धीरे धीरे आनन्द उठाने के नियम Review wala द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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धीरे धीरे आनन्द उठाने के नियम

एक लंबी कविता जिंदगी की धीमी चाल और उसके आनंद को दर्शाती है:

जिंदगी धीमी कदम ताल सी हो,
हर पल में सुकून का एहसास हो।
न हो कोई जल्दी, न हो कोई भागमभाग,
हर लम्हा हो जैसे एक मीठा राग।

धीरे-धीरे चलें, हर कदम सोच-समझ कर,
हर मोड़ पर हो खुशियों का अम्बर।
साधन सारे चलें, बिना किसी रुकावट के,
जिंदगी हो जैसे एक सुन्दर गीत के।

हर दिन हो एक नई कहानी,
हर रात हो एक प्यारी सी निशानी।
धीमी चाल में भी हो एक अनोखा मज़ा,
जिंदगी हो जैसे एक सजीव ताजमहल का नज़ारा।

हर सुबह हो एक नई उम्मीद,
हर शाम हो एक नई प्रीत।
हर मौसम में हो एक नई बहार,
जिंदगी हो जैसे एक खुला आसमान।

न हो कोई चिंता, न हो कोई डर,
हर कदम पर हो बस प्यार का असर।
हर रिश्ते में हो मिठास की मिठास,
जिंदगी हो जैसे एक रंगीन किताब।

हर फूल में हो खुशबू की महक,
हर पत्ते में हो ताजगी की चमक।
हर नदी में हो शांति की धारा,
जिंदगी हो जैसे एक प्यारा सहारा।

धीमी चाल में भी हो एक गहरा अर्थ,
हर पल में हो जीवन का सच्चा मर्म।
हर सांस में हो एक नई ताजगी,
जिंदगी हो जैसे एक अनमोल बगीचा।


यहाँ एक लंबी कविता है जो कदम ताल धीरे से करने के स्वास्थ्य लाभों पर आधारित है:

   कदम ताल धीरे से

कदम ताल धीरे से, जीवन में लाए बहार,
स्वास्थ्य का खजाना, मिले हर बार।
धीरे-धीरे चलें, दिल की धड़कन बने मजबूत,
तन-मन में ऊर्जा, हर दिन हो अनूठा।

तनाव हो दूर, मन में शांति का बसेरा,
कदम ताल धीरे से, जीवन बने सुनहरा।
रक्तचाप हो नियंत्रित, दिल की सेहत में सुधार,
कदम ताल धीरे से, जीवन में लाए बहार।

मांसपेशियों को ताकत, हड्डियों को मजबूती,
कदम ताल धीरे से, जीवन में हो खुशहाली।
हर कदम में हो आनंद, हर पल में हो खुशी,
कदम ताल धीरे से, जीवन में हो सजीवता की झलक।

प्रकृति की गोद में, चलें हम धीरे-धीरे,
हरियाली का साथ, मन को लगे प्यारे।
पक्षियों की चहचहाहट, हवा की मीठी सरगम,
कदम ताल धीरे से, जीवन में हो मधुरम।

हर सुबह की सैर, लाए नई ताजगी,
तन-मन में हो ताजगी, जीवन में हो रागिनी।
सूरज की किरणें, दें हमें नई ऊर्जा,
कदम ताल धीरे से, जीवन में हो सजीवता की झलक।

सांसों की लय में, चलें हम धीरे-धीरे,
हर कदम में हो सुकून, हर पल में हो सजीवता।
स्वास्थ्य का खजाना, मिले हमें हर बार,
कदम ताल धीरे से, जीवन में लाए बहार।
      मैं एक छोटी कहानी लिखता हूँ जो धीरे-धीरे आनंद लेने के महत्व को दर्शाती है।


   धीरे-धीरे आनंद लेना 

एक छोटे से गाँव में, एक वृद्ध व्यक्ति, रामू, रहता था। रामू का जीवन बहुत ही सरल और शांतिपूर्ण था। वह हर सुबह उठकर अपने बगीचे में काम करता, जहाँ उसने विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियाँ उगाई थीं। 

रामू का मानना था कि जीवन का असली आनंद धीरे-धीरे और धैर्यपूर्वक जीने में है। वह हमेशा कहता, "धीरे-धीरे में ही असली आनंद है।" 

एक दिन, गाँव के कुछ युवा रामू के पास आए और पूछा, "दादा, आप हमेशा धीरे-धीरे करने की बात क्यों करते हैं?"

रामू मुस्कुराया और उन्हें अपने बगीचे में ले गया। उसने एक आम का पेड़ दिखाया और कहा, "देखो, इस पेड़ को फल देने में कई साल लगे। अगर मैंने इसे जल्दी से बड़ा करने की कोशिश की होती, तो शायद यह मर जाता। लेकिन धीरे-धीरे, यह पेड़ बड़ा हुआ और अब हमें मीठे आम देता है।"

फिर रामू ने उन्हें अपने घर में बुलाया और अपनी पत्नी के साथ बिताए गए समय की कहानी सुनाई। "हमारा प्यार भी धीरे-धीरे बढ़ा," उसने कहा। "हमने एक-दूसरे को समझने और सम्मान देने में समय लिया। यही कारण है कि हमारा रिश्ता इतना मजबूत है।"

युवाओं ने रामू की बातें ध्यान से सुनी और समझा कि जीवन में हर चीज़ का आनंद धीरे-धीरे लेने में ही है। चाहे वह खाना हो, प्यार हो, या रिश्ते हों, सब कुछ धीरे-धीरे और धैर्यपूर्वक करने में ही असली सुख है।