सख़्त पिता praveen singh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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सख़्त पिता

अम्बेडकर पार्क, जो कि गोरखपुर में तारामंडल रोड़ पर है| शाम का वक्त था और पार्क में काफी चहल पहल थी| उसी पार्क में एक बेंच पर बैठी रिया बार - बार अपनी घड़ी की तरफ देखे जा रही थी|
सॉरी, थोड़ी सी देर हो गई| अभय, रिया के पास पहुंच कर ये बात कहा और उसके पास जाकर बैठ गया|

रिया के पिता कि मौत तब हो चुकी थी जब वो सिर्फ ५ साल कि थी| तबसे अकेले उसकी मां ने उसकी परवरिश की थी| रिया की मुलाकात अभय से ७ साल पहले कॉलेज में हुई थी| पहले तो वो दोस्त बने फिर धीरे- धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई और रिया ने अभय के प्यार का इजहार इसलिए स्वीकार्य किया क्युकी अभय ने उसे यकीन दिलाया कि वो उससे किसी भी कीमत पर शादी करेगा |
मगर रिया का ये यकीन कि अभय उससे शादी करेगा इस बात पर उसे शक होने लगा था क्युकी आज वो अपने परिवार वालों के कहने पर किसी लड़की को देखने के लिए गया था| और ये बात रिया को बहुत परेशान कर रही थी जिस वज़ह से रिया ने अभय को मिलने के लिए बुलाया था |

मिल लिए लड़की से! रिया ने सवाल किया|

हां| बहुत धीमी आवाज में अभय ने आवाज दिया|

कैसी लगी? रिया ने फिर सवाल किया|

घर वालो को बहुत पसंद आई|

और तुम्हे?

अभय के पास रिया के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था|

तुम अपने पापा से हमारे और अपने बारे में बात नहीं कर सकते क्या?

वो नहीं मानेंगे रिया| वो बहुत सख्त है| और तुम्हे तो पता ही है ना हमारे समाज में लव मैरिज को अच्छी नजरो से नहीं देखा जाता|

अगर ये सब पता था तुम्हे तो तुम्हे प्यार करना ही नहीं चाहिए था ना अभय और मुझे यकीन नहीं दिलाना था कि तुम मुझसे शादी करोगे| तुम पर यकीन करके मैंने अपने जिंदगी के पूरे सात साल दे दिए| बोलते - बोलते रिया का गला रुध गया और उसके आंखे भर आईं|

तो तुम क्या चाहती हो रिया, मै तुम्हारे साथ भाग के शादी कर लूं और अपने मां पापा का सिर नीचा कर दूं इस समाज में|

मै ऐसा कुछ नहीं चाहती अभय, मै बस ये चाहती हूं कि एक बार तुम अपने पापा से बात करके तो देखो उन्हें बताओ तो की तुम्हारे दिल में क्या है, शायद वो तुम्हारी बात को समझे और हमारी शादी के लिए मान जाए|

तुम मेरे पापा को नहीं जानती हो, वो बहुत गुस्सैल है, वो नहीं समझेंगे रिया|

तुम तो लड़ाई लड़े बिना अपने आप को हारा मान चुके हो तो मै क्या कहूं| फिलहाल मै चलती हूं मां इंतजार कर रही होगी|

रिया वहा से जा चुकी थी, अभय भी कुछ देर बाद अपने घर कि तरह निकल गया|
***********

घर में रात के वक्त अभय अपने कमरे में इधर से उधर टहल रहा था| उसके दिमाग़ मे बार - बार रिया की कही हुई बात गूंज रही थी| उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो अपने पापा से बात करे भी तो कैसे करे| बचपन से उसे कभी भी कुछ चाहिए होता था तो वो अपने मां के ज़रिए अपनी बात उन तक पहुंचाता था| क्या मां से बात करू और उन्हें सब बताऊं और पापा को मनाने को बोलू, यही सब ख़्याल अभय के मन में कौंध रहे थे|
तुम सोए नहीं, ये आवाज अभय के पीछे से आईं| अभय मुड़ा| पीछे उसके पिता जी खड़े थे|
वो नींद नहीं आ रही थी पापा, थोड़ा हड़बड़ाते हुए अभय ने कहा|
अभय के चेहरे को देखते हुए उसके पिता समझ गए कि किसी बात को लेकर वो परेशान है|
कोई परेशानी है क्या?
ना! नहीं तो! ऐसा कुछ नहीं है थोड़ा अटकते हुए अभय ने कहा|

तुम्हारा बाप हूं, तुम्हारे चेहरे को देखकर समझ सकता हूं | अभय के पिता ये बात कहते हुए उसके पास आ चुके थे| अभय का शरीर पूरी तरह अंदर से कांप रहा था मगर बाहर से वो खुद को अच्छा भला दिखाने में लगा हुआ था|

दिल कि बातें हलक में आकर लटकी हुई थी| दिल कह रहा था कि जो भी बात है खुलकर वो अपने पापा से शेयर कर दी और दिमाग कह रहा था कि नहीं, अगर उन्होंने कुछ ग़लत मतलब निकाल लिया तो|

पापा,अगर मैंने आज वाले रिश्ते के लिए मना कर दिया तो| अभय से मुख से अवाक ही ये बात निकल पड़ी|

तुम बैठो पहले, अभय के पिता ने कहा और दोनों बिस्तर पर बैठ गए|

अगर तुम्हे वो लड़की नहीं पसंद है तो हम जबरजस्ती तुम्हारी शादी तो उससे करवाएंगे नहीं अभय| अभय के सर पर हाथ फेरते हुए उसके पिता ने उससे ये बात कही|

आज अपने पिता को देखकर उसे लगा ही नहीं ये वही इंसान है जिसके सामने वो कोई बात कह नहीं पाता था जिसके गुस्सैल स्वभाव की वजह से वो बहुत सी बातें अपने मन में दवा ले जाता था|

देखो अभय अब तुम्हारी उम्र बच्चों वाली नहीं रही| तुम्हारे दिल में जो बात है तुम मुझसे साझा कर सकते हो|

पिता की ये बाते सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसका करीबी दोस्त उसके साथ बैठा हो |

आपको पता है मुझे आपके गुस्सैल स्वभाव से बचपन से बहुत डर लगता है|

एक बाप को गुस्सैल थोड़ा सीरियस रहना पड़ता है अपने बच्चों के लिए, मगर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वो अपने बच्चों से प्यार नहीं करता है|

मगर हा, बच्चे जब बचपन से जवानी कि दहलीज पर आते है तो वहीं बाप उनका दोस्त बनने में भी नहीं हिचकता है|

कुछ बात है मेरे दिल में मुझे पता नहीं आप कैसा रिएक्ट करेंगे मगर मैंने आज शेयर नहीं किया आपसे तो मेरा सर दर्द से फट जायेगा|
बताओ क्या बात है?

मै एक लड़की से ७ साल से प्यार करता हूं| रिया नाम है उसका| परिवार में उसके सिर्फ वो और उसकी मां रहती है| मै उससे शादी करना चाहता हूं मगर... कहते कहते अभय रुक गया |
अभय के पिता भी शांत थे|
मुझे पता है पापा इस समाज में लव मैरिज को एक्सेप्ट करना बहुत मुश्किल है | क्यकी अपने लोगो को इसी समाज में रहना है|

समाज कि खुशी से ज्यादा जरूरी मेरे लिए तुम्हारी खुशी है अभय|

ये जो तुम आजकल के बच्चे हो ना वो खुद के सवालों को जवाब खुद ही बनाने लगते हो | तुम लोग अपने परिवार से अपनी दिल कि बातें शेयर नहीं करोगे ये सोचकर कि परिवार समझेगा नहीं| ऐसा बिल्कुल नहीं है परिवार हमेशा ये चाहता है कि उसके बच्चे की जिंदगी बस अच्छे से गुजर सके उसके लिए कभी कभी सख्त होना भी पड़ता है मगर, बच्चो को फैसला सही है तो फिर परिवार साथ देने में पीछे भी नहीं हटता है| जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो ये कि रिश्तों में बातें होती रहनी चाहिए और जो भी खुशी , तकलीफ़ है वो साझा होनी चाहिए|

अपने पिता के इस तरह के बातचीत से अभय पूरी तरह अवाक था| अपने पिता के लिए उसने अपने दिल में छवि बना रखी थी आज वो उसके बिल्कुल विपरीत दिखे| उसे समझ में आया कि एक पिता के प्यार को समझना टेढ़ी खीर है|

कल बुला लेना उसकी और उसकी मां को हम मिलकर बात कर लेंगे|

अपने पिता कि ये बात सुनकर अभय को मानो इस दुनियां की सारी खुशी मिल गई हो| और बैठे बैठे ही अपने पिता को कसकर गले लगा लिया |

चलो सो जाओ| अभय के पिता ने कहा| और फिर उठकर वो अपने कमरे कि तरफ जाने लगे|

लव यू पापा, अभय ने कहा शायद ये पहली बार था जब उसने अपने पापा से ये बात कही|

लव यू बेटा| अभय के पिता ने हल्की मुस्कान के साथ जबाव दिया और कमरे से चले गए|

अभय सोचने लगा कि रिया ने सही कहा था लड़ाई लड़ने से पहले वो हार मान चुका था मगर सही वक्त पर उसने अपने दिल के बात अपने पिता को बताने को सोचा वरना वो उनका ये दूसरा रूप कभी नहीं देख पाता| उसे समझ आया कि पिता सख्त होता है मगर कठोर नहीं होता है| उसने रिया को कॉल किया और सारी बात बताई और अलगे दिन उसके और उसकी मां को अपने घर आने को बोला| रिया की खुशी का ठिकाना नहीं था | वो समझ चुकी थी अभय सच में उससे बहुत प्यार करता है क्युकी जो इंसान खुल कर अपने पापा से कुछ बोल नहीं पाता था उसने उसके लिए आज खुलकर अपने दिल को बात कहीं|

अभय , रिया से बात करके मोबाइल को बिस्तर पर रखा और सो गया| बहुत दिनों बात शायद वो आज सकून से सोएगा|