लहू का रंग एक है S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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लहू का रंग एक है

कहानी - लहू का रंग एक है

उस दिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर विजय अपने गाँव लौट रहा था . अचानक ही जोरों की बारिश होने लगी .रास्ते में एक आम का बगीचा पड़ता था .वह वहीँ एक पेड़ के नीचे रुक गया . अक्सर आज कल के दिनों में थोड़ी बारिश होती थी और आम के फल , कुछ पके और कुछ अधपके नीचे गिर पड़ते थे .अचानक उसे अतीत के दिनों की याद आ गयी .

ऐसे मौसम में वह दौड़ कर बगीचे में आ जाता और आम इक्कठे कर ले जाता था . कुछ और लड़के और लड़कियां भी आ जातीं थीं .उनमें एक लड़की ज़रीना थी ,जो हाई स्कूल तक तो उसी गाँव के स्कूल में साथ ही पढ़ती थी .उस गाँव की आबादी लगभग एक हज़ार रही होगी .गाँव में लगभग सभी समुदाय के लोग रहते थे .इस गाँव को आदर्श गाँव कहा जाता था .सभी समुदाय के लोग एक दूसरे के पर्व त्यौहार में शामिल होते थे , अपना सुख दुःख मिल जुल कर बांटते थे .जरीना और विजय दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते थे .विजय ने उसे कहा भी था कि वह पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा तो अपनी शादी की बात माता पिता से करेगा .दोनों कभी कभी छुप कर मिल भी लेते और कभी कभी एक दूसरे को खत भी लिखा करते थे .

इसी बीच विजय का लिखा एक खत ज़रीना के पिता के हाथ लग गया . उन्होंने बेटी को समझाते हुए कहा " बेटे , इस गाँव में अभी तक सभी समुदायों में सौहार्द्य बना रहा है पर अभी तक शादी अपने समुदाय में ही करते आये हैं . मैं नहीं चाहता की तुम्हारे और विजय के रिश्तों को ले कर किसी तरह का तकरार हो और इस गाँव की अमन शांति भंग होने की जरा भी गुंजाइश हो .विजय अच्छे परिवार का समझदार लड़का है , मैं जानता हूँ . "

ज़रीना " आप विजय को अच्छा मानते ही हैं , तो हम दोनों के रिश्ते में क्या बुरा है ? "

" बेटे , रिश्ते में कोई बुराई नहीं है , पर इस रिश्ते को हमारा समाज नहीं स्वीकार करेगा .हम कितने सालों से इस गाँव में रहते आए हैं इसलिए यहाँ का दस्तूर निभाना होगा .प्यार ही सब कुछ नहीं होता , प्यार से भी जरूरी कई बातें हैं .अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ? "

इसके आगे ज़रीना भी कुछ नहीं बोली .

पर विजय का खत ले कर ज़रीना के पिता उसके घर गए और सारी बातें उसके पिता लालाजी को बताईं और कहा " भाईजान , जरा विजय को समझा दें , अभी वह बच्चा है . इन बातों को छोड़ पढ़ाई लिखाई में मन लगाए .मैंने ज़रीना को भी समझा दिया है . "

लालाजी थोड़ा कड़क स्वभाव के थे .उन्होंने कहा " जरूर तुम्हारी लड़की ने ही शुरुआत की होगी और बढ़ावा दिया होगा वरना विजय ऐसा लड़का नहीं है ." अच्छा किया जो आपने बता दिया .वैसे हम सभी मिल जुल कर रहते आएं हैं पर हमारे खून अलग हैं , अभी तक खून का रिश्ता नहीं बन पाया है .और इस रिवाज को तोड़ने की न ही कोई जरुरत है और न ही इस की हिम्मत है ."

" भाईजान , सही फर्माया , ऐसी हिम्मत मुझमें भी नहीं है .पर सभी इंसानों के लहू का रंग एक ही है .मैं जानता हूँ विजय काफी अच्छा लड़का है .उसे और भी अच्छा बन कर हमारे गाँव का नाम रौशन करना है .आप इत्मीनान रहें , मेरी बेटी कोई गुस्ताखी नहीं करेगी. खुदा हाफ़िज़ . "

विजय और ज़रीना दोनों ने भी सोचा कि अपनी लव स्टोरी को यहीं ख़त्म करने में ही सबका भला है .

विजय स्कूल की पढ़ाई पूरी कर इंजीनियरिंग पढ़ने शहर चला गया . इंजीनियरिंग के बाद उसे अच्छी नौकरी मिल गयी . आज वह अपने गाँव आया था .इस बीच बारिश थम चुकी थी .वह बगीचे से बाहर निकल रहा था कि उसकी मुलाकात बगीचे के मालिक बाबू साहब से हुई .विजय ने आगे बढ़ कर पाँव छू कर कहा " पाँव लागी काका .इस बार तो आम के फल अच्छे लगे हैं . "

बाबू साहब " सब ऊपर वाले की कृपा है .और अपनी कहो ,लालाजी ने बताया है कि तुम्हारी शादी भी तय हो चुकी है और तुम्हें नौकरी भी दिल्ली में मिल गयी है ."

" हाँ काका , अगले महीने ज्वाइन करूँगा .सोचा इस साल तो आपके आम खा लूँ ."

" हाँ ,हाँ क्यों नहीं .और एक नई खबर है कि ज़रीना ने भी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर वहीँ दिल्ली के किसी प्राइवेट अस्पताल में नर्स बन गयी है और उसकी शादी भी हो गयी है ."

विजय " यह तो अच्छी खबर है ."

इतना कह कर वह अपने घर की ओर चल पड़ा . इधर लालाजी जी ने भी विजय का रिश्ता तय कर रखा था और विजय ने भी लड़की देख कर हामी भर दी थी . एक महीने बाद शादी होनी थी .विजय की शादी लालाजी ने बड़े धूम धाम से की . शादी में गाँव के सभी समुदाय के लोग शामिल हुए .

शादी के कुछ दिनों के बाद विजय दिल्ली चला गया .दिल्ली में जब उसने अपने किराए का फ्लैट लिया तो कुछ दिनों बाद उसकी पत्नी मीना भी दिल्ली आ गयी .लगभग एक वर्ष के बाद मीना गर्भवती हुई . उसकी तबीयत अक्सर ख़राब रहती थी तो विजय ने अपनी माँ को भी दिल्ली बुला लिया .

मीना के गर्भ धारण के बाद से ही उसको अक्सर कुछ न कुछ समस्या रहती थी .जिस के चलते अक्सर डॉक्टर के यहाँ जाना पड़ता था .लेडी डॉक्टर ने बताया कि मीना के प्रसव में कुछ जटिलता हो सकती है , इसलिए उसे बहुत सावधान रहना है और जरा भी तकलीफ हो तो अस्पताल आना चाहिए .बीच बीच में मीना को कभी ब्लीडिंग भी हो जाती थी . डॉक्टर्स ने बताया कि अभी तक तो कुछ नहीं बिगड़ा है , पर हो सकता है प्रसव नौवें महीने के पहले ही कराना पड़े .

मीना को आठवें मॉस के प्रारम्भ में ही फिर ब्लीडिंग के साथ पीड़ा हुई तो उसको अस्पताल में भर्ती कराया गया .उस समय लेबर रूम में बतौर नर्स ज़रीना की ड्यूटी थी . डॉक्टर ने उसे कहा " बाहर जाकर मरीज के रिश्तेदार को बता दो कि मीना का काफी खून बह चुका है .फ़ौरन ही उसका सीजीरियन ऑपरेशन करना होगा वरना जच्चा बच्चा दोनों की जान को खतरा है . दो यूनिट खून का प्रबंध तुरंत करना होगा ."

ज़रीना जब बाहर आई तो देखा कि विजय और उसके माता पिता बाहर खड़े थे .

उसने उन्हें पहचान लिया था , फिर भी पूछा " क्या आप लोग ही मीना के साथ हैं . " और विजय से पूछा " मीना तुम्हारी पत्नी है ?"

उसके 'हाँ ' कहने पर जरीना ने सारी बात बताई और एक कंसेंट पेपर पर साइन कराया और कहा " मीना को फ़ौरन दो यूनिट खून चाहिए .उसके ग्रुप का खून अस्प्ताल में उपलब्ध नहीं है ."

फिर विजय और उसके माता पिता तीनों का ब्लड ग्रुप चेक किया गया पर किसी का भी ग्रुप मैच नहीं हुआ .तीनों काफी उदास हो गए .उन्हें उदास देख कर ज़रीना बोली " आप लोग घबराएं नहीं , बस भगवान् से प्रार्थना करें .हम भरसक कोशिश करेंगे कि जच्चा और बच्चा दोनों सलामत रहें ."

इतना कह कर वह अंदर चली गयी और अपने घर पर पति को फोन किया .दरअसल उसका पति भी उसी अस्पताल में लैब टेक्नीशियन था . वह अपनी शिफ्ट पूरी कर घर पर था. इत्तफाक से ज़रीना के पिता भी आये हुए थे .ज़रीना ने पूरी बात बता कर उन्हें फ़ौरन अस्पताल आने को कहा .संयोगवश जरीना के पति और पिता दोनों का ब्लड ग्रुप मैच हो गया और दोनों ने एक एक यूनिट ब्लड दिया .

मीना का सफल ऑपरेशन हुआ और जच्चा बच्चा दोनों अब खतरे से बाहर थे . ज़रीना का परिवार बेहद खुश था कि उनके थोड़े से सहयोग से उनके गाँव के किसी परिवार को जीवनदान मिला है .मीना को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी थी पर बच्चा अभी बहुत कमजोर था .उसे वेंटीलेटर पर रखा गया और उसको दूध भी ट्यूब से दिया जा रहा था . डॉक्टर्स और ख़ास कर ज़रीना ने उन्हें पूरा भरोसा दिलाया कि बच्चा पूर्णतः सुरक्षित है , बस जरा कमजोर है इसलिए ब्रीदिंग और स्तनपान में उसे दिक्क़त होगी . कुछ ही दिनों में वह भी नार्मल हो जायेगा . उम्मीद है कि आप लोग उसे एक सप्ताह के बाद घर ले जा सकते हैं .

एक सप्ताह के बाद विजय और मीना अपने बच्चे को घर ले आये . दो सप्ताह के बाद उन्होंने एक शानदार पार्टी रखी थी जिसमें ज़रीना को सपरिवार निमंत्रित किया गया था .इसके अतिरिक्त गाँव से कुछ अन्य समुदाय के लोग भी आये थे .

पार्टी में गाँव के लोगों से ज़रीना के परिवार के प्रति अपने आभार प्रकट करते हुए लालाजी ने कहा " आज मेरी बहू और पोता अगर जीवित हैं तो इसका पूरा श्रेय ज़रीना के परिवार को जाता है .उनके इस उपकार के लिए मेरा पूरा परिवार आजीवन इनका ऋणी रहेगा ." और आगे बढ़कर उन्होंने ज़रीना के गोद में अपने पोते को डाल दिया था .

जब ज़रीना के पिता ने लालाजी से पोते का नाम पूछा तो वे बोले " मुझे ज़रीना को बहू न बनाने का अफ़सोस है , अब यह मेरे पोते की मौसी है ."

ज़रीना के पिता ने जब दुबारा लालाजी से पोते का नाम पूछा तो उन्होंने कहा " भाईजान , इसका नाम कबीर विजय लाला है .आपको याद होगा मैंने कहा था कि अभी तक हमारे बीच खून का रिश्ता नहीं बन पाया है . और तब आपने कहा था कि इंसान के लहू का रंग एक ही है ,तो उस समय मैं आपसे सहमत नहीं था . और आज मैं दिल से आपलोग का आभारी हूँ कि आपने मुझे सिखा दिया कि लहू का रंग एक है ."

इस बात पर पार्टी में लोगों ने जोर से तालियां बजाईं . तालियों की गूँज दूर तक सुनाई पड़ रही थी .