कहानी - पति पत्नी और ट्विटर
काफी अर्से बाद मुझे गीता का फोन आया था . तीन दशक से ज्यादा ही हुए ,हमलोग एम. ए . में साथ पढ़ा करते थे .गीता दो दिन पहले ही अमेरिका से छः महीने रह कर लौटी थी .
फोन पर बहुत देर तक जेनरल बातें होती रहीं .फिर उसने कहा ," मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ , बहुत सारी बातें करनी हैं ,कुछ घंटे साथ बैठ कर गप्पें मारनी है .तो बता कब और कहाँ मिलते हैं ?"
मैंने कहा " इसमें पूछना क्या ? मेरे घर पर कल आ जाओ. यहीं दिन भर जी भर कर बातें होंगी .पति देव भी टूर पर गए हैं ,दिन भर बोर ही होती हूँ . “
“ अच्छा तो अभी फोन रखती हूँ ,कल मिलते हैं ,बाई ."
अगले दिन सुबह नौ बजे होंगे कि डोर बेल बजा .मैं समझ गयी कि गीता ही होगी ,मैं तो उस से मिलने की ख़ुशी में सुबह तड़के ही उठ कर तैयार हो कर बैठी थी .मैंने किरण को दरवाजा खोलने को कहा . किरण मेरे यहाँ खाना बनाया करती थी .
" गुड मॉर्निंग गीता , इधर बेड रूम में ही आ जाओ .आराम से बातें होंगी " मैंने कहा और किरण को दो कप चाय और नाश्ता यहीं बेड रूम में लाने को कहा .
गीता भी गुड मॉर्निंग कहते हुए अपना पर्स और फोन एक किनारे रख मेरे पास बेड पर ही बैठ गयी .
शुरू में काफी देर तक इधर उधर की बातें हुईं , कुछ अपनी ,कुछ बच्चों की और कुछ नाती पोतों की .इस बीच नाश्ता आ चुका था .मैंने किरण को चाय थोड़ी देर बाद लाने को कहा और हम दोनों नाश्ते के साथ गप्पें भी करते रहे .
मैंने जब गीता से पूछा कि इस बार तो पूरे छः महीने अमेरिका में मस्ती काट कर आई है तो मुझे भी कुछ बताये अमेरिका के बारे में और वहाँ इतने दिन क्या करती थी दिन भर .
गीता बोली " अरे मत पूछ ,मस्ती वस्ती काहे की , बस दूर का ढोल सुहावना होता है . हाँ अच्छी बात यह रही कि इतने दिन बेटे और पोता ,पोती के नजदीक रही.वर्ना इंडिया से तो बस फोन और स्काइप पर ही बातें होती हैं ,पर जो सुख परिवार के बीच रहने में है उसकी कोई तुलना ही नहीं ".
इस बीच किरण चाय दे कर नाश्ते का बर्तन उठा कर ले गयी ?
गीता आगे बोली " देख असल मस्ती तो तू यहाँ कर रही है . कामवाली, कुक, धोबी ,माली सब काम करने वाले मिल जाते हैं .पर अमेरिका में तो ये सारे काम खुद करने होते हैं , हाँ इन सब कामों में मशीन बहुत कुछ मदद जरूर करती है . मेरा ज्यादा समय तो किचन में ही बीत जाता था .मन करता था जब तक मैं यहाँ हूँ बच्चों को तरह तरह के इंडियन व्यंजन बना कर खिलाऊँ . अगर वे खा लेते तो मेरा मन तृप्त हो जाता था "
मैंने जब कहा कि तेरे पति तो जरूर तेरी मदद करते होंगे तो वह कुछ गंभीर हो गयी और कुछ इधर उधर की बातें करने लगी .मुझे लगा मुझसे कुछ छुपा रही है .
मैंने जब दोबारा पूछा कि आखिर दिन भर तेरे पति कुछ तो करते होंगे तब वह बोली " ऐसा लगता है कि इन छः महीनों में साथ रह कर भी हमारी दूरियाँ बढ़ गयी या यूँ समझो कुछ दरार ही हो गयी है ."
मैंने चाय का प्याला एक ओर रखते हुए कहा "ऐसी क्या वजह हो सकती है ?".
गीता बोली " मत पूछ . मुझे कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा .खास कर इसीलिए तेरे पास आई हूँ ."
" ठीक है बता तो सही " मैं बोली .
कुछ पल की ख़ामोशी के बाद गीता बोली " मैं तो दिन भर या तो बच्चों के साथ होती या किचेन में . ये जनाब दिन भर कंप्यूटर या फोन से चिपके रहते यहाँ तक कि देर रात में भी .जब मैं पूछती इतना क्या काम होता है लैप टॉप पर तो बोलते बस मेल वगैरह चेक करता हूँ और कुछ इधर उधर टाइम पास . "
कुछ दिनों बाद मेरा बेटा मेरे लिए एक टैबलेट लाया .उसमें उसने मेरे नाम का मेल ,फेस बुक , और यू ट्यूब वगैरह और ट्विटर अकाउंट भी सेट कर दिया था .उसने कहा कि जब बोर होने लगना , इस से मन बहला लेना .
एक दिन मैं ट्विटर पर थी तो मैंने पति देव का ढेर सारा ट्वीट्स देखा "
मैंने पूछा " इसमें अजूबा क्या है ? लाखों लोग ट्वीटर पर हैं .ये तो साधारण बात है "
तब गीता बोली " यही तो रोना है .जिसे तुम साधारण बात बोल रही हो वही मेरे लिए असाधारण बात हो गयी ".
मेरे वो कैसे पूछने पर वह बोली " इनके ज्यादातर ट्वीट्स एक व्यक्ति विशेष के लिए होते थे .वह भी एक अति साधारण साउथ की एक्स्ट्रा अभिनेत्री के लिए . इनके कुछ ट्वीट्स तो दिल को काफी तकलीफ देनेवाले होते थे ."
मेरे "जैसे ? " पूछने पर गीता बोली " वैसे तो ढेर सारे हैं ,जैसे -
तुम बहुत अच्छा सोचती और लिखती हो . तीस साल की शादी शुदा ज़िन्दगी में इनके मुख से अपने लिए 'अच्छा ' एक शब्द सुनने को तरस कर रह गयी .”
काफी शेरो शायरी भी चलती थी .कभी उसके ट्वीट्स इन्हें नहीं मिलते तो उस से पूछते -
मेरे ट्वीट्स ट्रैश कर देती हो क्या ? , ना जाने किस हुस्न पर पोशीदा दिल का राज है , तीर मेरे दिल में है और परदे में तीरंदाज है आदि आदि ,
और इसी तरह के अनेकों किसी के लिखे शेर उसके नाम कर देते और इस तरह के अनेकों कसीदे पढ़े जाते उसकी तारीफ़ में . “
जब मैं पूछती कि मेरी तारीफ़ तो आपने आज तक एक बार भी नहीं की तो इनका सपाट सा जवाब होता -मुंह के सामने रोज तारीफ़ करना जरूरी है क्या ? “
मैंने गीता को ढाढस देते हुए कहा " फिर भी जितना तुमने कहा है उसमें अभी तक तो ऐसी सीरियस कोई बात मुझे नहीं लगती है ".
मेरे इतना कहने पर गीता बोली " अरे , इतना ही नहीं .इनके ट्वीट्स पर विरोध करने पर एक दिन काफी आग बबूला हो उठे और बहू के सामने बहुत जोर जोर से चिल्लाने लगे और मुझे बहू के सामने काफी शर्मिंदा होना पड़ा ."
गीता ने कहा कि इसके बावजूद उसके पति का ट्वीट्स उसी तरह चलता रहा और गीता भी अपना विरोध करती रही .बीच बीच में उन दोनों में अक्सर झगड़े होते रहते . उसके पति का कहना था कि यह तो सिर्फ टाइम पास मनोरंजन का साधन है . गीता को यह कतई बर्दाश्त नहीं था कि उसका पति किसी दूसरी औरत से कोई भावनात्मक सम्बन्ध रखे . हमदोनों के बीच बात इतनी बढ़ गयी कि अक्सर दोनों में कई दिनों तक बात चीत भी नहीं होती. और इसी तरह लड़ते झगड़ते वे इंडिया वापस आ गए .
मैंने गीता से पूछा " ठीक है ,अब तो इंडिया में तेरे पति को और भी काम होंगे ,दिन भर ट्विटर पर तो नहीं रह सकते .सब अपने आप ठीक हो जायेगा ".
गीता बोली " पता नहीं ठीक हो या नहीं ,या कब तक .अभी तो इतनी खटास है कि इनकी ओर देखने को भी मन नहीं करता ,बोलना तो दूर रहा .अभी तो लगता है कि हमारे रिश्ते में दरार सी हो गयी है .मेरा तो मन करता है कि कुछ दिनों के लिए इनसे दूर ही चली जाऊं . तू मेरी सबसे नजदीकी और पुरानी सहेली है .मैं इसीलिए तेरे पास आई हूँ कि तू भी कुछ सलाह दे ."
मैंने कहा " अभी तू बस हाथ मुँह धो ले .मैं किरण को खाना लगाने को बोलती हूँ . चल , लंच कर के मैटिनी शो मूवी देखते हैं .थोड़ा मूड भी चेंज हो जायेगा ."
" नहीं , नहीं मूवी का तो बिलकुल मूड नहीं .यहीं तेरे साथ कुछ देर और रहूंगी " गीता बोली .
इस बीच किरण डाइनिंग टेबल पर खाना लगा चुकी थी . खाते समय कुछ इधर उधर की , कुछ अन्य दोस्तों और रिश्तेदारों पर बातें होती रहीं .खाने के बाद हमलोग फिर बेड रूम में आ गए . किरण भी काम ख़त्म कर जा चुकी थी .
गीता ने आगे बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए कहा " तो अब तू बता , मुझे आगे क्या करना चाहिए ? मैं तो बहुत टेन्स हूँ ."
मैं बोली " देख गीता , पति पत्नी के जीवन में कभी खटास तो कभी मिठास ,कभी ख़ुशी कभी गम आते रहते हैं , उन्नीस बीस लगा रहता है .इसका मतलब यह तो नहीं कि हम एक दूसरे से भागते रहें .
गीता , यहाँ कोई भी जोड़ी आदर्श नहीं है , यह बात मेरे पर भी लागू है. मेरे पति भी कभी अपनी सेक्रेट्री पर फ़िदा थे . मैंने उनके कुछ स्क्रू टाइट किये तब रास्ते पर आये जनाब . ये सब चलते रहता है . नानक दुखिया सब संसार . तुझे कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है. इस उम्र में तो पति पत्नी दोनों ही एक दूसरे के सहारे हैं , खास कर जब बच्चे विदेश में सेटल हों ."
इसी बीच मेरे सेल पर फोन आया , कॉल करने वाले का नाम देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गयी . जीजाजी यानि गीता के पति का फोन था .मैंने फोन उठाया और कहा " आज जीजाजी को मेरी याद कैसे आ गयी?"
उन्होंने कहा " बहुत देर से गीता को खोज रहा हूँ .अपना फोन उसने ऑफ कर रखा है. कहीं तुम्हारे यहाँ तो नहीं है ? "
" जी , बिलकुल मेरे ही यहाँ है .लीजिये बात करें उस से " बोल कर मैंने फोन गीता को दे दी .
उनलोगों में क्या बात हुई यह तो नहीं जानती , पर जैसा कि गीता ने कहा कि जनाब को भूख लगी थी . वह सुबह सुबह ही मेरे यहाँ आ गयी थी तो घर पर खाने को कुछ नहीं था .
मैंने गीता के पति को फोन पर कहा “ आपके लिए आपकी पसंद का लंच गीता के हाथों भेज रही हूँ . वैसे आप मेरी सहेली को अब परेशान तो नहीं करेंगे . “
“ क्या मतलब ? कैसी परेशानी ? “
“ आपके ट्वीट्स से वह परेशान है . “
“ वो अमेरिका में मेरा महज टाइम पास था . यहाँ आने पर वैसा कुछ नहीं है . “
“ अब अमेरिका जाने पर भी आप ऐसा नहीं करेंगे . टाइम पास के लिए कुछ और तरीका ढूंढें जिससे मेरी सखी को परेशानी न हो . “
“ ऐसी कोई बात नहीं होगी . थोड़ी बहुत नोंक झोंक तो लगी ही रहती है और कहो तो अच्छा भी है . “
“ अच्छा ऐसे कि नीम के बाद गुड़ का सही स्वाद मिलता है . अपनी सहेली को अब जल्दी से लंच के साथ भेजो . “
मैंने अपने घर से उनके लिए टिफ़िन पैक कर गीता को दिया .और जाते वक़्त कहा " तू सब पुरानी बातों को भूल जा . और तुझे याद है पंत जी की एक कविता हमने पढ़ी थी
" सुख दुःख के मधुर मिलन से यह जीवन हो परिपूरन ,
कभी घन से ओझल हो शशि कभी शशि से ओझल हो घन "
गीता टिफ़िन बॉक्स उठा कर अपने घर को चल पड़ी , अपने मन की बात शेयर करने से उसका जी कुछ हल्का हो गया था .
समाप्त - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .
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