मस्त राम की स्वर्ग नर्क यात्रा Review wala द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मस्त राम की स्वर्ग नर्क यात्रा

मस्त राम की स्वर्ग नरक यात्रा 

मस्तराम ने एक दिन प्रार्थना की कि नरक दिखाया जाए तो ऐसा ही हुआ।
मस्तराम ने नरक की झलक देखी तो हैरान रह गया,मस्त परियों के डांस और स्विमिंग पूल के किनारे बीयर व्हिस्की की चुस्कियां। "मुझे नरक ही जाना है मृत्यु के बाद" यह निश्चय किया।
पर कुछ ही दिन के बाद ,.....

एक दिन मस्तराम ने अपने को स्वर्ग में पाया तो देखा कि चारों 
शुद्ध चरित्र के लोग बैठे है प्रवचन चल रहा है लोग बोर होते हुए भी सुन रहे हैं। नींबू पानी भी सर्व ही रहा है पर कोई अप्सरा  नहीं ,कोई और ड्रिंक नहीं कर रहा।बोर ...शुद्ध विचार और भजन बस
    मस्तराम को अजीब सा लगा यह स्वर्ग तो बेकार ही है मुझे तो नरक में ही जाना है तो अपने गाइड को बोल ही दिया "भाई साब मुझे तो आप नरक ही ले चलो "
    गाइड ने कहा जैसी आपकी मर्ज़ी, वैसे आपको तो एक घंटे स्वर्ग का ही आदेश था मुझे ,वहीं चलते है 
नरक में जैसे ही पहुंचे किसी की राक्षस जैसी आवाज़ आईं"डाल दो इसे कड़ाई में तेल वाली "
     मस्तराम चौंक गया, न कोई व्हीस्की न रम न परियों का डांस,"यह क्या हो रहा है जी ,मुझे तो कोई और झलक दिखाई गई थी नरक की, यहां पर कोई नहीं है ,मेरी ड्रिंक लाओ मेरा चिकन कबाब आदि सब लाओ ..."
     फिर एक भारी आवाज़ आईं "यहां तो यही है तुम्हे तला जाएगा फिर आगे की कार्रवाई होगी "
     "जी मुझे तो अप्सरा डांस व्हिस्की रम आदि ...."
    एक और अट्टहास हुआ और आवाज़ आईं
"मूर्ख आदमी वह तो डेमो था हमारी मार्केटिंग टीम का  ,अब जाओ तुम कड़ाई में ,भुगतो अब "
    साथ साथ उसकी पत्नी की भी आवाज़ आईं ,"क्यों जी क्या हुआ ,आप कांप क्यों रहे है? यह लो चाय और चलो जल्दी चलना है न आज सत्संग में ?"
"भूल जाओ "
पत्नी हैरान 
( कुछ दिन के बाद.....) 

अपने संतुष्टि के लिए मस्त राम फिर से प्रार्थना करता है) 

"हे प्रभु जी आप ने क्यों मुझे ठीक से नही दिखाया नर्क, पहले दिखाया था कुछ और, फिर यमराज जी ने कुछ और दिखाया। क्यों नही आप बता देते कि सत्य क्या है, या तो वा विस्की, सुंदरियाँ आदि वाला या फिर यमराज जी का मुझे कडाई मे तल... "

    " यह विस्की तो मदिरा होती है न पुत्र? तो क्या पीते हो तुम? "
यह सीधा सवाल पूछ लिया सर जी ने तो मैं हैरान हो गया "..... जी सर जी कभी कभी "
     "अच्छी लगती है? ' एक और सवाल! 
" जी कुछ कुछ "
"यह कडाई मे तलने वाली बात किसने बताई तुम्हे " कह कर सरजी ने ज़ोर से अपनी आ रही हँसी को भी दबाया पर मुद्रा से लग रहा था कि विफल हो रहे थे। 
"सर जी कई किताबों मे पढ़ा और एक पण्डित जी ने भी... "
सरजी हँसी रोक नही पा रहे थे और फिर भी बोले, "मैं भी यही सोच रहा था पुत्र, कुछ पण्डित जन जीविका के लिए कुछ भी अनर्गल बताते है और आप मान लेते हैं। अब पहले मैं मदिरा वाली बात पर आता हूँ, आप मदिरा को घटिया समझते हो फिर भी पीते हो, यह विचार तुम्हे लगता है कि नरक मे पहुंचा देगा। वहाँ पर जो देखा वह तुम्हारे विचारों का प्रक्षेपण ही था। 
     अब पण्डित जी वाली यानी कडाई मे तलने वाली बात.. 
एक विचार तुम्हे बार बार बताया गया सही गलत तो तुम्हारे मन में बैठ गया। 
     तुम्हारा पुत्र गलती करे तो क्या तुम। उसे कडाई मे... "
"नही नही सरजी ऐसा मैं सोच भी नही सकता हूँ "
"बिल्कुल ठीक, तो मैं जो तुम्हारी रक्षा कर रहा हूँ लाखो साल से, क्या मै ऐसा करूँगा? कैसे सोच सकते हो ऐसा मेरे बारे मे? क्यों लोग मुझे इतना निर्दयी समझते है, " कह कर प्रभु जी उदास हो गए। 
  "अपना best करो और मृत्यु के बाद क्या होता है उसके लिए अधिक उत्सुक मत रहो। हो सके तो उपनिषद आदि पड़ो। सब कुछ है उनमे। कठ उपनिषद है जैसे, पर जीवन के बाद का जीवन स्वप्निल ही है यह जान लो। अपने विचारों को  मन को refine करते रहो ध्यान आदि से बस ... " सरजी ने मुझे राय दी। 
   "सोर्री सरजी मुझे मेरी भूल समझ मे आ गई, मुझे क्षमा कर दीजिये आगे से ऐसा नही होगा, " कह कर मैंने उन्हे प्रणाम किया और मेरी आँख खुल गई। पत्नी सामने थी।