध्यात्मिकमहापुरुष थे। आचार्य रामानन्दजी का जन्म कान्यकुब्जब्राह्मणकुल मे माघ-कृष्ण सप्तमी, शुक्रवार, संवत् १३२४ को प्रयाग में त्रिवेणी तट पर हुआ था। पिता का ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग5 - भ्रातृ वध
द्वारा Praveen

जिस समय सारे जगत् में तीनों लोक और चौदहों भुवन में देवताओं की तूती बोल रही थी, देवराज इन्द्र का आधिपत्य व्याप्त था और असुरों का आश्रयदाता कोई नहीं ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग4 - हिरण्यकशिपु का वृत्तान्त
द्वारा Praveen

[गर्भ और जन्म]जिस समय महर्षि कश्यप की अदिति आदि अन्यान्य सभी धर्मपत्नियों में आदित्य आदि देवताओं की उत्पत्ति हो चुकी थी और उनके प्रताप से सारा जगत् उनका ही ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग3 - पूर्वजन्म की कथा
द्वारा Praveen

[ पूर्वजन्म की कथा ]सृष्टि के आरम्भकाल की कथा है कि, ब्रह्माजी के मानसपुत्र योगिराज सनक आदि चारों भाई, एक समय भगवद्भक्ति के समुद्र में गोते लगाते हुए तीनों ...

परम भागवत प्रह्लादजी -भाग2 - आविर्भाव का समय
द्वारा Praveen

स्वजनवचनपुष्टयै निर्जराणां सुतुष्टयैदितितनयविरुष्टयै दाससङ्कष्टमुष्टयै।झटिति नृहरिवेषं स्तम्भमालम्ब्य भेजेस भवतु जगदीशः श्रीनिवासो मुदे नः॥संसार के विशेषकर भारतवर्ष के गौरवस्वरूप, धार्मिक जगत् के सबसे बड़े आदर्श और आस्तिक आकाश के षोडशकलापूर्ण चन्द्रमा ...

संत नामदेव
द्वारा Praveen

नामदेव का समय संवत् १३२७ वि० से संवत् १४०७ वि० है, इस पवित्र अवधि में उन्होंने दक्षिण और उत्तर भारत में संतमय की जिस प्रगाढ़ भगवद्भक्ति से परिपुष्टि की ...

ढ़ाई अक्षर प्रेम के..
द्वारा Saroj Verma

पोथी पढ़-पढ़ जग मुवा, पंडित हुआ न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। हिंदी में जो शब्द है-प्रेम, उसमें ढाई अक्षर हैं; लेकिन कबीर का मतलब ...

परम भागवत प्रह्लाद जी - वंश परिचय
द्वारा Praveen

भारतवर्ष के ही नहीं, सारे संसार के इतिहास में सबसे अधिक प्रसिद्ध एवं सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण वंश यदि कोई माना जा सकता है, तो वह हमारे चरित्रनायक परमभागवत दैत्यर्षि ...

शिव तांडव स्तोत्र
द्वारा Dr. Bhairavsinh Raol

॥ शिव तांडव स्तोत्र ॥जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥जिन शिव की सघन वन रुपी जटा से प्रवाहित होकर गंगाजी ...

सत्य ना प्रयोगों - भाग 13 - अंतिम भाग
द्वारा Miss Chhotti

अंतिम भाग "Change"... कोई यह न माने कि नाच आदि के मेरे प्रयोग उस समय की मेरी स्वच्छंदता के सूचक है। पाठकों ने देखा होगा कि उनमें कुछ समझदारी ...

सत्य ना प्रयोगों - भाग 12
द्वारा Miss Chhotti

आगे की कहानी 'सभ्य' पोशाक में... अन्नाहार पर मेरी श्रद्धा दिन पर दिन बढ़ती गई। सॉल्ट की पुस्तक ने आहार के विषय में अधिक पुस्तकें पढ़ने की मेरी जिज्ञासा ...